संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान: 24 जून को अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस
एसकेएम ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देने का किया एलान और कहा अग्निपथ योजना किसानों से बदला लेने का एक और हथकंडा है
द कोरस टीमइस योजना को देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए मोर्चा ने कहा कि यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और बेरोजगार युवाओं के सपनों के साथ खिलवाड़ है, बल्कि देश के किसान परिवारों के साथ भी धोखा है। इस देश का जवान वर्दीधारी किसान है। अधिकांश सैनिक किसान परिवार से हैं। सेना की नौकरी लाखों किसान परिवारों के मान और आर्थिक संबल से जुड़ी है। यह देश के लिए शर्म का विषय है की “वन रैंक वन पेंशन” के वादे के साथ पूर्व सैनिकों की रैली से अपना विजय अभियान शुरू करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब “नो रैंक नो पेंशन” की इस योजना को लाद दिया है। सेना में नियमित भर्ती में भारी कटौती उन किसान पुत्रों के साथ धोखा है जिन्होंने बरसों से फौज में सेवा करने का सपना संजोया था। यह संयोग नहीं है कि इस योजना में “ऑल इंडिया ऑल क्लास” के नियम से भर्ती करने पर उन सभी इलाकों से भर्ती में सबसे ज्यादा कटौती होगी जहां किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया था। किसान आंदोलन के हाथों अपनी पराजय से तिलमिलाई हुई इस सरकार का किसानों से बदला उतारने का एक और हथकंडा है।

देशभर में नौजवान और छात्रों के अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे है। उनके इस आंदोलन को अब देश के किसान संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है। देशभर के लगभग 500 किसानों के साझा मंच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सेना में भर्ती की नई अग्निपथ योजना के खिलाफ युवाओं के राष्ट्रव्यापी विरोध को अपना समर्थन घोषित किया है। विरोध प्रदर्शन को शांतिपूर्ण बनाए रखने की अपील करते हुए मोर्चा ने इस योजना को जवान-विरोधी, किसान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी बताया है।
मोर्चा की ओर से कहा गया है कि "जब केंद्र सरकार 'जय जवान-जय किसान' के नारे की भावना को तहस-नहस करने पर तुली है, ऐसे में किसान आंदोलन का कर्तव्य है कि वह जवानों के साथ इस संघर्ष में कंधे से कंधा जोड़कर खड़ा हो। इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा इस शुक्रवार, 24 जून को देशभर में विरोध दिवस मनाएगा'।
यह फैसला संयुक्त किसान मोर्चा की 7 सदस्य कोऑर्डिनेशन कमिटी ने सोमवार को करनाल (हरियाणा) हुई अपनी बैठक में लिया।
इस योजना को देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए मोर्चा ने कहा कि यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और बेरोजगार युवाओं के सपनों के साथ खिलवाड़ है, बल्कि देश के किसान परिवारों के साथ भी धोखा है। इस देश का जवान वर्दीधारी किसान है।
अधिकांश सैनिक किसान परिवार से हैं। सेना की नौकरी लाखों किसान परिवारों के मान और आर्थिक संबल से जुड़ी है। यह देश के लिए शर्म का विषय है की “वन रैंक वन पेंशन” के वादे के साथ पूर्व सैनिकों की रैली से अपना विजय अभियान शुरू करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब “नो रैंक नो पेंशन” की इस योजना को लाद दिया है।
