नक्सलियों ने पुजारी पटेल, पेरमा के बातों को दोहराते हुए कहा तुम लोग छोड़ दो नहीं तो हम लोग मार देंगे

‘बस्तर का बहिष्कृत भारत’

दक्षिण कोसल टीम

 

इस जांच दल में रिनचिन, अखिलेश एडगर, विभीषण पात्रे, आशीष बेक, वैभव इफ्राइम, संजीत बर्मन, डिग्री प्रसाद चौहान, विजेंद्र तिवारी, डॉ गोल्डी एम.जॉर्ज शामिल रहे हैं। इन प्रभावित ईसाई आदिवासियों की बदहाली नक्सली और रूढि़ आदिवासी समाज के बीच फंस कर रह गया है। 

7. पदम हड़मा

35 वर्ष, देवरपल्ली, थाना दोरनापाल, जिला सुकमा, घटना स्थल - घर में, घटना दो साल पहले।

मैं दिसम्बर 2010 में ईसाई धर्म अपने परिवार सहित अपनाया हैं क्योंकि हमें यह विश्वास हो गया कि धरती और आकाश उसने ही बनाया है। मुझे घटना का वास्तविक तारीख नहीं मालूम, लेकिन उस दिन मेरे घर में घुसकर तोड़-फोड़ करते हुए पूरा सामान बाहर फेंक दिया जाता है सुंबह 8 बजे के लगभग गांव के पुरूष लोग 60 से 70 की संख्या में आए थे। क्षेत्र के कोया समाज के लोग गोड्डी-गुड में ले गए क्योंकि उन लोगों ने कहा कि-तुम लोग गांव में नहीं रह सकते।

इसकी सूचना पुलिस थाना में अगले दिन हम लोगों ने मौखिक रूप से दिया जहां हमारे साथ गांव के अन्य 10 '2 लोग भी उपस्थित थे। हमारे गांव में कोया समाज की कुल परिवारों की संख्या 70 है जबकि मसीही परिवार कुल 08 हैं। पुलिस वालों ने गांव के लोगों को थाना में बुलाया और समझौता करा दिया। हम लोग समझौता के लिए राजी नहीं थे और अभी भी हमें प्रताडि़त किया जाता है और हमारा सामाजिक बहिष्कार जारी है। गांव में यह फरमान है कि अगर कोई मसीही लोगों से बात करेगा तो उसे 500 रूपये जुर्माना देना पड़ेगा। 

हम लोगों को पिछले 2 सालों से हमारे पैतृक जमीनों पर खेती करने नहीं दिया जा रहा है। हमारे ही परिवार के जो गैर-मसीही सदस्य हैं, वही लोग उसमें फसल बोते हैं। मैं अपने जीवन-यापन के लिए दूसरे गांव में घूम-घूम कर ठेला में सब्जी बेचने का काम करता हूं। मैं एक बार तेन्दु पत्ता फड़ देवरपल्ली में बेचने गया तो मुझे मसीही होने के कारण लेने से इंकार किया गया। गांव के मुखिया लोगों द्वारा मेरे बारे में ऐसा कभी प्रचार किया जाता है कि मैं सी.आई.डी. पुलिस का काम करता हूं। तथा कभी ऐसा भी मेरे बारे में भ्रम प्रचार किया जाता है कि मैं नक्सलियों को सामान सप्लाई करता हूं। इस तरह से मेरा जान जोखिम में है।

8. अ.बी.बालराजू 

एत्कल का पॉस्टर, कोंटा थाना, व. कुन्जाम कन्नैया/ बीरा 40 वर्ष एत्कल, स. कुंजम राजू/ बीरा, 35 वर्ष, एत्कल, द. सोयम कन्नी/सोयम कन्ना, 42 वर्ष, एत्कल, घटना स्थल-एत्कल चर्च से निवास घर के बीच 16 मार्च 2022. 

