हिन्दूभाव जागरण पदयात्रा से राजनीति में उबाल

यात्रा के खिलाफ नागरिक संगठनों ने मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन

सुशान्त कुमार

 

धर्म सभा के मौके पर संत भारत को संवैधानिक रूप से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की अपील करेंगे। इस यात्रा के माध्यम से हिन्दुत्व जागरण, हिंदुओं को जोडऩे के साथ-साथ ही मतांतरण और धर्म विरोधियों के विरुद्ध अभियान चलाया जाएगा। पदयात्रा में मतांतरण और लव जिहाद के खिलाफ आवाज बुलंद होगी।

नागरिक संगठनों का विरोध

उपरोक्त पदयात्रा के संदर्भ मे पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीस (छत्तीसगढ़), नागरिक संयुक्त संघर्ष समिति तथा प्रोग्रेसिव क्रिश्चियन अलाएन्स के द्वारा संयुक्त रूप से प्रदेश के 20 से अधिक वाम जनवादी एवं नागरिक संगठनों के साथ मिलकर  जिला दंडाधिकारी, जिला रायपुर के माध्यम से मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन को ज्ञापन सौंपा गया।

विश्व हिन्दू परिषद का वह पर्चा जिस पर मचा गया बवाल

आखिल भारतीय संत समिति, छत्तीसगढ़, समस्त सनातनी धर्मावलम्बी तथा विश्व हिन्दू परिषद् ने 8 फरवरी (महाशिवरात्रि) से 19 मार्च रविवार 2023 तक ‘धरम ध्वजा हाथ म सब समाज साथ म, एकता के मंत्र हम गुंजाबों, भारत में रामराज लाबो, भारत ल विश्वगुरू बनाबो।’ छत्तीसगढ़ी नारों के साथ अखिल भारतीय संत समिति छत्तीसगढ़ द्वारा धर्मसंसद उडुपी (कर्नाटक) के घोष वाक्य ‘हिन्दव: सोदरा: सर्वे, न हिन्दू पतितो भवेत्। मम दीक्षा हिन्दू रक्षा, मम मंत्र समानता।। ’ को चरितार्थ करने के लिए छत्तीसगढ़ प्रांत के चारों दिशाओं से हिन्दु स्वाभिमान जागरण एवं सामाजिक समरसता हेतु पूज्य संत समाज चार पवित्र स्थानों से पद यात्रा पर निकल रहें हैं। 

 

होगा हिन्दूभाव (स्वाभिमान) का जागरण

पर्चा में कहा गया है कि यह यात्रा प्रान्त के 34 जिलों से होकर गुजरेगी। जिसका उद्देश्य गिरिकंदराओं, वनों, ग्रामों, झुग्गी बस्तिओं एवं नगरों में निवास करने वाले हिन्दू समाज बन्धुओं के बीच संगत (सत्संग) और पंगत को माध्यम बनाकर, एकात्म एकरस संगठित हिन्दू समाज का प्रकटीकरण कर, हिन्दूभाव (स्वाभिमान) जागरण करना है। जो कि जाति-पाति भाषा पंथ क्षेत्र एवं राजनैतिक भेद भावों से उपर उठकर राष्ट्र निर्माण में अपनी अग्रणी भूमिका निभायेगें।

यात्रा का मुख्य उद्देश्य

बताया जा रहा है कि संतों ने समस्त सनातनी हिन्दू समाज, पंथ व समाज प्रमुखों एवं सभी संगठनों से आह्वान किया है कि समाज में बढ़ती हुई विषमता, भेदभाव, जनसंख्या असंतुलन, धर्मान्तरण, गौ तस्करी, भूमि व लव जिहाद एवं धार्मिक, सांस्कृतिक आक्रमण, आदि समस्याओं के समाधान व जागरण हेतु, संतो के नेतृत्व में कदम से कदम मिलाकर साथ चलें। इस यात्रा में संतो का स्वागत, सेवा - सत्कार कर आशीर्वाद प्राप्त करना है।

क्या है संत समागम का पूरा विवरण 

विश्व हिन्दु परिषद समस्त राष्ट्रभक्त, हिन्दूनिष्ठ, सनातनी समाज, धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक संगठनो, सभी छोटे-बड़े संस्था, समिति, नागरिको एवं माता बहनों से विनम्र प्रार्थना करता है कि छत्तीसगढ़ प्रान्त में हिन्दू राष्ट्र के संकल्प हेतु संत पद यात्रा में तन मन धन से सहयोग करने कहा है।
चारों यात्राओं का समापन 19 मार्च, रविवार, 2023 को रायपुर में समागम धर्म सभा में होगा। उत्तर दिशा से माँ महामाया संत पद यात्रा, रामानुजगंज महामाया मंदिर से प्रारंभ होगा। दक्षिण तथा पश्चिम दिशा से माँ दंतेश्वरी संत पद यात्रा, रामराम सुकुमा,  माँ बम्लेश्वरी संत पद यात्रा प्रारंभ पानावरस मोहला तक यात्रा का विवरण दिया गया है। 

नागरिक संगठनों ने क्या कहा?

