पदोन्नति में आरक्षण की मांग को लेकर राजभवन में घुसी भीड़, पुलिस तंत्र नाकाम
सुरक्षा पर सवाल, पदोन्नति में आरक्षण की मांग को लेकर अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग ने मचाया कोहराम
द कोरस टीमछत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में एक बार फिर से ‘पदोन्नति में आरक्षण’ की मांग को लेकर अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोग आंदोलन कर राजधानी के राजनीति में उबाल ला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिनिधित्व संबंधी वास्तविक आंकड़े जुटाए बिना अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के मानदंड में किसी प्रकार की छूट देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि आरक्षण देने से पहले प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता पर मात्रात्मक आंकड़े एकत्र करने के लिए राज्य बाध्य है। मामले से राजधानी में हडक़ंप मच गई। भीड़ ने राजभवन घेर लिया। मुख्यमंत्री निवास का घेराव की कोशिश हुई। कई कार्यकर्ता जेलों में डाल दिये गये।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव के नेतृत्व वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘एम नागराज (2006) और जरनैल सिंह (2018) में अदालत के फैसले के अनुसार राज्य मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए बाध्य है। संपूर्ण सेवा के लिए प्रत्येक श्रेणी के पदों के लिए डेटा का संग्रह होना चाहिए।’ पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के पदों के प्रतिशत का पता लगाने के बाद आरक्षण नीति पर फिर से विचार करने के लिए एक समय अवधि निर्धारित करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने आकलन राज्यों पर छोड़ दिया
अदालत ने कहा, ‘अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए समीक्षा की जानी चाहिए। समीक्षा की अवधि एक उचित अवधि होनी चाहिए और इस अवधि को तय करने के लिए सरकार पर छोड़ दिया गया है।’ इसमें कहा गया है कि प्रमोशनल पदों पर आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व की कमी का आकलन राज्यों पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
प्रदर्शन करने वालों को पुलिस ने भगा दिया
शुक्रवार को हजारों की संख्या में आंदोलनकारी बूढ़ातालाब धरना स्थल पर पहुंचे। प्रशासन प्रदर्शनकारियों को समय पर रोक पाने में नाकाम रहा और कुछ आंदोलनकारी राजभवन गेट तक पहुंच गए। इससे सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो गए। आनन-फानन में पुलिस ने कुछ आंदोलनकर्मियों को कोतवाली थाने के पास रोक लिया। 70 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल रायपुर लाया गया, जहां से 10 को जेल भेज दिया गया। वहीं, जेल के बाहर प्रदर्शन करने वालों को पुलिस ने वहां से भगा दिया।
आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ के बैनर तले चल रहे प्रदर्शन को देखते हुए सुरक्षा के मद्देनजर आनन फानन में पुलिस ने सदर बाजार को बंद कराया। बता दें कि अनुसूचित जनजाति यसेवक संघ ने प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को पदोचति में आरक्षण कर लाभ नहीं मिलने के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है।
राजधानी में जमकर हल्ला बोल प्रदर्शन
पदोन्नति और सीधी भर्ती में आरक्षण की मांग को लेकर आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ के बैनर तले राजधानी में जमकर हल्ला बोल प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों को मुख्यमंत्री निवास जाने से रोकने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। पुलिस को चकमा देते हुए राजभवन के सुरक्षा गेट में दाखिल हो गए। पुलिस उन्हें रोक नहीं पाई। प्रदर्शनकारी एक-एक करके यहां से सीधे मुख्यमंत्री निवास की ओर आगे बढ़े रहे। थे। पुलिस 10 से 15 मिनट बाद पहुंची। तब कहीं जाकर राजभवन के सभी सुरक्षा गेट बंद कराकर प्रदर्शनकारियों को रोका जा सका। 