हमारे पटवारी हड़ताल पर हैं, उनकी भी सुध ले लें

दक्षिण कोसल टीम

 

संजीव खुदशाह कहते हैं कि एक पटवारी को अपने हल्के में काम करने के लिए कई महत्वपूर्ण तैयारी करनी पड़ती है।  

कार्यालय की व्यवस्था

पटवारियों को अपना कार्यालय खोलने के लिए सबसे पहले एक भवन किराए से खोजना पड़ता है। जिसका औसत किराया 3 हजार रुपए प्रतिमाह होता है। 

रिकॉर्ड रखने के लिए अलमारी या पेटी की व्यवस्था

इसके बाद उसे जमीनों का शासकीय रिकॉर्ड रखने के लिए एक अलमारी खरीदना पड़ता है। जिसका मूल्य औसतन 8 हजार रुपए का होता है। 

बैठने के लिए टेबल कुर्सी की व्यवस्था

इसके बाद उसे टेबल कुर्सी खरीदना पड़ता है जिसमें करीब 10 हजार रुपए खर्च आता है। 

संसाधन की व्यवस्था

सबसे जरूरी चीज जो उसे खरीदना पड़ता है वह है लैपटॉप (50 हजार रुपए) प्रिंटर (30 हजार रुपए) स्कैनर (15 हजार रुपए) और इंटरनेट का कनेक्शन  (500 रुपए प्रतिमाह) डिजिटल सिगनेचर डिवाइस (16 सौ रुपए प्रतिवर्ष)।
यानी लगभग 70 हजार रुपए का खर्च एक पटवारी को अपने कार्यालय को सुचारू रूप से चलाने के लिए खर्च करना पड़ता है। जिसके लिए किसी प्रकार का कोई भी खर्चा शासन की ओर से नहीं दिया जाता है।

अतिरिक्त हल्के का खर्च 

जब किसी पटवारी को अतिरिक्त हलके का चार्ज दिया जाता है तो शासन की ओर से केवल 250 रुपए प्रतिमाह मिलता है जबकि आप समझ सकते हैं कि एक हल्के का खर्च कितना आ रहा है उस हिसाब से दूसरे हल्के में काम करने में उसे कितनी कठिनाई होती होगी।

पटवारियों का प्रमोशन वरिष्ठता के आधार पर हो

संजीव खुदशाह कहते हैं कि कई बार ऐसा भ्रम फैलाया जाता है कि पटवारी प्रमोशन नहीं चाहते। जबकि यह एक झूठ है। शुरू से पटवारी प्रमोशन के लिए आंदोलित रहें हैं। छत्तीसगढ़ में करीब 50 प्रतिशत पटवारी ऐसे हैं जिन्होंने अपनी सेवा का 20 वर्ष पार कर लिया है। लेकिन उन्हें एक भी प्रमोशन नहीं मिला।

आप समझ सकते हैं कि एक ही काम करते - करते व्यक्ति में चिड़चिड़ापन आ जाता है और शर्मिंदगी भी महसूस होती है। सीधी भर्ती और विभागीय कंपटीशन से नए कम उम्र बच्चों का सिलेक्शन शासन के द्वारा राजस्व निरीक्षक और नायब तहसीलदार में  कर लिए जाने के कारण अपने से छोटे उम्र अधिकारियों के नीचे काम करना अपने आप को ग्लानि में ला देने से ज्यादा कुछ नहीं है।

एक वरिष्ठ पटवारी नाम ना छापने की शर्त पर कहते हैं कि जिस लडक़े को मैंने काम करना सिखाया वह डिपार्टमेंटल कंपटीशन पास करके आरआई बन जाता है और हम पर ही धौंस जमाता है, इससे आत्मबल टूट जाता है।

स्टेशनरी भत्ता

एक पटवारी को अपने कार्यालय को चलाने के लिए हर महीने कलम पेंसिल रबर कार्बन पेपर की जरूरत पड़ती है। महंगाई के हिसाब से इन सब का मूल्य बढ़ चुका है लेकिन शासन द्वारा पुराने रेट में ढाई सौ रुपए स्टेशनरी भत्ता दिया जाता है जो कि बहुत कम है शर्मनाक है।