एक बार मैं रविवार के दिन प्रार्थना कर वापस घर आ रहा था तभी रास्ते में तीन अज्ञात लोग मुझे रोके मेरा नाम, कहां से और क्या करके आ रहे हो पूछने पर मैंने बताया कि मैं पास्टर हूं और चर्च से लौट रहा हूं तो उन्होंने मुझे गाली दिया और घुटनों के बल बैठने को कहा, गले में चाकू रख दिया और फिर उन लोगों ने ललकारा कि तुम्हारे भगवान को बुलाओ वो बचाने आएगा, उन लोगों ने बाइबल को भी फेंक दिया। मेरे सिर पर डंडे से मारे और मेरा मोटर सायकिल को लूट लिए और मैं पेदल घर पहुंचा। उन लोगों ने थाने में रिपोर्ट नहीं करने का भी धमकी दिया।

मैं इलाज के लिए खम्मम में 3 दिन रूका और जब वापस आया तो गांव में पुलिस वाले आ गए। मैंने पुलिस को सूचना नहीं दिया था तथा ऐसा लगता है कि किसी और लोगों द्वारा शायद पुलिस को सूचित किया गया होगा। मैंने धमकी और डर के कारण पुलिस को बताया था कि मेाटर सायकिल और मोबाइल मेरे पास है और अगले दिन थाना कोंटा में लिखित आवेदन दिया कि बाजार से मेरा मोबाइल और गाड़ी चोरी हुआ। मुझे लगता है कि गांव के लोगों ने भी मेरे बारे में नक्सलियों को गलत सूचना मेरे इन्फार्मर के रूप में दिया होगा इसलिए उनके द्वारा ऐसा किया गया हो।

मेरे सेवकाई के दौरान पहले भी कई बार मुझे नक्सली नेन्द्रा जंगल में एर्राबोर के पास ले जाकर मेरे बारे में पूछ-ताछ किए है, तब मैंने उन्हें बताया था कि मैं अशिक्षित लोगों को पढ़ाता हूं और ईसाई धर्म का प्रचार करता हूं। तीन साल पहले भी मेरे साथ गांव एत्कल में जब मैं कोंटा से वापस लौट रहा था तभी गांव का पुजारी रास्ते में रोककर मुझे धमकी दिया था कि तू गांव में लोगों को मसीही बना रहा है, तेरे को मरना पड़ेगा और ऐसा कहते हुए उसने मेरे गले में चाकू रख दिया था। इसकी सूचना मैंने पुलिस में नहीं दिया था। कन्नैया, राजू कन्नी ने बताया कि गांव के पुजारी पोडिय़म जोगा द्वारा ईसाई धर्म छोडऩे के लिए लगातार धमकी दिया जा रहा है। गांव में मुखिया पुजारी के फरमान के कारण ग्राम पंचायत द्वारा जाति प्रमाणपत्र नहीं बनाया जा रहा है। मुखिया-पुजारी द्वारा हमें खेती करने से भी मना किया जा रहा है।

9. सोड़ी जोगा 

32 वर्ष, गांव मिसमा, केरलापाल, जिला - सुकमा।

मैं सन् 2009 से पास्टर हूं और सेवकाई का काम करता हूं। मैं सन् 2008 में चंगाई से प्रभावित होकर विश्वासी बना जिसका गांव वालों ने विरोध किया और कहा कि-अगर तुम गांव की बात नहीं मानोगे तो तुम्हें गांव छोडऩा पड़ेगा। गांव की कहे अनुसार जब मैं उनकी बातों को नहीं माना तो गांव के पुजारी, पटेल, पेरमा (पुजारी का सहायक) ने नक्सिलयों से मेरा शिकायत किए। नक्सली लोग छिछोरगुड़ा गांव में मुझे बुलाए थे और मेरे अलावा गांव के अन्य विश्वासी परिवारों को भी बुलाया गया था जहां नक्सलियों ने पुजारी पटेल, पेरमा के बातों को दोहराया तथा कहा कि-तुम लोग छोड़ दो नहीं तो हम लोग गांव में आकर तुम लोगों को मार देंगे। दुबारा चर्च में नहीं जाने के लिए धमकी भी दिया गया।

उस मीटिंग में 300 - 400 लोग उपस्थित थे। उसके बाद जनवरी 2021 के 10 तारीख को गांव वाले बैठक किए कि हमें जाति, गांव में मिलाना है, हम लोगों के मना करने पर हम 4 मसीही परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। गांव में पुजारी, सीपीआई से सम्बन्ध, उसका नाम करतम देवा, निवासी-मिसमा द्वारा यह फरमान जारी किया गया है। 15 मार्च 2022 को घर में शादी कार्यक्रम था, एक दिन पहले 14 तारीख की शाम को गांव के पुजारी पेरमा लोग मुझे बुलाए और धक्का-मुक्की तथा गाली गलौज करते हुए मुझे कहने लगे कि तुम विदेश का भगवान मानते हो, उधर जाकर पार्टी दो, फिर डरकर हम लोगों ने तोरनापाल में दावत समारोह रखा।