70 से अधिक प्रदर्शनकारियों को केंद्रीय जेल भेजा गया। जिन्हें देर रात रिहा कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि तय कार्यक्रम के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने पहले, बुढ़ापारा धरना स्थल पर जनसभा की। इस दौरान सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष और पूर्व सांसद सोहन पोटाई समेत अन्य नेताओं ने सभा को संबोधित किया। इसके बाद मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने के लिए कुछ कर दिया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए माधवराव सप्रे शाला के पास बैरिकेड लगाए थे, लेकिन प्रदर्शनकारी माधव राव सप्रे शाला मार्ग से न पहुंचकर बूढ़ापारा के शिव गणेश मंदिर के रास्ते से सीधे सदर बाजार में दाखिल हो गए। फिर क्या, आनन-फानन में पुलिस ने बीच शहर में प्रदर्शनकारियों की भीड़ को देखते हुए कोतवाली थाना के पास दो बसे लगाकर रोक दिया।
पुलिस ने सदर बाजार की सभी दुकानों को आनन - फानन में बंद करवाया
इस दौरान यहां अफरा-तफरी की स्थिति निर्मित हो गई। पुलिस ने सदर बाजार की सभी दुकानों को आनन-फानन में बंद करवाया। इधर प्रदर्शनकारी अपनी मांग को लेकर मुख्यमंत्री निवास जाने के लिए कोतवाली थाना के पास करीब दो घंटे जमकर नारेबाजी करते रहे और सहयोगी नई दुनिया पुलिस के साथ धक्का-मुक्की हो गई। प्रदर्शन के कारण आसपास खड़े दुपहिया वाहन भी पक्की-मुक्की में गिर गए। उल्लेखनीय है कि प्रदर्शनको छत्तीसगढ़ भीम आमी, सर्व आदिवासी समाज, सतनामी समाज, भारतीय बौद्ध महासभा, गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी वाचसमेत कई संगठनों ने अपना समर्थन दिया है।
सेंट्रल जेल से देर रात छोड़े गये प्रदर्शनकारी
इधर रायपुर पुलिस को काफी परेशानी हुई। शहर में उत्पन्न हंगामे को देखते हुए दिनभर सदर बाजार, पुरानी बस्ती, मौदहापारा, जयस्तंभ, राजभव, मोतीबाग समेत शहर में गहमागहमी बनी रही। लोगों ने इन प्रदर्शन को देखने के लिये भी अलग से इकट्ठे हो गये जिससे क्षेत्रों में तनाव निर्मित हो गई। अंत में बसें बुलाकर एक- एक कर तीन से चार घंटे से चल प्रदर्शन को रोक लगाने गिरफ्तारी गिरफ्तारी शुरू की गई।
पहले बूढापारा में आमसभा दोपहर तीन बजे प्रदर्शन स्थल से मुख्यमंत्री निवास घेराव के लिए कूच किया। प्रदर्शनकारी इस बीच माधव राव सप्रे शाला से मार्ग न जाकर सदर बाजार में दाखिल हो गए। पुलिस ने आनन-फानन में कोतवाली के पास सडक़ रोका। कोतवाली थाना के पास प्रदर्शनकारी दो घंटे की जमकर नारबाजी की। पुलिस ने सदर बाजार के सभी दुकाने बंद कराई। फिर प्रदर्शनकारी गोल बाजार की गलियों और छोटापारा होते हुए राजभवन दाखिल हो गए। इस बीच रैली में कहीं भी पुलिस नजर नहीं आई। बाद में पुलिस ने 70 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके केंद्रीय जेल भेज दिया।
छोटे - छोटे झुंड में निकले पड़े प्रदर्शनकारी
पुलिस को कोतवाली थाना के पास प्रदर्शनकारियों ने सीधे चुनौती देते हुए कहा कि यहां तो आपने रोक दिया, लेकिन हम अपनी मांग को लेकर चुप बैठने वाले नहीं है। इस बीच प्रदर्शनकारियों ने गोलबाजार की अलग-अलग गलियों समेत छोटापारा की गलियों से होते हुए राजभवन की और बढ़ गए। इस दौरान कई प्रदर्शनकारी जयस्तंभ के पास नारेबाजी करते रहे तो कुछ ने चौक समेत राजभवन के पास एकत्र होकर नारेबाजी की। इस बीच पुलिस नजर नहीं आ रही थी।
सेंट्रल जेल में 70 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी के विरोध में केंद्रीय जेल के बाहर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर जेल परिसर में दाखिल कराया गया। इस दौरान जेल परिसर और उसके बाहर लगभग चार घंटे तक जमकर प्रदर्शनकारियों हंगामा किया और जिम्मेदार मंत्रियों को मुर्दाबाद कहा। पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। यहां भी पुलिस से नोकझोंक हुई।
क्या है पूरा मामला?