सेना में नियमित भर्ती में भारी कटौती उन किसान पुत्रों के साथ धोखा है जिन्होंने बरसों से फौज में सेवा करने का सपना संजोया था। यह संयोग नहीं है कि इस योजना में “ऑल इंडिया ऑल क्लास” के नियम से भर्ती करने पर उन सभी इलाकों से भर्ती में सबसे ज्यादा कटौती होगी जहां किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया था। किसान आंदोलन के हाथों अपनी पराजय से तिलमिलाई हुई इस सरकार का किसानों से बदला उतारने का एक और हथकंडा है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने अग्निवीर भर्ती की शुरुआत के दिन यानी शुक्रवार 24 जून को ही इस योजना के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाने का फैसला किया है और राष्ट्रपति के नाम पत्र लिखा है जिसका मजमून इस प्रकार है-
24 जून 2024
श्री रामनाथ कोविंद
महामहिम राष्ट्रपति, भारत गणतंत्र
राष्ट्रपति भवन,
नई दिल्ली
विषय: देश, जवान और किसान के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाली "अग्निपथ" योजना को रद्द करने बाबत
महामहिम राष्ट्रपति जी,
आप देश के मुखिया होने के साथ-साथ भारत की सेना के सर्वोच्च कमांडर भी हैं। देश में जवान और किसान के अभिन्न रिश्ते से आप परिचित हैं। इसलिए हम भारत के जवान और किसान इस उम्मीद के साथ आपसे यह अपील कर रहे हैं कि आप "अग्निपथ" नामक योजना से देश, जवान और किसान के भविष्य के साथ होने वाले खिलवाड़ को रोकेंगे।
1. महामहिम, जैसा आप जानते हैं, केंद्र सरकार भारतीय सेना में भर्ती की पुरानी पद्धति को खत्म कर "अग्निपथ" नामक एक नई योजना लाई है। इस नई योजना के के तहत सेना की भर्ती में कई बड़े और दूरगामी बदलाव एक साथ किए गए हैं:
a) सेना में जवानों की पक्की नौकरी में सीधी भर्ती बंद कर दी गई है।
b) थल सेना और वायु सेना में जो पक्की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी (जिसमें फाइनल टेस्ट या नियुक्ति पत्र जारी करने बाकी थे) उसे भी रद्द कर दिया गया है।
c) अब से सेना में भर्ती सिर्फ 4 साल के कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी के जरिए होगी। अग्निवीर नामक इन अस्थाई कर्मचारियों को न तो कोई रैंक दिया जाएगा न ही 4 साल के बाद कोई ग्रेच्युटी या पेंशन। चार साल की सेवा समाप्त होने के बाद इनमें से एक चौथाई या उससे भी कम को ही सेना में पक्की नौकरी दी जाएगी।
d) वर्ष 2020 में हुई पिछली भर्ती में 87,000 नियुक्तियों की जगह इस योजना के पहले साल में सिर्फ 46,000 और पहले चार साल में कुल दो लाख अग्निवीरों को नियुक्त किया जाएगा।
e) अब तक चले आ रहे रेजीमेंट आधारित क्षेत्र समुदाय कोटा की जगह सभी भर्तियां "ऑल इंडिया ऑल क्लास" के आधार पर होगी।
2. यह हैरानी की बात है कि इतने बड़े और दूरगामी बदलावों की घोषणा करने से पहले सरकार ने किसी न्यूनतम प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया। नई भर्ती की प्रक्रिया का कोई "पायलट" प्रयोग कहीं नहीं किया गया। संसद के दोनो सदनों या संसद की रक्षा मामलों की स्थाई समिति के सामने इन प्रस्तावों पर कोई चर्चा नहीं हुई। इस योजना से प्रभावित होने वाले स्टेकहोल्डर (भर्ती के आकांक्षी युवा, सेवारत जवान और अफसर, सघन भर्ती के इलाकों के जनप्रतिनिधि और साधारण जनता) के साथ कभी कहीं कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया। उलटे, पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने वर्तमान रेजिमेंट भर्ती व्यवस्था को बनाए रखने और रिटायरमेंट की आयु को बढ़ाने जैसे फैसले लिए है।
3. पिछले कुछ दिनों से इस योजना को लेकर हुई राष्ट्रव्यापी चर्चा से यह स्पष्ट हो गया है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा को बहुत बड़ा धक्का है:
a) अगर यह योजना अपने वर्तमान स्वरूप में लागू होती है तो आने वाले 15 वर्षों में हमारे सैन्य बलों की संख्या आधी या उससे भी कम रह जाएगी।
b) यह सोचना भी हास्यास्पद है कि 4 साल की अवधि में अग्निवीर वह तकनीकी दक्षता और संस्कार हासिल कर पाएंगे जिसके आधार पर वह देश की रक्षा के लिए प्राणों की बाजी लगा सकेंगे।
