पत्रकारों ने जितेन्द्र की रिहाई और पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

द कोरस टीम

 

प्रति
              मुख्यमंत्री 
              माननीय भूपेश बघेल जी
              छत्तीसगढ़ शासन

विषय: पत्रकार जितेंद्र कुमार को पुलिस हिरासत में लिए जाने एवं पत्रकार सुरक्षा कानून के संबंध में।

महोदय,
              हम सभी छत्तीसगढ़ के प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार साथी काफी समय से अपनी सुरक्षा की मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, पूरे प्रदेश भर से आए दिन पत्रकारों पर हो रहे हमले एवं पुलिसिया दमन की खबरें आती रहती हैं, सबसे ज्यादा कष्टकारक झूठे एफआईआर और उसके बाद राज्य पुलिस का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार है.

वर्तमान में पुनः हमारे एक पत्रकार साथी जितेंद्र कुमार को रायपुर पुलिस सिर्फ इसलिए गिरफ्तार करके जेल में भेज दी है क्योंकि वह पुलिस परिवार आंदोलन की कवरेज करने अम्बिकापुर से रायपुर आया हुआ था.

उक्त संबंधित एवं पत्रकार सुरक्षा कानून संबंधित हमारे निम्न कथन सादर प्रस्तुत हैं:

1. यह कि, हम सब पत्रकार साथी, छत्तीसगढ़ राज्य में विभिन्न अखबार, डिजिटल मीडिया एवं वेब पोर्टल में पत्रकारिता का कार्य करते हैं.

2. यह कि, अपने पत्रकारिता के कर्तव्यों के निर्वहन में हमें जनपक्षीय समाचार प्रसारित करना होता है जिसमें अक्सर किसी ना किसी प्रशासनिक अधिकारी/कर्मचारी, घटना के आरोपीगण, माफियाओं, अपराधियों को हमारी खबरों से घोर आपत्ति एवं असहमति होती है और वे हमसे दुर्भावना रखते हैं.

3. यह कि, जब भी विषम परिस्थिति निर्मित होती है तो सबसे ज्यादा गैर-जिम्मेदाराना रवैय्या पुलिस के आला अधिकारियों का होता है और वे अक्सर दुर्भावनावश अथवा किसी के प्रभाव या लालच में आकर हम पर फर्जी एफआईआर दर्ज कर देते हैं जिससे हमारा सामान्य जीवन प्रभावित हो जाता है.

4. यह कि, वर्तमान घटना भी पत्रकार जितेन्द्र कुमार द्वारा भ्रष्टा पुलिसिंग की रिपोर्टिंग के कारण ही हुआ अतः स्पष्ट है प्रदेश में पत्रकार निर्भीक होकर अपना काम नहीं कर सकता इस बात से हममें घोर निराशा व्याप्त है.

5. यह कि, पत्रकार श्री जितेंद्र कुमार को 9'0 जनवरी की दरमियानी रात से ही पुलिस उठाकर ले गयी है, उनके परिजन दिनभर थाने का चक्कर लगाते रहे लेकिन उन्हें नहीं बताया गया कि उन्हें कहाँ ले गए हैं, मीडिया के दबाव में आनन-फानन में अगले दिन 10 जनवरी के रात को पुलिस ने CRPC की धारा 151,107, 116(3) में गिरफ्तारी दर्शया है जिसमें पत्रकार जितेंद्र कुमार की गिरफ्तारी सूचना में अपराध क्रमांक गलत दर्शाया गया है. ऑनलाइन देखने पर इस अपराध क्रमांक में किसी और घटना का जिक्र है. स्पष्ट है कि जब किसी पत्रकार के साथ पुलिस दुर्भावनावश कार्य करती है तो ऐसा देखा गया है कि दस्तावेजों में अक्सर फर्जी एफआईआर एवं कृत्रिम सबूत बनाकर पत्रकारों को परेशान किया जाता है.

6. यह कि, संविधान के अनुच्छेद 22 में गिरफ्तार व्यक्ति को उसके वकील से मिलने, 24 घण्टे के भीतर मजिस्ट्रेट के पास पेश करने, गिरफ्तारी की सूचना परिजनों को देने आदि का, प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति का मानवाधिकार है जिसका छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस ने उलंघन किया है. गिरफ्तारी करते समय 'डीके बसु  बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (AIR 1997 SC 610) मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने जो गाईड लाइन दी है, परन्तु जब भी पुलिस किसी पत्रकार को गिरफ्तार करती है तो इन गईडलाइन का ऐसे ही उलंघन करती है जिस प्रकार वर्तमान में जितेंद्र कुमार के मामले में हुआ है.

7. यह कि, पुलिस हमारे पत्रकार साथियों पर मनगढ़ंत एवं  फर्जी धाराएं जोड़कर उनके जीवन को संकट में डालने का कार्य कर रही है जो कि कहीं से भी सरकार के लोकतांत्रिक व्यवहार के विपरीत है.

अतः महोदय उपरोक्त वर्णित कण्डिकाओं पर गंभीरता से विचार करते हुए पत्रकार सुरक्षा कानून को जल्द से जल्द लागू किया जाए एवं पत्रकार साथी जितेंद्र को तत्काल रिहा करें ! 

धन्यवाद 

प्रतिलिपि: 

1.  महामहिम राष्ट्रपति महोदय भारत सरकार।

2. माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार।

3. माननीया राज्यपाल महोदया छत्तीसगढ़ शासन रायपुर।

4. अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली।

5. राज्य मानवाधिकार आयोग छत्तीसगढ़ रायपुर।

6. माननीय गृहमंत्री श्री ताम्रध्वज साहू जी छत्तीसगढ़ शासन

7. पुलिस महानिदेशक, रायपुर छत्तीसगढ़।


पत्रकार जितेन्द्र जायसवाल को प्रतिबन्धात्मक धारा 151 में गिरफ्तार कर सीधे जेल भेज दिया गया। परिवार, मीडिया से जानकारी छुपाई गई। अब आज दिनांक तक एसडीएम जमानत देने से इनकार कर रहे हैं।


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