कांग्रेस पार्टी संविधान और अधिकारों को सुरक्षित रखने में सक्षम और कोई दूसरा पार्टी नहीं  

राहुल गांधी ने हमें अपने राज्यों में भी इस यात्रा की लौ को गांव - गांव तक पहुंचाने की नसीहत दी

सुशान्त कुमार

 

रविवार को राहुल गांधी की यात्रा समाप्त हो गई। इस यात्रा से पहले कई सवाल थे- राहुल गांधी हासिल क्या करना चाहते हैं, क्या वो विपक्ष को एकजुट कर पाएंगे, क्या वो कांग्रेस को पुनर्जीवित कर पाएंगे? ऐसे कई सारे सवालों के बीच हमने छत्तीसगढ़ से इस यात्रा में शुरूआत से जुड़ी और अंत तक इस यात्रा के साथ रही छत्तीसगढ़ प्रदेश युवा कांग्रेस की महासचिव हिमानी वासनिक से दक्षिण कोसल के लिये सुशान्त कुमार ने बेलागलपेट चर्चा की है। आईये जानते हैं इस पूरी यात्रा में उनकी समझ-सम्पादक

1. शुरूआत में भारत जोड़ो यात्रा को आप क्या समझती थी?

शुरू में कुछ समझ नहीं आता था, बस चलना है चल कर देखते हैं मुझे खुद भी पता नहीं था। अवसर मिल गया तो चलो एकबार चलकर तो देख सकते हैं? मुझे यह भी समझ नहीं आता था कि यह यात्रा किसलिए है? शायद कांग्रेस के लिये कुछ माहौल बनाने के लिए यह यात्रा हो, कार्यकर्ता होने के नाते चलना था।

2. छत्तीसगढ़ से गिने चुने लोगों में से आपको ही क्यों इस यात्रा में जोड़ा गया?

पता नहीं, क्यों ऐसा हुआ? कांग्रेस पार्टी का 3 माह ट्रेनिंग प्रोग्राम होता है ‘नेतृत्व संगम’ इस प्रोग्राम में इंटरव्यू के आधार पर चयन होता है। इस प्रोग्राम को मैंने जून 2022 से अगस्त 2022 तक अट्टेन किया है, जो इस प्रोग्राम का प्रथम बैच था। संगम के कुछ मित्रों के द्वारा ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल होने के लिये ऑनलाइन फॉर्म भरने के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। मैंने फॉर्म भरा, अंतत: मुझे फिजिकल और इंटरव्यू के लिए बुलाया गया।

3. क्या इसके लिए कोई परीक्षा निर्धारित थी? 

हमें इस यात्रा के लिये पहले दिल्ली बुलाकर एक घंटा दौड़ाकर देखा गया। मेडिकल टेस्ट हुआ शुगर बीपी चेक किया गया। उसके बाद आमने - सामने वन टू वन बातें हुई। 50 हजार लोगों में से 119 का चयन हुआ। चयन समिति में दिग्विजय सिंह और मुकुल वासनिक ने हमारा साक्षात्कार लिया। सवाल बहुत थे जैसे-पांच महीने आप चल पाएंगी की नहीं? और बहुत सारा संघर्ष की बातें की गई। इन सारी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद फायनली भारत जोड़ो की लिस्ट में मेरा नाम आया?

4. कन्याकुमारी से कश्मीर तक सडक़ों में किन चीजों तक पहुंच पाई? 

व्यक्तिगत तौर से कहूं तो मेरे अंदर जो संघर्ष मौजूद था उससे होकर गुजर रही थी, दूसरी बात  राहुल गांधी जी की छवि में परिवर्तन के साथ कांग्रेस को पुराने और मजबूत स्थिति में देखना चाहती हूं इसके लिये जो प्यार लोगों का देखने को मिला वह सब मुझे प्रभावित किया है। केरल के बाद जम्मू कश्मीर में यात्रा अपनी उद्देश्यों में सार्थक रही? यह यात्रा वास्तव में केरल और जम्मू के बाद सार्थक कहलाई। जम्मू के ऊपर बनिहाल अनंतनाग जैसे डिस्टर्ब ऐरिया में यात्रा को लोगों का व्यापक प्यार और समर्थन मिला।

5. गांव तो आप गये नहीं फिर यात्रा कैसी पूरी हो गई? 

यह तो पहली यात्रा थी कोशिश थी लोगों तक पहुंचने की। रूट में आने वाली बाधाओं व सुरक्षात्मक कारणों को हल करते हुवे यात्रा आगे बढ़ी। मध्यप्रदेश का रूट बदला। उसके बाद यात्रा अपने गणतव्य तक पहुंंची। राहुल गांधी जी ने हमें अपने राज्यों और वहां के क्षेत्रों में भी इस यात्रा की लौ को गांव - गांव तक पहुंचाने की नसीहत दी है। 

6. क्या लगता है देश में अमन और चैन पहुंच पाएगी? 

