अंतत: डुंडलू राम की समय पूर्व हो गई रिहाई, जेल अधीक्षक ने परिजनों से मिलाया

सुशान्त कुमार

 

खबर के अनुसार छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुईया उइके ने बंदी डुंडलू राम उर्फ सहदेव पिता धुंधसराम की समय पूर्व रिहाई की दया याचिका स्वीकृत की थी। राज्यपाल के मीडिया प्रभारी के अनुसार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत यह स्वीकृति प्रदान की गई थी।

बताया जा रहा है कि दया याचिका प्रकरण के अनुसार जेल अधीक्षक केन्द्रीय जेल अंबिकापुर द्वारा आवेदक/दण्डित बंदी डुंडलू राम उर्फ सहदेव की समय पूर्व रिहाई की अनुशंसा की थी। राजेन्द्र गायकवाड़ लंबे समय से जेल में बंद कैदियों की आचरण में सुधार, रिहाई के बाद उनके पुनर्वास के लिये काम कर रहे हैं। वे लगातार इस संबंध में अपने सुझाव सोशल मीडिया में प्रकाशित करते आ रहे हैं।

मामले के अनुसार दण्डित बंदी द्वारा पुरानी जमीन विवाद को लेकर मृतक द्वारा खेत की मेढ़ बनाये जाने के समय मृतक की टांगी से मारकर प्राणघातक चोट पहुंचाकर हत्या कर दी गई थी, जिस पर अभियुक्त को भारतीय दंड संहिता (भा.दं.सं.) की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास एवं दो हजार रूपए अर्थदण्ड की राशि अदा न करने पर छ: माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास पृथक से भुगताने एवं भा.दं.सं. की धारा 323/34 के अपराध में छ: माह के सश्रम कारावास एवं पांच सौ रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया था।

बताया जा रहा है कि फैसले में यह भी बताया गया था कि अर्थदण्ड अदा न करने पर एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा से दण्डित किया जा सकता है एवं दोनों धाराओं की सजाएं साथ-साथ भुगताई जाने का निर्णय पारित किया गया था।

जेल अधीक्षक की अनुशंसा के आधार पर आवेदक डुंडलू राम का संबंध गरीब उरांव आदिवासी परिवार से है। उनके साथ इस आरोप में उनका बड़ा पुत्र बिगन भी जेल में सजा भुगत रहा है। रिहा बंदी के छोटा पुत्र अबोध होने, परिवार में वृद्ध माता-पिता होने एवं उनकी देखभाल करने वाला अन्य कोई नहीं होने से तथा जेल में उनके आचरण व परिश्रमी स्वभाव तथा तमाम स्थितियों को ध्यान में रखते हुवे कारण दर्शाते हुए सजा माफ कर उसे जेल से रिहा करने का निवेदन किया गया था।

राज्यपाल के मीडिया प्रभारी के अनुसार बंदी के आवेदन पर विचार किया गया कि सजा माफी सहित दिनांक 18 जुलाई 2020 की स्थिति में कुल 17 वर्ष, 5 माह, 4 दिन की सजा, जिसमें वास्तविक सजा 13 वर्ष, 19 दिन भुगती जाना और 18 जुलाई 2020 के बाद वर्तमान तिथि तक इसमें एक वर्ष चार माह से भी और अधिक सजा अवधि व्यतीत हो गई है।

विदित हो कि आवेदक के मामले को संज्ञान में लेते हुए राज्यपाल द्वारा दया याचिका पर उदारतापूर्वक विचार कर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत दंडित बंदी के सजा माफी का अनुमोदन किया गया।

अम्बिकापुर जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड़ ने बताया कि रिहाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 29 जनवरी को बंदी डुंडलू राम को रिहा का आदेश आया और 30 जनवरी को उन्हें रिहा कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि पिता और पुत्र दोनों ही जेल में अनुशासन में रहते आये हैं।

जेल अधीक्षक ने सहृदयता के साथ कल सबेरे उनके पता ठिकाना बतौली, सरगुजा जिला में उनके परिजनों को बंदी डुंडलू को सौंपा आये। जेल में सजा के द्वारा उनके एकाउंट में साढ़े नौ हजार रुपये पारिश्रमिक शेष थे कुछ रकम विक्टिम के खाते में भी नियमानुसार चला जाता था। इस रकम को पासबुक के साथ डूंडलू को सौंपा।

अधीक्षक ने बताया कि वह इतना पैसा कभी नहीं देखा था। वह उरांव आदिवासी गरीब परिवार से नाता रखता है। उन्होंने बताया कि वह अपने छोटा बेटा के साथ खेती करेगा। अध्यीक्षक का कहना है कि अपराध एक पल होता पर सफर स्थाई हो जाती है। यह दाग कई पीढिय़ों तक चलती है। 

उन्होंने बताया कि इस मामले में उनके पुत्र बिगन के रिहाई के लिये भी लगे हुवे हैं।डुंडलू ने साढ़े चौदह साल जेल में बिताया है। साल 2007 में वह जेल आया था, उन्होंने बतया कि अमूमन 20 साल तक आजीवन कारावास सजा काटनी होती है। 

जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड़ ने राज्यपाल महोदया अनुसुईया उइके को धन्यवाद दिया कि उन्होंने इस संवेदनशील मामले पर विचार कर डुडलू की रिहाई सुनिश्चित की और आशा जताया कि भविष्य में व्यवहार तथा अनुशासन के आधार अन्य बंदियों की रिहाई पर भी विचार करते रहेंगे। 

इस मामले के साथ जब ‘दक्षिण कोसल/द कोरस’ नेे बंदियों की पुनर्वास पर जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड़ से बात की तो उन्होंने सुझाया कि देश की जेल में कैदी कौशल योजना के साथ ही जेल से  रिहा कैदियों को उनके पुनर्वास पर विचार करना चाहिए।

ऐसे बंदियों को 1- रोजगार गारंटी योजना में हितग्राही बनाना, 2- सरकारी आवास योजना का लाभ देना, 3- गांव के कैदियों को कृषि भूमि आवांटित की जाना, 4- बैंक से कम दर पर कर्ज देना, 5- सरकारी सभी रोजगार योजना का योग्यता और अनुभव के आधार पर लाभ देना, 6- निजी और शासन पोषित संस्था में रोजगार देना, 7 -कैदी और पीडि़तों के बच्चों की शिक्षा और रोजगार योजना तय करना, 8- बेहतर स्वास्थ्य और स्मार्ट कार्ड की सुविधा देना, 9- शहरी क्षेत्र में खुद के लिये रोजगार की सुविधाएं मुहैया कराना,  10- कलाकार और शिल्पकार रिहा कैदी को उनकी कलाओं को प्रोत्साहन देते हुवे पुनर्वास के लिये सुझाव दिये हैं।

इस तरह उनके बताये सुझाव से ऐसे रिहा बंदियों की पुनर्वास की व्यवस्था की जा सकती है। 
 
उन्होंने बताया कि ऐसे सुझाव समाज से अपराध और उसके दर को कम करने के लिए है यह उनके निजी सुझाव हैं। उन्होंने इन सुझावों पर पाठकों से मत आमंत्रित किये हैं। उन्होंने कहा है कि इन बिंदुओं पर विचार /सुझाव सादर आमंत्रित हैं इससे निश्चित तौर पर भविष्य में रिहा कैदियों के सुखद भविष्य के लिये उपाय किये जा सकते हैं। 

बहरहाल जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड़  के इन सुझावों पर कार्य करने के लिये समाज, सरकार, गैर सरकारी संगठनों और मीडिया को अपनी भूमिका तय करनी चाहिए। 


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