उसके बाद गांव वाले अगले सुबह हमारे गांव के घर आकर पूरा सामान फेंक दिया जिसकी शिकायत हमारे द्वारा पुलिस में किया गया है लेकिन कोई कार्रवाही नहीं हुआ। अभी 15 मार्च 2022 को कोया समाज वाले धमकी दिए है कि गांव जमीन छोड़ दो, नहीं तो समाज का बड़ा मीटिंग सर्व आदिवासी समाज संगठन को बुलाकर तुम लोगों का घर तोडक़र गांव से भगा देंगे।

10. अ.सोड़ी महेश

26 वर्ष, व. पोडिय़म जोगा/रामा, 45 वर्ष, स. सोड़ी देसा/ एंका सोड़ी, 50 वर्ष, निवासी मुरलीगोड़ा, थाना कोंटा, जिला सुकमा, घटना स्थल गांव मुरलीगोड़ा, घटना - मार्च 2021

हम सभी लोग दोरला आदिवासी समुदाय से हैं। गांव के मुखिया पुजारी के नेतृत्व में गांव के लोगों ने हमें जबरदस्ती सुअर के खून में चावल मिलाकर खिलाए (जांच टीम को बताया गया कि यह दोरला समुदाय का एक रूढ़ी परम्परागत् रीति-रिवाज)। एक पत्थर जिसे स्थानीय समुदाय गामम, गामा, पोतराज आदि नामों से आदिवासी देवगुड़ी है, के सामने सुअर का बलि देकर उसका कच्चा खून और चावल को मिलाकर हम लोगों के साथ मारपीट करते हुए जबरदस्ती खिलाकर तथाकथित रूप से हमारा शुद्धिकरण जिसे स्थानीय भाषा में जातपानी कहा जाता है, का प्रक्रिया अपनाया गया।

हमारे गांव में किसी कारण से पुजारी का मृत्यु हो गया था जिसका दोषारोपण हमारे माथे मढक़र यह टेस्ट/शपथ कराया गया था कि इसे खाने के बाद हम लोग जिन्दा रहेंगे अथवा मर जायेंगे तत्पश्चात गांव वालों ने फरमान जारी किया है कि हम लोगों को मवेशी, जमीन कोई सामान इत्यादि नहीं दिया जायेगा।

पोडिय़म जोगा ने बताया कि उसके दो बेटे सन् 2021 में मर गए तभी उस पर आरोप लगाया गया कि वह अपने बेटों को जादू-टोना कर मार दिया है जबकि उसके अनुसार अत्यधिक शराबखोरी और बीमारी के कारण उनका मृत्यु हुआ था तथा उसने भी यह शंका जताया कि यह भी हो सकता है कि किन्हीं लोगों द्वारा शराब के साथ कुछ मिलाकर उन लोगों को पिला दिया गया होगा। गांव का सरपंच कांग्रेसी है और पुजारी भाजपा समर्थित है।

गांव में वनाधिकार पट्टा के आबंटन में मसीही समाज मानने वालों को आबंटित जमीन वापस लेने इन लोगों के द्वारा फारेस्ट अधिकारियों के ऊपर दबाव बनाया जा रहा है। गांव के सरपंच/सचिव द्वारा हम लोगों को जाति एवं निवास प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है, पटवारी के द्वारा भी मना किया जा रहा है, वृद्धावस्था पेंशन का लाभ भी हमारे लोगों के लिए रोक दिया गया है।

11. अ. वंजम मगो

18 वर्ष, व. वंजम चेन्द्री/वंजम विजे, 30 वर्ष, निवासी-सुनमगुड़ा, थाना कोंटा, जिला सुकमा, घटना स्थल सुनमगुड़ा गांव, घटना - जनवरी 2022 लेकिन इसके पहले भी दो बार प्रताडऩा की घटनायें हुई है।

