भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस ने लगाई एपीआई में सेंध, एपीआई मांगेगी अपने प्रत्याशी के समर्थन में वोट
भानुप्रतापपुर उपचुनाव 2022
द कोरस टीमविधान सभा उपचुनाव भानुप्रतापपुर में चुनाव की सरगर्मियों के साथ आम्बेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया (एपीआई) का आरोप है कि उम्मीदवारों को साम - दाम - दंड - भेद की नीतियों के साथ अपने पक्ष में बैठाने के साथ अपने साथ चुनाव प्रचार की रणनीति में शामिल करने प्रदेश की कांग्रेस पार्टी ने एपीआई में सेंध लगाई है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अर्जुन सिंह ठाकुर, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रूकधर पुड़ो, निर्वाचन अभिकर्ता सियाराम जाड़े ने कांग्रेस पार्टी पर अपने प्रत्याशी शिवलाल पुड़ो को गायब कर प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाकर कांगेस को घेरने की कोशिश की है। ऐसा पहली बार इस चुनाव में देखने को मिल रहा है कि जब भी किसी विरोधी पार्टी के प्रत्याशी के दबाव के बाद दलबदल करने की बात आई तो पार्टी चुप बैठ गई लेकिन एपीआई पार्टी इस चुनाव में अपने प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार प्रसार भी करेगी और विधान सभा में पहुंचने के लिये मतदाताओं से वोट भी मांगेगी।

विधान सभा उपचुनावों में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी लगातार जीत दर्ज करते आ रही है। भानुप्रतापपुर कांग्रेस की ही सीट थी। पिछले महीने विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी के अचानक निधन से रिक्त सीट पर कांग्रेस ने उनकी पत्नी सावित्री मंडावी को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस यहां सहानुभूति की लहर पर सवार है।
एपीआई के पदाधिकारियों ने भानुप्रतापपुर विधान सभा क्षेत्र 80 उपचुनाव 2022 में प्रत्याशी के रूप में शिवलाल पुड़ो आत्मज धरमसिंह पुड़ो, निवासी ग्राम पिड़चोड़, पोस्ट व थाना लोहत्तर, जिला उत्तर बस्तर कांकेर को अपना उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया है।बताया जा रहा है कि 23 नवम्बर 2022 को प्रत्याशी पुड़ो अपरिहार्य कारणों से रायगढ़ गये हुवे थे, उसी समय कांग्रेस के लोगों ने उन्हें उनके मोबाइल फोन से ट्रेस कर अगुआ कर लिया और उसके द्वारा चलाये जा रही एनजीओ को लेकर सौदेबाजी की गई तथा भय और दबाव के साथ उन्हें कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रसार करने सहमत करवा कर अपने साथ शामिल कर लिया है।
आम्बेडकराईट पार्टी ने पुलिस को दिया सूचना
आम्बेडकराईट पार्टी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी, आब्जर्वर तथा स्थानीय थाना लोहत्तर में सूचना और एफआईआर दर्ज करने वाली आवेदन में कहा है कि उन्हें उनके घर से कांग्रेस के पदाधिकारियों गिरीश देवांगन (खनिज विकास निगम), अनुप नाग (विधायक अंतागढ़), हेमन्त ध्रुव (अध्यक्ष जिला पंचायत कांकेर) एवं अन्य कार्यकर्ताओं के द्वारा उनके घर से उठा लिया गया है। बताया गया है कि सम्पर्क करने पर, सम्पर्क नहीं हो सका इस वजह से उनका लोकेशन पता नहीं चल पाया। थाने को लिखे पत्र में कांग्रेस के कब्जे से मुक्त करने की बात कर वर्तमान चुनाव में प्रचार प्रसार का काम करने की बात उठाई गई है।
एपीआई के आरोप यहीं नहीं थमते हैं उनका कहना है इससे पूर्व भी कई चुनावों में कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों द्वारा प्रत्याशियों को खरीद परोख्त कर अपने पक्ष में करने का प्रयास किया गया था, ऐसे ही शिवलाल पुड़ो जो हमारा प्रत्याशी था उन्हें भी डरा धमकाकर अपने पक्ष में करने का प्रयास किया गया जो लोकतंत्र में आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन है।
एपीआई का कहना है कि कांग्रेस की नीति रही है कि जो भी उम्मीदवार या उनके विरोधी पार्टी उनके मुकाबले में आजतक मजबूत नजर आये हैं, उसको साम-दाम-दण्ड-भेद की नीति अपनाकर अपने पक्ष में करने का प्रयास किया जा रहा है।
अंतागढ़ उपचुनाव का दोहराव तो नहीं
