प्रख्यात समालोचक सियाराम शर्मा छत्तीसगढ़ से ‘साहित्य अकादमी’ के सदस्य बनाये गये

द कोरस टीम

 

समालोचना से देश में अलग पहचान बनाने वाले भिलाई के डॉ. शर्मा को भारत सरकार के सबसे बड़े स्वायत्तशासी साहित्यिक संस्थान ‘साहित्य अकादमी’ का सदस्य बनाया गया है। इससे भिलाई सहित पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में कला साहित्य बिरदारी में हर्ष का माहौल है।

रचनाकर्मियों ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा है कि साहित्य अकादमी में उनकी धमक नये प्रतिरोधत्मक आलोचना और हाशिये के साहित्य को देश में तवज्जो मिलेगी। छत्तीसगढ़ राज्य के प्रदेश प्रतिनिधि के रूप में राज्य से दो वरिष्ठ साहित्यकारों को राज्य शासन की अनुशंसा पर साहित्य अकादमी का सदस्य बनाया गया है।

भिलाई के आलोचक डॉ. शर्मा के अलावा विश्वविद्यालयों के प्रतिनधि के रूप में पं. रविशंकर शुक्ल विवि रायपुर के कुलपति डॉ. केशरीलाल वर्मा का चयन अकादमी ने किया है। जन संस्कृति मंच भिलाई के संस्थापकों में से एक शर्मा शासकीय दानवीर तुलाराम महाविद्यालय उतर्ई में हिन्दी के प्राध्यापक के साथ वर्तमान समय में आलोचनात्मक व्याख्यान के लिये जाने जाते हैं।

वे बदलावकारी आलोनचना के साथ विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक मसलों में दखल रखते हैं। इस प्रकार उनकी दखल तारीफेकाबिल है। छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष रवि श्रीवास्तव ने डॉ. शर्मा को अकादमी का सदस्य बनाए जाने को प्रदेश का गौरव बताते हुए कहा कि इसका लाभ राज्य के रचनाकारों को मिलेगा। छत्तीसगढ़  प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष लोकबाबू ने कहा कि डॉ. शर्मा प्रसिद्ध आलोचक हैं।

उन्हें व डॉ. वर्मा को प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी का सदस्य मनोनीत किये जाने से यहां के युवा साहित्यकारों को प्रकाशन में मदद मिलेगी। हाल ही में शर्मा ने लोकबाबू की पुस्तक ‘बस्तर बस्तर’ पर अपनी आलोचनात्मक समीक्षा रखी है। जसम भिलाई के अध्यक्ष कैलाश बनवासी ने आगे कहा है कि डॉ. शर्मा का यह गौरव शहर के साहित्यिक बिरादरी के लिए खुशी की बात है।

प्रलेस भिलाई के अध्यक्ष परमेश्वर वैष्णव ने कहा कि डॉ. शर्मा का साहित्य अकादमी का सदस्य बनना उनके साथ साहित्यकारों के लिए भी गौरव का विषय है। डुमरा पटना की पैदायशी सियाराम शर्मा वर्तमान में इस्पात नगर भिलाई में निवासरत हैं।

उन्होंने देश की ख्यातिमान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल की है। उन्होंने 1994 में  ‘कमिटेड आर्टिस्ट ग्रुप’ की नींव रख कर भिलाई में साहित्यिक गतिविधियों की शुरूआत की है। उस दौरान जनसरोकार के मुद्दे पर भिलाई पावर हाऊस में ओवर ब्रिज के निर्माण के चलते उजाड़ दिये गये छोटे दुकानदारों के विस्थापन को लेकर ख्यात बुद्धिजीवियों के साथ फैक्ट फाइंडिंग भी की थी।

उनकी दो पुस्तकें ‘कविता का तीसरा संसार’ तथा समाजवाद का संकट और माक्र्सवाद’ खासा चर्चा में रहा है। इन दिनों वे ‘लोकतंत्र में विचारों की कमी और विचारकों की हत्याएं’ और ‘यह किसानों के अस्तित्व का संघर्ष है’ जैसी विचारधारात्मक रचनाकर्म के लिये चर्चा में हैं। उन्होंने नई कविताओं में शोध कार्य किया है। उन्होंने इसके अलावा कई छोटी छोटी पुस्तकों की रचना की है।

विभिन्न विषयों पर पुस्तकों की समीक्षा की है। उनका लेखकीय कार्य अथाह है। छत्तीसगढ़ में उनकी लाइब्रेरी सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी में से एक कहा जाता है जहां साहित्य का भंडार है। आलोचक, कवि, लेखक, व्याख्याता, वक्ता डॉ. सियाराम शर्मा के साथ अकादमी ने 31 लोगों को पूरे देश भर से सदस्य बनाया है। 


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