शायद कोई नौजवान बागी चुनौती दे रहा हो किसी तख्त और ताकत को..
मनदीप पुनियाएक नौजवान के सवाल तुकबंद हो जाएं और शायद एस्पीरेसंस भी. हेवी मशीनरी से प्यार जिसने किसान का काम आसान करना है. कब्बड्डी, देहात और उसका अपना गांव भी चिपक लेते थे गाहे बगाहे उसके साथ. उसके मां-बाप, ट्रैक्टर और उसके खेत. हथियार, दोस्त और बगावत. विरोधाभासी केकड़ों को कील की तरह चुभने वाले. उसका अपना टब्बर और कबीला भी.

पहला
सो हाई.. जबरदस्त हिट था.. पहले से ही पता चल गया था कि कुछ अलग आया है मार्किट में..
आवाज
कड़कती हुई. आरपार हो जाए. शायद विरोधाभासी श्याणों का ताने इसी आवाज में मारे जाते हों.. शायद कोई नौजवान बागी चुनौती दे रहा हो किसी तख्त और ताकत को..
लिरीक्स
एक नौजवान के सवाल तुकबंद हो जाएं और शायद एस्पीरेसंस भी. हेवी मशीनरी से प्यार जिसने किसान का काम आसान करना है. कब्बड्डी, देहात और उसका अपना गांव भी चिपक लेते थे गाहे बगाहे उसके साथ. उसके मां-बाप, ट्रैक्टर और उसके खेत. हथियार, दोस्त और बगावत. विरोधाभासी केकड़ों को कील की तरह चुभने वाले. उसका अपना टब्बर और कबीला भी.
स्टाइल
रैप एंड फोक. रेसिसटेंस एगेंस्ट पॉप. जिनकी जिंदगी मैलोडियस चल रही होती है, वही मैलोडी सुनते हैं. बहुत लाउड और तीखा वही सेक्शन सुनेगा, जो किसी क्राइसेस में लाकर खड़ा कर दिया है. वह चीखकर, तेज बोलकर, मैलोडी के उल्ट संघर्ष बिल्ड कर रहा होता है.
गन कल्चर
सबसे ज्यादा हथियार किसके पास होते हैं - स्टेट के पास. क्या हथियार आपस में एक दूसरे को मारने के लिए ही होते हैं. "तुहाड्डी राखी करदी पुलस जिप्सियां ला लाके. साड्डे मुंडे पहरे लौंदे आप बिचारे." मुस्लिम पशुपालक अपने पास गन क्यों न रखें, जब वर्तमान सत्ता की मदद से टटपुंजिए उन पर हमला कर देते हों और उनकी मॉब लिचिंग कर देते हों. एक किसान अपने खेत की डोल पर बंदूक लेकर क्यों न खड़ा हो जाए, जब पूंजीपति उसके खेत चरने को तैयार खड़े हों. एक आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन की लड़ाई कैसे लड़े, जब स्टेट पूरी फौज लेकर उनको उजाड़ने के लिए पहुंच जाए. बहुत भोले हैं वो जो कह देते हैं कि किसान आंदोलन शांतमयी था और शांतमयी आंदोलन की जीत हुई है. जिनको तबाह करने चले थे उनके पास बराबर का इंतजाम था. बराबर का हिसाब किताब. इनके चार मारे थे, मौके पर ही उनके पांच ऊपर पहुंचा दिए थे. मंत्री पुत्र एट ए टाइम फंसा नहीं, वरना माला उसकी फोटो पर लगी होती. हजारों-लाखों गन वालों को वर्दी पहनाकर जब स्टेट गुंडागर्दी करती है तो क्या काम आएगा. अगले तो 3 हजार साल पीछे ले जाने के सबकुछ तबाह करने को फिर रहे. और वो सब तबाह करने को फिर रहे जिसको बुजुर्गों ने खून देकर हासिल किया था. चाहे वह आजादी हो या जमीन. एक हल्का सा मैसेज गया कि सिद्धु भाई, अपने इलाके में थोड़ा काम चक्को. जवाब था. ढंग से मैदान में हैं, डरो ना. तीन दिन में ही ट्रैक्टर रैली निकाल दी थी चौबर ने. आंदोलन में ढंग से साथ था. कितनी जगह तो गद्दे तिरपालों वगैरा के लिए खुद हमने मैसेज डाले हैं और काम पूरा हुआ है.
हिंसा
एक हिंसा है जो साहब लोग करते हैं बिल्कुल सिस्टमेटिक. दूसरे तो बस जवाब देते हैं.
गैंगस्टर
हां शायद वे इस बात से खुश होंगे ही कि आपस में लड़-भिड़कर मर जाएं, कभी बंदूक हमारी तरफ न मुड़े. जेल से एक आदमी गैंग कैसे ऑपरेट कर सकता है? किसकी मदद से कर सकता है? मतलब स्टेट के साथ मिलीभुगत. या स्टेट का ही आदमी. मेरी खुद की समझ गैंगस्टर "स्टेट का ही आदमी" होता है. पुलिस उससे फोन करवाके रंगदारी से लेकर कत्ल करवाती है. मैं बहुतेरी सीरीज देख चुका गैंगस्टरों से जुड़ी. एक में भी सही चीज हाइलाइट नहीं हो पाई. डीप स्टेट का एक स्लोगन है, "जायज भी मेरा और नाजायज भी." स्टेट के सबसे बड़े मुखबिर कौन लोग हैं, शायद देहात का ठीकठाक सेक्शन इस बात को जानता है. गैंगस्टर मतलब स्टेट का गुर्गा. जहां से सिद्धु का कत्ल हुआ है और जिसका नाम उछल रहा है वह स्टेट का बहुत बड़ा गुर्गा है जो हमारे अच्छे अच्छे नौजवानों को लील गया.
मौत
इतनी कम उम्र में जाना नहीं था हमारे देसी टूपक. गांव नहीं छोड़ा तुमने. अपना खेत भी नहीं. उसी में जाकर मिल गए, खाक हो गए. तेरे गाने बजते रहेंगे ऐसे ही.
अलविदा
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