‘‘जड़ काटो डगाल नहीं’’ : ईसाई धर्म को मानने पर भीषण प्रताडऩा
धर्मान्तरण के मामले में उत्तर बस्तर में भी स्थिति कमोबेश समान
दक्षिण कोसल टीमयहां पर हिन्दू संगठनों ने एक नारा दिया है ‘‘जड़ काटो डगाल नहीं’’ चूंकि मैं पास्टर हूं इसलिए स्थानीय बजरंग दल, धर्म सेना विश्व हिन्दू परिषद सहित उनके लगभग 8 संगठन जो इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, के द्वारा मुझे निशाना बनाया जा रहा है। साल 2008 से यह लगातार चला आ रहा है। हम लोग पहले तालाब और नदी आदि खुले जगह में बपतिस्मा दिया करते थे लेकिन वर्तमान में हिन्दू संगठनों के द्वारा कट्टरतापूर्वक माहौल के कारण यह सम्भव नहीं हो पा रहा है तथा हमारे धर्म का प्रचार-प्रसार भी बाधित हो गया है।

इस क्षेत्र में मसीहियों के अलावा मुस्लिम समुदाय के लोग कांसाबेल और बगीचा क्षेत्र में बहुतायत में प्रताडऩा झेल रहे हैं।
27 . जेम्सराम
फॉदर, द चर्च ऑफ गॉड, धमतरी
फॉदर जेम्सराम ने जांच टीम को बताया कि धमतरी के उत्तर में तेली/साहू समाज के लोगों की आबादी अधिक है तथा धमतरी के दक्षिण-पश्चिमी इलाके गोंड़ आदिवासी समाज बाहुल्य है। उन्होंने बताया कि धमतरी में चर्च की स्थापना सन् 1988 के आसपास हुई। चर्च के खिलाफ तब ऐसा कुछ भी घटना नहीं हो रहा था लेकिन सन् 2005 के बाद स्थानीय चर्च और उसके अनुयायियों के खिलाफ हमले और प्रताडऩा शुरू हुआ। उस समय को याद करते हुंए उन्होंने बताया कि एक बर्खास्त इंजीनियर जिनका नाम सोनवानी था वह बजरंग दल के बहाने धर्मान्तरण को जबरदस्ती मुद्दा बनाकर राजनीति में आया। उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ कुल 8 फर्जी मुकदमें दर्ज कराकर परेशान किया जाने लगा उनमें से 6 मामलों में दोषमुक्ति हो चुका है तथा अभी 2 मामले लम्बित हैं।
मेरे ऊपर धर्मान्तरण, प्रलोभन और नंगा नाच आदि के आरोप लगाए गए। इसके पीछे जाति-समाज, बजरंगदल, विश्वहिन्दू परिषद, हिन्दू जागरण मंच, के लोग शामिल रहे। उनके दबाव के कारण मुझे पुलिस ने छह माह तक सन् 2005 में अघोषित हाउस अरेस्ट के रूप में मुझे मेरे चर्च के अन्दर ही रहने को मजबूर कर दिया। सन् 2008 - 09 में घटित घटना को याद करते हुए उन्होंने बताया कि 24 दिसम्बर 2008 में करोल सिंगिंग कार्यक्रम के दौरान बजरंग दल वालों ने हमारे कार्यक्रम में हमला बोल दिया। बड़े पैमाने पर स्थानीय सफाई कर्मचारियों को बजरंग दल व हिन्दू सेना में शामिल कर हमारे खिलाफ हमले करवाए गए थे। करोल सिंगिंग टीम के साथ मारपीट हुआ और शामिल लोगों को नालियों में दबोच लिया गया था।
मुझे गिरफ्तार कर मेरा टेलिफोन छिन लिया गया था, इस घटना में हमारे एक साथी का हाथ टूट गया तथा एक के आंख में गम्भीर चोंट पहुंचा तथा एक अन्य के सिर पर गहरी चोंटें आयीं। थाना में पुलिस ने हमारा आवेदन और एफआईआर नहीं लिखा। हमारे द्वारा एसपी के पास गुहार लगाने और स्थानीय स्तर पर कुछ गणमान्य नागरिकों को दखल के बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज हो सका। उस वक्त हिन्दू संगठनों के नेता सोनवानी और हिन्दू सेना के रूप में शामिल सफाई कर्मचारियों के खिलाफ थाने में एफआईआर भी दर्ज हुआ हालांकि बाद में उनके द्वारा बहुत गिडगिड़ाये जाने पर हम लोगों ने उन्हें माफीनामा लिखकर दे दिया।
28. कुंलेश्वर साहू/लक्ष्मण साहू
उम्र 35 वर्ष, निवासी भटगांव, थाना - रूद्री, जिला धमतरी
