चाईबासा के गरीबों के राशन की लूट, जन सुनवाई में खुलासा
झारखंड से स्वतंत्र पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट
विशद कुमारपिछले 13 जून 2022 को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम अंतर्गत चाईबासा में कैनुवा गांव, टोंटो प्रखंड (पश्चिमी सिंहभूम) में खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा आयोजित जन सुनवाई में चौकाने वाले खुलासे हुवे। सुनवाई के दौरान पता चला कि पिछले कई महीनों से जन वितरण प्रणाली से ग्रामीणों को मिलने वाले राशन का लगभग आधा हिस्सा नियमित रूप से चोरी हो रही है।

सुनवाई के दौरन ग्रामीणों ने दो मुख्य समस्याएं रखीं। ग्रामीणों ने बताया कि डीलर द्वारा ईपोस मशीन में अंगूठे का पंचिंग करवाने के बाद भी राशन न देना एवं राशन में व्यापक कटौती की जाती रही है। कैनुवा गांव के कार्डधारियों ने कहा कि राशन डीलर दुम्बी बानरा द्वारा सितम्बर 2021 और दिसम्बर 2021 में कार्डधारियों को न तो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत और न ही प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत राशन दिया गया है।
लेकिन अंगूठा पंचिंग करवा लिया गया था एवं ऑनलाइन रिपोर्ट में पूरी मात्रा चढ़ा दी गयी थी। कार्डधारियों की शिकायत थी कि इस सम्बन्ध में प्रशासन को कई बार शिकायत करने के बावज़ूद भी कार्यवाई नहीं हुई है।
सानकुचिया गांव के कार्डधारियों द्वारा कहा गया कि राशन डीलर किस्टोवाम महिला मंडल द्वारा फरवरी-अप्रैल 2022 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम व प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत मिलने वाले कुल राशन में भारी कटौती कर के दिया गया है। बावजूद डीलर द्वारा ऑनलाइन रिपोर्ट में पूरी मात्रा दर्ज की गयी है। ऑनलाइन रिपोर्ट में चढ़ाये गए मात्रा की तुलना में फरवरी 2022 में केवल 35 प्रतिशत और मार्च 2022 में केवल 33 प्रतिशत राशन ही मिला है।
अन्य गांवों के ग्रामीणों द्वारा भी ऐसी ही शिकायतें की गयी। दूसरी तरफ सुनवाई में उपस्थित डीलर द्वारा बताया गया कि उन्हें अनाज की पर्याप्त आवंटन नहीं हुई है। वहीं ज़िला आपूर्ति पदाधिकारी ने कहा कि सरकार पिछले एक साल के ऑनलाइन क्लोजिंग बैलेंस के अनुसार आवंटन कर रही है। जनता और जूरी ने पूछा कि फिर राशन ककहां है?
इस सवाल पर डीलर और प्रशासनिक पदाधिकारी स्पष्ट जवाब नहीं दे पाएं। तारामणि साहू ने कहा कि यह स्पष्ट है कि राशन का गबन हो रहा है। प्रशासन को डीलर और ज़िम्मेवार पदाधिकारियों पर कानूनी कार्यवाई करना चाहिए। अपर उपायुक्त ने कहा कि यह मानना कोई शर्म की बात नहीं है कि प्रशासन द्वारा पर्याप्त निगरानी नहीं की गयी है।
कई गांव से यह मामला भी आया कि योग्य कार्डधारियों को बिना सूचित किए ही उनका राशनकार्ड डिलीट कर दिया गया है। जिसके कारण सुंडी सुर्निया के मुक्ता हेस्सा व मागता सुंडी का कार्ड डिलीट होने के कारण उन्हें एक साल से राशन नहीं मिल रहा है।
