जेसीबी से एक दलित परिवार का घर उजाड़ दिया गया, शासन प्रशासन मौन
सुशान्त कुमारछत्तीसगढ़ में ग्राम पंचायत के सरपंच, उपसरपंच ने साजिश के तहत एक दलित परिवार के घर को जेसीबी से उजाड़ दिया। यह जीवन जीने के नैसर्गिक अधिकार के खुले उल्लंघन का संगीन आपराधिक मामला है। बावजूद इस मामले पर शासन-प्रशासन के स्तर पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है सब मौन हैं उल्टे पीडि़तों और उनके समर्थकों को अनुशासन और धमकियां दी जा रही है।

इस जघन्य घटना को 30 जनवरी को गांधी जी के शहादत दिवस के दिन अंजाम दिया गया है। इस घटना को ग्राम पंचायत के सरपंच, उपसरपंच और गांव के कुछ दलित विरोधी मानसिकता वालों की साजिश का नतीजा है। फिलहाल यह बेघर परिवार इंसाफ के लिए आज दर-ब- दर ठोकर खा रहा है, किंतु इसकी सुनने वाला कोई नहीं है।
घटना छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के डोंडी ब्लॉक के सूरडोंगर गांव की है। भूमिहीन गणेशराम बघेल अपने परिवार के साथ पिछले 17 वर्ष से उस गांव में रहता आ रहा है। 8 साल पहले तिनका-तिनका जोडक़र उसने सार्वजनिक जमीन पर ईंट और खपरैल का घर बनाया था। जिसे ध्वस्त कर देने से गणेशराम अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ बेघर हो पेड़ के नीचे रहने को विवश है।
घर के ध्वस्त होने से इस परिवार की फिलहाल पूरी दुनिया ही उजड़ चुकी है। सब कुछ बुरी तरह प्रभावित हुआ है- बच्चों की पढ़ाई भी बन्द हो गई है। गांव के दूसरे बच्चे इन्हें ताना दे रहे हैं कि तुम्हारा घर तोड़ दिया गया! क्या कर लिए? बच्चों की इस प्रतिक्रिया से गांव की दलित विरोधी मानसिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
ठंड के मौसम में इस दलित परिवार को बेघर करने की घटना को लेकर हर तरफ चुप्पी छाई हुई है, शासन-प्रशासन को आवेदन के माध्यम से इंसाफ की गुहार लगाई गई है। गणेशराम कहते हैं कि- ‘मैंने सुना था कि सबके लिए न्याय एक समान होता है, तो फिर मेरे साथ इंसाफ क्यों नहीं हो रहा है। अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं और थानेदार मुझे डंडे मारकर भगा देता है।
गांव के कुछ लोग कहते हैं कि इस गांव में चमार जाति होना ही नहीं, इस जाति के लिए यहां कोई जगह नहीं।’ ऐसे जघन्य और मानवाधिकारों के खुला उल्लंघन के मामले पर राजनीतिक दल और मीडिया भी बेशर्मी की हद तक चुप है। गणेशराम आगे कहते हैं कि यदि मुझे इंसाफ नहीं मिला तो पूरे परिवार के साथ आत्मदाह कर लूंगा।
संयुक्त मोर्चा अनुसूचित जाति,जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक दल्ली राजहरा जिला बालोद के अध्यक्ष हेमंत कांडे ने बताया कि माननीय कलेक्टर महोदय जिला बालोद छत्तीसगढ़ को ग्राम सूर डोंगर के अनुसूचित पिछड़े वर्ग के लोगों को प्रताडि़त कर बेघर करने वाले सरपंच उमेश कोर्राम को गिरफ्तार कर सरपंच पद से बर्खास्त करने की मांग की है।
उन्होंने बताया कि घटना रविवार 6 फरवरी को समाज के संज्ञान में आया। इस संबंध में वास्तविक स्थिति की जानकारी लेने के लिए सभी जाति समाज के लोग सामाजिक दायित्व का निर्वाह करने प्रभावित व प्रताडि़त व्यक्तियों से प्रत्यक्ष भेंट करने के लिए सामाजिक लोग सुबह गए थे। घटनास्थल पर पहले से ही नायब तहसीलदार विनय देवांगन और टीआई अनिल ठाकुर अपने अधीनस्थ अधिकारियों के साथ उपस्थित थे। वह प्रताडि़त वह प्रभावितों का बयान दर्ज कर रहे थे उनका काम हो जाने के पश्चात उनके समक्ष ही वस्तुस्थिति की जानकारी ली गई।
मामले में प्रताडि़त व प्रभावित परिवार का कहना है कि -‘हम लोग लगभग 20 वर्षों से ग्राम सुरडोगर में निवास कर रहे हैं और वह मोची अर्थात अनुसूचित जाति से हैं तथा विगत 10 वर्षों से घास जमीन पर मकान बनाकर निवास कर रहे हैं यहां आस-पास में कोई सार्वजनिक समुदायिक वह शासकीय भवन नहीं है और ना ही हमारे कारण किसी को कोई परेशानी है।’
बताते चले कि यह स्थल ग्राम से लगभग आधा किलोमीटर दूर स्थित है। जिसे ग्राम पंचायत के सरपंच उमेश कोराम वा उनके भडक़ावे में आकर ग्राम वासियों द्वारा जेसीबी लगाकर उनके घर को तोड़ दिया गया।
जातिवादी कू्रर मानसिकता देखिये कि दैनिक उपयोग की सामग्री गंजी बर्तन को कुचल दिया गया व बच्चों के पुस्तक कॉपी को फाडक़र आग लगा दी गई ।ओढऩे बिछाने व पहनने के कपड़े भी नष्ट कर दिए गए। चावल के गंजी से चावल निकाल कर मिट्टी में मिला दिया गया। जातिगत गाली गलौज करते हुए मारपीट की गई है। जिसका वीडियो वायरल है।
