आदिवासी कार्यकर्ता भगवान किस्कू गिरफ्तार

विशद कुमार

 

 

जैसा कि आप सभी जानते हैं जल, जंगल, जमीन एवं समस्त प्राकृतिक संसाधनों की लूट एवं इस लूट पर बोलने वालों को CRPF केंप लगाना, तथा आम ग्रामीणों को झूठे मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तार करना, फर्जी मुठभेड़ में मार दिया जाना आम बात है।

बताया जा रहा है कि  भगवान किस्कू विश्व प्रसिद्ध आदिवासियों का धर्म स्थल परासनाथ (मरांग बुरू) को बचाने के लिए "धर्मगढ़ रक्षा समिति"परासनाथ गिरिडीह, संगठन बनाकर आदिवासी-मूलवासी जनता के बीच जागरूकता लाने का प्रयास कर रहे थे।

उन्हें गिरिडीह प्रशासन ने गिरफ्तार कर माओवादी बताकर कई फर्जी मुकदमे डाल कर जेल भेज दिया है। जबकि भगवान किस्कु धर्मगढ़ रक्षा समिति के सदस्य के साथ-साथ विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन झारखंड इकाई के सक्रिय सदस्य हैं। इसके अलावा झारखंड जन संघर्ष मोर्चा का सदस्य हैं और अपने क्षेत्र के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता है। जो सभी राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों के लोग जानते हैं।

आंदोलन ने कहा है कि गिरिडीह प्रशासन द्वारा झुठे मुकदमे में गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने का विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन तीव्र निंदा व भर्त्सना करता है एवं बिना शर्त अविलंब रिहा करने की मांग करता है, अगर रिहा नहीं किया गया तो, पूरे झारखंड क्षेत्र में तीव्र जनांदोलन किया जाएगा। साथ ही साथ सभी जन संगठनों, सामाजिक संगठनों, मानवाधिकार संगठनों से अपील है ।

बता दें कि 26 वर्षीय गिरिडीह जिला अंतर्गत खुखरा थाना क्षेत्र के चतरो गांव निवासी भगवान किस्कू को नक्सली होने का आरोप लगाकर जिले के अभियान एएसपी गुलशन तिर्की के नेतृत्व में बनी टीम ने गिरफ्तार कर पूछताछ के बाद 23 फरवरी को उसे न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया। 

एएसपी अभियान गुलशन तिर्की ने बताया कि खुखरा जंगल से एक युवक को गिरफ्तार किया गया। कई कांडों में उसकी संलिप्तता पाई गई है। उसे 23 फरवरी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

तिर्की के अनुसार गिरफ्तार युवक के खिलाफ पीरटांड़ समेत अन्य थाना क्षेत्र में नक्सली वारदात को अंजाम देने के मामले में आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। इसमें लैंड माइन, आइईडी लगाने, मधुबन क्षेत्र में मोबाइल टावर उड़ाने, डुमरी के लुरंगी के पास बराकर नदी पर बने पुल को केन बम से उड़ाने के अलावा अन्य मामले दर्ज हैं। अन्य थानों में दर्ज मामलों का डिटेल खंगाला जा रहा है। 

दूसरी तरफ कहा जा रहा कि भगवान दास किस्कू क्षेत्र में हो रही पुलिसिया जुल्म के सवाल पर पिछले 5 फरवरी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर एक ज्ञापन दिया था। जिसके बाद से ही जिले की पुलिस की बक्र दृष्टि भगवान किस्कू आ गई। मुख्यमंत्री को इस ज्ञापन को देेेने के लिए गिरिडीह के जेएमएम विधायक सुदिव्य कुमार गये थे।

ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं। अगर भगवान किस्कू नक्सली है तो उसका पुराना रिकार्ड होगा, जिसकी जानकारी क्षेत्र के लोगों सहित विधायक को भी होगी। तब ऐसे में एक नक्सली को मुख्यमंत्री से मिलवाने कोई विधायक कैसे जा सकता है?

