टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ के पहले उपमुख्यमंत्री होंगे
एडीआर की रिपोर्ट में सबसे अमीर विधायक
सुशान्त कुमारछत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री होंगे। आल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने आसन्न चुनाव से पूर्व टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ का उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया है। आल इंडिया कांग्रेस कमेटी महासचिव केसी वेनुगोपाल ने प्रेस रिलीज जारी करके सिंहदेव की नियुक्ति की जानकारी दी।

बुधवार रात कांग्रेस अध्यक्ष ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। दिल्ली में दिनभर चली कांग्रेस की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिंहदेव को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, हैं तैयार हम। महाराजा साहब को बधाई।
कांग्रेस के इस फैसले को आगामी विधानसभा चुनाव से जोडक़र देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि ये नाराज खेमे को खुश करने की कोशिश है। देखना बाकी है कि इससे कितना डेमेज कन्ट्रोल होता है।
नाराज सिंहदेव छोड़ा था पंचायत मंत्रालय
बताया जाता है कि टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के हकदार थे। ऐसा दावा किया जाता है कि सरकार गठन के वक्त ये तय हुआ था कि पहले ढाई साल बघेल और फिर ढाई साल सिंहदेव सीएम होंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
इससे नाराज टीएस सिंहदेव ने 16 अगस्त 2022 को पंचायत एवं ग्रामीण मंत्रालय छोड़ दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चार पन्नों का लंबा पत्र लिखकर मंत्रालय छोड़ा था।
मंत्रालय छोडऩे का कारण उन्होंने इसका प्रदेश के आवासविहीन लोगों को आवास नहीं मिलना और जनघोषणा पत्र में किए गए वादों का पूरा नहीं होना बताया था। हालांकि सिंहदेव स्वास्थ्य और वाणिज्यिकर मंत्री बने रहे।
सिंहदेव कांग्रेस सरकार के आधार स्तंभों में से एक हैं। 17 दिसम्बर 2018 को उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ मंत्री पद की शपथ लिए थे। उस दौरान मुख्यमंत्री ने केवल दो मंत्री सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू के साथ कैबिनेट का गठन करके सरकार की औपचारिक शुरुआत की थी।
67 विधायकों में से 44 विधायकों ने टीएस सिंहदेव का समर्थन किया था
पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडग़े पर्यवेक्षक बनकर राज्य का दौरा किया तो विधायकों में सबसे ज्यादा समर्थन टीएस सिंह देव को मिला था। बताया जाता है कि 67 विधायकों में से 44 विधायकों ने टीएस सिंहदेव का समर्थन किया।
इसके बाद राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री पद के चार संभावित उम्मीदवारों- टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, भूपेश बघेल और चरण दास महंत से अपने आवास पर मुलाकात की। आलाकमान ने भूपेश बघेल का नाम तय किया।
नाराज खेमे को भी खुश करने के लिए तभी से यह चर्चा जोरों पर थी कि ढाई साल बाद सिंहदेव को मौका दिया जाएगा, मगर अब तक ये सिर्फ चर्चा ही थी।
कई बार इस बात को लेकर काफी चर्चा हो चुकी थी। खुद सिंहदेव आलाकमान के साथ बैठक कर चुके थे। बड़ी संख्या में कांग्रेस विधायक दिल्ली पहुंच गए थे। माना जा रहा था कि बैठक के बाद कुछ बड़ा फैसला हो सकता है। लेकिन हुआ कुछ नहीं था। भूपेश बघेल ही मुख्यमंत्री बने रहे।
2018 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत के बाद भूपेष बघेल और टीएस सिंहदेव राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे थे।
खुलकर सामने आई थी नाराजगी
ढाई-ढाई साल के मामले को लेकर टीएस सिंहदेव ने खुलकर बात की थी। उन्होंने कहा था- मुझे उम्मीद थी कि ढाई साल पूरा होने पर सीएम बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उन्होंने ये भी कहा कि इस बार मेरा चुनाव लडऩे का मन नहीं है।
उन्होंने कहा था- अब तक जितने चुनाव हुए हैं, चाहे वो 2008 का रहा हो, 2013 या 2018 का, हर बार चुनाव में पूरे मन से खड़ा होता था। हमेशा मन में रहता था कि हां चुनाव लडऩा है, लेकिन इस बार सही में चुनाव लडऩे का उस तरह से मन नहीं है, जैसा कि पहले रहता था।
टीएस सिंहदेव की पढ़ाई लिखाई
सिंहदेव का जन्म 31 अक्टूबर 1952 को इलाहाबाद में सरगुजा के शाही परिवार में हुआ था। पिता एमएस सिंहदेव, एक आईएएस अधिकारी, तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। मां देवेन्द्र कुमारी मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुकी हैं।
हाईस्कूल की पढ़ाई सिंधिया स्कूल, ग्वालियर से की। दिल्ली के हिंदू कॉलेज से इतिहास में स्नातक की उपाधि ली। भोपाल के हमीदिया कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
सिंहदेव का राजनीतिक करियर
सिंहदेव का राजनीतिक करियर अंबिकापुर नगर परिषद से शुरू हुआ, वे 1983-88 और 1995-99 में यहां के अध्यक्ष रहे। 2008 में सरगुजा से विधायक चुने गए, फिर 2013 और 2018 में भी जीतकर विधायक बने। 2018 में स्वास्थ्य, वाणिज्यकर और पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री बने।
एडीआर की रिपोर्ट में सबसे अमीर विधायक
छत्तीसगढ़ इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस विधायक टीएस सिंहदेव के पास पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। इसके अलावा जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक देवव्रत सिंह 119 करोड़ रूपये से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं। वहीं कांग्रेस विधायक अमितेष शुक्ला के पास 74 करोड़ रूपये से अधिक की संपत्ति है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि टीएस सिंहदेव और देवव्रत सरगुजा खैरागढ़ राजघराने से हैं। विधानसभा में चुनकर आए शकुंतला साहू पांच लाख 75 हजार रूपये से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं। गुलाब सिंह कमरो के पास पांच लाख 42 हजार रूपये से अधिक की संपत्ति है।
इनके पास है सबसे कम संपत्ति
इन 90 विधायकों में से कांग्रेस के विधायक राम कुमार यादव और साहू के पास बेहद कम संपत्ति है। जहां यादव के पास 30,464 रूपये की संपत्ति है, वहीं साहू के पास एक भी अचल संपत्ति नहीं है।
बहरहाल स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को आखिरकार उपमुख्यमंत्री पद से कांग्रेस हाईकमान ने किसी भी बिखराव और गुटबंदी से छत्तीसगढ़ को बचाने यह अंतिम दांव खेला है। देखना बाकी है कि छत्तीसगढ़ में कॉंग्रेस को आए दरार को आखिरकार क्या कांग्रेस हाईकमान सुधारने में सफल हो पाती है?
Add Comment