गांव में सभा बुलाया गया जहां पटेल, पुजारी, सरपंच कोया समाज के मुखियालोग हमें ईसाई धर्म छोडक़र पूजा-पाठ करने के लिए कहा गया अन्यथा सरकारी राशन, जाति प्रमाण पत्र, जमीन का पट्टा छिन लिया जायेगा, ऐसा बोला गया। ईसा मसीह को मानने वाले हो, नौकरी नहीं मिलेगा ऐसा भी बोला गया। ऊपर से हाईकोर्ट से पेसा कानून आने वाला है, ऐसा सरपंच द्वारा बोला गया। सरकारी आवास योजना से भी हमें वंचित किया जा रहा है।

गांव में कुल 30 परिवारों में से 15 परिवार ईसाई हैं, गांव के अन्य लोगों को क्रिश्चियन लोगों के घर तथा बातचीत करने की मनाही है। ऐसा निर्णय सन 2020 में गांव वालों ने लेकर हमारा सामाजिक बहिष्कार किया है। जहां एक तरफ कोया लोग अपने पूर्वजों के अनुयायी और रूढि़ परम्परा का हवाला देते हैं जबकि दूसरी ओर कोया आदिवासी भी दस्तावेजों में धर्म के कॉलम में हिन्दू लिखते हैं।

पुलिस में शिकायत के बाद हमें उस दिन दोपहर 3 बजे से 5 बजे तक बैठाया गया, जाति समाज के प्रमुख लोगों को बुलाकर टी.आई. ने तू छोटी है, बड़े लोगों के सामने ऐसा बात नहीं करते हैं, कहते हुए मुझे मारने के लिए हाथ उठाया जिस पर मैं रोने लगी और फिर टी.आई. ने हमारा समझौता करा दिया। हम लोगों के द्वारा दस्तावेजों में अपना जाति दोरला लिखे जाने पर वे लोग मना करते हैं। हमारे ऊपर ऐसे ताने मारे जाते हैं कि इनको छूने और इनके भगवान को कुछ बोलने से इनका भगवान नाराज हो जाता है। साल 2008 से पटेल, पुजारी और भाजपा समर्थित सरपंच द्वारा कोया समाज के दबाव से हम लोगों के साथ लगातार प्रताडऩा किया जा रहा है।

12. अ. कुरमदेसा

26 वर्ष, व. श्रेयम ममता/लच्छादेसा, 26 वर्ष, गांव गेंडीगुड़ा, थाना दोरनापाल, जिला सुकमा, घटनास्थल बोर्डीगुड़ा - 08 फरवरी 2017।

मेरे घर से मैं अकेली ही चर्च में जाती थी और कभी-कभी मेरी दीदी भी साथ में चली जाती थी, उसी से नाराज होकर गांव वालों द्वारा मुझ पर आरोप लगाया गया कि तुम लोगों ने हमारे देवता के चुनरी को चोरी कर लिया है और इस कारण हम तुम्हारे साथ मारपीट किए। 

इस घटना की सूचना हम लोगों ने थाने में उस समय नहीं दिया था। लगभग एक साल बाद गांव वालों ने बैठक बुलाकर फिर हम लोगों को मसीही समाज को छोडऩे के लिए बोले और गांव वाले ने नक्सलियों को हम लोगों के बारे में शिकायत किया। नक्सलियों ने अरड़मपल्ली जंगल में दोनों पक्षों के उपस्थिति में बैठक किया एक तरफ गांव वाले तो दूसरी तरफ तीन मसीही परिवार उस बैठक में कुल 100 लोग उपस्थित थे। नक्सलियों ने हमसे पूछा कि चर्च में क्यों जाते हो?

हमें खाने - पीने के बारे में भी पूछा गया हमारे द्वारा दारू नहीं पीने की बात बताये जाने पर उन्होंने हमें अच्छा कहा और मामले को खत्म कर दिया लेकिन ये भी कहा कि यदि गांव वाले तुम्हें निकालने की बात कह रहे हैं तो हम लोग कुछ नहीं कर सकते।

जब वहां बात नहीं बना तो कोया समाज ने 19 नवम्बर 2018 को एक बड़ा सभा बुलाया जहां हमें कोया आदिवासी समाज के नाम से पढ़ाई का लाभ लिए हो, कहकर मार्कशीट वापस करने को कहा गया उसके बाद 9 दिन बाद फिर बड़ी संख्या में बैठक बुलाकर कहा गया कि तुम लोग अगर धर्म नहीं छोड़ोगे तो तुम्हारा आरक्षण खत्म कर देंगे और वहां पर एक कोरा कागज में यह लिखने को दबाव डाला गया कि हम क्रिश्चियन मानते हैं इसलिए आदिवासी आरक्षण का हकदार नहीं बनेंगे।

