जब परमेश्वर ने कितना कुछ सहा है तो आप भी सहन करो

नक्सलियों ने कहा कि कोई भी किसी भी देवी - देवता भगवान को मानने के लिए स्वतंत्र है

दक्षिण कोसल टीम

 

21 . देवजी सलाम

40 वर्ष, जाति - गोंड़, निवासी ग्राम-डूवा, थाना आमाबेड़ा, घटना स्थल - गोटुल सामाजिक घर, घटना दिनांक - 4 साल पहले (ठंड का मौसम, दिवाली के समय)

हम लोग पिछले 10 सालों से ईसाई धर्म को मानते आ रहे हैं। गांव में गैर ईसाई कुल 30 गोंड़ परिवार हैं जबकि हम एकमात्र परिवार ईसाई गोंड़ हैं। करीब चार वर्ष पूर्व दीपावली त्योहार के नजदीक जब धान की कटाई हो चुकी थी पर मिसाई होना बाकी था, लगभग उसी समय गांव के गोटुल घर में गांव वालों ने बैठक बुलाई थी। इस बैठक में गांव के सरपंच व पटेल ने उस पर दबाव बनाया कि वह परिवार सहित ईसाई धर्म त्यागकर घर वापसी कर लें। हमें सरपंच और ग्राम पटेल द्वारा बोला गया कि तुम प्रभु को छोड़ों, जब उनका बात नहीं माना तो मीटिंग के दौरान ही मेरे पत्नी, बच्चे सहित पूरे परिवार को हमें नक्सलियों को सौंप दिया। गांव के उस बैठक में 10 के लगभग बन्दूक और वर्दीधारी महिला पुरूष नक्सली उपस्थित थे।

वहां नक्सलियों ने हमें कुछ नहीं किया, जाति समाज वालों के बार-बार बोलते रहने के पश्चात् भी नक्सलियों ने कहा कि कोई भी किसी भी देवी-देवता भगवान को मानने के लिए स्वतंत्र है। मैं अगले सुबह अपने गांव खेत-जमीन, घर छोडऩे को बाध्य हुआ जिसकी सूचना थाना में दिया गया है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुआ। मेरे परिवार में पत्नी रमिता एवं तीन बच्चे हैं। मेरा मूलगांव राजपुर, तहसील आमाबेड़ा है जहां मेरे पूर्वज का पट्टा जमीन है और वर्तमान में कुदरीपारा नारायणपुर में रहता हूं।

जब उस बैठक में देव जी सलाम ने गांववालों से स्पष्ट रूप से कहा कि वह अपना धर्म नहीं बदलेगा तो गांव वालों ने उसे गांव छोडऩे को कहा। इस बैठक के अगले दिन सुबह देव जी सलाम अपनी पत्नी रमिता और अपने छोटे बच्चे जगदेव को लेकर गांव छोड़ कर एक दूसरे गांव जिसका नाम तमुस गांव हैं जो कि अमाबेड़ा, कांकेर के नजदीक है, वहां रहने लगा।

इस घटना के संबंध में उसने पुलिस को शिकायत की परंतु शिकायत के बावजूद पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध नहीं किया। जब देव जी सलाम से पूछा गया कि उसकी जमीन छूट गई होगी?, तो उसने बताया की उसके भू स्वामी पट्टे की कुछ जमीन राजपुर गांव में है जो उसका पैतृक गांव है परन्तु ग्राम डूवा में जो वन भूमि कई वर्षों से वह खेती करते आ रहा था, जिसके वन अधिकार प्राप्त करने का वह पात्र था वह भूमि छूट गई।

22. मनोज कुमार पोयाम

35 वर्ष, गांव ईड़पाल, थाना बारसूर, जिला-दन्तेवाड़ा छत्तीसगढ़, घटना स्थल-निवास स्थान ईड़पाल, घटना दिनांक साल 2014 से लगातार