मंच द्वारा ज़िला प्रशासन को लगातार बताया गया है कि विभिन्न प्रखंडों से राशन चोरी के मामलों की सूचना लगातार आ रहे हैं। माधव चन्द्र कुंकल ने कहा कि प्रशासन भी कठघरे में है, क्योंकि डीलरों को लगातार कम आवंटन किया जा रहा है। बलराम ने कहा कि तुरंत प्रशासन सभी कार्डधारियों को लंबित राशन दें। अशर्फी नन्द प्रसाद ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के नियमों के विषय में बताया और कहा कि कार्डधारियों को तुरंत लंबित राशन दिया जाना चाहिए।
अवसर पर प्रशासनिक पदाधिकारियों ने आश्वासन दिया कि सुनवाई में आए शिकायतों पर कार्यवाई की जाएगी, कार्डधारियों को लंबित राशन दिया जाएग, सभी डीलर का लाइसेंस तुरंत ससपेंड किया जाएगा और न्यायसंगत कार्यवाई की जाएगी।
सुनवाई के अंत में ग्रामीणों और खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच ने प्रशासन व राज्य सरकार के सामने निम्न मांगें रखीं:
• सभी राशन कार्डधारियों को लंबित राशन / खाद्य सुरक्षा भत्ता जल्द-से-जल्द दिया जाए।
• राशन के गबन एवं कार्डधारियों के भोजन के अधिकार के उल्लंघन के लिए ज़िम्मेवार डीलरों के लाइसेंस रद्द किया जाए एवं गबन के लिए प्राथमिकी दर्ज कर कानून सम्मत कार्यवाई की जाए। साथ ही गबन में शामिल पदाधिकारियों के विरुद्ध भी कार्यवाई की जाए।
• प्रशासन द्वारा ज़िला के सभी राशन डीलरों का सामाजिक अंकेक्षण किया जाए एवं कार्यवाई की जाए। साथ ही प्रशासन द्वारा खाद्य वितरण के दिन औचक निरिक्षण किया जाए।
• राशन कार्डधारियों को बिना सूचित किए / बिना ज़मीनी सत्यापन किए राशनकार्डों को डिलीट करने के ज़िम्मेवार कर्मियों व पदाधिकारियों पर कार्यवाई हो। ऐसे सभी कार्डधारियों को तुरंत बिना नया आवेदन करवाए राशन कार्ड निर्गत किया जाए और कार्ड डिलीट हुए अवधी का लंबित अनाज दिया जाए।
• राज्य सरकार द्वारा सामग्री-वार पंचिंग करवाने के नए निर्णय से कार्डधारियों की परेशानियां और बढ़ गयी हैं, अत: इस नए निर्णय को रद्द किया जाए।
• राशन व्यवस्था से आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन प्रणाली को हटाया जाए और इसके बजाय ऑफलाइन / स्मार्ट कार्ड आधारित व्यवस्था को लागू की जाए।
सुनवाई में जिले के टोंटो प्रखंड के खास तीन पंचायत (नीमडीह, बामेबासा, पुरनापानी) के लगभग 15 गावों से सैंकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया और अनेकों ने अपनी समस्याओं को साझा किया। सुनवाई का आयोजन पूर्ण रूप से ग्रामीणों के जन चंदे से हुआ। सुनवाई में प्रशासन की ओर अनुमंडल पदाधिकारी, अपर उपायुक्त, ज़िला आपूर्ति पदाधिकारी और विपणन पदाधिकारी ने भाग लिया एवं कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जूरी के रूप में भाग लिया।
जैसे अशर्फी नन्द प्रसाद (राज्य संयोजक, भोजन का अधिकार अभियान, झारखंड), बलराम (भोजन के अधिकार मामले में सर्वोच्च न्यायालय आयुक्त के पूर्व सलाहकार), जयंती मेलगडी (लोकमंच), माधव चन्द्र कुंकल (अखिल भारतीय क्रांतिकारी आदिवासी महासभा सह जिला परिषद सदस्य) व तारामणि साहू ( राज्य सह-संयोजिका, नरेगा वॉच)। सुनवाई के दौरान मंच द्वारा संलग्न रिपोर्ट पेश की गयी।
सुनवाई के दौरान मानकी तुबिड ने ग्रामीणों को बताया कि पिछले दो साल से उन्हें खाद्य सुरक्षा कानून अंतर्गत 5 किलों प्रति व्यक्ति राशन एवं प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना अंतर्गत 5 किलो मुफ्त अनाज का अधिकार है। सवाल है कि ये मिल रहा है या नहीं? राशन की चोरी और प्रशासनिक कार्यवाई की कमी के मुद्दों पर मंच ने उपायुक्त से मुलाकात की।