नागरिक संगठनों का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस प्रकार के आयोजनों का लक्षित उद्देश्य न केवल प्रदेश के सामजिक सौहार्द को बिगाडऩा वरन प्रदेश में शांति व्यवस्था के लिए भी संकट उत्पन्न करना रहा है। यह विशुद्ध रूप से एक धर्म विशेष का प्रचार-प्रसार नहीं बल्कि एक लक्षित राजनितिक उद्देश्य से कानून व्यवस्था और संविधान के मूल आधारों पर ही आघात पहुंचाने का प्रयास है। इसलिए छत्तीसगढ़ जैसे शांतिपूर्ण प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही इस किस्म की गतिविधियाँ तेजी से ही बढ़ रहीं है, जो प्रदेश के सभी धर्मों के मानने वाले शांतिप्रिय नागरिकों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। 

 

नागरिक संगठनों का दावा, दिया हमलों का कच्चा चिट्ठा

छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के साथ ही प्रदेश मे सांप्रदायिक धु्रवीकरण बढ़ा है। वर्ष 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद से दक्षिणपंथी सांप्रदायिक संगठन ईसाई अल्पसंख्यकों विशेषकर ईसाई आदिवासियों के खिलाफ लगातार अधिक सक्रीय हुवे है। प्रदेश में ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ वर्ष 2022 में हिंसा व प्रताडऩा की 100 से अधिक घटनायें घटित हुई हैं। विगत नवम्बर व दिसम्बर माह में नारायणपुर, कोंडागांव व कांकेर जिलों मे ईसाई आदिवासियों के खिलाफ हिंसा, प्रताडऩा व सामाजिक बहिष्कार की 60 से अधिक घटनाएं हुई हैं। विगत दिसम्बर माह में नारायणपुर जिले के लगभग  2,000 प्रभावित ईसाई आदिवासियों को बलपूर्वक अपने गाँवों से भागने के लिए मजबूर किया गया। 

 

ईसाई धर्म धर्मांतरण का मामला नहीं

प्रभावित जिलों के अधिकारियों के मुताबिक इस पूरे क्षेत्र में छल, बल या धन के माध्यम से धर्मांतरण का एक भी मामला सामने नहीं आया है। इसलिये इस साल के अंत में राज्य विधानसभा के चुनाव के कार्यक्रम को देखते हुए स्पष्ट रूप से ऐसी पदयात्राओं के पीछे एक सुनिश्चित राजनीतिक एजेंडा है।

कैसी आशंका?

आशंका है कि इस पदयात्रा की आड़ में घृणित और भडक़ाऊ भाषणों, झूठी सूचनाओं और अफवाहों और सांप्रदायिक प्रचार का उपयोग करके सांप्रदायिक तनाव को भडक़ाने की कोशिश की जा सकती है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां सहिष्णुता, विविधता, गरिमा, समानता, बंधुत्व और न्याय के मूल्य भारतीय संविधान में गहराई से निहित हैं। जबकि विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संघ बनाने और सभा करने की संविधान के तहत मौलिक स्वतंत्रता की गारंटी है। इन स्वतंत्रताओं का प्रयोग करने की आड़ में नफरत फैलाने वाली भाषा तथा सांप्रदायिक घृणा और हिंसा को उकसाने का अपराध नहीं किया जा सकता है।

छत्तीसगढ़ राज्य में समन्वयवाद और धर्मनिरपेक्षता का एक लंबा इतिहास रहा है, जहां विभिन्न समुदायों ने सौहार्दपूर्ण ढंग से सह-अस्तित्व बनाये रखा है। पहले भी राज्य को साम्प्रदायिक बनाने और हिंसा भडक़ाने के प्रयासों के लोगों पर विनाशकारी परिणाम हुए हैं। इसे पुन: होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

पूरे प्रदेश मे सांप्रदायिक सौहाद्र, सामाजिक शांति व बंधुत्व की भावना बहाल करने व बढ़ाने हेतु शासन के स्तर पर गंभीर प्रयास किया जाना आवश्यक है, जिसमें विभिन जन संगठनों, नागरिक व सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जाये।

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तत्क्षण कार्रवाई की मांग

यह सुनिश्चित करना राज्य शासन की जिम्मेदारी है कि, नफरत फैलाने वाली भाषा को रोका जाए और दोषियों को दंडित किया जाए, बजाय इसके कि उन्हें दण्डमुक्ति और खुली छूट दी जाए।

ज्ञापन के माध्यम से संविधानसम्मत कानून के राज की रक्षा, सभी धर्मावलम्बियों की सुरक्षा तथा लोक शांति बनाए रखने के लिए, मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले का संज्ञान लेकर, तत्काल शासन एवं प्रशासन के स्तर पर उचित कार्यवाही का आग्रह किया गया है।


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