इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय अर्थात कला और कला
खैरागढ़ विश्वविद्यालय में संग्रहालय
सुशांत कुमारखैरागढ़ विश्वविद्यालय भारतीय संगीत की दोनों विधाओं, हिंदुस्तानी और कर्नाटक शैली में शिक्षा प्रदान करता है। कला की पारंपरिक और आधुनिक विधाओं में भी यहां छात्रों को पारंगत बनाया जाता है। विदेशी छात्रों के लिए विशेष सुविधाओं का प्रबंध है और उन्हें यहां अंग्रेजी में शिक्षा उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था है।

यहां छात्रावास की सुविधा भी है। यहां के छात्रों को संगीत और कला दिग्गजों से मिलने का मौका मिलता है। उनमें से कई यहां अक्सर गेस्ट फैकल्टी के रूप में आते हैं। यहां हर वर्ष संगीत और कला उत्सव मनाया जाता है, साथ ही खैरागढ़ महोत्सव, युवा उत्सव और हर हफ्ते होने वाला श्रुति मंडल कार्यक्रम छात्रों को उनके विषय में प्रयोगात्मक बना कर उनकी प्रतिभा में निखार लाता है।
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के नाम को लेकर अक्सर लोगों में भ्रम रहता है कि इसका नाम देश की पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। इसका नाम खैरागढ़ के राजा बीरेंद्र बहादुर सिंह की बेटी इंदिरा के नाम पर है, जो कम उम्र में ही चल बसी थीं। वे संगीत की बहुत शौकीन थीं, जिस कारण इस विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा गया। संगीत विभाग, नृत्य विभाग, कला, दृश्य कला और लोक संगीत विभाग इसके हिस्से हैं और इनके द्वारा इनसे जुड़े क्षेत्रों में प्रमाण पत्र स्तर से लेकर डॉक्टरेट स्तर तक के पाठय़क्रमों को तैयार किया गया है, जो देश भर में उत्कृष्टता के लिए जाने जाते हैं। अल्पकालीन पाठय़क्रमों से लेकर दीर्घकालिक पाठय़क्रम यहां उपलब्ध हैं।
सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, स्नातक, परास्नातक और विषय विशेष में डॉक्टरेट के अलावा यह विश्वविद्यालय विशेष रूप से संगीत के क्षेत्र में इंटर डिसिप्लिनरी रिसर्च के लिए जाना जाता है। यहां देश-विदेश के बहुत से छात्र खुद को भारतीय संगीत में शोध के लिए समर्पित करते हैं। संगीत के क्षेत्र में अपना मुकाम बनाने के बाद धीरे-धीरे यह विश्वविद्यालय अब विजुअल आर्ट्स की शिक्षा का भी महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। यहां का बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स कोर्स छात्रों के बीच बहुत लोकप्रिय है। संगीत में गायन-वादन के अतिरिक्त नृत्य कला में यह कथक और भरतनाटय़म के लिए मशहूर है।
जहां एक तरफ शोधार्थियों के लिए जरूरत का सभी सामान उपलब्ध है, यहां के पुस्तकालय में हजारों पुस्तकें हैं और साथ ही बहुत बड़ी संख्या में यहां संगीत के महारथियों के ऑडियो और वीडियो टेप्स भी छात्रों के लिए सुलभ हैं। दूसरी तरफ कला के छात्रों के लिए भी यहां विशेष रूप से आधुनिक महान कलाकारों के काम का वीडियो और स्लाइड के रूप में विशाल संग्रह उपलब्ध है। समकालीन कलाकारों और देश की विभिन्न लोक कलाओं का संकलन भी छात्रों के लिए किया गया है।
छत्तीसगढ़ में स्थित खैरागढ़ का इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एशिया के उन कुछ चुनिंदा संस्थानों में से है, जहां आज मेरे मित्र विप्लव के साथ जाना हुआ। यह विश्वविद्यालय जो संगीत और कला को पूरी तरह समर्पित है। यह एशिया का पहला ऐसा संस्थान है, जो कला और संगीत में उच्च शिक्षा देने हेतु स्थापित किया गया। खैरागढ़ आजादी से पहले एक छोटी-सी रियासत हुआ करती थी, जहां के राजा बीरेंद्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती ने ही 1956 में इस विश्वविद्यालय की नींव रखी थी।
इसकी स्थापना के लिए उन्होंने अपना राजभवन दान किया था। आज भी विश्वविद्यालय का कामकाज इसी भवन में होता है। गौरतलब है की छात्रों व आगंतुकों के लिए यहां एक संग्रहालय है। जहां वाद्य गैलरी में सभी तरह के संगीत वाद्यों का संकलन है। यहां एक गैलरी पुरातात्विक महत्व की भी है, जहां क्षेत्रीय पुरातात्विक कला संग्रह और दस्तावेजों का संकलन है।
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