सन् 2020 के आासपास की घटना है। मैं एक पास्टर हूं तथा धमतरी से 10 किलोमीटर दूर लिमतरा में रहता हूं। वहां चर्च का भवन नहीं है इस कारण एक विश्वासी के घर में एकत्रित होकर प्रार्थना करते हैं। जहां आासपास के गांव पीपरछेड़ी 1 परिवार, लिमतरा 6 परिवार, पुरी से 1 और अजुनी से 1 परिवार आते हैं। मैं 20 साल पहले से ईसाई धर्म का अनुयायी हूं। मेरा विवाह सन् 2011 में मसीही परिवार में ही हुआ। लिमतरा क्षेत्र में मसीही अनुयायियों को मसीही धर्म के कारण सामाजिक बहिष्कार और जाति-समाज में रोटी-बेटी का प्रतिबन्ध स्थानीय साहू/तेली समाज द्वारा व्यापक पैमाने पर लगाया गया है।
जाति समाज के मुखिया लोगों द्वारा मजदूरों को मसीहियों के खेतों में काम करने की मनाही की जाती है। खेती के लिए ट्रैक्टर इत्यादि भी नहीं मिल पाता। घटनाओं की शिकायत थाने में किए जाने पर पुलिस द्वारा हम लोगों को समझौता करने दबाव दिया जाता है तथा दोषियों को घटना की पुनरावृत्ति नहीं करने बोला जाता है लेकिन इस पूरे क्षेत्र में ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ घटनायें लगातार जारी हैं।
29. गोविन्दराम साहू
उम्र 50 वर्ष, जाति-तेली, धर्म ईसाई, निवासी ग्राम-मोहारा, थाना कुरूद, जिला - बालोद, घटना दिनांक पिछले तीन सालों से लगातार
मैं अपने परिवार सहित पिछले 11 सालों से ईसाई धर्म को मानते आ रहा हूं। मोहारा गांव में कुल 600 परिवार हैं जिसमें 594 हिन्दू तथा 6 परिवार ईसाई हैं। अधिकतर लोग खेती - मजदूरी कर जीवन - यापन करते हैं. हमारे परिवार को पिछले 3 सालों से समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है। विगत् 3 सालों से हमारे गांव क्षेत्र में जाति-समाज और जातिगत संगठन अत्यधिक सक्रिय और कट्टर हो गए हैं। इस कारण तीन साल पहले ही उनके द्वारा हमारा सामाजिक बहिष्कार किया जबकि उससे पहले धर्म स्वीकार करने से तीन साल तक स्थिति सामान्य था।
विधानसभा क्षेत्र से बालोद से कांग्रेस समर्थित विधायक संगीता सिन्हा जो कि कलार जाति से सम्बद्ध है, उसके द्वारा जातिगत संगठनों को बढ़ावा दिया जा रहा है और हम लोगों को जाति में पुनर्वापसी करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, मूर्तिपूजा, दुर्गापूजा, रामनवमीं के समय चन्दा देने का भी हमें दबाव बनाया जाता है। इस क्षेत्र में एक राजपाल नामक पंथ का बहुत अधिक प्रभाव है, जो हिन्दुओं के साथ मिलकर कट्टरता को बढ़ावा दे रहे हैं। इनके अनुयायी खुद को कबीर का अनुयायी बताते हैं। एक महीना पूर्व बालोद के एसडीएम मैडम ने हम लोगों पर धर्मान्तरण का आरोप लगाते हुए हमें धमकी दिया गया है।
30. अ. समल तिर्की
38 वर्ष, ग्राम-किलकिला, थाना पत्थलगांव, ब. प्रवीण लकड़ा/सुखदेव लकड़ा, 30 वर्ष, ग्राम पखनाकोट, घटना स्थल - कटंगजोर, प्रार्थनासभा, पत्थलगांव से 10 किलोमीटर, घटना दिनांक 09 नवम्बर 2021, जिला जशपुर
उपरोक्त दोनों पीडि़त पूर्वज काल से ईसाई अनुयायी हैं जो कि आरम्भ में कैथोलिक रहे लेकिन बाद में पेन्टेकोस्टल चर्च के अनुयायी बन गए। उपस्थित दोनों पीडि़तों ने जांच दल को बताया कि घटना के दिन हिन्दू संगठन के अवधेश गुप्ता, अंकित बंसल, रमेश तिवारी, सुरेश साहू सभी निवासी पत्थलगांव ने स्थानीय पुलिस वालों तथा स्थानीय मीडिया समूह के साथ ही तहसीलदार रामराज सिंह और थाना प्रभारी केएन राठिया को साथ में लेकर आए थे। वे लोग खुद को मीडियाकर्मी होने का दावा कर रहे थे लेकिन वास्तव में वे लोग हिन्दू संगठनों के पदाधिकारी थे।