हम लोगों ने इसकी शिकायत थाने में की पुलिस ने अगले दिन दोनों पक्षों को बुलाया, जहां गांव वालों ने हम लोगों पर आरोप लगाया कि ये लोग नक्सलियों के पास शिकायत करते हैं और फिर पुलिस वालों ने राजीनामा कागज में दस्तखत कराया।
इस घटना के एक साल बाद 11 मई 2019 को कोया समाज प्रखंडस्तर के जाति समाज वाले स्थानीय गांव के कोया समाज वालों को बोले कि तुम लोग इनको जला दो, घर तोड़ दो और फिर हम लोगों का घर तोड़ दिया गया, जिसकी शिकायत हम लोगों ने थाने में दी।

थाना द्वारा कोई कार्यवाही नहीं होने पर हम लोग कोर्ट में केस किए, हम लोगों को कोर्ट से केस वापस लेने के लिए दबाव बनाये। तेन्दुपत्ता संग्रहण केन्द्र में हम लोगों का तेन्दुपत्ता नहीं लिया गया जिस कारण हमारे द्वारा एकत्र सभी तेन्दुपत्ता को हमें फेंकना पड़ा, हम लोगों को वनाधिकार पट्टा भी नहीं दिया जा रहा है। पोस्ट आफिस आरगट्टा से पटवारी नियुक्ति के सम्बन्ध में हमारे नाम से चि_ी आया था लेकिन सरपंच और गांव वालों ने उसे छुपा दिया।

इस कारण मैं नियुक्ति प्रक्रिया से वंचित हो गया। हम लोगों को पंचायत के ग्रामसभा में भी बोलने नहीं दिया जाता है और हमारे समस्याओं की भी कोई सुनवाई नहीं है। हमारे खेत में रात को मवेशी छोड़ देते हैं फसल को नुकसान कर देते हैं। एक पीडि़त व्यक्ति जो कि सीआरपीएफ में हैं ने बताया कि उसे डर है कि विभाग में प्रोटेक्शन मांगने पर उसका नौकरी मुश्किल में पड़ जायेगा और ऊपर से मेरे सरकारी नौकरी में होने से गांव वाले भी बड़ी आसानी से नक्सलियों के पास इन्फार्मर बताकर मेरे खिलाफ आसानी से भडक़ा सकते हैं।

13. अ. लखम पोडिय़ाम

23 वर्ष, व. महादेव मुसाकी/उरा मुसाकी, 30 वर्ष, स. वे_ी/हड़मा राम, 35 वर्ष, सभी जाति - गोंड़, निवासी चिड़पाल, तोंगपाल, जिला सुकमा, घटना स्थल-चिड़पाल, कड़ेपारा, घटना - 1 साल पहले।

अ. कड़ेपारा में कुल 40 गोंड़ परिवारों में से केवल 1 परिवार मसीही है। मैं परिवार में बड़ा भाई हूं। जब मेरे छोटी मां का मृत्यु हो गया तभी गांव वालों ने शव को गांव के सार्वजनिक श्मशान घाट में दफनाने नहीं दिया। मैं गांव छोडक़र अपने इच्छा से जा रहा हूं ऐसा कागज में लिखवाकर मुझसे जबरदस्ती हस्ताक्षर करा लिया गया।
गांव के देवा मरकाम, जीमा मरकाम, इंगावेट्टी, पोयाम गोटे, मोया मरकाम, कोन्दा मरकाम, माड़वी कोसा आदि लोगों ने मेेरे साथ मारपीट किया है। 3 एकड़ जमीन में खेती किया था, धान का फसल को काटने भी नहीं दिया गया। गत साल भर से सरकारी राशन नहीं दिया जा रहा है। बच्चों को स्कूल के लिए जाति प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं। 

मोया मरकाम जो गांव का पंच है और कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) से जुड़ा हुआ है, गांव कोटवार दुरवा पोडिय़ाम, पटेल, मनी मरकाम ने भी बहुत मारपीट किया मैं तबसे दूसरे गांव इडज़ेपाल में महुआ पेड़ के नीचे रहते हैं। इस मामले में थाना में रिपोर्ट लिखाया जहां पुलिस वालों ने तुम अपनी इच्छा से गांव में नहीं रहने के लिए लिखकर दिए हो-ऐसा गांव वालों ने कहा है-कहकर पुलिस वालों ने कोई कार्यवाही नहीं किया.

