एक जुलाई भिलाई गोलीकांड की याद में हजारों की संख्या में श्रमिक हुए एकजुट
शहादत पर 31वां शहीद दिवस मना रहे हैं
दक्षिण कोसल टीमछत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (छमुमो) अपने जुझारू साथियों के शहादत पर 31वां शहीद दिवस मना रहे हैं। एक ऐसा संगठन जिस पर दल्लीराजहरा, राजनांदगांव, भिलाई में इनके मजदूरों पर गोलियां चली और इनके नेता शंकर गुहा नियोगी को गोलियों से मार कर मौत के घाट उतार दिया गया। संघर्ष और निर्माण के इतने वर्षों बाद भी मजदूर अपने नेताओं की याद में हर साल शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं और नई संकल्प के साथ संघर्ष के लिये आगे बढ़ जाते हैं।

आज लाल मैदान छावनी में सुबह 10 बजे से एकत्रित होकर दोपहर 12 बजे पावर हाऊस रेल्वे स्टेशन के प्लेट फार्म नंबर 1 में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर वापस लाल मैदान पहुंचकर 1 बजे रैली प्रारंभ किया जो नन्दिनी मार्ग से ए.सी.सी. (शहीद शंकर गुहा नियोगी) चौक पहुंचकर प्रतिमा में माल्यार्पण के सभा में बदल गये।
जीने लायक वेतन की थी लड़ाई
अवगत हो कि उस दिन श्रमिकों ने जीने लायक वेतन तथा स्थायीकरण आदि मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शंकर गुहा नियोगी के नेतृत्व में श्रमिकगण आंदोलन कर रहे थे उन्हें 28 सितंबर 1991 की रात गोली मारकर हत्या की गई के बावजूद आंदोलन जारी था। 1 जुलाई 1992 को भाजपा की पटवा सरकार ने पुलिस गोली चालन कर 17 मजदूरों की हत्या कर दी। उनका 31वां शहीद दिवस 1 जुलाई 2023 दिन शनिवार को भिलाई में छमुमो के सभी संगठनों द्वारा आयोजित किया गया था। उक्त अवसर पर संघर्ष के जरिए शहीदों का सपना पूरा करने का संकल्प लिया गया।
केडिया लंदन जा बसा
मोर्चा का आरोप है कि शंकर नियोगी की हत्या के तुरंत बाद शराब कंपनी के मालिक कैलाशपति केडिया भारत देश छोडक़र लंदन में जा बसा है। उनकी कंपनी केडिया डिस्टलरी भिलाई के लिए इंदौर हाईकोर्ट द्वारा परिसमापक नियुक्त किया गया इसकी खबर मिलते ही कंपनी के अधिकारियों ने भिलाई डिस्टलरी से बायलर सहित बड़ी बड़ी टंकिया, मशीनें इत्यादि चोरी छिपे उनकी दूसरी कंपनी छत्तीसगढ़ डिस्टलरी कुम्हारी में ले जायी गयी। परिसमापक द्वारा भिलाई डिस्टलरी की प्रापर्टी विक्रय (निलाम) की गई उक्त गशि में से बिंदल पेपर मिल, बैंक, पीएफ आदि की देनदारी भुगतान की गई किंतु मजदूरों की दावा राशि स्वीकृति के बावजूद पूरी भुगतान नहीं की गई इसलिए कुम्हारी डिस्टलरी में ले जायी गई मशीनों को जप्त कर विक्रय करके श्रमिकों की दावा राशि भुगतान कराया जायें की मांग उठी।
छमुमो नेता भीमराव बागड़े ने बताया कि सिम्प्लेक्स, बीके, भिलाई वायर्स आदि इंजिनियरिंग कंपनियों के श्रमिकों का प्रकरण तथा छत्तीसगढ़ डिस्टलरी कुम्हारी के मजदूरों का प्रकरण बिलासपुर हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में विचाराधीन है। एसीसी में अडानी गु्रप की हिस्सेदारी के बावजूद श्रमिकों का संघर्ष जारी है। रसमड़ा औद्योगिक क्षेत्र के मजदूर अवैध रूप से कंपनी बंद रखे जाने के समय का बकाया वेतन आदि मांगों के लिए संघर्षरत है।
श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया गया
कई वर्षो तक संघर्ष के जरिए बनाए गए 44 श्रम कानूनों को केन्द्र सरकार द्वारा उद्योगपति, कार्पोरेट हितों के लिये समाप्त कर 4 श्रमकोड बिल लाया गया। जो देश के मेहनतकशों को गुलामी की ओर धकेला जा रहा है। 8 घंटे ड्यूटी का कानून था उसे 12 घंटे कर श्रमिकों की छटनी, बेराजगारी को बढ़ावा तथा ओव्हर टाईम के कानून को समाप्त किया गया जो संविधान में दिये गये जीने का अधिकार धारा 21 का स्पष्ट उल्लंघन है। श्रमिको को यूनियन गठित करने का अधिकार था उसमें भी परिवर्तन किया गया। इसलिये श्रमिक वर्ग को अपने अधिकारो की सुरक्षा के लिये संघर्ष करना होगा।