वर्तमान में गांव में मसीही परिवारों की संख्या तीन में से एक हैं। साल 2016 में दो मसीही परिवार जात-पानी/घर वापसी कर हिन्दू/कबीरपंथी हो गए हैं। उनकी जाति-गोंड़ हैं तथा मेरा परिवार मुरिया आदिवासी है। गांव में अन्य गोंड़  परिवारों की संख्या 500 के लगभग है जिसमें गायत्री परिवार और कबीरपंथ के अनुयायी हैं।

घटना के दिन ग्राम पंचायत में सरपंच-सचिव द्वारा ग्राम पंचायत का बैठक है कहकर हमें बैठक में बुलाया गया। हम लोगों को हमारे ही गांव में रहने वाला लक्ष्मण और उसके साथ और 2 लोग हमारे घर में आकर हमें बोले कि तुम लोगों को सरपंच बुला रहा है तब मैं अकेला था और मेरे जीजा को भी बुलाया। वहां पर हम लोगों ने देखा कि वहां कोई बैठक नहीं था। मेरे निवास स्थान से लगभग 5 किलोमीटर दूर वहां पर हम लोग पैदल गए जो लोग बुलाने आए थे उन लोगों के साथ जब एक जगह पहुंचे देखा कि वहां पर 15 लोग उपस्थित थे लेकिन वहां पर वे लोग नहीं गए जो कि हम लोगों को बुलाने आए थे बल्कि हम लोगों को उन लोगों के पास जाओ कहकर भेज दिया।

वहां पहुंचकर हमें उन लोगों के द्वारा लगभग 200 मीटर दूर एक घर के पास ले जाया गया और अचानक हम लोगों के साथ मारपीट करना शुरू कर दिया, वह दोपहर का समय था, सरपच वहां पर नहीं था। वे लोग मारपीट के दौरान चिल्ला रहे थे कि ईसाई धर्म वालों को हमारे गांव में नही रहना है यहां से भाग जाओ। हम लोग उन्हें पहचानते हैं। वहां से भागकर मैं अकेला चला गया लेकिन मेरे जीजा आशु कश्यप को पकड़ कर रख लिए। कुछ लोग मुझे दौड़ाकर पकड़ लिए और वापस वहीं ले गए। वहां पर गीदम का एक गुरूजी जब बाद में वहां पर पहुंचा उन लोगों के कहे अनुसार उसने ही लिखा - पढ़ी किया कि हमें गांव में नहीं रहना है हम लोगों ने इस घटना की सूचना अगले दिन थाने में दिया है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुआ।

पुलिस वालों ने कहा कि हम लोग गांव वालों को समझा देंगे। उसके बाद भी साल 2018 '9 और इस साल 2022 में भी हमारे साथ लगातार प्रताडऩा जारी है। मेरे अलावा मेरे बड़े भाई और माता-पिता के साथ भी मारपीट हुआ है। साल 2021 में मेरे पिताजी का मृत्यु हो गया तब गांव -परिवार का कोई भी व्यक्ति नहीं आया बल्कि हमें यह धमकी दिया गया कि लाश को गांव में नहीं दफनाना है हम भाई बहन और जीजा मिलकर अपने ही पट्टे की जमीन में दफनाए हैं।

गांव वालों ने यह कहा कि जहां दफनाए हो, उसी जमीन पर तुम लोगों को मारकर भी वहीं गाड़ देंगे जिससे डरकर हमें अगले दिन ही गांव छोडऩा पड़ा, हमें अपने जमीन पर फसल नहीं बोने देते हैं, हमारे नातेदारी के अन्य लोग जो हिन्दू हैं और मेरा भाई जो अभी बस्तानार (जन्मभूमि) में रहता है उससे लगभग 60 हजार रुपये गाव में दफनाने के हर्जाने के रूप में जबरदस्ती ले लिए और गांव के लोगों द्वारा हमारे बैल और मुर्गियां भी जबरदस्ती हमसे ले गए। इसकी लिखित शिकायत हम लोगों ने थाने में दिया है। हमारी माताजी गांव में अकेले रहती है उसे भी जान से मारने की धमकी दिया जा रहा है और हमारे खेत में स्थित महुंआ के पेड़ से हमें महुंआ एकत्र करने नहीं दिया जा रहा है, उन लेागों के द्वारा एक बार मेरे मम्मी के साथ मारपीट कर उसका हाथ तोड़ दिया है उसका इलाज बारसूर के सरकारी अस्पताल में हुआ जिसका एमएलसी भी हुआ है।