घटना समय सुबह 11 बजे जब हम 20 -25 लोग आराधना कर रहे थे, एक विश्वासी बिमला चौहान के घर और आंगन में, तभी उपरोक्त सभी लोग 2 चार पहिया वाहनों में करीब 12 - 13 लोग आए और सीधे कार्यक्रम स्थल के भीतर आ गए और अवधेश गुप्ता, अंकित बंसल के अगुआई में जोर - जबरदस्तीपूर्वक हमारे प्रार्थना कार्यक्रम को बन्द करा दिया। उस दिन हमारे कार्यक्रम का दूसरा दिन था कुल तीन दिवसीय आयोजन था। उक्त कार्यक्रम के सम्बन्ध में हमने कार्यक्रम की अनुमति और पूर्व सूचना के लिए एसडीएम कार्यालय में सम्पर्क किया था जहां कि कार्यक्रम के लिए अनुमति को एसडीएम साहेब द्वारा गैर - जरूरी होना बताया गया था।
इस कार्यक्रम में इस तरह उपरोक्त व्यक्तियों के दखल को लेकर जब विश्वासियों ने आपत्ति किया तो सात विश्वासियों और पास्टर को बिमला और उसके भाइयों सहित सभी लोगों को गाड़ी में बैठाकर पत्थलगांव थाना लाया गया उसके बाद एक तरफा मनगड़न्त एफआईआर दर्ज कर कांसाबेल थाना में दोपहर तक ले जाया गया उसके बाद शाम के लगभग 7:30 बजे हमें जशपुर जेल में भेज दिया गया। हमें मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश नहीं किया गया हमारा डॉक्टरी मुलाहिजा जेल के भीतर ही हुआ था।
31. अ. ज्येातिप्रकाश टोप्पो
63 वर्ष, गांव बन्दरचुआं, जशपुर, ब. कल्पनराम चौहान/सन्तुं चौहान, 25 वर्ष, ग्राम बगिया, जशपुर, स. जनेश्वर साय पैकरा/घसिया पैंकरा, 64 वर्ष, ग्राम बगिया, जशपुर घटना स्थल चर्च ग्राम रजौटी, मुहल्ला भालूटोली, थाना कांसाबेल, चौकी दोकड़ा, जिला जशपुर छ.ग. घटना दिनांक 27.03.2022 समय सुबह 9 बजे
घटना दिनांक को रविवार के दिन जब सभी विश्वासी 30 - 35 की संख्या में आराधना कर रहे थे, तब राजेश गुप्ता, बजरंगदल, कुनकुरी के अगुआई में 25 - 30 हिन्दू लोग वहां पर आ गए वहां पर चर्च में अन्दर घुसकर फोटो और वीडियो बनाने के साथ - साथ जयश्रीराम के नारे लगाने लगे और आराधना में रत विश्वासियों के साथ धक्का - मुक्की करते हुए धर्मान्तरण बन्द करो के नारे लगा रहे थे। उनके साथ 2 चार पहिया सरकारी वाहन में क्षेत्र के एसडीओपी कुनकुरी, टीआई कांसाबेल सहित 10 पुलिस वाले भी आए थे। उनके उक्त कृत्यों को देखते हुए हम सभी विश्वासी डर के कारण कार्यक्रम से बाहर आ गए।
बजरंग दल वालों का आरोप था कि हम लोग कंवर समाज के लोगों को बहला - फुसलाकर चर्च में बुलाते हैं। इस सभी कृत्यों को देखते हुए भी उपस्थित पुलिस वालों ने उनके हरकतों पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया न ही हमें किसी तरह का कोई संरक्षण पुलिस के द्वारा दिया गया। पुलिस वालों ने हममें से 2 लोगों को अपने गाड़ी में बैठाकर दोकड़ा चौकी में लेकर आए और वहीं पर हमें 191 का नोटिस दिया गया और ज्योतिप्रकाश टोप्पो और क्रिस्टोफर केरकेट्टा को जशपुर जेल भेज दिया गया, तीन दिन जेल में रहे। धारा 295-ए, (34) धार्मिक स्वातन्त्रय छ.ग., हमें जेएमएफसी कोर्ट बगीचा से जमानत मिल गया। उसके बाद हम लोगों ने दिनॉक 31 मार्च 2022 को उस घटना के दोषियों पर एफआईआर के लिए आवेदन दिया तथा मसीही समाज की ओर से भी रिपोर्ट लिखवाया गया। हम लोगों का बयान पुलिस वालों ने लिया है लेकिन आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।