परिवार ने बताया कि डॉक्टरी मुलाहिजा ठीक से नहीं किया गया। शासन व प्रशासन से कोई मदद नहीं मिला है बयान में हमारी जाति मोची का उल्लेख नहीं किया गया है। उक्त जानकारी मिलने के मददगार संगठनों ने घटनास्थल में मौजूद तहसीलदार व टीआई से जानकारी ली व बयान में मोची जाति का उल्लेख कराया गया।
तहसीलदार विनय देवांगन तथा टीआई अनिल ठाकुर से प्रभावित परिवार को तत्काल सहायता पहुंचाने का निवेदन किया गया और आगंतुक सामाजिक बंधुओं ने स्वत:स्फूर्त चंदा एकत्रित कर 2700 रुपये तत्काल पीडि़त परिवार को सहायता राशि प्रदान किया गया।
संगठन का कहना है कि उपरोक्त समस्त घटनाक्रम के समय प्रभावित व प्रताडि़त परिवार तथा सामाजिक बंधुओं के साथ उल्लेखित अधिकारी उपस्थित रहे। इस दरमियान हम ना सरपंच से मिले ना ही हमारी ग्रामवासियों से भेंट हुई और ना ही किसी प्रकार का वार्तालाप किया गया।
सरपंच की दबंगाई देखिये कि वह दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार व वायरल बाइट के द्वारा अत्याचारी सरपंच अपनी राजनीतिक गुरुर में कह रहा है कि विद्युत विभाग के अधिकारी आरएस करपाल व शिक्षक देवलाल भूआर्य प्रताडि़त तथा प्रभावित लोगों को भडक़ा रहा है कार्यवाही करने की बात फैलाई जा रही है।
जो अपने अनैतिक अवैधानिक और अधिकारों के दुरुपयोग को साजिश के तहत अपराधी प्रवृत्ति दबंगई और राजनीतिक रसूख को मंत्री के सानिध्य प्राप्त होने के कारण जायज ठहराने के लिए गांव के ग्रामीणों को बहलाकर गैर कानूनी कार्यवाही को अंजाम देने की साजिश कर रहा है।
इस संबंध में प्रताडि़त परिवार ने बताया कि घास जमीन पर अतिक्रमण का मामला न्यायालय तहसीलदार में लंबित है। उसे तोड़ा जाना उपयुक्त था तो न्यायालय तहसीलदार संबंधित थाना के टीआई तथा अनुविभागीय अधिकारी के आदेश व उपस्थिति में अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जानी थी व सरपंच कोर्राम अपने दबंगई राजनीतिक पहुंच का दम भरते हुए शासन व प्रशासन व कानून न्यायालय को ठेंगा दिखाकर उपरोक्त कार्य को ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा कर इस जघन्य घटना को अंजाम दिया गया जोकि दंडनीय अपराध है।
फिर अपने अवैधानिक कार्यों को उचित ठहराने हेतु ग्रामीणों को पुन: भडक़ा कर चक्काजाम तथा घेराव कर अधिकारी व कर्मचारी पर कार्यवाही करने के लिए माहौल उत्पन्न करने का कुत्सित प्रयास किया।
मामले में प्रभावित व्यक्तियों के जीवन जीने के न्यायिक व संवैधानिक अधिकारों की पूर्ति हेतु सामाजिक व समुदायिक दायित्व को पूरा करने व शोषितों को न्याय प्रदान की जाने की मंशा को दुर्भावनावश अधिकारी व कर्मचारी को चिन्हित कर कार्यवाही करने की मांग करना अनैतिक अवैधानिक वा सामाजिक दायित्व को पूरा करने में बाधा पहुंचाना है।
जो मानवीय सह्रदयता का उल्लंघन है जबकि ग्रामवासियों को स्थानीय सरपंच व सत्तारूढ़ राजनीतिक दल का पदाधिकारी कोमेश कोर्राम यह कहते हुए पाया गया है कि शासन प्रशासन मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते कहकर पीडि़तों के साथ मारपीट, गाली - गलौज वह धमकी दे रहा है।
बताया जा रहा है कि उपरोक्त घटना की जानकारी छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू,महिला व बाल विकास मंत्री स्थानीय विधायक अनिला भेडिय़ा, मोहन मंडावी व सांसद कांकेर को वायरल वीडियो सहित जानकारी प्रेषित किया गया है। एसडीएम राजहरा, सीएसपी दल्ली राजहरा को प्रत्यक्ष भेंट कर मामले की गंभीरता से अवगत कराया गया है।
पीडि़त और अल्पसंख्यक संगठन ने दक्षिण कोसल/द कोरस से कहा है कि शासन प्रशासन न्यायालय को धत्ता बताकर कानून को अपने हाथ की कठपुतली बनाने वाले सरपंच कोमेश कोर्राम को अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत अपराध पंजीबद्ध कर कार्यवाही करें ताकि भविष्य में उक्त घटना की पुनरावृत्ति किसी भी पंचायत प्रतिनिधि के द्वारा ना किया जा सके और कोई भी अनुसूचित व पिछड़े वर्गों पर अन्याय शोषण व जुल्म ना कर सके।
बहरहाल संगठन ने चिंता जाहिर करते हुवे कहा है कि कार्यवाही ना होने पर उपरोक्त घटना से जनआक्रोश उत्पन्न होने की आशंका है, शांति प्रिय क्षेत्र को शांत करने की घटना पनपने के पहले ही अपराधियों पर त्वरित कार्यवाही करके पीडि़त परिवार को न्याय प्रदान करने की पहल होनी चाहिए।
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