बिल्कुल,  20 दिन चलने के बाद केरल में यह लगने लगा कि यह राजनीतिक यात्रा बिल्कुल भी नहीं है। जब देश में साम्प्रदायिकता फैली हुई है, अमन चैन नहीं है, मंहगाई, देश को विभाजित करने वाले आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए कांग्रेस नेताओं के साथ लाखों लोग आंदोलन में शामिल हुए हैं। यह यात्रा बड़े पैमाने पर बेरोजग़ारी, महंगाई, नफरत, विभाजन की राजनीति और हमारी राजनीतिक व्यवस्था के अति-केंद्रीकरण के खिलाफ जन-जागरण का काम कर यात्रा वाकई सार्थक रही। हम याद कर रहे थे कि स्वतंत्रता के समय जब कांग्रेस पार्टी ने अपना कार्य किया था उस अधूरे कार्य को पूरा करने में कुछ कदम हमने चला। हमने पार्टी से ऊपर उठकर देश की बदहाली पर ध्यान केन्द्रित किया है। लोगों का प्यार मिला अब देखना बाकी है कि इसका प्रभाव कहां तक रहता है। 

 

7. आपको नहीं लगता कि कांग्रेस अब खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है या कहे यात्रा डैमेज कंट्रोल तो नहीं थी? 

पहली बात यह कि कांग्रेस क्या कोई पार्टी खत्म नहीं होती है। पार्टियों में उतार चढ़ाव आते रहती है और मैंने जैसे देखा इस ऐतिहासिक आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए सभी वर्गों के लोग एक साथ आ रहे थे। यह भारत की एकता, सांस्कृतिक विविधता और भारत वासियों के अविश्वसनीय धैर्य का उत्सव है। हर दिन जिस नये स्टेट में गये तो कहीं बहुत धूप, तो कहीं पानी नहीं मिल रहा था, कश्मीर में इतनी बर्फ, लैंड स्लाइडिंग हमको रोका गया, बाथरूम भी जाना है तो माइनस थ्री डिग्री में कन्टेनर से उतर कर बर्फवाले जूते पहनकर जाना है। आध्यात्मिक यह कि आंतरिक संघर्ष के गुत्थियों को सुलझाने का मौका मिला। हां आपके उस बात से वास्ता कि यह डैमेज कंट्रोल तो थी ही। फिर अन्य कांग्रेसविहीन राज्यों में वहां के कार्यकर्ताओं में जान आई है, लोगों के भीड़ का उमड़ आना और राहुल गांधी से मिलना लगता था कि कांग्रेस आज भी चलायमान है। हां इस यात्रा से नि:संदेह कांग्रेस मजबूत हुई है। 

8. कांग्रेस ने दलितों का अपमान किया, आंबेडकर को बाहर का रास्ता दिखाया, पूणा पैक्ट ने दलितों केअधिकारों को कुचला, वह कभी बाबा साहेब और जगजीवन को नेहरू से ऊंचा नहीं समझा, कभी दलितों को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष नहीं बनाया? ऐसे में आप कांगेस को लेकर इतनी समर्पित क्यों? 

मैंने जो देखा कि धर्म से ऊपर संविधान होना चाहिए। जबतक संविधान से देश शासित होता रहा था सब अच्छा चल रहा था, लेकिन जबसे केन्द्र में भाजपा आई देश का माहौल और लोकतंत्र किसी ना किसी रूप में बिगडऩे लगा है। मुझे कभी नहीं लगा कि कांग्रेस ने दलितों के अधिकारों को कुचला है। वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यक्ष भी दलित समुदाय से हैं। इतिहास में किन परिस्थितियों में क्या कुछ हुआ है उसका मेरे पास कोई जवाब नहीं है। वर्तमान में कांग्रेस में मेरा झुकाव इसलिए है कि कांग्रेस संविधान पर चलती है। भाजपा में आरएसएस हावी है जो हिन्दु कट्टरता को लगातार बढ़ावा दे रही है। ये सारे चीजें कांग्रेस में नहीं है। मुख्यत: संविधान के कारण मेरा झुकाव कांग्रेस से है। 

9. डॉ. आंबेडकर को आजादी के बाद 1952 के चुनाव में अनुसूचित जाति संघ के टिकट पर उत्तरी मुंबई से चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी नारायण काजोलोलर ने हराया था? बाबासाहेब साल 1954 के भंडारा लोकसभा में हारे? क्या लगता है दलितों और बाबासाहेब के विचारों को कांगेस तवज्जों देती है? 

