रायगढ़ के मुद्दे पर पूरे प्रदेश में अधिवक्ताओं और सरकारी अमलों में उबाल

द कोरस टीम

 

दरअसल, रेलवे बंगला पारा में रहने वाले रामू राम यादव का जमीन नामांतरण होना है। इसे लेकर पहले ही सिविल कोर्ट ने उस जमीन का नामांतरण कराने का फैसला दिया है। इसके बाद ये पूरी प्रक्रिया तहसील कार्यालय से होनी हैं। मगर तहसीलदार सुनील अग्रवाल ने इस पर ये कह दिया है कि वे नामांतरण नहीं करेंगे। ये फैसला ही गलत है। जिसके बाद से ये पूरी प्रक्रिया तहसील कार्यालय में अटकी हुई है।

शुक्रवार को इस मामले में रामू राम यादव के वकील जितेंद्र शर्मा इस पर किसी बातचीत को लेकर तहसील ऑफिस गए थे। उन्होंने यहां मामले से संबंधित जरूरी दस्तावेजों की जांच की तो पता चला कि तहसीलदार ने गलत डिसीजन लिया है। इस पर वकील जितेंद्र शर्मा ने तहसीलदार सुनील अग्रवाल के सामने आपत्ति जताई थी।

बताया गया कि इसी आपत्ति के बाद से ये विवाद शुरू हुआ है। वकील जितेंद्र शर्मा का कहना है कि जब मैंने तहसीलदार से बात करने की कोशिश की और उनके फैसले को गलत बताया तो तहसीलदार ने उनके साथ बदसलूकी की। उनके साथ धक्कामुक्की की गई। इसके बाद उनके साथी वकील भी वहां पर पहुंच गए तो तहसील कार्यालय के रामप्रसाद सिदार और अखिलेश समेत अन्य लोगों ने हमें मारा पीटा है। वकीलों का आरोप है कि हमारे साथ पहले तो तहसील कार्यालय के लोगों ने मारपीट की है। इसके बाद हमने अपने बचाव में ये सब किया।

इधर, घटना को जो वीडियो सामने आया है। उसमें वकील तहसील कार्यालय के कर्मचारियों को पीटते हुए दिखाई दे रहे हैं। साथ ही वीडियो में ये भी दिखाई दे रहा है कि जब नायब तहसीलदार विक्रांत राठौर बीच बचाव करने आते हैं तो पीछ से कुछ वकील उन्हें पीटते हुए नजर आ रहे हैं।

घटना के बाद वकीलों ने तहसील कार्यालय में पहले तो हंगामा किया। फिर कलेक्टर ऑफिस में चले गए। उनका कहना है कि जब तक अब इन पर कार्रवाई नहीं होगी। हम काम नहीं करेंगे। इस संबंध में वकीलों ने तहसील कार्यालय के पास स्थित उनके बार रूम में बैठक भी की है और चक्रधरनगर पुलिस थाने का घेराव कर दिया है।

वहीं इस मामले में तहसील कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों और राजस्व अधिकारियों का भी अपना पक्ष है। उनका कहना है वकीलों ने हमारे साथ मारपीट की है। हमें पीटा गया है। इसलिए हम कार्यालय बंद कर रहे हैं। साथ ही कलेक्टर कार्यालय को भी बंद कर दिया गया है। तहसील कार्यालय के कर्मचारी भी कलेक्ट्रेट के सामने धरना दे दिया। उन्हें जिले के दूसरे अधिकारी संगठनों का भी समर्थन मिला हुआ है। घटना के बाद अधिकारियों और राजस्व अधिकारियों ने चक्रधरनगर थाने में जाकर घेराव भी कर दिया है। पुलिस की टीम दोनों पक्षों को समझाने में लगी हुई है।

क्या बोले रायपुर राजनांदगांव के अधिवक्ता

इधर, रायपुर अधिवक्ता संघ ने वकीलों के समर्थन में आ गए हैं। वकीलों पर लगे आरोपों को झूठा बताया है। रायपुर कलेक्टर को इस मामले में ज्ञापन सौपा गया है। अधिवक्ताओं ने बताया कि तहसील कर्मचारी के द्वारा शासकीय कर्मचारी को अपनी जाति का अनुचित लाभ उठाते हुए वकीलों के खिलाफ झूठा रिपोर्ट दर्ज कराया गया है। रायपुर अधिवक्ता संघ इसकी घोर निंदा की है। राजनांदगांव जिला अधिवक्ता संघ ने अधिवक्ता एचबी गाजी के नेतृत्व में जताया विरोध। काली पट्टी लगाकर किया कोर्ट में काम।