छत्तीसगढ़ राज्य के राजधानी रायपुर के बूढ़ातालाब में प्रदेश भर के अनुसूचित जाति जनजाति वर्गों के सामाजिक संगठन और अधिकारी कर्मचारी संगठन और सर्व आदिवासी समाज का हुजूम एक बड़े आंदोलन के रूप में उमड़ पड़ा। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के भूपेश सरकार ने अन्य विभाग सहित शिक्षा विभाग में मिडिल स्कूल प्राइमरी स्कूल के प्रधान पाठक और विषय शिक्षक का 40 हजार पदों पर पदोन्नति करने जा रहा है जिसमें किसी भी प्रकार के आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है जिससे गुस्साए आरक्षित वर्गों के सामाजिक और कर्मचारी नेता भूपेश बघेल के खिलाफ लामबंद होकर आज बड़े आंदोलन के अंतर्गत पूरे रायपुर शहर के मुख्य मार्गो पर पैदल मार्च किया। बूढ़ातालाब में जल सत्याग्रह धरना प्रदर्शन कर मंचीय कार्यक्रम कर मुख्यमंत्री का घेराव करने निकले।
मंचीय कार्यक्रम के अंतर्गत सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने प्रदेश के कांग्रेसी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वर्तमान कांग्रेस की सरकार पिछड़े और गरीब आदिवासी शासकीय सेवकों का गंभीर शोषण कर रहा है उन्होंने कहा कि सीधी भर्ती के साथ पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक अधिकार है जिस का हनन राज्य सरकार और उसके प्रशासनिक अधिकारी कर रहे हैं तथा संविधान व न्यायालय के आदेशों का खुला उल्लंघन कर रहे हैं जिससे प्रदेश के लाखों आदिवासियों का जबरदस्त हानि हो रहा है।
नहीं तो करेंगे 2 अप्रैल की तर्ज पर आंदोलन
उन्होंने आगे कहा कि अगर यह पदोन्नति बिना आरक्षण के हो जाता है तो पूरे प्रदेश में एसटी - एससी वर्गों को कभी भी आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा तो अतत: हम मांग करते हैं राज्य शासन आरक्षण विहिन पदोन्नति पर तत्काल रोक लगाते हुए आरक्षण रोस्टर का पालन कर नई पदोन्नति प्रक्रिया अपनाएं अन्यथा हम छत्तीसगढ़ राज्य में पूरी आबादी का 45 प्रतिशत अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग 2 अप्रैल भारत बंद के तर्ज पर पूरे छत्तीसगढ़ के कोने - कोने में बहुत बड़े आंदोलन को अंजाम देंगे जिसकी सारी अव्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार की होगी।
दिवाकर ने कहा संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बर्दास्त नहीं
आज के इस सभा को संबोधित करते हुए ‘छत्तीसगढ़ आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा’ के मुख्य संयोजक सुरेश दिवाकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि पदोन्नति में आरक्षण हमारा संवैधानिक अधिकार है और अगर इस अधिकार की हत्या की कोई कोशिश करता है तो यह समाज उसे बर्दास्त नहीं करेगा हम अपने संविधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए जन प्रतिनिधि चुनकर भेजते हैं लेकिन जनप्रतिनिधि मौन साध कर समाज का हक छीन रहा हैं जो क्षमा योग्य नहीं हैं। यही कारण है कि 27 जनवरी को इन जनप्रतिनिधियों का शव यात्रा निकाल कर पुतला दहन किया गया है और आगे भी पूरे 29 जिला में मुख्यमंत्री सहित तमाम विधायक सांसदों का पुतला दहन और सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।
जनप्रतिनिधियों का बायकाट करते हुए उन पर समाजिक बंदी लगेगा
