सूरडोंगर मामला : गणेशराम परिवार सहित डौंडी थाने में धरने पर बैठे, शासन-प्रशासन मौन
मामले में मोची समाज ने मंगलवार से आंदोलन तेज करने की बात कही
सुशान्त कुमारछत्तीसगढ़ के बालोद जिले में गांव वालों द्वारा दलित का घर तोड़े जाने के बाद बेघर हुए सुरडोंगर के गणेशराम बघेल शनिवार दोपहर से न्याय की मांग को लेकर डौंडी थाने में परिवार सहित धरना पर बैठे गये हैं। उनके समर्थन में मोची समाज तथा आदिवासी समाज के लोग भी थाना पहुंचे थे। मोची समाज द्वारा मंगलवार से आंदोलन तेज करने की बात कही गई है। ब्लॉक कांग्रेस के मुखिया सरपंच और लीचिंग की सूरत में इस घटना को अंजाम देने वाले ग्रामीणों पर कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। स्थानीय थाना एफआईआर दर्ज करने के बाद भी तीन चार दिन की बार-बार मोहलत क्यों मांग रही है। पुलिस अधीक्षक ने त्वरित कार्रवाई अब तक नहीं की है। कलेक्टर के पास पत्र जाने के बाद भी कार्यवाही कहां अटक गई है। क्षेत्रीय विधायक मौन हैं। मामला मीडिया में आने के बाद न्याय आंख पर काली पट्टी लगाये खड़ी है।

गणेश राम का कहना है कि उनके घर को तोडऩे वाले सरपंच उपसरपंच, ग्राम विकास समिति के लोगों पर जब तक कार्रवाई नहीं होगी तब तक वह थाना परिसर में बैठे रहेंगे। उन्होंने बताया कि मेरे साथ घटित घटना को करीब एक महीना होने को है और पुलिस प्रशासन और शासन द्वारा उनके खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है। गांव वालों ने मेरा घर तोड़ा और मेरे परिवार को बेघर कर दिया है और उल्टे मेरे उपर ही काउंटर केस बनाया गया है। अपने पत्नी रुकमणी बाई तीनों बच्चों और ससुर काका ससुर के साथ अपने गांव से पैदल चल कर डौंडी थाने में दोपहर 12 बजे से धरना प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं। स्थिति यह है कि इस मामले में आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
प्रशासन ने आज तक कार्रवाई नहीं की
गणेश ने कहा कि उनका परिवार कई दिनों तक ठंड के दिन में पेड़ के नीचे रात गुजारे हैं। गणेश राम के समर्थन में आए मोची समाज के ब्लॉक अध्यक्ष जीवधन जगनायक ने कहा कि गरीब का घर तोडऩे वाले सरपंच सत्ता पक्ष का व्यक्ति होने की वजह से उन्हें सरकार का संरक्षण है। मंगलवार से उनके समाज द्वारा आंदोलन किया जाएगा। आदिवासी समाज के रेवा रावटे और सुनहरे कोसमा ने कहा कि पिछले दिनों यात्री बस की डिक्की में डाल कर बकरा ले जा रहे व्यक्ति के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई कर तत्काल उन्हें जेल में डाल दिया। परंतु इस घटना को अंजाम देने वाले लोगों के ऊपर शासन - प्रशासन ने आज तक कार्रवाई नहीं की।
कार्रवाई करने का अधिकार डीएसपी स्तर के अधिकारियों को है
डौंडी थाना प्रभारी अनिल ठाकुर का कहना है कि गणेशराम द्वारा 23 फरवरी को जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है। एसीएसटी वाले मामले में कार्रवाई करने का अधिकार डीएसपी स्तर के अधिकारियों को होता है। सभी आवश्यक दस्तावेज को उच्च अधिकारियों को सौंप दिए हैं।
सत्ता और शासन हमारा है हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता
गणेशराम ने कलेक्टर को लिखे पत्र में कहा है कि सरपंच कोमेश कोर्राम (ब्लाक कांग्रेस कमेटी डौंडी) एवं गांववालों द्वारा जातिगत गाली - गलौच करते हुए अनुसूचित मोची जाति जानकर जातिगत दुर्भावना रखते हुवे जेसीबी से घर को तोड़ दिया।
इस घटना के संबंध में स्थानीय पुलिस डौंडी में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही है और इन आरोपियों के द्वारा खुले आम यह कहा जा रहा कि सत्ता और शासन हमारा है हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता कलेक्टर और एसपी भी नहीं करेंगे, जो हम कहेंगे...इसलिए आज तक कोई भी बड़ा अधिकारीघटना स्थान मुआयना करने नहीं पहुंचे हैं जिससे आरोपियों का हौसला बुलंद है।