भाजपा भानुप्रतापपुर उपचुनाव में विगत 2014 के अंतागढ़ उपचुनाव में भी कांग्रेस की तरह भाजपा ने सारे प्रत्याशियों को उठा लिया था और अब एपीआई के प्रत्याशी को अपने साथ लेकर अंतागढ़ उपचुनाव का बदला भाजपा से लेना चाहती है, लेकिन उसका दांव छोटी छोटी पार्टियों पर जोर आजमाइश के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस नेताओं ने अनाचार के आरोप को अस्त्र बनाकर भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम का नामंकन रद्द करवाना चाहते थे, पर ऐसा हो नहीं सका। अब वह सर्व आदिवासी समाज द्वारा पूरे विधानसभा में आदिवासियों को अपने प्रत्याशी को जिताने शपथ दिलवाने को लेकर चिंतित हैं। गौरतलब है कि 2014 में अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी मंतूराम पवार ने नामांकन से एक दिन पहले चुनाव मैदान से बाहर होकर भाजपा को वाकओवर दे दिया था।
बागी प्रत्याशी शिवलाल पुड़ो का कथन
इस संबंध में द कोरस मीडिया हाउस से आम्बेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया के प्रत्याशी शिवलाल पुड़ो ने कहा कि मैंने पूर्व में अपना निजी विचार रखा था कि विधान सभा चुनाव लड़ना यानी टीम चाहिए और यहां लोगों की सक्रियता नहीं देखा। मैं इसलिए भी कहना चाहता हूं कि गरिमा को देखते हुवे विचार किया कि जीजा का एक्सपावर हुआ और दीदी को स्पोर्ट करने के लिये स्वयं निर्णय लेकर यह काम किया है। मेरी पार्टी एपीआई ने वर्तमान चुनाव में अपनी स्थिति को लेकर कोई भी जानकारी नहीं दी। मैंने पहले भी चुनाव लड़ने से मना किया था।
तमाम लगाये गये आरोपों के संबंध में पुड़ो का कहना है कि रायगढ़ जाते समय कांंग्रेस के द्वारा उठाना गलत आरोप है। एक एनजीओ भी है और उत्तर बस्तर फार्मा प्रोड्यूसर लिमिटेड नाम से कंपनी भी है जिसमें एपीआई के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रूकधर पुड़ो भी शामिल हैं। मेरा भी एक युवा छबि है और एपीआई की टीम भी साथ नहीं दिया।
एनजीओ को बचाने ऐसे कोई भी काम नहीं किया, कोई दबाव नहीं, मैंने कांग्रेस को खुद होकर ढूंढा है और उनको समर्थन किया है। मैंने पूर्व पार्टी के लोगों से हर दिन बात करता हूं। कोंडागांव, कांकेर, केसकाल की टीम से बात कर रहा हूं। वे अलग अलग नंबर से फोन करके मुझे प्रताड़ित कर रहे हैं। फिर से कह रहा हूं कि मुझ पर कोई दबाव नहीं वे लोग अब जो कर रहे हैं पहले सक्रिय होते तो ऐसा नहीं होता। सवाल है कि चुनाव लड़ रहा हूं और लोगों से ही जुड़ नहीं पाऊंगा तो क्या मतलब है। सुरक्षा हेतु लोग रात में आये हुवे थे लेकिन मेरे पास ब्लैक बेल्ट की टीम है जो मेरी सुरक्षा के लिये काफी है। रायगढ़ गया वह तय है। और मेरे ऊपर किसी प्रकार का भय और दबाव नहीं बनाया गया है।
विधायक आये डिफेंस में
अंतागढ़ विधायक अनूप नाग ने इस पूरे मामले में द कोरस को बताया कि बताये गये सारे दबाव आरोप असत्य और बेबुनियाद हैं। मेरा उस प्रत्याशी के साथ का फोटो जो वायरल हो रहा है वह सही है साथ में जिला पंचायत के हेमंत ध्रुव भी हैं। वह स्वयं आकर हमसे सम्पर्क किया। स्वर्गीय मनोज मंडावी और उनकी पत्नी से मेरा रिश्तेदारी है और ऐसी स्थिति में मेरा चुनाव लड़ना उचित नहीं है। और कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करना चाहता हूं, और उनके द्वारा इच्छा जाहिर करने पर ही हमने उन्हें कांग्रेस पार्टी में शामिल किया है। रायगढ़ की कहानी सरासर बेबुनियाद और असत्य है।
और आप शिवलाल से बात कर लीजिये, वह घूम रहा है। और यह पूछे जाने पर कि क्या प्रत्याशी शिवलाल पुड़ो को खरीदा गया, इस बात को आप समझने की कोशिश करें कहा। नाग ने आगे कहा कि - हां कांग्रेस में स्वागत किया है और जो हमारे साथ आएंगे सम्मान तो देना पड़ेगा और उसने इस दुख के समय में मैं खुद प्रचार करूंगा, कहा है। उन्होंने नाम वापसी के बाद प्रत्याशी को अन्य पार्टी में लेने के सवाल पर कहा है कि हमारा देश स्वतंत्र है। भारत में लोग आजाद रह रहे हैं। आदिवासी समाज शपथ दिला ले रहे हैं कि आदिवासी प्रत्याशी को वोट नहीं दिया तो 5-5 हजार का जुर्माना लगेगा। क्या यह गलत नहीं है? अगर कोई व्यक्ति स्वतंत्र रूप से आकर हमसे जुड़ने की बात करता है तो क्या हम उसे दुत्कार दें?