ब. हमें गत एक साल से गांव और घर से मुझे और मेरी पत्नी को बाहर निकाल दिया गया है, हम लोग सुकमा शहर में किराये के मकान पर रहकर हेल्पर, मिस्त्री का काम करते हुए जीवन-यापन करते हैं। स्कूलपारा, कोकालपाल गांव के राजू कवासी, उपसरपंच बोलता है कि तुम लोग जात-पात होकर घर वापसी हो जाओ तभी तुम लोगों को सरकारी राशन मिलेगा ऐसा ऊपर से आदेश आया है। मेरे पिताजी गुजर गए हैं, माता घर पर ही रहती है लेकिन गांव में उन्हें राशन नहीं दिया जा रहा है और हमारे ही जगह पर दूसरों को सरकारी आवास आबंटित किया जा रहा है।

स. मैं पोटापाल का रहने वाला हूं लेकिन एक साल से हमें गांव में रहने नहीं दिया जा रहा है। वर्तमान में अपने परिवार के 6 लोगों के साथ तोंगपाल में रहकर मजदूरी कर जीवन-यापन करते हैं, हम लोग भूमिहीन हैं थाने में शिकायत पर हमें ही दोषी मानते हुए कोई संरक्षण नहीं दिया जा रहा है।

14. बारसे कन्नी

6 वर्ष, गांव पालामड़ु, थाना कोलमपल्ली, जिला सुकमा, घटना स्थल पालामाड़ू, घटना - 15 दिसम्बर 2020

मैं सन/ 2001 से गांव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर कार्य करती आ रही थी लेकिन मुझे मसीही धर्म अपनाने के कारण 15 दिसम्बर 2020 से गांव में आने नहीं दिया जा रहा है।

मैं सन 2019 में ईसाई धर्म स्वीकार की थी। एक दिन जब हम अपने खेत में धान काट रहे थे और वहां पास्टर लोग भी हमारी मदद कर रहे थे तभी गांव के लोगों ने खेत में आकर मुझे पकड़ लिया और तुम लोग प्रार्थना कराते हो, ऐसा कहते हुए गांव में बैठक बुलाए।

हमारा गांव नक्सल प्रभावित है, मैं, मेरी दीदी और मेरी मां घर में सोये हुए थे तभी रात के 1 बजे लगभग 3-4 लोग घर में घुस आए। अंधेरा था, उनका आहट सुनाई दिया, एक लडक़ा जिसका नाम माड़वीसोमा, उम्र 20 वर्ष उसे पहरा में रखा गया था तो उसने डरकर पास्टर को फोन लगाया।

अगले दिन मैं आंगनबाड़ी में उदास बैठी थी जब घर वापस आयी तो गांव वाले घर से बुलाकर मीटिंग में ले गए और भरी सभा में गाली गलौज और डंडा दिखाते हुए कहने लगे कि तुम गांव से अभी चले जाओ नहीं तो मारकर दफना देंगे, ऐसा धमकी दिया गया।

16 दिसम्बर 2020 को डरकर गांव से भागना पड़ा। अभी दोरनापाल में पति के साथ रहती हूं, मेरा पति शिक्षक है उसे भी धमकी दिया गया है कि अगर वह गांव में आया तो उसे भी मार दिया जायेगा। इसकी सूचना 08 जनवरी 2021 को हम लोग थाना में दिए हैं, लेकिन टी.आई. ने आरोपियों का पक्ष लेते हुए कहा कि 5वीं अनुसूची के भीतर ईसाई लोगों को मनाही है।

कोया समाज के द्वारा साम्प्रदायिकता फैलाया जा रहा है, सरियम सन्ना सीपीआई से जुड़ा है। वह धमकी देता है कि तुम्हारा पति मासे आयते आदिवासी कोटा से सरकारी नौकरी में है उसे भी नौकरी से निकाल देंगे। जब मेरे ऊपर हुए अत्याचार पर गांव वालों के विरूद्ध में थाना में शिकायत की तो गांव वालों ने मेरे विरोध में रैली किया। थाना का टीआई भी कोया समाज से है जिस कारण मेरे शिकायत पर कोया समाज के खिलाफ उसने कोई कार्रवाही नहीं किया। मैं हाईकोर्ट में केस दायर की हूं।


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