सिलगेर में आदिवासियों का सबसे बड़ा किसान आंदोलन
द कोरस टीमदिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के बाद देश का सबसे बड़ा आंदोलन छत्तीसगढ़ के सिलगेर में आदिवासी समुदाय द्वारा किया जा रहा है। इस आंदोलन को 7 महीने हो चुके हैं, लेकिन इस आंदोलन की चर्चा ना तो देश के बड़े मीडिया हाऊस में हो रही है और ना ही सोशल मीडिया पर क्योंकि यह आंदोलन आदिवासी समुदाय द्वारा किया जा रहा है।

अर्जुन महर लिखते हैं कि आदिवासी समुदाय की एक ही मांग है कि सीआरपीएफ के कैम्प आदिवासी क्षेत्रों से हटाये जाये और शिक्षण संस्थान, आंगनबाड़ी केंद्र और अस्पताल खोले जाये।
सिलगेर आंदोलन में सरकारी गोलियों से जिन चार लोगों (तीन आदिवासी युवाओं और एक गर्भवती महिला) की हत्या की गयी थी, उन सरकारी हत्यारों पर कार्यवाही की मांग लंबित है।
उधर सिलगेर से खबर आ रही है कि वहां 24 दिसंबर 2021 को पेसा ग्राम सभा अधिकार दिवस मनाने की तैयारी चल रही है। आंदोलनकारियों का कहना है कि मूलवासियों के जिंदा रहने के अधिकार, अस्तित्व, अस्मिता, आत्मसम्मान बचाने, जल-जंगल-जमीन बचाने, पर्यावरण बचाने, बच्चों के भविष्य बचाने की वकालत की है।
उनका मानना है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी क्षेत्रों में मूल पेसा कानून को अमल करने से बस्तर में नरसंहार बंद हो जायेंगे।
बस्तर में झूठी मुठभेड़ हत्याएं, महिलाओं का बलात्कार बंद हो
मूलवासी बचाओ मंच ने स्टेटमेंट जारी करते हुवे कहा है कि बस्तर से पुलिस कैंप वापस हो, एड्समेट्टा, सारकेगुड़ा, टीएमटीडी जांच आयोगों की सिफारिशों पर अमल करें।
मंच ने आगे लिखा है कि सिलगेर सहित सभी नरसंहारों के दोषी पुलिस अधिकारियों व जवानों को सजा दें! मृतकों को एक-एक करोड़ तथा घायलों को 50-50 लाख मुआवजा की मांग प्रमुखता के साथ रखी है।
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