गांव में 250 के लगभग कुल परिवार हैं जिसमें मसीही परिवारों की कुल संख्या 100 के करीब है। गांव में ऐसे कंवर परिवार जो मसीही धर्म को मानते हैं, उनका सामाजिक बहिष्कार हिन्दू समर्थक कंवर जाति द्वारा किया गया है जिस कारण साल 2021 से लगातार सामाजिक बहिष्कार झेलते आ रहे हैं। गांव के लोगों द्वारा बैठक बुलाकर ईसाई चर्च में नहीं जाने का फरमान जारी किया गया था तथा बजरंग दल वालों को भी बुंलाकर रोटी - बेटी, नल-जल,पानी - आग का बहिष्कार करने का धमकी दिलाया गया था। बजरंग दलवालों ने जशपुर में ज्योतिप्रकाश टोप्पो के खिलाफ धर्मान्तरण का आरोप लगाकर रैली और ज्ञापन भी कलेक्टर एंव एसपी जशपुर को सौंपा गया था। कलेक्टर और एसपी द्वारा गठित कमेटी के द्वारा धर्मान्तरण के आरोपों की जांच की गयी थी लेकिन जबरन धर्मान्तरण का कोई भी आरोप सच साबित नहीं हो सका।
32. दिगम्बर साय चौहान
42 वर्ष, गांव मुड़ापारा, डोमपारा, थाना पत्थलगांव
दिगम्बर साय चौहान ने जांच टीम को बताया कि मेरे पिताजी कोटवार हैं हम लोगों का जाति चिकचिकवा है। हम गांव वालों द्वारा दबाव डाला जाता है कि प्रार्थना सभा नहीं करो। मेरे पिताजी को तहसील आफिस पत्थलगांव के अधिकारी/कर्मचारी बोलते हैं कि तुम्हारा लडक़ा ईसाई बन गया है उसको मना करो। इसी दबाव में मेरे पिताजी भी घर में दबाव डालते हैं। मैं सन् 2016 से मसीही अनुयायी हूं। अपने पत्नी और बच्चों के साथ तथा गांव में अन्य 5 - 6 परिवार मसीही धर्म को मानते हैं।
33. श्रीराम अगरिया
42 वर्ष, निवासी ग्राम - देवसराकला, थाना - कुसमी, जिला बलरामपुर, (छ.ग.) घटना दिनांक दिसम्बर 2021, घटना स्थल - कुम्हारटोली, अम्बाकोना, आस्ता, थाना जिला जशपुर (छ.ग.)
मैं विगत छह वर्षों से ईसाई धर्म का अनुंयायी हूं। जब हम लोग 10 की संख्या में विश्वासी लोग शाम के समय महिमागान/स्तुतिगान कर रहे थे, तभी बजरंग दल और शिवसेना के लगभग 20 लोग घर में घुस आए। उन लोगों के द्वारा हमारे बाइबल को जब्त कर लिया गया, मैं एक पास्टर हूं, तो मुझ पर आरोप लगाए कि तुम धर्म परिवर्तन कराते हो और फिर हम सभी लोगों को धमकाते हुए जोर- जबरदस्तीपूर्वक आस्ता थाने में ले गए।
उन लोगों ने पुलिस वालों को भी बुला लिया था। थाना में जाने के बाद टीआई ने बाइबल को जब्ती बनाया, हमारे खिलाफ एफआईआर किया बजरंग दल वाले वहीं थाने में हमारे खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे और उनके दबाव में ही हमारे खिलाफ पुलिस ने झूठा मुकदमा दर्ज किया और हम लोगों को कोतवाली थाना में रातभर रखा गया, अगले दिन आस्ता थाना से पुलिस वाले आए और लिखा - पढ़ीकर 3 दिसम्बर शाम को जज के सामने पेश किए, डॉक्टर को दिखाए और फिर जेल भेज दिए। 28 दिन तक जेल में रहा, जशपुर से जमानत हुआ है, अभी जश्पुर कोर्ट में ही पेशी चल रहा है।
बजरंग दल वाले अपने नारेबाजी के दौरान यह लगातार बोल रहे थे कि तुम अपना नाम में श्रीराम लिखते हो और ईसाई बना है बे। मैं एक पास्टर हूं, मुझे डर तो लगता है फिर भी मैं अपना धर्म मानता ही रहूंगा।
34. पास्टर सुधीर तिर्की
48 वर्ष, निवासी कुंनकुंरी