प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज के प्रदेश अध्यक्ष एम एल कोसले ने कहा कि आरक्षण समानता का अधिकार है। आजादी के बाद से हम आरक्षित वर्गों को मिलता रहा है जिस पर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुठाराघात किया है जिससे आज प्रदेश का सतनामी समाज वर्ग काफी आक्रोशित वह आंदोलनरत है अगर राज्य सरकार अपने निर्णय को वापस नहीं लेता है तो आज के बाद पूरे सतनामी समाज अपने सभी प्रकार के सामाजिक धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रमों से राजनीतिक पार्टी के जनप्रतिनिधियों का बायकाट करते हुए उन पर समाजिक बंदीस लगा देगा और कभी भी उनकी अगुवाई में कोई भी कार्यक्रम नहीं करेगा चाहे वह किसी वर्ग का क्यों ना हो।
आज के इस धरना प्रदर्शन में प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष मोहन बंजारे ने भी अपने विचार रखें उन्होंने कहा कि वर्तमान कि कांग्रेस की सरकार जिस प्रकार हमारे आरक्षित पदों पर सामान्य वर्गो का पदोन्नति कर रहा है वह राजनैतिक षड्यंत्र है जिसका हम घोर निंदा करते है तथा मांग करते है कि हमारे वर्गो कि तत्काल पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए।
अगला पिछला पूरा हिसाब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को देना होगा
शासन से मान्यता प्राप्त संगठन छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक़्स) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मण भारती ने अपने संबोधन में कहा कि अब हम राज्य सरकार से आज तक किए गए सीधी भर्ती, पदोन्नति और बैकलाग के पदों का हिसाब मांगेगे और अगला पिछला पूरा हिसाब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को देना होगा। उन्होंने आगे कहा कि हमारा संगठन मूल रूप से आरक्षण कि रक्षा और उसके संरक्षण के लिए बना संगठन है ऐसे में हम किसी भी प्रकार के आरक्षण की कौटौती को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश युवा अध्यक्ष सुभाष पराते ने अपने भाषण में कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को खूब खरी खोटी सुनाई और कहा कि अब आरक्षित वर्ग जाग गया है खासकर युवा वर्ग जो अपना शोषण कभी बर्दास्त नहीं करेगा। पदोन्नति में आरक्षण कटौती सीधा सीधा प्रदेश के पढ़े लिखे युवाओं और नौकरी पेशा को हाशिए में धकेलने का काम है, जिसके लिए बस्तर से लेकर सरगुजा तक पूरा आदिवासी समाज आज सडक़ पर है और अपने अनुसूचित जाति वर्ग के लिये आंदोलन कर रहा है आने वाले समय में इससे भी बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
गवर्नमेंट एम्पलाईज वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष ने हुंकार भरते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार को जमकर लताड़ा और सभी आरक्षित वर्गो के सामाजिक संगठन एवं कर्मचारी संगठन को एकत्रित होकर लगातार न्याय मिलते तक संघर्ष करने की बात दोहराया।
सभा को संबोधित करते हुए जितेन्द्र पाटले प्रदेश संगठन सचिव अजाक्स ने कहा कि माननीय हाईकोर्ट में याचिका निर्णायक मोड़ पर है बावजूद इसके राज्य सरकार द्वारा आनन फानन में बिना आरक्षण के पदोन्नति करना संकीर्ण और आरक्षण विरोधी मानसिकता को दर्शाता हैं जिसका राजनैतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अनुसूचित जनजाति सेवक संघ के आर एन ध्रुव ने कहा कि वर्तमान सरकार का रवैया निश्चित ही समाज विरोधी है उनका कार्य दिखाता है कि उच्च पदों में आरक्षण रोकना चाहती हैं।