मैं मारडूम, कस्तुरपाल के चर्च में जाता हूं तथा मेरा बड़ाभाई पारापुर, लोहण्डीगुड़ा के चर्च में जाते हैं। हम लोगों ने हमारे साथ हो रहे घटना के सम्बन्ध में चर्च में भी बताया है। मेरे मम्मी को गांव में राशन नहीं दिया जाता मैं गांव से भागकर ससुराल गांव तोरकापाल थाना केसकाल में शरण लिया हूं, जो कोण्डागांव जिला में स्थित है। वहां भी मेरा राशनकार्ड और व्होटर कार्ड नहीं बनाया जा रहा है। हम लोग गांव में लगातार सामाजिक बहिष्कार के साथ ही बिजली और सौर ऊर्जा कनेक्शन भी हमें नहीं दिया जा रहा है। 

23. ताराचन्द साहू 

पिता परशुराम साहू, उम्र 47 वर्ष, निवासी गांव - खैरझींटी थाना - मगरलोड, जिला - धमतरी, घटनास्थल - निवासगृह, सहाड़ा चौक के पास मुहल्ले में, घटना दिनांक -  20 फरवरी 2021 से लगातार

हम लोग साल 2018 से मिशनरी को अपनाए हैं। परिवार में 5 सदस्य हैं। घटना को कारित करने वाले तेली/साहू समाज के जाति के लोग हैं। साहू समाज ने गांव में 2 बैठकें पहला 20 फरवरी 2021 जाति समाज के भीतर तथा दूसरा 3 मार्च 2021 को पूरे गांव समाज के साथ बैठक बुलाया। गांव की कुल जनसंख्या 1375 के लगभग तथा कुल 250 परिवार जिसमें से 245 परिवार हिन्दू अनुयायी तथा केवल 3 परिवार क्रिश्चियन धर्म को मानने वाले हैं।

शाम को 8 बजे जब हम लोग प्रार्थना कर रहे थे तब यह घटना घटित हुआ। साहू समाज के 2 - 3 लोग घर का दरवाजा खटखटाए और जब हम लोग देखे तो उन्होंने कहा कि आदर्श चौक के पास साहू समाज वालों का बैठक है, वहां तुम लोगों को बुलाया गया है। मैं अपने बच्चे - डगेश्वर साहू उम्र 16 वर्ष को साथ लेकर गया। मीटिंग में तेली समाज के लगभग 100 लोग बैठे थे। जहां गांव के अपने ही जाति के लोग उपस्थित थे।

जब हम वहां पहुंचे तो साहू समाज का सचिव शैलेष साहू हमें देखते ही बोलने लगा कि हमारे हिन्दू देवी - देवता को छोडक़र तुम लोग ईसाई धर्म को अपनाकर चर्च में क्यों जा रहे हो? और हम लोगों को करमा माता की जय बोलने और दिया जलाने के लिए कहा गया जिसे हम लोगों ने मना किया। हमें यह भी बोला गया कि तुम अपने परिवार में शादी, मरनी, छट्ठी आदि का निर्वाह कैसे करोगे क्योंकि तेली साहू समाज ऐसे स्थिति में तुम्हारे साथ तुम्हारे घर में नहीं जाएगा। समाज के पदाधिकारियों द्वारा हमें समाज से अलग करने का फैसला सुनाया गया और गांव समाज के अन्य लोगों से बोला गया कि इनके यहां और इनके सम्पर्क में कोई नहीं रहेगा।