देश में दो ही बड़ी पार्टी है और मुझे लगता है कि कांग्रेस और भाजपा में लोकतंत्र को कौन तवज्जों दे वह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। हमें अपने अधिकारों को सेक्यूलर करने के लिये किसी पार्टी को सहयोग करना चाहिए तो वह है कांग्रेस क्योंकि वह संविधान और हमारे अधिकारों को सुरक्षित रखने में सक्षम है और कोई पार्टी मेरे नजर में अब तक तो नहीं है। हमारे दलित समुदाय को भी इस राजनीतिक पार्टी की ओर चले आना चाहिए।

10. भारत यात्रा के बाद अब देश की राजनीति में क्या बदलाव होना दिखता है? कांगेस में ईव्हीएम को लेकर ठोस विरोध नहीं दिखता है? 

देखिये मैं खुद ही इस यात्रा को राजनीतिक यात्रा के रूप में नहीं देख पाई हूं। राजनीतिक फायदा के संबंध में मीडिया वाले कह रहे हैं मैं नहीं। यह जरूर है कि जिन राज्यों में चुनाव है जैसे कर्नाटका वैगरह वहां इस यात्रा का प्रभाव तो रहेगा ही और यह निश्चित तौर पर वोटों में तब्दील भी होगा। और हां मैं यह बिल्कुल जल्दबाजी में नहीं कह सकती कि हम सत्ता में आ जाएंगे लेकिन कुछ तो बदलाव निश्चित ही आएगा। जहां तक ईव्हीएम का सवाल है कांग्रेस ईव्हीएम के विरोध में हैं, लोगों को सडक़ों पर उतरना होगा। राहुल जी कहते हैं कि चुनाव बैलेट पेपर से हो ना कि ईव्हीएम से। 

11. इस यात्रा के बाद क्या लगता है आपको विधायक या सांसद की दिशा में जाने को आसानी होगी? 

मेरी यह इंटेन्शिव कतई नहीं है कि मैं विधानसभा और लोकसभा के लिये इस यात्रा से जुड़ी। मुझे लगा कि पार्टी आलाकमान ने एक काम दे दिया है उसे मुझे सिद्दत से सिर्फ पांच महीने उस काम को पूरा करने के लिये चलना है। मैंने राजनीति को कुछ और सोच कर अपने पास रिजर्व रखा है। मेरे लिये यह कोई अंतिम गोल नहीं है लोकसभा विधानसभा, हाल फिलहाल में अंदर से इस सवाल के जवाब के लिये तैयार नहीं हूं कि मुझे चुनाव लडऩा है। हां कांग्रेस के संगठन के लिये कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते रहेंगे। 

12. कांग्रेस, उसकी विचारधारा, नेतृत्व को लेकर आपके मन में क्या कौंधता है? क्या एससी, एसटी, ओबीसी को कांग्रेस-भाजपा में अपनी मुक्ति देखनी चाहिए? 

विचारधारा का मतलब सुख शांति चाहिए और सबको न्याय मिले। अब तो माहौल है कि कहीं हिन्दू मुसलमानों के बीच और दलितों हिन्दू के खिलाफ खड़े ना हो जाये। जो दहशत का माहौल है जैसे कहीं हम गये हैं, हम अमन शांति का भारत चाहते हैं और उसकी सुरक्षा हमें मिलनी चाहिए। दलितों के लिये काम करना है लेकिन कांग्रेस के साथ रहकर काम करना है। अर्थात कांग्रेस की विचारधारा को ही आप मेरी विचारधारा समझ सकते हैं और इस विचार की पार्टी को कांग्रेस कहा जा सकता है। 

 

13. आपका धर्म क्या है? आप किस राजनीतिक विचाारधारा को अंगीकार करती है? इन सबके बीच अपने सोशल स्टेटस को कैसे बनाए रखती है? इन तीनों के अलावा आप क्या सोचती है कि धर्म, जाति, सम्प्रदाय, घृणा के ऊपर लोकतंत्र को कैसे हम स्थापित कर पाएंगे? 

धर्म.....?  मैं किसी स्टेटस के लिये काम नहीं करती हूं। मैंने पूरे कश्मीर को ठिठुरते हुवे देखा है, पूरा देश भूखमरी के कगार पर खड़ा है। मैं इस बदहाल देश की यात्रा के बाद कैसे कहूं कि मैंने स्टेटस एचीव कर ली है। और तो और उन सैनिकों के लिये जो वर्षों से बर्फबारी के बीच हमारे सुरक्षा कर रहे हैं और मैं कैसे कहूं कि मैंने महान काम कर दिया है। अब दुख होता है कि मेरा भारत कहां खड़ा है? जब घरों में उन सैनिकों की अर्थी जाती होगी तो वह भारत कैसा महसूस करता होगा? कश्मीर में हमने व्यापक लोगों से मुलाकात की, वहां की परिस्थितियों को जानने के बाद हमारी पुरानी धारना बदल गई। कश्मीर के बारे में जितना कहा जाता है वहां उससे ज्यादा दमन व्याप्त है। कश्मीरियों ने बताया संविधान में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद काफी परेशानियों के बीच दिन काट रहे हैं, 6 महीने कफ्र्यू उसके बाद कोरोना ने हमें बदहाल कर दिया है। आए दिन पत्थरबाजी और गालीबारी ऐसा कश्मीर वहां के लोग नहीं पसंद करते हैं। कश्मीर को लेकर बाहर अलग माहौल है जबकि कश्मीर अपने बारे में कुछ और कहानी कहती नजर आती है। इस भारत के बाद स्टेटस? 