क्रांतिकारी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष लैलून भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा विभाग सेवा के 23 साल बाद सहायक शिक्षकों का पदोन्नति कर रहा है जिसमें भी प्रदेश के 45 प्रतिशत आबादी को उच्च पदों में जाने से वंचित कर रहा है जिससे सहायक शिक्षक, शिक्षक सहित तमाम समाज में रोष व्याप्त है।
एससी-एसटी-ओबीसी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष एससी प्रकोष्ठ राधेश्याम टंडन ने कहा कि प्रदेश का एससी व एसटी समाज आरक्षण विरोधी मानसिकता को आने वाले समय में करारा जवाब देगा।
के पी खांडे गुरूघासी दास साहित्य एवं सांस्कृतिक अकादमिक के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि एससीएसटी जनप्रतिनिधियों की खामोशी बर्दास्त से बाहर है अगर हमारे वर्ग के विधायक मंत्री अपनी खामोशी नहीं तोड़े तो आने वाले समय में इनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।
आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष भारत सिंह ने भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आरक्षण विरोधी नीतियों के लिए कोसा
पिछड़ा वर्ग समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पिछड़े वर्गों के बढ़े हुए 27 प्रतिशत आरक्षण कि मांग को बुलंद किया। सर्व समाज महासंघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष विष्णु बघेल क्रांति साहू ने भी सरकार को पिछड़े के आरक्षण विरोधी बताया। भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार जांगड़े ने भी पदोन्नति में आरक्षण का समर्थन करते हुए सभा को संबोधित किया। भीम रेजिमेंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चतुर्वेदी ने ललकारते हुए सरकार को आगाह किया।
पिंगुआ कमेटी पर मुहर लगाने सरकार की मंशा से कोर्ट को अवगत कराये
पूर्व सांसद एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष पीआर खुंटे ने कहा कि राज्य सरकार से मांग करते हुए पदोन्नति में आरक्षण को कोर्ट के निर्णय तक बाधित रखने की मांग किया है। खुंटे ने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि पिंगुआ कमेटी के रिपोर्ट लागू करने के संबंध में राज्य सरकार एवं मंत्री मंडल द्वारा निर्णय लेकर हाईकोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण जारी रखने पिंगुआ कमेटी पर मुहर लगाते हुए सरकार की मंशा से कोर्ट को अवगत कराया गया है। जिस पर 5 फरवरी को फाइनल सुनवाई होना है। तब तक राज्य सरकार पदोन्नति में रोक लगावे।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में लगातार हजारों हज़ारों पदों पर लगातार आरक्षण विहिन पदोन्नति दिया जा रहा है जो अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के कर्मचारी अधिकारी के साथ अन्याय है। खुंटे ने कहा कि अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए लेकिन हमारे सरकार द्वारा 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 13 प्रतिशत किया गया आरक्षण भी लागू नहीं हो पाया। जो बहुसंख्यक अनुसूचित जाति वर्ग के साथ अन्याय है।