रोटी-बेटी, दुकान के सामान इत्यादि की गांव में मनाही की गयी साथ में यह भी कहा गया कि आज तो तुम लोगों साहू समाज द्वारा अलग किया जाता है लेकिन कुछ दिनों में पूरे ग्राम स्तर पर सर्व - समाज के द्वारा भी तुम्हारे बहिष्कार का कार्यवाही किया जावेगा। हमारे पशु - मवेशी चराने के लिए यादव -चरवाहा की मनाही है, हम लोगों को सरकारी राशन भी नहीं दिया जा रहा है। हमारे खेती कार्य आदि में मजदूरों को भी काम करने के लिए भी मना किया गया है। हमारे पास कुल ढाई एकड़ खेेती की जमीन है जिसमें हम लोग ट्यूबवेल द्वारा फसलों को सिंचाई करते हैं।

सार्वजनिक जलस्त्रोत -नहर से पानी देने के लिए हमारे साथ भेदभाव होता है। जब हमारे घर में बड़ी बेटी की शादी मार्च - अप्रैल 2022 में हुआ तब हमारे घर में गांव का कोई भी व्यक्ति नहीं आया। गांव में हमारे खिलाफ ऐसा फरमान जारी किया गया है कि यदि गांव का कोई व्यक्ति हमसे बात करता है तो उसको 5 हजार रुपये जुर्माना देना होगा तथा बात करते देखने और बताने वाले व्यक्ति को 500 रुपये का ईनाम दिया जायेगा। इस सम्बन्ध में हमने चर्च में बताया तो चर्च वालों ने सलाह दिया कि जब परमेश्वर ने कितना कुछ सहा है तो आप भी सहन करो।

जब जांच टीम ने पास्टर उमेश पटेल से पूछा तब उसने इस सम्बन्ध में बताया कि पीडि़त मसीही परिवार को थाना में रिपोर्ट करने की सलाह चर्च ने इसलिए नहीं दिया कि हमारे साथ भी मारपीट और हमारे जान का खतरा मंडरा रहा था। एक बार गांव का ही आदमी जब हमारे खेत से ट्रेक्टर द्वारा धान को हमारे घर में ला दिया तो उसके खिलाफ भी गांव में बैठक बुलाया गया और उसे जुर्माना देकर माफी मांगना पड़ा। पीडि़त परिवार ने जांच टीम को बताया कि वे लोग अभी कानून के मुताबिक दोषियों के खिलाफ कार्यवाही के साथ ही अपना संरक्षण भी चाहते हैं। हमारे गांव में हिन्दू संगठनों द्वारा मेघा से मधुवन तक लगभग 15 किलोमीटर तक प्रत्येक वर्ष एक रैली निकाला जाता है जिसमें तलवार और त्रिशुल लहाराया जाता है। इस रैली में हनुमान का मूर्ति रखकर शोभायात्रा निकाला जाता है। 

24. अ. आरती पाल

पिता दूजराम पाल, उम्र 26 वर्ष,

ब. राकेश्वरी पाल

पिता  दूजराम पाल, उम्र 20 वर्ष, गांव - नारी ब्राह्मणपारा, थाना - कुरूद, जिला - धमतरी, घटना स्थल- गांव में घटना दिनांक 18 मई 2022

हम लोग साल 2017 से परिवार सहित ईसाई धर्म अपनाया है। तब से हम लोगों को लगातार प्रताडि़त किया जा रहा है। हमारे गांव में कुल हिन्दू परिवारों की संख्या 1200 के आसपास है, मुसलमान परिवार की संख्या 2 तथा ईसाई परिवारों की संख्या 16 है। हमारे गांव में साल 2007 - 2008 के आसपास ईसाई धर्म का आगमन हुआ है, मुसलमान बहुत पहले से ही गांव में रहते आ रहे हैं। घटना का विवरण इस प्रकार है कि हमें लगभग डेढ़ साल पहले पाल (गड़रिया) जाति समाज का बैठक बुलाकर जात समाज से बहिष्कृत किया गया। हमारी एक बड़ी बहन सहोद्रा पाल जिसकी शादी साल 2010 में जजगीरा मे हिन्दू परिवार में हुआ है तथा वह भी 2 - 3 साल पहले ईसाई धर्म अपनायी है, इस कारण उसके ससुराल वालों द्वारा उसे प्रताडि़त किया जा रहा है जबकि उसके दो बच्चे भी हैं। जजगीरा तिल्दा के पास रायपुर जिला में स्थित है।