मैं जन्म से मसीही हूं पूर्व में लूथरन चर्च तथा वर्तमान में पेंटीकोस्टल चर्च का विश्वासी हूं। यहां पर हिन्दू संगठनों ने एक नारा दिया है ‘‘जड़ काटो डगाल नहीं’’ चूंकि मैं पास्टर हूं इसलिए स्थानीय बजरंग दल, धर्म सेना विश्व हिन्दू परिषद सहित उनके लगभग 8 संगठन जो इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, के द्वारा मुझे निशाना बनाया जा रहा है। साल 2008 से यह लगातार चला आ रहा है। हम लोग पहले तालाब और नदी आदि खुले जगह में बपतिस्मा दिया करते थे लेकिन वर्तमान में हिन्दू संगठनों के द्वारा कट्टरतापूर्वक माहौल के कारण यह सम्भव नहीं हो पा रहा है तथा हमारे धर्म का प्रचार-प्रसार भी बाधित हो गया है. इस क्षेत्र में मसीहियों के अलावा मुस्लिम समुदाय के लोग कांसाबेल और बगीचा क्षेत्र में बहुतायत में प्रताडऩा झेल रहे हैं।
35. विशाल विश्वकर्मा
33 वर्ष, निवासी वाड्रफनगर पंचायत, घटना स्थल चन्दौरीपारा, वाड्रफनगर में स्थित एक अस्थायी चर्च, घटना दिनांक 3 अप्रैल 2022
मैं साल 2008 से अपने परिवार-पत्नी बच्चों सहित ईसाई धर्म अपनाया हूं तथा वर्तमान में मैं नई दृष्टि चर्च, चन्दोरा प्रतापपुर के पास एक पास्टर के रूप में अपना सेवा देता हूं। घटना का समय दिन के 11 बजे जब लगभग 14 की संख्या में हम सभी विश्वासी आराधना कर रहे थे तभी आरएसएस वाले 6-7 की संख्या में चर्च में जबरदस्ती घुस आए और उन लोगों ने हमें कहा कि यहां तुम लोग खरीदकर गणेश भगवान का एक मूर्ति डालो जिस पर हम लोगों ने इंकार किया। उन लोगों ने यह भी कहा कि यहां पर प्रार्थना नहीं करो और अगर नहीं माने तो इसका अंजाम ठीक नहीं होगा।
कुछ विश्वासी जो नगर पंचायत में सफाई कर्मचारी हैं, उन लोगों को वहीं पर नौकरी से हटा देने का धमकी दिया गया है। विकास शर्मा, आशीष दुबे आदि आरोपी लोग गौ-रक्षक संगठन से जुड़े हैं। सफाई कर्मचारी विश्वासी लोग डोम और स्थानीय गोंड़ समुदाय से सम्बद्ध हैं उन सभी ने बताया कि वे लोग अपने स्वेच्छा से यहां पहुंचे। इस घटना का शिकायत हम लोगों द्वारा थाना में नहीं किया गया क्योंकि आरएसएस वालों का सांठ-गांठ चौकी पुलिस वाड्रफनगर के साथ जगजाहिर है।
6. दीनो कुजूर
32 वर्ष निवासी मुड़ागांव, बेश्राबहार, थाना लैलूंगा, घटना स्थल - लवकुटरी, बगीचा थाना, घटना दिनांक 20 दिसम्बर 2021
मैं पूर्वज के जमाने से परिवारसहित ईसाई धर्म अनुयायी हूं। मैं वर्तमान में दर्रीपारा अम्बिकापुर में पास्टर के रूप में सेवा देता हूं। दिनांक 19 से 20 दिसम्बर 2021 में क्रिसमस गेदरिंग का कार्यक्रम था। घटना के दिन आराधना चल रहा था और उस समय दोपहर के भोजन का समय था। लगभग 1 बजे लवकुटरी गांव के नागवंशी आदिवासी जाति के 5 लोग पहले आए लेकिन धीरे - धीरे उन लोगों की संख्या 50 के आसपास पहुंच गया वहां उन लोगों के साथ जनजाति सुरक्षा मंच के लोग भी आ गए थे। कार्यक्रम में मसीही लोगों की संख्या 150 के आसपास था। कार्यक्रम एक विश्वासी दिलीप नागवंशी के आंगन में टेंट इत्यादि लगाकर हो रहा था, वहां पर वे सभी लोग जबरदस्ती घुस गए और विवाद करने लगे। उन लोगों द्वारा वहीं से बगीचा थाना पुलिस वालों को फोन किए।
बगीचा थाने से पुलिस वाले लगभग 7 की संख्या में दोपहर 3 बजे के आसपास पहुच गए। पुलिस ने कार्यक्रम के आयोजकों के बारे में पूछताछ किया। पुलिस वालों ने वहां पर उपस्थित जवान लड़कियों को ज्यादा चर्बी हो गया है, ऐसा कहते हुए गाली - गलौज करने लगे। उस घटना का जब कुछ लोग वीडियो बना रहे थे तो पुलिस वाले ने बन्द करा दिया फिर पास्टर लोगों से पूछताछ करने की बात करते हुए पुलिस गाड़ी के पास बुलाकर 3 पास्टर तथा 1 फादर को गाड़ी में बैठाकर बगीचा थाना ले आए। फादर अरूण कुजूर, पास्टर सलोमन तिग्गा, बसन्त लकड़ा, दीनो कुजूर, साथ में 3 विश्वासियों को भी लेकर आए। थाना में ले जाकर उन सभी लोगों को कस्टडी रूम में बन्द कर दिया।