14. 84 के दंगे के लिये कांग्रेस ही जिम्मेदार हैं? डंकल और गैट की संधि, निजीकरण और अन्य जनविरोधी नीतियों के लिये कौन जिम्मेदार है? अयोध्या में मंदिर का पट खोलना और वहां रामलला की मूर्ति की स्थापना? कश्मीर की आत्मनिर्णय जैसे अधिकार की समस्याओं के लिये क्या कांग्रेस की जवाबदेही नहीं है? 

मेरा मानना है कि जब तक कांग्रेस शासन में थी तो देश अच्छा ही चल रहा था। ऐसी तमाम स्थितियां कांग्रेस के दौर में नहीं थी। आपके द्वारा पूछे सवालों से वास्ता तो नहीं रखती हां कांग्रेस आज की स्थिति के लिये बिल्कुल भी जिम्मेदार नहीं है।  कांग्रेस ने सारे नफरत के फसल बोये हैं, इससे मैं बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं। 

15. भूखमरी, बेकारी, घृणा, जातिवाद, उत्पीडऩ, पितृसत्ता के बीच आपको क्या लगता है कि लोकतंत्र की स्थापना कैसे होगी, कोई विजन हो तो बताएं? 

हां कांग्रेस और उनकी नेतृत्व से मुझे काफी सारी उम्मीदें हैं कि वही कुछ कर पाएगी। हां आज देश में लोकतंत्र और संविधान का राज नहीं है वह होनी चाहिए। हां अगर भाजपा इस देश में रहेगी तो कबाड़ा कर के दम लेगी। 

16. वर्तमान में चल रही राजनीतिक और विशेषकर बस्तर में युद्ध जैसे माहौल के लिये आपने इस यात्रा के दौरान किसी से या किसी ने आपसे कोई बातचीत की? 

हां यह राष्ट्रीय सवाल है कि बस्तर और छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद है और इसे लोगों के बीच स्पष्ट करना होता था कि नहीं इसके परे भी छत्तीसगढ़ है। बताना पड़ता था कि राजनांदगांव - मोहला में नक्सलवाद नहीं है। दूर बस्तर, दंतेवाड़ा और बचेली में हमने सांस्कृतिक कार्यक्रम दिया है वहां भी कभी दिक्कतें नहीं आई है। शहरी खासकर प्लेन एरिया में ऐसा कुछ भी नहीं है। भूपेश सरकार की विकास कार्यों पर बात होती रही है। उनके द्वारा नरवा गरवा घुरवा बाड़ी, राम वन गमन पथ, माघी पुन्नी मेला, गांवों में रामचरित्र मानस गायन प्रतियोगिता व अन्य योजनाओं पर बातचीत होती थी। और तो और राहुल गांधी तथा अन्य नेताओं के साथ राजनीतिक चर्चाओं के अलावा व्यक्तिगत बात यह कि आप दाड़ी क्यों नहीं कटवात?, स्वेटर क्यों नहीं पहनते? इन सबके बाद परिवार की याद सबको आती थी। 

17. हरियाणा के पास मनदीप पुनिया ने राहुल गांधी से सवाल किया कि -छत्तीसगढ़ में सोनी सारी अपने घर में अंधेरे में बैठी हुई है और वहां किसी आदिवासी का इनकाउंटर हो जाये तो क्या कांग्रेस ऐसा भारत चाहती है? 

इस सवाल के बारे में हम सभी जानते हैं कि राहुल जी ने कहा कि मैं व्यक्तिगत वहां जाऊंगा और उन समस्याओं को अगर हो तो समाधान करूंगा। अगर ऐसी समस्या है तो मैं मुख्यमंत्री से बातचीत कर इसका समाधान निकालूंगा। आपको बता दूं उस सवाल में एमएसपी का सवाल भी उन्होंने उठाया था, जिसके जवाब में राहुल जी ने कमेटी का गठन कर न्यायोचित समाधान का रास्ता सुझाया था। 


हिमानी वासनिक हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय, रायपुर से विधि में स्नातक हैं और लोक गायिका के रूप में चर्चित हैं तथा वर्तमान में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में निवासरत हैं। 


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