उपन्यासकार तेजिन्दर सिंह गगन आज भी प्रासंगिक

तेजिन्दर सिंह गगन की याद में विशेष

दक्षिण कोसल टीम


पांच साल पहले आज ही के दिन तेजिन्दर सिंह गगन हमको छोड़ चले थे। 3 अगस्त 2017 को उपन्यासकार तेजिन्दर ने कहा था प्रेमचंद आज ज्यादा प्रासंगिक इसलिए हैं क्योंकि अपने समय में उन्होंने जिन समस्याओं और चुनौतियों का सामना किया था, आज वे अधिक भयावह रुप से मौजूद हैं।

उक्त उद्गगार प्रख्यात रचनाकार तेजिन्दर ने प्रगतिशील लेखक संघ रायपुर द्वारा मिंटू शर्मा स्मृति शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला डूमरतराई में आयोजित प्रेमचन्द जयंती के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये थे।

उन्होंने आगे कहा था कि बच्चों से संवाद करना मुझे व्यक्तिगत रूप से चुनौतिपूर्ण लगता है क्योंकि बच्चों का मस्तिष्क पारदर्शी होता है।

लेकिन आज ऐसा नहीं लग रहा है। तेजिंदर गगन का निधन ह्दय गति रुक जाने से हो गया। तेजिंदर गगन दूरदर्शन में बतौर निदेशक कार्यरत रहे और सेवानिवृत्त हुए।

अपनी सेवानिवृत्ति के बाद वे कई अखबारों के लिए नियमित तौर पर लेखन करते रहे। 67 वर्षीय गगन अपने पीछे पत्नी दलजीत गगन पुत्री समीरा को छोड़ गए हैं।

देश के अनेक साहित्यकारों ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए इसे साहित्यिक क्षति माना है। हमारे समय के प्रखर वक्ता और साहित्यकार नहीं रहे उन्हें कई अवसरों पर सुना गया।

उपन्यास डायरी सागा सागा, वह मेरा चेहरा, काला पादरी, सीढिय़ों पर चीता, हेलो सुजित तथा कहानी संग्रह घोड़ा बादल और काव्य संग्रह बच्चे अलाव ताप रहे हैं के रचयिता लेखक तेजिंदर हमारे समय में अपने ओजस्वी वक्तव्य से वर्तमान अंधेरे आंतों का साहित्यिक चीरफाड़ करते रहे हैं। गौरतलब हो कि उन्हे 2017 का सप्तपर्णी सम्मान से सम्मानित किया गया था।


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