c) रेजिमेंट की सामाजिक बुनावट को रातों-रात बदलने से सेना के मनोबल पर बुरा असर पड़ेगा।
d) यह अफसोस की बात है कि सरकार ऐसे बदलाव उस समय ला रही है जबकि पिछले कुछ वर्षों में पड़ोसी देशों की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा गहरा हुआ है।
e) इस परिस्थिति में सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के बजट को वर्ष 2017'8 में केंद्र सरकार के खर्च के 17.8% से घटाकर 2021-22 में 13.2% करना चिंताजनक है। यह राष्ट्रीय शर्म का विषय है की जो सरकार दिखावे के प्रोजेक्ट में तमाम फिजूलखर्ची कर सकती है वह सैनिकों के वेतन और पेंशन में कंजूसी कर रही है।
f) सेना के भूतपूर्व जनरल, अफसरों, परमवीर चक्र जैसे शौर्य पदक प्राप्त सैनिकों और सैन्य विशेषज्ञों ने इस योजना के गंभीर दुष्परिणाम के बारे में आगाह किया है। लेकिन सरकार की तरफ से इनका कोई जवाब नहीं आया है।
4. सेना में भर्ती के आकांक्षी युवाओं और देश के किसान परिवारों के लिए भी यह बहुत बड़ा धोखा है:
a) जिन युवकों की भर्ती प्रक्रिया 2020-21 में शुरू हो चुकी थी उसको बीच में रोकना उनके सपनों के साथ खिलवाड़ है।
b) सेना में भर्ती की संख्या को घटाना, सेवाकाल को घटाकर 4 साल करना और पेंशन समाप्त करना उन सब युवाओं और परिवारों के साथ अन्याय है जिन्होंने फौज को देशसेवा के साथ कैरियर के रूप में देखा है। किसान परिवारों के लिए फौज की नौकरी मान सम्मान के साथ आर्थिक खुशहाली से भी जुड़ी रही है है।
c) चार साल की सेवा के बाद तीन-चौथाई अग्नि वीरों को सड़क पर खड़ा कर देना युवाओं के साथ भारी अन्याय है। हकीकत यह है कि सरकार अब तक 15 से 18 साल सेवा करने वाले अधिकांश पूर्व सैनिकों के लिए भी पुनर्वास की संतोषजनक व्यवस्था नहीं कर पाई है। वह अग्नि वीरो के रोजगार की क्या व्यवस्था करेगी?
d) रेजीमेंट के सामाजिक चरित्र की जगह "ऑल क्लास ऑल इंडिया" भर्ती करने से उन क्षेत्रों और समुदायों को भारी झटका लगेगा जिन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी सेना के जरिए देश की सेवा की है। इनमे पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान जैसे इलाके शामिल है।
5. महामहिम, ऐसा प्रतीत होता है कि अग्निपथ इस सरकार की एक व्यापक मुहिम का हिस्सा है जिसके तहत खेती पर कंपनी राज स्थापित करने की कोशिश की जा रही है, सभी स्थाई सरकारी नौकरियों को ठेके पर दिया जा रहा है या कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी में बदला जा रहा है, देश की संपत्तियां प्राइवेट कंपनियों को बेची जा रही है और पूरे देश का नीति निर्धारण चंद कॉरपोरेट घरानों का हित साधने के लिए किया जा रहा है। ऐसी तमाम नीतियां जनता और जनप्रतिनिधियों से छिपाकर बनाई जा रही है और उनका विरोध करने वालों का बर्बर तरीके से दमन किया जा रहा है।
6. जैसा कि आप जानते हैं, उपरोक्त कारणों के चलते अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद से युवाओं का आक्रोश सड़कों पर उबल पड़ा है। कई युवकों ने सदमे में आकर आत्महत्या कर ली है। पूरे देश भर में सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। यह आक्रोश दुर्भाग्यवश कई जगह हिंसक स्वरूप भी ले रहा है। हमें बहुत अफसोस से कहना पड़ रहा है कि सरकार ने युवाओं के इस जख्मों पर मलहम लगाने की बजाय नमक छिड़कने का काम किया है और हास्यास्पद घोषणाएं की हैं। तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन के अधिकार के विरुद्ध युवाओं को धमकाने के निंदनीय हरकत की है। तमाम विरोध के बावजूद केंद्र सरकार इस योजना को लागू करने पर आमादा है। आज 24 जून से इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन की शुरुआत करने की घोषणा की गई है।