एक रात और अगले दिन शाम के 4 बजे बगीचा मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर देर शाम को जशपुर जेल भेज दिया गया। हमारे खिलाफ थाना में गेट के बाहर बड़ी संख्या में आरएसएस के लोग नारेबाजी करते रहे। उनकी मांग हमें जेल में डालने के लिए था। हम लोग एक सप्ताह तक जेल में रहे और फिर जमानत के बाद जेल से बाहर निकले। हम लोग थाना में रिपोर्ट नहीं किये क्योंकि कोरिया में रहने वाले फादर लोगों ने हमें सपोर्ट नहीं किया बल्कि कार्यक्रम का पूर्व सूचना प्रशासन को नहीं दिया गया था, ऐसा कहकर समझाईश किया गया।
37. शांतिप्रकाश कुजूर
53 वर्ष, निवासी गांव व थाना - कुसमी, घटना स्थल - डीपाडीप, शंकरगढ़ थाना, शम्भूराम नगेसिया का निवास स्थान, घटना - फरवरी 2022
जब हम सभी लोग प्रार्थना सभा में शामिल थे तब बजरंग दल के लोग जबरदस्ती हमारे कार्यक्रम में घुस आए। हम विश्वासियों की संख्या 10 - 12 थी और बजरंग दल से सम्बद्ध लोगों की संख्या भी 10 - 12 के आसपास थी। उन लोगों ने एक विश्वासी को जाति पूछकर यह डांटने लगे कि तुम पैकरा होकर बाइबल क्यों पढ़ रहे हो, और फिर वह विश्वासी डर गया। उसके बाद वे लोग पास्टर को बाहर ले जाने लगे। मैं बाहर नहीं आया तब उन लोगों के द्वारा पुलिस चौकी डीपाडीप में फोन कर पुलिस वालों को आने के लिए कहा, जब पुलिस वाले पहुंचे तो हम ही लोगों को डांटते हुए कहने लगे कि तुम और तुम्हारी पत्नी को रामानुजगंज जेल में तीन महीने के लिए अन्दर भेज देंगे।
वहां से हम दोनों पति - पत्नी को पुलिस चौकी में ले गए जहां बजरंग दल वाले भी पहुंच गए, मेरी पत्नी का नाम शांति तिर्की है। पुलिस चौकी में हम लोगों से यह दबावपूर्वक लिखवाया गया कि हम लोग आज के बाद धर्मान्तरण नहीं करेंगे और उसके बाद हमें जाने को कहा गया। इस घटना के पहले भी दो बार क्रमश: 2017 और नवम्बर 2018 में भी ऐसा ही आरोप लगाकर मारपीट किया गया था। मैं तब यह सोचकर थाना में रिपोर्ट नहीं लिखवाया कि सही वक्त आने पर परमेश्वर उन्हें बता देगा।
38. जग्गू कश्यप
ग्राम सुरगुड़ा, पंचायत सुरगुड़ा, तहसील लोहांडीगुड़ा, जिला बस्तर, घटना दिनांक 8 मार्च 2021, घटनास्थल - जग्गू कश्यप जो कि आदिवासी माडिय़ा जनजाति से हैं
गांव में 4 परिवार ईसाई धर्म के अनुयायी हैं जिनमें कुल 16 व्यक्ति हैं। शाम को करीब 6:45 से 7:00 बजे के आस पास कॉटेज प्रेयर मीटिंग/ पारिवारिक प्रार्थना सभा रखी गई थी। समय करीब 7:30 बजे गांव के कुछ लोग शोर करते हुए घर के बाहर आए। प्रार्थना घर के आंगन में की जा रही थी। पास्टर सैमसंग बघेल जिनका केंद्र मड़वा में है, ने आगे जानकारी दी की वे काफी समय से क्षेत्र में प्रेरिताई का कार्य कर रहे हैं।
वे अल्वा, तोईकीमारी, छोटे किलेपाल, तोमड़पाल, माताड़ी, तवानारु, सरगीगुड़ा तथा उड़वा में जाकर धर्म कि शिक्षा देते है। घटना के दौरान जग्गू कश्यप की पत्नी बुतरी कश्यप, पुत्र दुरसाय कश्यप, दादा मंगतू उपस्थित थे। गांव वाले शराब पीकर आए हुए थे। वे यह कह रहे थे कि बैठक मत करो। वे यह भी कह रहे थे कि ईसाई लोगों को गांव से भगाएंगे।
