फर्जी जाति प्रमाण पत्रधारियों के खिलाफ फूल रहे जिम्मेदारों के हाथ पैर, दलित युवकों ने खोला मोचा
गंभीर हालातों में प्रदर्शनकारी अस्पताल पहुंचाये जा रहे हैं
दक्षिण कोसल टीमछत्तीसगढ़ में इस भीषण गर्मी के मौसम में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला एक बार फिर तुल पकड़ा हुआ है। नई राजधानी स्थित धरना स्थल पर पिछले 5 दिनों से भूखे रहकर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन कर रहे युवाओं ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों में बैचैनी बढ़ा दी है।

आंदोलनकारियों में से 3 युवकों को कल गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचाया गया है। शासन प्रशासन के लोग लगातार नजर टिकाए हुए हैं लेकिन उनकी संवेदना मर चुकी है, आरोप है कि जाति को देखकर सत्ता सरकार के लोग चाहते हैं कि अनशनकारी भूखे पेट मर जाएं। और शासन पर बैठे हुए लोग फर्जी प्रमाण पत्रधारकों की संरक्षणकर्ता की भूमिका निभा रहे हैं।
कब का है यह मामला?
दरअसल यह पूरा मामला तब का है जब छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ था। तब से अब तक फर्जी जाति प्रमाण पत्र के साहारे आरक्षण, नौकरी एवं राजनीतिक लाभ लेने की शिकायत लगातार की गई।
जिस पर सरकार ने शिकायतों के निराकरण के लिए उच्च स्तरीय छानबीन समिति गठित किया था। समिति को कुल 758 शिकायतें मिली जिसमें से 659 प्रकरणों में जांच की गई जिसमें 267 ऐसे मामले थे जिसमें शिकायतें सही पाई गई जो बहरहाल फर्जी जाति के सहारे नौकरी एवं राजनैतिक लाभ ले रहे हैं।
सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र - 7 - 16/2020/25.1.2020 के अनुसार ऐसे लोग जिनकी जाति प्रमाण पत्र गलत पाए गए हैं उन्हें तत्काल महत्वपूर्ण पदों से अलग किया जाए एवं उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने के आदेश दिए गए थे। लेकिन कार्यवाही कहीं जाकर अटक सा गया है।
सरपंच पार्षद से लेकर विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री के नाम
उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण समिति द्वारा जारी आदेश में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी एवं बेटे अमित जोगी का नाम भी शामिल हैं वही तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष पार्षद सरपंच से लेकर विधायकों के नाम भी सूची में शामिल किए गए हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि जिन बड़े अधिकारियों की जाति प्रमाण पत्र को छानबीन समिति ने फर्जी माना, उनमें समाहर्ता आनंद मसीह, अनुराग लाल, उप समाहर्ता शंकर लाल डगला और उनके बेटे सुरेश कुमार डगला, संयुक्त आयुक्त भुवाल सिंह, एसडीएम सुनील मैत्री, उपायुक्त सी.एस. कोट्रीवार, आडिटर रामाश्रय सिंह, असिस्टेंट सर्जन डॉ. आर.के. सिंह, संयुक्त संचालक क्रिस्टीना सी. एस. लाल, सीईओ राधेश्याम मेहरा आदि शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों के मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं।
ऐसा आरोप है कि आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से चुने हुए कैबिनेट मंत्री शिव डहरिया, रुद्र कुमार अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष केपी खांडे, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भुनेश्वर बघेल जैसे लोग आरक्षण लुटेरों को सहमति एवं स्वीकृति दे रहे हैं।
धनंजय बरमाल ने बताया कि आरक्षित वर्ग के हक अधिकार को लूटने वाले सुरक्षित एवं संरक्षित हैं जिन्हें जेल की सलाखों के पीछे रहना चाहिए वह सरकार के विभिन्न पदों में रहते हुए हमारे अधिकारों के साथ कुठाराघात करने में लगे हुए हैं।
आंदोलन के बढ़ते दिन के साथ आंदोलनकारी अस्पताल पहुंच रहे हैं
आंदोलन के चौथे दिन लव कुमार को मेकाहारा और रोशन जागड़े, आशीष टंडन को अभनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया है। भूख के वजह से काफी ज्यादा कमजोरी और बीपी लो हो गया था। सभी का उपचार किया जा रहा है। अस्पताल में भी इस लड़ाई को लेकर प्रदर्शनकारियों के तेवर में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है।
संजीत बर्मन ने बताया कि असंवेदनशील कांग्रेस की सरकार फर्जी जाति प्रमाण पत्रधारकों को बचाने की चाहत के चलते आरक्षित वर्ग के दलित बहुजन युवाओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने से भी पीछे नहीं है।
5 दिनों से भूखे पेट आमरण अनशन में बैठे रोशन जांगड़े का कल से पेट में बहुत दर्द था। आज उल्टियां हुई हालत ज्यादा खराब था। वहीं लव कुमार सतनामी और आशीष टंडन का ब्लड प्रेशर काफी लो हो जाने के चलते 112 एंबुलेंस की सहायता से तीनों को अस्पताल दाखिल कराया गया है।
क्या यही लोकतंत्र है कांग्रेस की सरकार में?
