यूपी के किसान की जान महंगी थी और छत्तीसगढ़ के किसान की जान सस्ती

68वें दिन 11 मार्च को बरोदा निवासी किसान सियाराम पटेल (65 वर्ष) का निधन

द कोरस टीम

 

नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपम चन्द्राकर ने बताया कि 11 मार्च को प्रभावित सभी 27 गावों के किसान परिवारों द्वारा 1200 वर्ग फीट विकसित भूखण्ड, सम्पूर्ण ग्रामीण बसाहट का पट्टा, कथित आपसी सहमति में 3600-9000 वर्ग फीट का पुनर्वास योजना एवं भुअर्जन से अर्जित भूमियों पर पुनर्वास योजना के तहत वार्षिकी राशि 15000 रुपये प्रति वर्ष 750 रुपये की बढ़ोत्तरी की मांगों को लेकर मुख्यमंत्री एवं सरकार को अपील आवेदन फार्म जमा कर पावती लेकर सबकुछ सक्षम प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक में तय किया गया था। 

समिति ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों से स्पष्ट निवेदन किया गया था कि आन्दोलन स्थल से रैली के रूप में अपील आवेदन फार्म जमा करने जायेंगे। शासन प्रशासन द्वारा जहां रोका जायेगा वहीं पर शुद्ध पेयजल, स्वस्थ व छांव आदि का पूर्ण इन्तजाम किया जावें। लेकिन हुआ ठीक उलट रैली को जहां शासन प्रशासन द्वारा रोका गया वहां पर पानी का आधा अधूरा, स्वास्थ एवं छांव का व्यवस्था नहीं किया गया था इसके चलते एक बुजुर्ग किसान सीयाराम पटेल शहीद हो गया।

किसान आन्दोलन के 68वें दिन लक्ष्मी नारायण चन्द्राकर, डेरहा राम पटेल(नवागांव), श्याम लाल तारक (कयाबाधां),जीतू वर्मा (खण्डवा), गीता ध्रुव (खण्डवा), मानबाई धीवर (परसदा) और उर्मिला धीवर (परसदा)सातवें दिन क्रमिक भूख हड़ताल में बैठे हुवे थे। 

समिति ने आगे बताया कि मांगे और मुआवजा पर बातचीत बहुत दूर आन्दोलन में उपस्थित 30 सदस्यों के ऊपर 107, 116 की धारा लगाकर नोटिस तामिल हेतु लाया गया इस पर प्रशासनिक अधिकारी चुप व मौन है तथा सस्पेंस अभी भी बना हुआ हैं।
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के तेजराम विद्रोही, ललित कुमार साहू ने शहीद किसान के अंतिम यात्रा में भाग लेकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया और परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। 

किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि नई राजधानी प्रभावित इस किसान आंदोलन में सियाराम पटेल पहले शहीद होने का गौरव प्राप्त किया है। उन्होंने राज्य सरकार तथा मुख्यमंत्री से किसानों की जायज मांगो को पूरा करने और शहीद किसान के परिवार को 50 लाख रुपये राशि का मुआवजा प्रदान कर, परिवार के एक सदस्य को स्थायी सरकारी नौकरी देकर किसानों के प्रति संवेदना प्रकट किया है।

बहरहाल छत्तीसगढ़ में किसानों की सरकार है। एक किसान पुत्र मुख्यमंत्री हैं। उनके राज्य में विगत 68 दिनों से किसान सियाराम नया रायपुर के निर्माण से विस्थापित था। पहले की भाजपा सरकार ने नई राजधानी बनाने के नाम पर उसकी जमीन छिनी तो दूसरे  ने उसकी जिंदगी छिन ली।

खैर, एक किसान के मरने से भला किसको फर्क पड़ता है। सब चुप हैं। मुख्यमंत्री ने मौत पर 4 लाख मुआवजा देने की घोषणा की है। यूपी के लखीमपुर के किसानों की मौत पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने 50-50 लाख का मुआवजा बांटा था। यूपी के किसान की जान महंगी थी। छत्तीसगढ़ के किसान की जान सस्ती। यह एक किसान पुत्र मुख्यमंत्री का ‘न्याय’ है।


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