बम्लेश्वरी में दर्शनार्थी और दुकानदारों को शौचलय और पेयजल की सुविधा नहीं 

सुशान्त कुमार

 

डोंगरगढ़ के बम्लेश्वरी मंदिर को प्रसाद योजना के तहत केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने देश के 28 धार्मिक स्थलों को संवारने के लिए चयनित किया। 63 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। करीब 12 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से नीचे बने बम्लेश्वरी मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य पूरा होगा। मंदिर पर स्थापित होने वाले 198 किलो के तांबे के कलश में 2581 ग्राम सोने का पत्तर लगाया गया है, जिसकी कीमत करीब सवा करोड़ रुपये बताई गई। केंद्र सरकार ने 43 करोड़ रुपये खर्च कर अधोसंरचना विकास की योजना बनाई है।

राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपये मां बम्लेश्वरी मंदिर के विकास में खर्च किये जाते हैं वहीं मंदिर ट्रस्ट को दर्शनार्थियों से हर साल करोंड़ों की आमदनी होती है लेकिन नीचे से ऊपर सीढिय़ों में चढ़ते - उतरते समय दर्शनार्थियों और दुकानदारों को लगातार मुफ्त शौचालय और पेयजल की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। क्या कभी आपका ध्यान इस ओर गया है। आपके पास इन समस्याओं का जवाब भी होगा। जरा उन सुविधाओं को इन लोगों तक पहुंचा तो दीजिये।

विशेषकर महिलाओं को इस सार्वजनिक धार्मिक क्षेत्र में शौच की समस्या से हरदिन सामना करना पड़ता है। दर्शनार्थी और दुकानदारों को बिना शौच किये माता जी के दर्शन करने पड़ते हैं। विशेषकर दुकानदार महिलाओं को जब तक दुकान चालू रहता है बिना शौच के अपना व्यवसाय करना पड़ता है। 

प्रसाद योजना के तहत केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने देश के 28 धार्मिक स्थलों को संवारने के लिए चयनित किया। इसमें छत्तीसगढ़ से एक मात्र स्थल डोंगरगढ़ को शामिल किया गया। लेकिन हजारों की संख्या में सीढिय़ों में चढ़ते उतरते समय शौचालय और पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। 

मंदिर प्रांगण में रोजाना वैदिक विद्वानों द्वारा यज्ञ और कलश का अधिमास किया जा रहा है। पर्यटन मंडल द्वारा 10 एकड़ भूमि को पर्यटकों के लिए विशेष रूप से डेवलप करने, डोंगरगढ़ बम्लेश्वरी मंदिर परिसर के नीचे का हिस्सा संवारने, तालाब सौंदर्यीकरण, पार्किंग, ठहरने के लिए इकाई सहित अन्य काम किया जा रहा है लेकिन विद्वानों आपने कभी सोचा है कि सीढिय़ों में मां की चुनरी और प्रसाद बेचने वालों के लिये पर्याप्त शौचालय और पेयजल की व्यवस्था ना करना इन्हें कौन सी सजा देना है। 

बताया जा रहा है कि डोंगरगढ़ के बम्लेश्वरी को विभिन्न राज्यों से आने वाले 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की संख्या, आवागमन के लिए पर्याप्त सुविधा, राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और मान्यता होने की वजह से इसका चयन किया गया। लेकिन मंदिर में पहुंचने वाले भक्त दुकानदारों से बढ़े कीमतों में सामान खरीदने में दुकानदारों के साथ अभद्र व्यवहार और गालीगलौच करते दिखाई देते हैं।

ग्राहक चाहते हैं कि हजार सीढिय़ां चढऩे के बाद प्रसाद, कोल्ड ड्रींक इत्यादि उन्हें प्रिंट रेट में मिले लेकिन वे भूल जाते हैं कि नीचे मंदिर से ऊपर मंदिर तक सामानों को पहुंचाने के लिये चढ़ाने और उतारने में लागत लगानी होती है जो प्रिंट रेट में जुड़ा हुआ नहीं रहता है। कई बार देखा गया है कि ठंडा इत्यादि खरीद लेने के बाद भक्त दुकानदारों को पैसा देने में आनाकानी करते हैं और तो और पेट्रोल डीजल के बढ़े कीमतों में हल्ला मचाने के बदले ये भक्त इन दुकानदारों के साथ दादागिरी में उतर आते हैं।

अक्षरधाम की तर्ज पर करीब 12 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से नीचे बने मां बम्लेश्वरी मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य पूरा होगा। मंदिर प्रांगण में रोजाना वैदिक विद्वानों द्वारा यज्ञ और कलश का अधिमास किया जा रहा है। मंदिर पर स्थापित होने वाले 198 किलो के तांबे के कलश में 2581 ग्राम सोने का पत्तर लगाया गया है, जिसकी कीमत करीब सवा करोड़ रुपये बताई गई। लेकिन तरस आता है अगर श्रद्वालु शौच की व्यवस्था से लगातार जूझता रहे तो वह साफ स्वच्छ मन से व्यवसाय और पूजन कैसे करेंगे? लेकिन पेयजल और शौचालय की अपर्याप्त व्यवस्था और ग्राहकों द्वारा बदतमीजी मंदिर परिसरों में आम घटना हो गई है। 

बताया जा रहा है कि स्थानीय भाजपा सांसद संतोष पांडेय का प्रयास है कि केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल विकास कार्यों की नींव रखें, तो कांग्रेसी नेता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के माध्यम से काम शुरू कराना चाहते हैं। जरा आप मंत्री और मुख्य मंत्री भी कभी इन हजारों सीढिय़ों को चढ़ते हुवे माता जी का दर्शन करिये देखिएगा सीढिय़ों में दुकान, दुकानदारों की स्थिति और ग्राहकों के बीच कीमतों को लेकर लिए झगड़ों के बीच क्या स्थिति है। 

यहां पहाड़ी के बायीं तरफ 9.5 एकड़ क्षेत्र में श्रीयंत्र की डिजाइन का निर्माण किया जाना है। इसमें पर्यटकों को थ्री स्टार होटल-रेस्त्रां, उद्यान, खेल मैदान व आडिटोरियम जैसी आवश्यक सुविधाएं मिलेंगी। मंदिर तक पहुंचने के लिए एप्रोच रोड बनाई जाएगी। मंदिर जाने वाली सीढिय़ों का सुंदरीकरण भी किया जाना है। इसके अलावा पर्यटकों को कई अन्य सुविधाएं भी मिलेगीं। आपके सुविधाएं की सूची में आम आदमी के लिये मूलभूत रूप से शुद्ध पानी और शौचालय की पर्याप्त व्यवस्था इन हजारों सीढिय़ों के बीच कैसे संभव हो इसे कौन तय करेगा? जरा चश्मा और दिमाग खुले रखिये?

बताया जाता है कि नवरात्रि के समय प्रतिवर्ष 8 लाख लोग मंदिर पहुंचते हैं। बहरहाल देखना बाकी है कि आंगतुकों के लिये शौचालय और पेयजल के साथ दुकान लगाने की सुविधा और भक्तों के लिये प्रसाद, पूजा सामाग्री और खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने वाले दुकानदारों के लिये सुविधा और सुरक्षा ट्रस्ट और सरकार दोनों में से कौन उठाती है?


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