षडयंत्रपूर्वक धरना स्थल से बिजली की लाइन काट दी जाती है, आमरण अनशन की सूचना के बाद भी न कोई आपात मेडिकल सुविधा उपलब्ध की गई है और न ही धरना पर सुविधा एवं सुरक्षा की व्यवस्था की गई।
आंदोलनकारियों का कहना है कि आंदोलन को समाप्त करवाना ही है तो अपराधियों का संरक्षण न करते हुए उन्हें तत्काल बर्खास्त कर जेल में डाले विधिवत कानूनी कार्यवाही करें, ऐसे षड्यंत्र करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये कहते हैं अगर हमारे मरने से सामाजिक क्रांति होगी तो ये मौत इन्हें कबूल है।
आरक्षित वर्ग के जनप्रतिनिधि मौन
चिंताजनक बात यह है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में तमाम आरक्षित जनप्रतिनिधि इन मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन जब चुनाव का समय आता है तब तमाम आरक्षित जनप्रतिनिधियों को आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र ही नजर आता है लेकिन आज आरक्षित वर्ग के अधिकारों के साथ हो रहे डकैती हकमारी, लूटमारी पर सारे प्रतिनिधि कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।
बताया गया कि उच्च स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति बनाकर उनके ही रिपोर्ट को आधार मानते हुए शासन एवं प्रशासन कार्रवाई करने से डर रही है। आरक्षित वर्ग के हित में कुठाराघात करने के लिए सरकार आधारित सत्ता पक्ष एवं विपक्ष सब मिले हुए हैं।
आंदोलनकारी दलित बहुजन युवाओं का कहना है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों का संरक्षण कर रही है यही वजह है कि कांग्रेस की सरकार 3 साल बाद भी अपराधियों पर कोई भी कार्यवाही तो नहीं कर पाई वहीं जिनके फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करना पाए गए हैं उन्हें प्रमोशन का इनाम भी दे रही है कांग्रेस सरकार में न्याय स्वयं कटघरे में कैद है।
आंदोलनकारियों की जुबानी
आंदोलनकारी युवक विनय कौशल का कहना है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वालों के खिलाफ आमरण अनशन का आज पांचवा दिन है। सत्ता में बैठे हुए लोग फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं जो हमारे संवैधानिक अधिकारों की हत्या में मददगार साबित हो रहे हैं।
बरमाल का कहना है कि उच्च स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति बनाकर उनके ही रिपोर्ट को आधार मानते हुए शासन एवं प्रशासन कार्रवाई करने से डर रही है। आरक्षित वर्ग के हित में कुठाराघात करने के लिए सत्ता पक्ष एवं विपक्ष सब मिले हुए हैं। हमारे मुद्दे राजनीतिक विपक्ष के लिए भी कारगर साबित नहीं होते हैं। हमें अपनी लड़ाई खुद लडऩी पड़ती है।
आंदोलनकारी मनीष गायकवाड़ ने कहा कि अब होही न्याय कहकर सत्ता में आने वाली कांग्रेस की सरकार खुद कटघरे में है। तीन वर्ष बीत गए फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों को तत्काल बर्खास्त कर कार्यवाही करने के आदेश को आज दिनांक तक पालन में नहीं लाया जा सका है।
कार्यवाही करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के हाथ पैर क्यों फूल रहे हैं? सरकारी आदेश का पालन नहीं हो रहा हमारे हक-अधिकारों पर सेंधमारी हुई है हम पिछले पांच दिनों से भूखे हैं अनिश्चितकालीन धरना आयोजित करने के लिये मजबूर हैं।
आंदोलनकारियों का कहना है कि धरना स्थल पर डर का माहौल बनाया जा रहा है। आंदोलनकारियों को बीमार होने की स्थिति में पहुंचाया जा रहा है। सरकार द्वारा घोषित जाति आधारित आरक्षण में डाका डालने वालों के खिलाफ इतनों सालों से कार्यवाही सिफर है। इस सरकार में वाकई न्याय मौजूद है तो बिना लागलपेट साबित करे जो दोषी लोग हैं उन्हे तत्काल बर्खास्त कर कानूनी कार्यवाही करें।
बहरहाल इस पूरे मामले को लेकर हड़तालियों के अस्पताल पहुंचाये जाने के बाद भी विनय कौशल के नेतृत्व में मनीष गायकवाड़, संजीत बर्मन, हरेश बंजारे, आशीष टंडन, लव कुमार सतनामी, रोशन जांगड़े पिछले 5 दिनों यानी 19 तारीख से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं वही इस आंदोलन में दलित आदिवासी युवाओं ने समर्थन दिया है और आंदोलन को तेज करने की दशा दिशा तय कर रहे हैं।
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