स्नातक योग्यता

पटवारी की भर्ती के लिए कम से कम पीजीडीसीए की मांग की जाती है। पीजीडीसीए याने ऐसा व्यक्ति जो स्नातक हो चुका है उसके पास कंप्यूटर डिप्लोमा भी है लेकिन पटवारी की योग्यता अभी भी 12वीं पास रखी गई है। यह हास्यास्पद है कि एक तरफ आप कंप्यूटर शिक्षित व्यक्ति मांग रहे हैं। दूसरी तरफ आप 12वीं क्लास तक पढ़ा व्यक्ति मांग रहे हैं। इसे तुरंत स्नातक योग्यता किया जाना चाहिए जो कि तर्कसंगत भी है।

 

 

मुख्यालय में निवास की बाध्यता

यह नियम अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया था। जब आवागमन के साधन नहीं थे। ताकि पटवारी गांव में रहकर ग्रामीणों को अपनी सेवाएं दे सके। अब साधन संसाधन बढ़ चुके हैं। पटवारी नियमानुसार 8 घंटे का समय देकर अपने निवास में आ जा सकता है। तथा ग्राम के बहुत सारे ऐसे कर्मचारी हैं जो कि मुख्यालय में नहीं निवास करते हैं लेकिन सिर्फ पटवारी पर यह दबाव बनाया जाता है कि वह मुख्यालय में निवास करें यह तर्कसंगत नहीं है। इस बाध्यता को हटा दिया जाना चाहिए। तहसील मुख्यालय या जिला मुख्यालय में निवास करने की छूट देनी चाहिए।

पटवारियों पर सीधे एफआईआर ना हो

जमीनों के मामले संवेदनशील होते हैं। कई बार अधिकारियों के आदेशानुसार या रजिस्ट्री के अनुसार पटवारियों को काम करना पड़ता है। इसमें मानवीय त्रुटि की संभावना है। इसलिए जब कोई व्यक्ति आहत होकर पुलिस में रिपोर्ट करता है, तो तुरंत पटवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाती है। कई साल बाद जांच के पश्चात ज्ञात होता है कि पटवारी निर्दोष था। लेकिन उसे बदनामी और जहालत की जिंदगी झेलनी पड़ती है। इसीलिए ऐसा कोई भी प्रकरण जिसमें प्रथम दृष्टया पटवारी की गलती दिखती है, उनके वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विभागीय जांच करवाई जाए और गलती पाने पर ही एफआईआर के लिए भेजा जाए ।

वेतन विसंगति

जैसा कि आप सभी को मालूम है कि पटवारी के ऊपर काम का बड़ा बोझ होता है ऐसी स्थिति में उसे वेतन विसंगति का भी सामना करना पड़ता है। वेतन विसंगति के को ठीक करने की मांग पहले भी की जाती रही है। लेकिन इस मांग को शासन ने स्वीकार करने का कभी पहल नहीं किया। नियमानुसार पटवारियों को 2800 रुपए ग्रेड पे के अनुसार वेतन प्रदाय करना चाहिए जो की युक्तिसंगत है।

संजीव खुदशाह कहते हैं कि यदि आप पटवारियों की समस्याओं से परिचित हो गए होंगे और पटवारियो के 8 मांगों को लेकर सहमत होंगे, तो जरूर आप इन पटवारियों के कार्य और उनकी पीड़ा को सच में जान सकेंगे।


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  • 25/07/2023 Asiansinege

    Hello guys! Nice article हमारे पटवारी हड़ताल а¤Єа¤° हैं, उनकी भी सुध ले लें Новый даркнет мега маркет площадка, достойная замена гидре в даркнете. Мгновенные транзакции - после оплаты позиции деньги сиюминутно перечисляются на счет дилера. Шифрование данных - личные данные о покупателе надежно засекречены от посторонних. Mega SB Reply on 27/07/2023
    with warm regards