एपीआई ने लगाये गंभीर आरोप
एपीआई के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि देश की इन बड़े पार्टियों को देश की शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, महंगाई एवं विभिन्न समस्याओं से सरोकार न रखते हुवे हिन्दु मुस्लिम की समस्या पैदा कर देश को गर्त में ले जाने का काम करना है। आज वर्तमान स्थिति में इस अनुसूचित क्षेत्र भानुप्रतापपुर में और पूरे छत्तीसगढ़ में पेसा कानून का सही क्रियान्वयन न कर एवं साथ ही उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा दिये गये निर्णय के संविधानिक प्रावधानों के तहत समस्या का समाधान न कर एक नीतिगत आम्बेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया जो एक अनुपम नीतिगत व सुजान पार्टी है, की मजबूती को देखकर इसके प्रत्याशी को खरीद परोख्त कर क्षेत्र के मतदाताओें को गुमराह करने का प्रयास किया गया है।
बिना प्रत्याशी के आम्बेडकराईट पार्टी लड़ेगी चुनाव
इस चुनाव में बिना प्रत्याशी के चुनाव लड़ने प्रयोग किया जाएगा और इस चुनाव में यह भी पहली बार प्रयोग में आएगा कि आम्बेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया के प्रत्याशी शिवलाल पुड़ो द्वारा कांग्रेस में शामिल होने के निर्णय के बाद एपीआई अपनी पार्टी के नेता विजय मानकर के निर्देश एवं पार्टी नीति को पालन करते हुवे मतदाताओं के पास जाएगी और मतदाताओं से अपील करेगी कि कांग्रेस-भाजपा जैसी अनैतिक और अलोकतांत्रिक व्यवस्था के पोषक पार्टियों को जो पूंजीपतियों, जातिवादियों से घिरे संगठनों व पार्टियों को बहिष्कृत कर आम्बेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया के प्रत्याशी को भारी मतों से जिताये तथा चुनकर विधान सभा में भेजे। पार्टी के मुखियाओं का कहना है कि कोई पार्टी व्यक्तिगत कामकाज तथा लाभ इत्यादी पर नहीं चलती बल्कि वह मुख्यत: पार्टी की विचारधारा और नीतियों पर चलती है।
क्या कहते हैं लोग
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि एपीआई के प्रत्याशी का कांग्रेस प्रवेश उनके ही भीतर के लोगों का फूट है। इससे पहले भी उनके मुख्य पदाधिकारियों ने जिला पंचायत चुनाव में व्यक्तिगत कामकाज को बढ़ाया देते हुवे निर्दलीय चुनाव लड़ाया था। बहरहाल सभी अपनी हैसियत के अनुसार पार्टी के कामकाज के आड़ में कुछ ना कुछ लाभ तो चाहते ही हैं। आगे देखना यह बाकी है कि भारत जोड़ो यात्रा में और भी लोग कहां कहां कैसे कैसे जुड़ते चले जाते हैं।
चुनावी विश्लेषण
बहरहाल इन आरोपों के साथ चलकर छत्तीसगढ़ में भानुप्रतापपुर विधान सभा उपचुनाव में हार जीत से ज्यादा मार्जिन का मायने होगा। लीड से 2023 के विधानसभा चुनाव का संकेत साफ दिखाई देता है। चुनावी विश्लेषणों में कहा जाता है कि जिस पार्टी ने बस्तर जीता, प्रदेश में उसकी ही सरकार बनती है। कांग्रेस और भाजपा इस उपचुनाव को सेमीफाइनल मान कर काम कर रहे हैं, तो सर्वआदिवासी समाज राज्य में आदिवासियों की ताकत का अहसास कराना चाहता है और तरह तरह के फरमान जारी कर रहे हैं। चुनाव में वे भी ताल ठोंक रहे है, पर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही होने के आसार हैं।
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