25. लेखराम नागारची

उम्र 40 वर्ष, गांव मुजगाहन, थाना अर्जुनी, जिला  - धमतरी, घटना स्थल- आई.पी.ए. चर्च मुजगहन, घटना दिनांक 18 अप्रैल 2014, अप्रैल 2019, साल 2020 में

मैं आदिवासी हूं तथा साल 2006 से ईसाई धर्म को मानता हूं। मैं साल 2014 में राजनांदगांव में पास्टर था तथा सन 2017 से मुजगाहन चर्च में पास्टर हूं। इस गांव की कुल परिवार संख्या 500 के आसपास है जिसमें मुसलमान 3 परिवार, हिन्दू-राधास्वामी पंथ 250, क्रिश्चियन 6 परिवार, सिक्ख -2 परिवार।

नागारची जाति का मूल पेशा बाजा बजाना और कोटवारी का काम करना है। नागारची जाति को गांड़ा भी बोला जाता है क्योंकि पूर्वज का काम बाजा बजाना होता है जबकि यह जाति मंगिया जाति के अन्तर्गत आता है। गांव में मंगिया जाति की परिवार संख्या कुल 10 है लेकिन हमारे अलावा बाकी अन्य 9 परिवार हिन्दू हैं। हमारे जाति में केवल अकेला हमारा परिवार ही मसीही है। हमारे गांव में कलार (सिन्हा), साहू (छोटा - बड़ा), गोंड़, यादव, देवांगन, महरा/महार, नागारर्ची/मंगिया, ब्राह्मण, बावा, सिक्ख, मुसलमान जाति के लोग रहते हैं।

हमारे गांव में हमारे परिवार के अलावा मुसलमान धार्मिक अल्पसंख्यक लोगों को भी शासन के योजना जैसे - प्रधानमंत्री आवास योजना आदि में धार्मिक अल्पसंख्यक होने के कारण लक्ष्य करते हुए भेदभाव किया जाता है। बड़े संघर्ष के बाद ही मुसलमान लोगो को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पाता है। साल 2014 में चंगाई सभा में लगभग 400 लोग आए थे। उस कार्यक्रम में बजरंग दल वाले जिसमें आसपास के गांव सोमनी और राजनांदगांव क्षेत्र से लगभग 100 की संख्या में हमारे कार्यक्रम में पहुंचकर उत्पात मचाए।

इस कार्यक्रम की सूचना हमारे द्वारा पुलिस को पूर्व से दी गयी थी। इस कारण पुलिस वाले वहां उपस्थित थे और उनके सामने ही बजंरंग दल वालों ने मुझे और मेरे ससुर के साथ मारपीट किया। कृष्णा रोहरा - मुण्डा पंजाबी सोमनी क्षेत्र में बजरंग दल का नेता है उस समय मुख्यमंत्री रमनसिंह राजनांदगांव क्षेत्र से मंत्री था उस कार्यक्रम में पुलिस ने हमें संरक्षण देने के बजाय मुझे ही गिरफ्तार कर लिया थाने में बयान लेकर छोड़ दिया। बजरंग दल के उत्पात के कारण बीच में हमारा कार्यक्रम में बाधा पहुंचा और कार्यक्रम पूर्ण नहीं हो सका। थाने में हमारे धर्म को लेकर मुझे बहुत गाली - गलौज किया जिस कारण डर से हमने थाने में रिपोर्ट नहीं लिखाया।

