छत्तीसगढ़ी गायिका लता खापर्डे के निधन से कला जगत को अपूरणीय क्षति
8 साल की उम्र में चदैनी गोंदा में बाल कलाकार के रूप में सामिल हुई
सुशान्त कुमारछत्तीसगढ़ी गीतों की गायिका लता खापर्डे ने 6-7 वर्ष के उम्र से ही रामचंद्र देशमुख के चन्दैनी गोंदा से बाल कलाकार के रूप में अपने जीवन के कॅरियर की शुरूआत की थीं।। वे मूलत: थिएटर आर्टिस्ट थीं। लता खापर्डे ने आकाशवाणी रायपुर के लिए भी गीत गाये हैं। 1988 में उन्होंने रामेश्वर वैष्णव के साथ लोक संस्कृति मंच 'गोदना' की स्थापना की और उसमें आखिर तक सक्रिय रहीं। 'गोदना' संगीत नाट्य अकादमी दिल्ली से मान्यता प्राप्त थिएटर ग्रुप है। उनकी इच्छा थी कि छत्तीसगढ़ में भी नाट्य अकादमी की स्थापना हो ताकि स्थानीय कलाकारों को काम मिल सके।

उनके सुपरिचित गीत है - लागे रइथे दिवाना, तोरो बर मोरो मया, लागे रइथे... जतन करव धरती के संगी जतन करव रे... जंगल जंगल झाड़ी झाड़ी खोजेंव सावरिया... आजा-बे हीरा मोर जोहथों रद्दा तोर... सुन संगवारी मोर मितान, देश के धारन तहीं परान... मोर धनी गे हे परदेश... आटोला खटोला डूमर खोला... गा के ददरिया सुना... बांस डोंगरी म जाबो... बलम तोर बोली जादू के गोली...बिजुरी चमके कस राजा... लागत हे मतासी मोला... छूट जाहि रे परान...
8 साल की उम्र में चदैनी गोंदा में बाल कलाकार के रूप में सामिल हुई
बाद में खुमनलाल साव के साथ चंदैनी गोंदा में नृत्य एवं गायन लंबे समय तक की थीं। चंदैनी गोंदा के बाद हबीब तनवीर की नया थियेटर भोपाल के साथ 1999 से हबीब साहब के साथ अनेकों नाटक में गायन एवं नृत्य के माध्यम से कश्मीर से कन्याकुमारी तक कार्यक्रम किया था। इसी दौरान नाटक 'सपना' के लिए जर्मनी एवम रूस की यात्रा किए।
संस्कृति विभाग दिल्ली के तरफ से छत्तीसगढ़ी विवाह गीत पर सीनियर फेलोशिप मिला। लता खापर्डे आकाशवाणी रायपुर से बी-हाई ग्रेड कलाकार है, इनको बिलासपुर से बिलासा सम्मान से सम्मानित किया गया था। अमीर खान प्रोडक्शन फिल्म पीपली लाइफ में भी काम किया है।
माणिक कॉल निर्देशित फिल्म 'नौकर की कमीज' में भाभी की किरदार में अभिनय किया है। लता खापर्डे बचपन से गरीबी के कारण मुश्किल से बारहवी की शिक्षा ग्रहण की।
उनका जन्म राजनांदगांव के भरकापारा में हुआ है अपनी संस्था गोदना के माध्यम से छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यो में भी कार्यक्रम की प्रस्तुति की मृत्यु से 1 दिन पहले 2 गानों की रिकॉर्डिंग करकेआई थी।
लता खापर्डे नृत्य गायन एवं अभिनय की उमदा कलाकार थी लेकिन इनका जीवन संघर्ष एवम गरीबी में बीता।
खाद्य और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध लोक कलाकार लता खापर्डे के निधन पर गहरा दुखः व्यक्त किया है।
भगत ने मृतक के शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
संस्कृति मंत्री भगत ने कहा कि लता खापर्डे ने 6-7 वर्ष के उम्र से ही रामचंद्र देशमुख के चन्दैनी गोंदा से बाल कलाकार के रूप में अपने जीवन के कॅरियर की शुरूआत की थीं।
इसके बाद वे खुमान लाल साव के चन्दैनी गोंदा में गायन और अभिनय किया था।
उन्होंने हबीब तनवीर के नया थियेटर के माध्यम से जर्मनी और रूस में छत्तीसगढ़ लोक कला को पहुंचाने का कार्य किया। फिल्म पीपली लाईव में उन्होंने अपने सशक्त अभिनय का लोहा मनवाया।
लता खापर्डे छत्तीसगढ़ी गीतों की सुप्रसिद्ध गायिका रही हैं और गोदना सांस्कृतिक मंच से जुड़ी रहीं।
लता खापर्डे के आकस्मिक निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से कामना की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लता ने छत्तीसगढ़ी बोली और लोक संगीत के उत्थान के लिए जो किया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
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