जग्गू कश्यप के पुत्र सुदरू कश्यप ने जब देखा की गांव के लोग नशे में है, तो उसने उनसे कहा की कल बात करेंगे। इस पर गांव के लोगों ने सुदरू को मारना शुरू कर दिया। जब पास्टर सैमसंग बघेल से यह पूछा गया की जब भीड़ सुदरू कश्यप को मार रही थी तो आप बचाने नहीं गए क्या। तो उनका जवाब था कि गांव के बीच की बात है, इसलिए मैं बीच में नहीं पड़ा क्योंकि मुझे लगा कि वे दो चार झापड़ मारकर उसे छोड़ देंगे। यह पूछे जाने पर कि मारने वालों में कौन कौन शामिल था तो उन्होंने बताया कि चैतू गावड़े जो कि महरा समाज से हैं तथा सरगीगुड़ा का रहने वाला है वह शामिल था तथा मारपीट की शुरुआत गांव के कोटवार अंदो कश्यप ने की। भीड़ में मारने वालों में जग्गू कश्यप के माडिय़ा समाज के लोग भी शामिल थे।
मारपीट के परिणामस्वरूप जग्गू की पत्नी बुतरी कश्यप की रीड़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। छोटे बेटे सुखराम को भी चोटें आई थी। भीड़ ने मेज, कुर्सी, बाइबल, दरी तथा धार्मिक गीत की किताब को भी जला दिया। पास्टर सैमसंग बघेल से आगे जब पूछा गया की घरवालों को मारने के बाद गांववालों ने क्या किया, तो उनका जवाब था की घरवालों को मारने के बाद उन्होंने मुझे भी मारा जिससे मेरा सिर फट गया और खून बहने लगा। यह सब कुछ करीब रात 10 बजे तक चलता रहा। इस घटना की सूचना देने के लिए पुलिस थाना कोडेनार में फोन लगा कर पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने कहा कि हम इस वक्त नहीं आ सकते और पीडि़तों को थाने बुलाया। पास्टर सैमसन बघेल ने बताया की इस घटना की सूचना उन्होंने पास्टर सलीम जो कि जगदलपुर में रहते हैं को भी दी।
पास्टर सलीम ने पीडि़त व्यक्तियों कि चोट को दर्शाने वाली फोटो तथा घटना में क्षतिग्रस्त सामान और घटनास्थल की फोटो वॉट्सऐप में मंगाई। पास्टर सलीम ने पुलिस अधीक्षक से फोन पर बात कर इस घटना की सूचना दी और पुलिस अधीक्षक ने कोडेनार थाने के थाना प्रभारी का फोन नंबर देकर पास्टर सलीम को उसने बात करने को कहा। रात को करीब 12 बजे पुलिस थाना कोडेनार में एम्बुलेंस आई और जिन पीडि़तों को साधारण चोटे आई थी, उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़े किलेपाल ले जाया गया तथा जिन्हें गंभीर चोटें थी उन्हें जगदलपुर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। अगली सुबह करीब 11 '2 बजे पुलिस थाना कोडेनार में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई सूचना में करीब 15 '6 व्यक्तियों के विरुद्ध नामजद शिकायत की गयी।
चोट के कारण बुतरी कश्यप करीब 4 दिन मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती रही। पीडि़तों के ऊपर समझौता कर लेने का दबाव था। गांववालों का कहना था कि जग्गू कश्यप व अन्य ईसाई व्यक्तियों को आदिवासी देवी - देवता को मानना चाहिए। पास्टर जुगल कश्यप का कहना था कि इस तरह की घटना सिर्फ ईसाइयों के साथ ही होती है क्योंकि यदि कोई आदिवासी देवी देवताओं की जगह हिंदू देवी देवता को मानने लगे तो उसका विरोध या उस पर हिंसा नहीं की जाती।
39. बुधराम कर्मा
ग्राम बरछेपाल, थाना - कोडेनार, तहसील - लोहांडीगुड़ा, बस्तर जिला