साल 2019 में मुझे नागारची समाज ने जात समाज से बाहर कर दिया तब भी पास्टर और चर्च वालों के कहने पर इसकी शिकायत थाना में नहीं किया। मुझे कहा गया कि यह गांव धमतरी शहर से जुड़ा हुआ है इसलिए तुम्हे गांव से बहिष्कार नहीं कर रहे हैं क्योंकि इससे पास में शहर होने के कारण तुम्हारे जीवन -यापन को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मेरे भाई लोग जो कि हिन्दू है, उन लोगों में मेरे हिस्से की पैतृक जमीन को मेरे बिना सहमति से बेच दिए हैं।

मेरे जमीन पर जब मैं रहकर प्रार्थना करता था तो मेरे भाई लोग आकर इसका विरोध करते थे और वहां पर तोड़ - फोड़ भी किया गया। इस सम्बन्ध में मेरी पत्नी ने थाने में शिकायत भी किया। पुलिस वाले आए लेकिन उन लोगों ने चर्च लगाते हो कहकर हमें ही दोषी करार देकर समझौता करने को कहा। उस जगह पर अभी मेरा बड़ा भाई सोहनलाल और उसका परिवार रहता है। मुझे मेरे पैतृक जमीन का हिस्सा भी पूरा नहीं दिया गया। गांव के हिन्दू लोगों द्वारा प्रताडऩा और प्रार्थना सभा में बाधा अभी भी जारी है। साल 2016 में मुझे बगदई गांव के पास बजरंग दल वालों ने घेर लिया और मेेरे साथ मारपीट किया। मैं किसी तरह भागकर पास के घर में छूप गया और प्रात: भागकर अपना जान बचाया था। जबकि वे लोग रात भर मुझे ढूढ़ रहे थे इसकी भी रिपोर्ट मैंने डर के कारण थाना में नहीं लिखवाया है।

26. लक्ष्मीनारायण नेताम

40 वर्ष, गांव जालमपुर, जिला धमतरी, घटनाएं 2015 से लगातार

मैं साल 2009 में बपतिस्मा लिया हूं। हमारे गांव में कुल परिवार संख्या 1000 है जबकि ईसाई परिवारों की संख्या 20 के लगभग है। एक दुर्घटना में मेरा पैर कट गया जिस कारण मेरा शादी नहीं हो रहा था और मैं शादी का मन्नत लेकर चर्च में गया। चर्च में जाने के 3 साल बाद ओडिशा में मेरा शादी तय हो गया। गोव में नवा खाई त्यौहार में इस डर से नहीं जा पा रहा हूं क्योंकि गोंड़ समाज द्वारा मुझे अपमानित होना पड़ेगा। मेरा मूल गांव मालगांव, थाना -नरहरपुर, जिला धमतरी है।

मैं रिक्शा चलाता था। ईसाई होने के कारण जालमपुर पिता का घर छोडक़र मुझे किराये के घर में रहना पड़ रहा है। जालपुर में गोंड़ समाज का बैठक हुआ जहां मुझे बोला गया कि तुम धर्म परिवर्तन कर लिए हो इसलिए तुम्हारे पिता का सम्पत्ति और घर का हिस्सा तुम्हें नहीं मिलेगा। अगर तुम्हारा बाप मर जाएगा तो तुमको उसे हाथ लगाने और कफन भी डालने नहीं दिया जायेगा। उन लोगों ने कहा कि अगर तुम ईसाई धर्म छोडक़र वापस आ जाओगे तो अच्छा हो जायगा लेकिन मैं वापस अपना जाति समाज में नहीं जाना चाहता हूं।


छत्तीसगढ़ राज्य के पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में/आदिवासी इलाकों में आदिवासी समुदायों के मध्य धार्मिक आस्थाओं के सवाल को लेकर आपसी तनाव और तकरार की परिस्थितियों पर पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज छत्तीसगढ़ के पहल पर छत्तीसगढ़ प्रोग्रेसिव क्रिश्चियन अलायन्स, आल इंडिया पीपुल्स फोरम तथा दलित अधिकार अभियान, आल इंडिया लायर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस आदि जनसंगठनों की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट पर आधारित।


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