सतनामी समाज, सर्व आदिवासी समाज एवं समाज के कर्मचारी संगठनों द्वारा लगातार सरकार से अपील एवं निवेदन किया जा रहा है। सरकार समाज की भावनाओं से अवहेलना करते हुए विभिन्न विभागों में लगातार पदोन्नति कर रहे हंै जिससे समाज में सरकार के प्रति नाराजगी एवं आक्रोश है। सर्व आदिवासी समाज एवं सतनामी समाज तथा समाज के कर्मचारी अधिकारी संगठन के संयुक्त तत्वावधान में 4 फरवरी को राजधानी रायपुर में विशाल रैली धरना प्रदर्शन एवं महाबंद का आह्वान किया गया है। जिसमें प्रदेश भर से लोग हजारों हज़ारों की संख्या में आन्दोलन में सम्मिलित हुवे।
बौद्ध कल्याण समिति का पूरा समर्थन
बौद्ध कल्याण समिति के सचिव क्रांति फुले ने 4 फरवरी को रायपुर के इस जंगल आयोजन के लिये पदोन्नति में आरक्षण मामले में समिति का समर्थन जताया है।
मीडिया प्रभारी शिव सारथी एवं विजय कुमार कुर्रे कमल कुर्रे दिलीप दिवाकर नरेंद्र जांगड़े मनीष रात्रे विजय मेश्राम ने संयुक्त रूप से दक्षिण कोसल/ द कोरस से कहा कि आज के इस आंदोलन मुख्य रूप से सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष, सोहन पोटाई, आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ प्रदेश संयोजक सुरेश दिवाकर, छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ अजाक्स के प्रांत अध्यक्ष डॉ लक्ष्मण भारती, जितेंद्र पाटले, मोहन बंजारे, दीपक मीरी सर्व आदिवासी समाज के युवा अध्यक्ष सुभाष पराते, गवर्नमेंट एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांत अध्यक्ष कुमार नवरंग नवरंग, अजाक्स के प्रदेश सचिव अमित मेरी राजीव दुरु दिनेश जोशी, आरएन ध्रुव कुंदन सिंह, ठाकुर वंदना, विजय विजय कुर्रे अश्वनी, बबलू त्रिवेंद्र, जितेंद्र बंजारा, चंद्रप्रकाश सूर्या, राजकुमार जांगड़े, दिनेश चतुर्वेदी, अनिल बना, रमेश जटवार, केयर सागर, सुशीला जोशी, सविता राय, जमुनावती बंजारे, चांदनी भारद्वाज, अजय चौहान, प्रभाकर ग्वाल, हेमचंद मेरी, संजीव खंडे, विजय कुमार लहरें, राजेश घूमने, सारंग राहों, राजेश्वर सोनी, मनोज लहरें, क्रांति साहू, अरुण भारद्वाज, बृजेश साहू।
इस तरह आंदोलन में विष्णु बघेल गडरिया, शगुन वर्मा, रघु साहू, ओम प्रकाश साहू, संजीव वर्मा, भागवत वैष्णव, गिरधारी साहू, सांसद रघुनंदन ओम प्रकाश साहू, महेंद्र साहू, दिनेश यादव, भजन जांगड़े, हमीदुल्लाह खान, एडवोकेट नसरुद्दीन अंसारी, लखन सुबोध, लहरें प्यारेलाल, पार्वती कुर्रे, डॉ मोहन सेंटर, विजय, कुणाल रामटेके, लोकेश पूजा ओके, श्याम बर्मन, मनु कुर्रे प्रदेश प्रभारी सहित मार्गदर्शक मंडल से अनिल भोसले, केपी पांडे, एसके बंजारा, भारत सिंह, यूपी जोशी, बीएल कुर्रे, शंकर लाल हुई, दूज राम, नारायण निराला, जेआर सोनी, राजाराम बनर्जी, बीपी नेताम, राम रत्नाकर, रामेश्वर खरे, नरेंद्र रामटेके, राजमोहन, दशहरा पांडे, आरपीएस हीरे, राम बौद्ध, प्रेम सारथी, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के जिला संयोजक सीएल चंद्रवंशी सहित प्रदेश भर के अनुसूचित जाति जनजाति सामाजिक संगठन तथा कर्मचारी संगठन के लोग शामिल थे।
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