बुधराम कर्मा द्वारा बताया गया की ईसाई धर्म स्वीकार कर लेने के कारण परिवार में किसी की मृत्यु होने पर अपनी स्वयं की भूस्वामी जमीन पर भी मृतक का ईसाई परंपरागत विधि से अंतिम संस्कार नहीं करने दिया जाता। उपस्थित पास्टर जुगल कश्यप से पूछा गया कि आसपास के दूसरे गांव में जहां ईसाइयों के लिए अलग कब्रिस्तान हैं क्या वहां दूसरे गांव के ईसाई अनुयायी के मृत्यु होने पर अन्तिम संस्कार करते हुए दफनाने नहीं दिया जाता? तो उनका जवाब था की ऐसी स्थिति में गांव के गैर ईसाई इस बात का विरोध करते हैं कि कब्रिस्तान के लिए जगह हमने अपने गांव के ईसाइयों के लिए दी है ना कि दूसरे गांव के ईसाइयों के लिए।
40. सीताराम मरकाम
ग्राम - गुमड़पाल, तहसील - दरभा, जिला - बस्तर, घटना - दिनांक 28 - 29 अक्टूबर, 2021
बड़े भाई स्वर्गीय लक्ष्मण मरकाम की मृत्यु 27 अक्टूबर को सुबह 7 बजे हुई। उसके अगले दिन 28 अक्टूबर को सरपंच, उपसरपंच, गांव के कोटवार तथा पटेल गांव के अन्य ग्रामीणों को लेकर सीताराम मरकाम के यहां आए और कहने लगे की हम मृतक स्वर्गीय लक्ष्मी मरकाम जिसने की ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था को गांव में दफन करने नहीं देंगे। गांव वालों के विरोध के कारण करीब शाम 4 बजे मृतक को स्वयं की भूस्वामी जमीन में दफनाया गया। उसके अगले दिन 29 अक्टूबर को गांव में बैठक बुलाई गई जिसमें की सीताराम मरकाम और उसके परिवार को धमकाया गया। इस बात की सूचना फोन के द्वारा पुलिस अधीक्षक तथा थाना प्रभारी को दी गई। करीब 10 बजे सुबह गांव वालों ने कब्र खोदकर लाश को बाहर निकाल दिया। सूचना पाकर पुलिस दल वहां पहुंचा और पुलिस की उपस्थिति में लाश को फिर उसी कब्र में दफना दिया गया। गांववालों का कहना था की मृत शरीर को दफनाने के लिए कोई दूसरी जगह दिखा देंगे और इस एवज में परिवार से 5 हजार रुपये अर्थदण्ड भी लिया गया। अर्थदण्ड लेने के पश्चात गांववाले अब कहते हैं कि कोई और दूसरी जगह नहीं देंगे।
इस घटना में यह देखने को मिला की शुरू में गांववाले मृत शरीर को गांव में दफन करने का विरोध कर रहे थे, जिस पर मृतक के परिवारजनों ने मृत शरीर को अपने स्वयं की जमीन पर दफन किया। इसके दूसरे दिन गांव वालों ने बैठक कर डराते धमकाते हुए मृत शरीर को कब्र खोदकर निकाल दिया, यह कहते हुए कि कोई दूसरी जगह दिखा देंगे। पुलिस के पहुंचने और हस्तक्षेप के बाद दोबारा मृत शरीर को उसी कब्र में दफना दिया गया। परन्तु गांव वालों ने कब्र के लिए दूसरी जगह बताने कि आश्वासन के साथ मृतक के परिवार से 5 हजार रुपये अर्थदंड वसूल किया और फिर कब्र के लिये स्थान बताने से मुकर गए। पूरे प्रकरण से सिर्फ यह दर्शित होता है कि गांव वालों का मकसद सीताराम मरकाम व उसके परिवार के ईसाई धर्म को मानने के कारण उन्हें प्रताडि़त किया गया।
छत्तीसगढ़ राज्य के पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में/आदिवासी इलाकों में आदिवासी समुदायों के मध्य धार्मिक आस्थाओं के सवाल को लेकर आपसी तनाव और तकरार की परिस्थितियों पर पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज छत्तीसगढ़ राज्य इकाई के पहल पर छत्तीसगढ़ प्रोग्रेसिव क्रिश्चियन अलायन्स, आल इंडिया पीपुल्स फोरम तथा दलित अधिकार अभियान, आल इंडिया लायर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस आदि जनसंगठनों की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट पर आधारित।
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