उन्होंने पत्र में आगे लिखा है कि डरा सहमा गांव से दूर रात के अंधेरे में गुजर बसर करने के लिए बाध्य हैं। 21 फरवरी सोमवार को रात्रि करीब 8.00 बजे के लगभग आठ दस लोग नकाब पहनकर घटना स्थल के आसपास वारदात करने के नियत से मंडरा रहे थे जिससे पूरा परिवार दहशत में है।
इस घटना की सूचना मोबाईल से थाना प्रभारी को दी गई और 22 फरवरी को गणेशराम और गांववालों को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं अन्य अधिकारियों को ग्राम पंचायत में बुलाकर एकपक्षीय समझौता को झूठे तौर पर मीडिया में देकर मामले का निपटारा बताया जा रहा है।
जैसा कि 30 जनवरी को महात्मा गांधी के पुण्यतिथि के दिन गणेशराम और उसके परिवार को अनुसूचित जाति के सदस्य होने के आधार पर सामाजिक बहिष्कार कर सरपंच एवं गाव वालों द्वारा घर को जेसीबी से नेस्तनाबूत कर दिया गया था। आरोपियो के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज होने के बाद भी किसी तरह का कार्यवाही नहीं हो रहा है।
ब्लॉक अध्यक्ष और ग्रामीणों ने ध्वस्त किया दलित का घर
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के न्याय और सशक्तिकरण के बीच बालोद जिले में उनकी ही पार्टी के ब्लॉक अध्यक्ष के नेतृत्व में ग्रामीणों ने एक दलित परिवार का घर जेसीबी से ध्वस्त करा दिया है।
बहरहाल स्थिति यह है कि दलित परिवार को बेघर करने की इस बर्बरतापूर्ण घटना के खिलाफ थक-हारकर पीडि़त परिवार डौंडी थाना परिसर में ही धरना देने पर मजबूर हुआ है।
30 जनवरी को जब से दलित का घर तोड़ा गया है तब से यह परिवार अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ दर-ब-दर की ठोकरें खा रहे हैं। गणेशराम ने बताया कि हमारे पूरे परिवार के लिए खाने-पहनने तक के लाले पड़ हुए हैं।
पुलिस थाना का चक्कर काटते हुए हमारे पैर घिस गए हैं। मेरे परिवार को बेघर करने वाले छुट्टा घूम रहे हैं, हमें तरह-तरह से डराया-धमकाया जा रहा है। तिनका-तिनका जोडक़र हमने आज से आठ वर्ष पूर्व ईंट और खपरैल का घर बनाया था, आज हमारा पूरा परिवार भय और असुरक्षा के माहौल में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
उन्होंने दोहराया कि हमारी मांग है कि सभी दोषियों की अविलम्ब गिरफ्तारी और फास्ट ट्रेक ट्रायल चलाकर सजा की गारंटी की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो। साथ ही भविष्य में उसे और उसके परिवार को सुरक्षा की गारंटी, पुनर्वास और क्षति का सम्पूर्ण मुआवजा की बात की है।
गणेशराम और उसके परिवार के लिए गांव में कोई जगह नहीं
गणेश राम ने इंसाफ की गुहार लगाते हुए कहा कि क्या यही इंसाफ है कि मेरा घर तोड़ दिया गया सबकुछ उजाड़ दिया गया और मुझ पर ही समझौते का दबाव बनाया जा रहा है। घटना को अंजाम देने वाला सरपंच और इस घटना में उनका साथ देने वाले ग्रामीण आज भी खुलेआम बोलते हैं कि गणेशराम और उसके परिवार के लिए गांव में कोई जगह नहीं है।
लिहाजा ब्लॉक कांग्रेस के मुखिया सरपंच और लीचिंग की सूरत में इस घटना को अंजाम देने वाले ग्रामीणों पर कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। स्थानीय थाना एफआईआर दर्ज करने के बाद भी तीन चार दिन की बार-बार मोहलत क्यों मांग रही है? पुलिस अधीक्षक ने त्वरित कार्रवाई अब तक नहीं की है। कलेक्टर के पास पत्र जाने के बाद भी कार्यवाही कहां अटक गई है? क्षेत्रीय विधायक मौन हैं। मामला मीडिया में आने के बाद न्याय आंख पर काली पट्टी लगाये खड़ी है।
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