बता दें कि मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन में साफ लिखा गया है कि दक्षिणी पारसनाथ अंतर्गत गांव ढोलकट्टा, थाना- मधुवन, प्रखण्ड पीरटांड, जिला गिरिडीह (झारखण्ड) के निवासी छुटू किस्कू की मृत्यु 23नवम्बर 2020 को अपने घर में मिरगी बिमारी से हुई थी।

इसी दिन लगभग 60-70 की संख्या में पुलिस अर्द्ध सैनिक बल गांव में आ धमके और मृत्य जन की अंत्येष्टि करने के लिए जुटे ग्रामीण जनता के साथ मार-पीट करने लगे। वह भी बिना कुछ जायजा लिये और पुछताछ किये। इस तरह से हम ग्रामीणों पर जुल्म किया गया।

गांव के किसुन बास्के को गाली-ग्लौज करते हुए थप्पड़ मारा गया। यही नहीं इसके पहले 12 अक्टूबर, 2020 को पुलिसों ने गांव में आकर लोगों के साथ बदतमीजी की, 21 मई 2003 को निर्दोष ग्रामीण जनता छोटे लाल किस्कू को नक्सली बताकर मुंह में गोली मारी गयी, छोटू किस्कु, सुरेश सोरेन सहित लगभग 70 वर्षीय मंगला किस्कू को मारा-पीटा गया था।

इतना ही नहीं 2015 में भी रोला लकड़ी काटने के लिए जंगल गये 8 व्यक्तियों 1. मांजो मराण्डी, 2. बीरू हंसदा, 3. चरण हंसदा, 4. चारो हेम्ब्रम, 5. जीतन हंसदा, 6. चिनु मराण्डी, 7. एतवारी मुर्मू, 8. छोटे लाल हंसदा को पकड़कर गंभीर रूप से मार पीट किया गया था। 

ज्ञापन में कहा गया है कि इसी तरह 9 जून 2017 को पुलिस ने नक्सली बताकर मोती लाल बास्के के सीने पर ग्यारह गोली उतार दी थी। यानी 2003 से लेकर अभी तक ढोलकट्टा के ग्रामीण जनता पर पुलिस जुल्म होती चली आ रही है। अब ढोलकट्टा में पुलिस कैम्प स्थापित करने की भी कोशिश जारी है, वह भी ग्रामीण जनता की खतियानी व रैयती जमीन पर।

ढोलकट्टा गांव के समस्त ग्रामवासियों ने निवेदन किया है कि ढोलकट्टा गांव में पुलिस कैम्प स्थापित न किया जाय और गरीब आदिवासी जनता को पुलिस दमन-अत्याचार से बचाया जाय। 

इस ज्ञापन में कई ग्रामीणों के हस्ताक्षर हैं, जिसमें मुख्य रूप से चांदो लाल हांसदा, भागीरथ किस्कू, राजेश किस्कू, पतिलाल मुर्मू, दीपक किस्कू और भगवान दास किस्कू शामिल है। 

इसकी एक तस्वीर भी किस्कू ने अपने फेसबुक वाल पर लगाया था जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार के साथ भगवान दास किस्कू साफ दिख रहे हैं। जिसे पुलिस ने दुर्दांत माओवादी बताकर गिरफ्तार कर लिया है।

बताते चलें कि गिरिडीह जिला अंतर्गत पारसनाथ पर्वत की तलहटी में खुखरा थानान्तर्गत चतरो गांव निवासी भगवान दास किस्कू वर्तमान में एक सामाजिक संगठन झारखंड जन संघर्ष मोर्चा, विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन व अपने गांव के ‘शहीद सुंदर मरांडी स्मारक समिति’ से भी जुड़े हुए हैं।

कहना ना होगा कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिन-रात आदिवासी-मूलवासी जनता के हितैषी होने का दावा करते नहीं थकते, लेकिन उनके दावे के ठीक विपरीत उनकी पुलिस आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं को ही झूठे मुक़दमे दर्ज कर जेल भेज रही है। ऐसे में यह सवाल लाजिमी हो जाता है कि अगर भगवान दास किस्कू माओवादी हैं, तो वे मुख्यमंत्री कार्यालय में क्या कर रहे थे? और अगर माओवादी नहीं हैं, तो आखिर उन पर झूठा मुकदमा दर्ज कर क्यों गिरफ्तार किया गया? 


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