7. इसलिए अब हम भारतीय सेना के सर्वोच्च कमांडर के पास यह अनुरोध लेकर पहुंचे है कि:
a) अग्नीपथ योजना को तत्काल और पूरी तरह रद्द किया जाए। इस योजना के तहत भर्ती का नोटिफिकेशन वापस लिया जाए।
b) सेना में पिछली बकाया 1,25,000 वेकेंसी और इस वर्ष रिक्त होने वाले लगभग 60,000 पदों पर पहले की तरह नियमित भर्ती तत्काल शुरू की जाए।
c) जहां भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी उसे पूरा किया जाए और पिछले दो साल भर्ती ना होने के एवज में युवाओं को सामान्य भर्ती की आयु सीमा में 2 वर्ष की छूट दी जाए।
d) किसी भर्ती के लिए आवेदकों से ऐसा हलफनामा लेने की शर्त न रखी जाए जो उन्हें लोकतांत्रिक प्रदर्शन के अधिकार से वंचित करती हो।
e) अग्निपथ विरोधी प्रदर्शनों में शामिल युवाओं के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं, गिरिफ्तार युवाओं को रिहा किया जाय और आंदोलनकारियों को नौकरी से बाधित करने जैसी शर्तें हटाई जाए।
हमें विश्वास है की संविधान और राष्ट्रीय सुरक्षा के अभिभावक के बतौर आप देश के भविष्य के साथ होने वाले इस खिलवाड़ को तुरंत रुकेंगे।
जय जवान, जय किसान!
हम है,
इस देश के जवान और किसान
राजधानी प्रभावित किसानों के समर्थन में 24 जून को राज्यव्यापी प्रदर्शन
दिनांक 22 जून दिन बुधवार को कयाबांधा आम बगीचा नवा रायपुर में नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति नवा रायपुर के सदस्यों के साथ छत्तीसगढ़ के विभिन्न किसान , मजदूर एवं नागरिक संगठनों के प्रमुखों / प्रतिनीधियों की बैठक आहूत की गई । जिसमें चर्चा कर निम्नलिखित निर्णय लिया किया गया - * पिछले पांच माह से जारी नई राजधानी प्रभावित किसानों के समर्थन में " प्रभावित किसानों के आन्दोलन के साथ एकजूट हो " नारे के साथ 24 जून को सभी जन संगठनों द्वारा अपने - अपने क्षेत्र में प्रदर्शन कर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के देशव्यापी आह्वान पर केन्द्र सरकार द्वारा सेना का निजीकरण और भगवाकरण के लिए लाए गए अग्निपथ योजना को रद्द करने और देश के आंदोलनकारी युवाओं के समर्थन में राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपे जाएंगे।
* प्रदेश में किसान , मजदूर , आदिवासी एवं अनियमित कर्मचारियों द्वारा सरकार की वायदा खिलाफी के विरोध में लगातार धरना प्रदर्शन जारी है । इन्हें एक जूट करने के लिए " सरकार वायदा निभाओ या गद्दी छोड़ो " नारे के साथ जन सम्पर्क अभियान चलाया जाएगा एवं संयुक्त रूप से वायदा निभाओ दिवस का एक कार्यक्रम आयोजित की जाएगी।
* नया रायपुर क्षेत्र में किसान भवन की मांग पत्र छत्तीसगढ़ सरकार को सौंपी जाएगी।
बैठक में नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चन्द्राकर, तत्पर के संयोजक वीरेन्द्र पांडेय, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू, छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्यगण तेजराम विद्रोही एवं जागेश्वर जुगनू चन्द्राकर, जागो किसान आंदोलन के संयोजक रघुनन्दन साहू एवं सदस्य वेगेंद्र सोनबेर, छत्तीसगढ़ किसान यूनियन धमतरी के संयोजक लीलाराम साहू, छत्तीसगढ़ किसान महासंघ के संयोजक नरोत्तम शर्मा एवं सदस्य बिसहत कुर्रे, एग्रिकान के सदस्य पवन सक्सेना, छत्तीसगढ़ अभिकर्ता एवं निवेशक कल्याण संघ के अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण चन्द्राकर नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के संरक्षक आनंद राम साहू, सदस्य छन्नूलाल कोसले सहित प्रभावित किसान उपस्थित रहे।
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