न्याय की चुप्पी के बीच दलित बूढ़े दंपती से जमीन हड़पने किया सामाजिक बहिष्कार
जीवकोपार्जन के लिये दूसरे गांव में किराये पर रहकर कर रहा गुजारा
दक्षिण कोसल टीममैं प्रेमलाल बघेल गाड़ा हूं। मुझे भूमिहीन पट्टा मिला हुआ है। उस जमीन को गांव के लोग सत्यानाश कर दिए हैं... गांव के लोग जमीन छिन लिये हैं... मैं कैसे जिंदगी जिऊं, जिंदगी का रास्ता बताएं? घर में हम बूढ़े पति पत्नि हैं। एक ही जगह पांच एकड़ जमीन हैं, उस जमीन में तीन साल से धान ले रहा हूं और चौथे वर्ष में सब कब्जा लिये हैं। 20 - 22 साल का पट्टा मिला है। लगातार वर्षों से गांव वाले मेरे जमीन पर कब्जा के लिये लड़ाई झगड़ा कर रहे हैं, जमीन मिलना चाहिए। गांववाले समाज से बेदखल कर दिए हैं। वे बातचीत नहीं करते हैं और ना अन्य कामों में जोड़ते हैं। जीवन जीने के लिये अब रोजीरोटी की तलाश में दूसरे गांव जाना पड़ता है। अपना घर रहते हुवे दूसरे गांव में जाकर रोजी मजूरी करना पड़ता है। वहां से शाम को घर लौटता हूं घर में छोटा मोटा दुकान है, लेकिन वह भी बंद कर दिया गया है। गांव में हुक्का पानी बंद होने से आठ किलोमीटर नांदिया गांव जाकर उधार पानी कर राशन लाना पड़ता है।

न्याय की चुप्पी के बीच अनुसूचित जाति के बुजुर्ग दंपती से उसकी पट्टा में मिले जमीन पर गांव वालों की नजर टिक गई है, उसे हड़पने के लिये कलेक्टर - एसडीएम से भी न्याय नहीं मिला। गांव से बहिष्कार कर दिया गया है। उसका दुक्का पानी बंद कर दिया गया है। यही नहीं उन्होंने राजनांदगांव कलेक्टर को 14 सितम्बर 2022 को इस आशय का एक पत्र भी लिखा है। ग्राम-सीताकसा में स्थित प.ह.न. 41 रा.नि.म. खुज्जी तहसील घुरिया, जिला राजनांदगांव का निवासी एवं कृषक है। जाति का गाड़ा होने के कारण हरिजन बताया है।
उसे नायब तहसीलदार राजनांदगांव द्वारा राप्र क. - 2 अ / 19 (1) वर्ष 2000 - 01 पारित आदेश के अनुसार ग्राम सीताकसा में स्थित भूमि खसरा नंबर - 425 में से 2.000 हेक्टेयर अर्थात् 4.94 एकड भूमि, भूमिहीन होने के कारण पट्टे पर प्रदाय किया गया है तब से उक्त भूमि पर काबिज होकर लगातार काश्त करते चला आ रहा है।
उन्होंने पत्र में उल्लेख किया है कि राजस्व अभिलेख में उनका नाम उक्त भूमि पर भूमिस्वामी हक के रूप में दर्ज किया गया है। वर्तमान में उक्त भूमि का खसरा नंबर- 425/3 का रकबा 4.94 एकड दर्ज है।
उक्त भूमि के संबंध में 01 जून 2022 को गांव के पटेल बिझ गोड़, मानसिंग गोंड़, झरोक साहू, नारद साहू मदन साहू, गुलामी कोटवार, भूनेश्वर हल्बा बलीराम पाण्डे आदि लोग मिलकर उक्त भूमि से बेदखल करने हेतु लगातार प्रयास कर रहे हैं और ये लोग कहते है कि उक्त भूमि का कब्जा छोड़ दें।
बताते चलूं कि उक्त भूमि पर स्वामित्व एवं आधिपत्य प्रेमलाल बघेल की है जो कि शासन द्वारा 20 वर्ष पूर्व भूमिस्वामी हक में पट्टा प्रदाय किया गया है।
उन्होंने सरकार से निवेदन किया है कि -‘मैं भूमिहीन गरीब व्यक्ति हूँ। मेरे पास अन्य कोई कृषिभूमि नहीं है। उक्त भूमि पर काश्तकारी कर अपने परिवार का भरण - पोषण करता हूँ तथा समय समय पर बैंक से ऋण भी प्राप्त करता हूँ और अपना उपज भी सोसायटी में विकय करता है, जिसके कारण मुझसे ईष्या करते है और ईष्यावश उक्त भूमि के संबंध में लगातार मुझे बेदखल करने का प्रयास करते हैं। मुझे कहते है कि, मैं उक्त भूमि का कब्जा छोड़ दू यदि मेरे द्वारा कब्जा नहीं छोड़ा गया तो वे लोग जबरन कब्जा कर लेंगे कहकर धमकी देते है और गाली-गलौज करते हैं।’
सामाजिक बहिष्कार हुक्का पानी बंद
प्रेमलाल बघेल को गांव समाज, परिवार से सभी लोग मिलकर बहिष्कृत कर दिये हैं और कोई भी व्यक्ति उनसे बात न करें कहकर वे लोग सभी गांववालों को मना कर दिये हैं। दुकान में लेन-देन भी नहीं करने देते। उनके खेत व घर में कोई भी व्यक्ति काम पर बुलाने पर नहीं आते और उनको भी कहा गया है कि उनके यहां कोई भी व्यक्ति काम करेगा या बात करेगा तो उसे गांव से निकाल देंगे। इस तरह सभी व्यक्ति मिलकर इस बुर्जुग दंपती का जीना दूभर कर दिया है। जिसके कारण वहं घबरा गया है।
बात यहीं नहीं रूकी एसडीएम में मामला चलने के बावजूद इस वर्ष वर्तमान में उक्त कृषिभूमि से उसे डरा-धमका कर बेदखल कर दिया गया है एवं उक्त कृषिभूमि में फसल नहीं बोने दिया गया है। इस कारण प्रेमलाल बघेल को आर्थिक नुकसान के साथ सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। और कानून और व्यवस्था मूक दर्शक बने बैठी है।
प्रेमलाल बघेल लगातार सामाजिक संगठनों, सत्ता केन्द्रों से गुहार कर रहे हैं कि उनके शिकायत पर जांच कर पट्टे पर दिया गया उक्त कृषिभूमि को वापस दिलवाने हक सुनिश्चित कर उपरोक्त दोषी व्यक्तियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध करते हुवे नागरिक अधिकार के तहत उनकी जान-माल एवं जमीन को सुरक्षा की कार्यवाही शुरू की जाये।
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12/03/2023
Bhawani rawte
दोषियों पर कार्यवाही होनी चाहिए
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