रायगढ़ में हुई मारपीट का मामला अब और बढऩे लगा है। इस मामले में राजस्व अधिकारियों और अधिवक्ताओं के बीच तकरार बढ़ गई है। दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राजस्व अधिकारी एक दिन पहले से ही हड़ताल पर चले गए हैं, वहीं अब मंगलवार को अधिवक्ताओं ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन देकर राजस्व अधिकारियों के प्रदर्शन के विरोध में आ गए हैं। राजस्व अधिकारियों ने मंगलवार रायपुर में प्रदर्शन किया, जिसमें जिलेभर के सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदार शामिल हुए। हड़ताल की वजह से तहसील कार्यालय में ताला लग गया है। काम-काज भी प्रभावित हो रहा है।

दूसरी ओर अधिवक्ताओं ने आवेदन देकर राजस्व प्रकरणों की पैरवी नहीं करने की बात कही है। अधिवक्ताओं ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री के नाम दिए आवेदन में राजस्व अधिकारियों द्वारा लगाए आरोपों को झूठा बताया है। रिश्वतखोरी का आरोप लगाते हुए अधिवक्ताओं ने जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है। अधिवक्ता संघ और राजस्व अधिकारियों के एक-दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन करने से दोनों के बीच तकरार बढ़ गई है। 

मंगलवार को जिला अधिवक्ता संघ के बैनर तले वकीलों ने राजस्व अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला। न्यायालय के बाहर राजस्व अधिकारियों पर झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने का आरोप लगाते हुए अधिवक्ताओं ने नारेबाजी की। इसके बाद अधिवक्ताओं ने अपर कलेक्टर को राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया, जिसमें अधिवक्ताओं ने प्रकरण पर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। वहीं राजस्व अधिकारियों पर रिश्वतखोरी करने का आरोप लगाया।

इधर रायगढ़ में वकीलों द्वारा नायब तहसीलदार सहित अन्य कर्मचारियों के साथ की गई मारपीट के विरोध में राजस्व अधिकारियों ने प्रदेशव्यापी हड़ताल शुरू कर दी है। मंगलवार को जिलेभर के सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदार राजधानी रायपुर में हड़ताल किया। 

पूर्व सीबीआई मजिस्ट्रेट और अधिवक्ता प्रभाकर ग्वाल ने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले अधिवक्ताओं व राजस्व अधिकारी के मध्य जो विवाद हुआ है, इसके लिए संबंधित राजस्व अधिकारी व सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि सिविल न्यायालय से अधिक भ्रष्टाचार राजस्व न्यायालय में हो रहे हैं, आज एसीबी को शिकायत देने से सूचना भ्रष्ट अधिकारियों को पहले दे दी जाती हैं। अधिवक्ता की उपस्थिति पुलिस, राजस्व, बैंक, बीमा, फाइनेंस के सभी अधिकारियों के द्वारा नफरत की जाती हैं, कोई स्वीकार नहीं करते हैं। जबकि समाज, शासन, न्यायालय का प्रथम आधार स्थान अधिवक्ता का हैं।  बिना अधिवक्ता के भारत ही नही कोई भी देश संचालित नहीं किया जा सकता है।

ग्वाल ने कहा कि देश व इंसान व हमारी भलाई इसमे हैं कि रायगढ़ में अधिवक्ता साथियों के विरुद्ध सभी अपराध तुरंत खत्म किया जाए। सभ्य व न्यायपूर्ण व्यवस्था बनाये रखने के लिए सारे न्यायालयीन कार्य के जो राजस्व अधिकारी व अन्य शासकीय अधिकारियों से कराएं जा रहे हैं, राजस्व व शासकीय अधिकारीयों से वापस लेकर केवल न्यायिक अधिकारीयों से कराया जाए, जो उच्च न्यायालय के अधीनस्थ हैं।