बता दें कि 13 जून को हुए जन सुनवाई में आई समस्याओं और मांगों पर 18 जून को खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम का प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त अनन्य मित्तल से मुलाकात कर बताया कि दोषी के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रतिनिधिमंडल में सम्बंधित गांव के प्रतिनिधि भी थे। प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को बताया कि कार्डधारियों को राशन न देकर अनाज का व्यापक गबन किया जा रहा है।
राशन डीलर द्वारा कार्डधारियों का पोस मशीन में बायोमेट्रिक सत्यापन करवा के या उनके नाम से ऑफलाइन में दर्ज कर के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम एवं प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना अंतर्गत मिलने वाले राशन के पूरे मात्रा को दर्ज किया जा रहा है, लेकिन आधा ही कार्डधारियों दिया जा रहा है। अनेकों को तो कई महीने अनाज दिया ही नहीं गया लेकिन ऑनलाइन में पूरी मात्रा चढ़ाई गयी है।
प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को कहा कि सुनवाई में डीलर का कहना था कि उनके पास शेष अनाज नहीं है और दूसरी ओर पदाधिकारियों का कहना था कि ऑनलाइन रिपोर्ट अनुसार शेष अनाज डीलर के स्टॉक में है। सवाल है कि शेष अनाज कहां है और कार्डधारी क्यों महीनों से राशन के अपने क़ानूनी अधिकार से वंचित हो रहे हैं। यह स्पष्ट है कि व्यापक गबन को छुपाने की कोशिश की जा रही है।
मंच के सदस्यों ने कहा कि ग्रामीणों की अपेक्षाओं के विपरीत सुनवाई में उपस्थित प्रशासनिक पदाधिकरियों ने राशन की चोरी और कार्डधारियों के भोजन के अधिकार के उल्लंघन के लिए ज़िम्मेवार डीलरों पर सुनवाई में ही दंडात्मक कार्यवाई नहीं किया। इससे लोगों में आक्रोश है। सुनवाई के 5 दिनों बाद भी डीलर के विरुद्ध किसी प्रकार की कार्यवाई नही की गयी है – न डालरों का लाइसेंस रद्द किया गया है और न ही उनपर गबन के लिए प्राथमिकी।
प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि सभी कार्डधारियों को जल्द-से-जल्द लंबित राशन दिया जाए, डीलर का लाइसेंस रद्द किया जाए एवं गबन में डीलर व दोषी पदाधिकरियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर कार्यवाई की जाए। ग्रामीणों ने कई बार शिकायत दर्ज करवाई है और अब आमने-सामने सुनवाई भी हो गयी है। प्रशासन अब फिर से जांच का बहाना न बनाएं और सीधा कार्यवाई करे। ऐसी स्थिति केवल इन गावों तक सीमित नही है बल्कि विभिन्न प्रखंडों से ऐसे मामलों की सूचना लगातार आ रही है।
प्रशासन द्वारा ज़िला के सभी राशन डीलरों का सामाजिक अंकेक्षण किया जाए, दोषियों के विरुद्ध कार्यवाई की जाए एवं खाद्य वितरण के दिन औचक निरिक्षण किया जाए। उपायुक्त ने आश्वासन दिया कि कार्यवाई तुरंत की जाएगी। उपायुक्त को दिया गया मांग पत्र संलग्न। प्रतिनिधिमंडल में अर्जुन खंडाईत, गुरुचरण खंडाईत, हेलेन सुंडी, कमला दास, नारायण कांडेयांग, मानकी तुबिड और सिराज दत्ता शामिल थे।
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