एक षड्यंत्र के तहत आदिवासियों को हिन्दू बनाया  जा रहा है

विशद कुमार,  स्वतंत्र पत्रकार

 

और जो यह नहीं मानते हैं, उनके जनजाति का लाभ खत्म हो। देवेंद्र नाथ चंपिया ने इस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी से सवाल किया है कि जब 11 नवंबर 2020 को झारखंड विधानसभा से आदिवासियों के लिए सरना आदिवासी धर्म कोड सर्व सम्मति से पारित किया गया,  उस वक्त बाबूलाल मरांडी कहां थे? 

उन्होंने कहा कि जब आदिवासी जन्म से ही हिंदू हैं, तो यह बात भाजपा विधायक दल के नेता होने के नाते उन्हें उसी वक्त सदन में उठाना चाहिए था और इस बिल का विरोध करना चाहिए था।

उन्हें सदन मे  कहना चाहिए था कि आदिवासी हिन्दू हैं, इन्हें सरना आदिवासी धर्म कोड नहीं मिलना चाहिए, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, बल्कि  भाजपा ने भी सरना आदिवासी धर्म कोड  बिल का समर्थन किया।

अब जबकि झारखड विधानसभा से सरना आदिवासी धर्म कोड सर्वसम्मति से पारित हो गया, उसके बाद इस प्रकार के बेतुके बयान देकर बाबूलाल आदिवासी समाज को दिग्भर्मित करने का काम कर रहे हैं।

चंपिया ने सवाल किया है कि क्या बाबूलाल मरांडी खुद को सदन से ऊपर मानते हैं?

जो सदन के बाहर इस प्रकार के अनर्गल बयान दे रहे हैं। देवेंद्र नाथ चंपिया ने कहा कि आदिवासी कभी भी हिंदू नहीं थे, न हैं और न रहेंगे।

क्योंकि आदिवासी हिंदू वर्ण व्यवस्था के तहत नहीं आते हैं

यह बात विभिन्न न्यायालयों के निर्णय, भारतीय संविधान, आदिवासी संस्कृति, बोली भाषा, देवी देवता संबंधी मान्यता, पूजा पद्धति, परंपरा, रीति रिवाज, पुरातात्विक शोध, मानव वंश शास्त्र, शरीर रचना विज्ञान, नस्ल वंशीय इतिहास एवं डीएनए रिसर्च  इत्यादि से सिद्ध हो चुका है। 

उन्होंने कहा कि  हिंदुओं के लिए बनाए कानून - शारदा एक्ट - 1928, हिंदू मैरिज एक्ट - 1955, हिंदू कोड बिल - 1956  आदिवासियों पर लागू नहीं होते हैं। 

ऐसे में किस आधार पर बाबूलाल मरांडी ने यह  कहा  कि आदिवासी जन्म से ही हिंदू  हैं?

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि एक षड्यंत्र के तहत आदिवासियों को हिन्दू बनाया और कहा जा रहा है।

अतः आदिवासियों को हिंदू बनाने का प्रयास बंद होना चाहिए और आदिवासियों का उनका आदिवासी धर्म कॉलम दिया जाना चाहिए।

नहीं तो पूरा आदिवासी समाज अपने हक और धर्म की रक्षा करने हेतु सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएगा ।  

राष्ट्रीय आदिवासी इंडिजिनियस धर्म समन्वय समिति, भारत के कार्यालय प्रभारी कृष्णा लकड़ा ने इस बावत एक प्रेस रिलीज जारी किया है।


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