उन्होंने कहा कि किसी भी विषय पर न्यायिक निष्कर्ष लेने के लिए कोई भी राजस्व अधिकारी, कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मानसिक रूप से, विधिक रूप से, संवैधानिक रूप से, नैतिक रूप से, प्राकृतिक रूप से सक्षम नही होता है। हमारे एक सीनियर अधिवक्ता ये व्यंग कर कि मैं लक्ष्मी न्यायालय का काम नही कर सकता, न्याय नही दिला सकता कहकर कोई भी राजस्व या प्रशासनिक कार्य लेने से मना कर देते हैं।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने डीजीपी को लिखा पत्र

छत्तीसगढ़ में तहसीलदारों और अधिवक्ताओं के बीच छिड़े विवाद में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने डीजीपी को पत्र लिखकर कहा है कि इस राजस्व विभाग के कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों के चलते ऐसी स्थिति बनी है। बेगुनाह वकीलों को रिहा कर केस वापस लिया जाए। वहीं मामले में सबसे पहले गिरफ्तार किए गए वकील भुवनलाल साव की जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। अधिवक्ताओं की ओर से उन्हें ही बेगुनाह बताया जा रहा है।

यह पत्र बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा की ओर से भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि राजस्व अधिकारियों के भ्रष्टाचार का विरोध करने पर वकीलों के खिलाफ झूठे प्रकरण दर्ज करा दिए गए। राजस्व अधिकारियों का भ्रष्टाचार बेहद गंभीर मामला है। घटना के बाद निर्दोष वकीलों की गिरफ्तारी की गई है। उनकी गिरफ्तारी से प्रदेश भर के अधिवक्ता परेशान हैं। मिश्रा ने मांग की है कि मामले में बेगुनाह वकीलों को तत्काल रिहा किया जाए और साथ ही उनके खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जाएं। 

स्टेट बार काउंसिल ने काली पट्टी लगा कर काम करने कहा

रायगढ़ में कुछ दिनों पहले वकीलों और तहसील के कर्मचारियों के बीच विवाद हो गया था। आरोप है कि कुछ वकीलों ने तहसील के कर्मचारियों के साथ मारपीट  पर स्टेट बार काउंसिल के निर्देश पर मंगलवार को वकीलों ने काली पट्टी लगाकर काम किया। साथ ही विरोध प्रदर्शन भी किया गया। 

गिरफ्तार वकील की जमानत खारिज

वहीं दूसरी ओर रायगढ़ जिला एंव सत्र न्यायालय में सबसे पहले गिरफ्तार किए गए वकील भुवनलाल साव की जमानत याचिका लगाई गई थी। बताया जा रहा है कि अभी तक अधिवक्ताओं को जमानत नहीं मिली। वकील भुवनलाल साव वही हैं, जिन्हें अधिवक्ता शुरू से निर्दोष बताते आ रहे हैं। वकीलों की ओर से कहा गया है कि वह सिर्फ घटना स्थल पर खड़े थे। इस विवाद में उनका कोई हाथ नहीं है।

 

17 फरवरी को होने वाला अधिवक्ता संघ का चुनाव स्थगित

दूसरी ओर अधिवक्ताओं और अधिकारी-कर्मचारी संघ के बीच उठे विवाद के बीच अधिवक्ता संघ ने फिलहाल संगठन का चुनाव स्थगित कर दिया है। रायगढ़ अधिवक्ता संघ ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि 17 फरवरी 2022 को जिला अधिवक्ता संघ रायगढ़ का होने वाला चुनाव स्थगित कर दिया गया है। 

राजस्व न्यायालयों में सुरक्षा व्यवस्था के लिये कलेक्टर को पत्र

रायगढ़ तहसील में घटित घटना के प्रकाश में मंत्रालय राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने 27 फरवरी को छत्तीसगढ़ के समस्त कलेक्टर को पत्र लिखकर जिले में स्थिति सभी राजस्व न्यायालयों में आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने कहा है। रायगढ़ के मुद्दे पर पूरे प्रदेश में सरकारी अमलों में उबाल है। पहले सभी सरकारी अधिकारी कर्मचारी इसके बाद अब कनिष्ठ कर्मचारी संघ लगातार हड़ताल पर हैं।
 


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