नेता जनक लाल ठाकुर का कहना है कि न्याय के लिये संघर्ष करने वाली महिला पहलवानों के साथ पुलिस ज्यादती से स्पष्ट है कि केन्द्र में बैठी अहंकारी सरकार पतन की ओर बढ़ रही है। उड़ीसा में हुई रेल दुर्घटना तीनों ट्रेनों का एक साथ टकराव होना, निजीकरण तथा ठेकाकरण का परिणाम है, इसके लिये सरकार जिम्मेदार है। इस निजीकरण के कारण 300 से अधिक यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी। देश की जनता देख रही है यात्रियों की ट्रेन कई घंटे कहीं पर भी रोकी जा रही है। किन्तु अडानी की मालगाड़ी रफ्तार से दौड़ रही है।
जो सरकार रेल्वे, बैंक, बीमा, कोयला, रक्षा आदि सरकारी संस्थाओं को नहीं चला पा रही है। वो बड़े- बड़े लुभावने सपने दिखा रही है। किसानों के लिये समर्थन मूल्य गारंटी कानून पास करने के बजाए गैर भाजपा सरकारों को काम करने से रोकना व तोडऩा भाजपा सरकार की नीति बन गयी है। जो सीबीआई, इंडी और एसीबी को जनहित में उपयोग करने के बजाए भाजपा का समर्थन बढ़ाने में उपयोग कर रही है। बल्कि धार्मिक उन्माद फैलाया जा रहा है। जो अति का अंत होना स्वाभाविक है।
छमुमो के पूनाराम साहू का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार श्रम कानूनों को लागू नहीं करा रही है। अधिकतर श्रमिकों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा है। भविष्य निधि की राशि गबन की जा रही है। राज्य कर्मचारी बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है। सुरक्षा के उपकरण नहीं मिलने से श्रमिक आये दिन दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। रिटायर होने पर ग्रेच्यूटी का लाभ नहीं मिल रहा है। अपने हक की मांग करने वाले श्रमिकों को नौकरी से निकालने की छूट उद्योगपति व ठेकेदारो को मिल गयी है। जो काम स्थायी है उसमें भी ठेकेदारी चलायी जा रही है। शिकायत के बावजूद श्रम विभाग के अधिकारी उद्योगपतियों की तरफदारी करने में लगे हैं। 180 दिन में निराकरण करने का कानून औद्योगिक विवाद अधिनियम के बावजूद श्रम न्यायालयों में बरसों से प्रकरण लंबित है। इसलिये श्रमिकों को समय पर न्याय दिलाने नियुक्ति के अलावा सरकार को कारगर कार्यवाही करनी होगी।
तुलसीराम कहते हैं कि खनिज संपदा की लूट के लिये छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों का नरसंहार कर रही है। फर्जी प्रकरण बनाकर निर्दोष लोगों को जेल में डाला जा रहा है। वन संरक्षण अधिनियम का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। ग्रामसभा के विरोध के बावजूद कार्पोरेट हितों के लिये खनन परियोजनाओं को स्वीकृति दी जा रही है। स्वास्थ्यकर्मी, डॉक्टर्स को भी संविदा में नियुक्ति की जा रही है। चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कालेज के कर्मचारियों का 22 महिनों से संघर्ष के बावजूद सरकार बहाली नहीं कर रही है।
नगरीय निकाय, अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत सफाई व सुरक्षाकर्मियों को न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है ना ही नियमित किया जा रहा है। महंगाई का ढिंढोरा पीटने वाली कांग्रेस की सरकार नगरीय निकायों में कार्यरत लाखों स्वच्छता दीदी व स्वच्छता मित्रों को पिछले चार वर्षों से मानदेय/वेतन 6000 रुपये में वृद्धि नहीं कर रही है ना ही बीमा व भविष्य निधि का लाभ दे रही है।
इस श्रद्धांजलि सभा में शामिल छमुमो नेतागण
इस विशाल श्रद्धांजलि सभा में सुकलाल साहू, प्रेमनारायण वर्मा, बंशीलाल साहू, बसंत साहू, घनाराम साहू, मथिर साहू, खुमराज खरे, धनंजय शर्मा, मोहम्मद अली, संतोष यादव, भानू रामटेके, सनत जंघेल, कलादास डहरिया, रमाकान्त बंजारे, कल्याण पटेल, जयप्रकाश नायर, नीरा डहरिया, सुमित परगनिहा, अशोक सेन, दशमत बाई, महेश साहू, एजी कुरैशी, तुलसी देवदास, पूनाराम साहू, हेमंत भारती, सुरेश सिंगौर, भगवंतीन कुर्रे, लाला राम निषाद, प्रहस्त बघेल, दिलीप पारकर, धरती राम साहू, भोजराम साहू, डेरहाराम साहू, जितेन्द्र वैष्णव, रामखिलावन साहू, सियाराम साहू, लेखू निर्मलकर, पूनाराम साहू, बसंती सागर, नरेन्द्र मरावी, प्रदीप साहू, किर्तन पोर्ते, ललित महिलांगे, सुदामा बारमते, नोखेलाल घृतलहरे, गजेन्द्र साहू, नरेश मारकण्डे, रमेश निषाद, दीपक, पुनीत राम यादव, द्वारका बारले इत्यादि शामिल थे।
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