बिहार के हमाल मजदूरों को महीनों से ट्रकों में परिवहन का मजदूरी नहीं, लेम्पस की लापरवाही उजागर

बडग़ांव से विकास वैद्य की रिपोर्ट 

द कोरस टीम

 

उत्तर बस्तर के कांकेर जिले के पखांजूर  तहसील के  पीवी 41 धान खरीदी केंद्र में बिहार से आये दिहाड़ी प्रवासी मजदूरों को उनके महेनत की पैसे नहीं मिलने से खासा परेशान हैं।  

बिहार के 9 दिहाड़ी प्रवासी मजदूर रोजी रोटी की तलाश में धान फड़ में पहुंचे हैं, यहां वे धान को लोडिंग कर ट्रकों में भरते हैं। बीते 1 महीने से इन मजदूरों की मेहनत की कीमत नहीं मिलने से उनके समक्ष परिवार पालने की समस्या आ खड़ी हो गयी हैं। 

हमाल मजदूर लक्ष्मण मुखिया, रमन मेहता, संतोष पासवान, गुलाबचंद पासवान  ने ‘ द कोरस’ को बातचीत में बताया कि हमें धान फड़ के संचालक ने धान लोडिंग करने के लिए बुलाया था, आज 1 महीने से अधिक दिनों तक काम करने के बाद मेहनत की मजदूरी धान फड़ के संचालक द्वरा भुगतान नहीं किया जा रहा है।

जिसके चलते हमें घर परिवार चलाने में कई आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दिहाड़ी प्रवासी मजदूरों ने बताया कि उन्हें अबतक 1 लाख रुपये की मजूदरी का भुगतान नहीं किया गया है।  

दिहाड़ी मजदूर बताते हैं कि इसके पहले भी अन्य जगहों पर भी काम किया था लेकिन समय पर हमें पैसे दे दिया जाता था लेकिन इस बार पिछले एक माह से अधिक समय के गुजरने के साथ मजदूरी नहीं दिया गया है। 

मजदूरों ने बताया कि यदि समय पर भुगतान नहीं किया गया तो धान लोडिंग का कार्य रोक दिया जायेगा। लेम्पस प्रबंधक और परिवहनकर्ता के साथ फड़ मुंशी मजदूरों के देय राशि भुगतान करने में आनाकानी करेंगे तो धान परिवहन का पूरा कार्य प्रभावित हो सकता है। जिसकी जिम्मेदारी लेम्पस प्रबंधक, परिवहनकर्ता और फड़ मुंशी की होगी।

बहरहाल यदि समय रहते इन दिहाड़ी हमाल मजदूरों का बकाया पैसा नहीं भुगतान किया जाता है तो धान परिवहन में काफी समस्या उत्पनन हो जाएगी जिसको लेकर मजदूरों ने इस व्यवस्था में लगे जिम्मेदार व्यक्तिओं के साथ प्रशासन को इस मामले में दखल देने की गुजारिश की है। 

इस संबंध में ‘ द कोरस’ ने फड़ मुंशी देवाशिष माझी से बात की है, उन्होंने बताया कि मैं फड़ प्रभारी हूं लेकिन हमालों को तनख्वाह देने की जिम्मेदारी मेरी नहीं है। इसकी जिम्मेदारी परिवहनकर्ता का है। परिवहनकर्ता ही तनख्वाह देता है।

यहां से धान कैसे जाएगा उसकी जिम्मेदारी मेरी है। तीन - चार दिनों से एसडीएम के पास घूम रहा हूं। हमाल को मैं लाया हूं लेकिन पैसा परिवहनकर्ता ही देगा। मैं आपको परिवहनकर्ताओं का नम्बर नहीं दे सकता।

माझी ने बताया कि आप अगर मुझसे फेस टू फेस मिलेंगे तो बताऊंगा। माझी ने यह भी बताया कि इस मामले में लेम्पस (आदिम जाति सेवा सहकारी मर्यादित समिति) प्रबंधक की जिम्मेदारी ज्यादा है। लेम्पस वाले कल आज कर रहे हैं। लेम्पस में जाकर बोला पैसा नहीं मिलेगा तो, मैं एसडीएम तहसीलदार से मिलूंगा। 

देखना बाकी है कि क्या जो लोग प्रवासी छत्तीसगढिय़ा जो बाहर जाकर मेहनत मजदूरी करते हैं, उनके अधिकारों के लिये उठ खड़े हो जाते हैं क्या वे इन प्रवासी दिहाड़ी बिहार के हमाल मजदूरों के हक और अधिकार के लिये आवाज उठायेंगे?
 


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