बुद्ध की मूर्ति खंडित होते चले गई और विचार फैलते चले गये

उत्तम कुमार

 

इस संदर्भ में एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इस शुरूआती विमर्श का नेतृत्व गैर दलित दार्शनिकों ने किया। अनगिनत आदिम दार्शनिकों ने वेदों के साथ - साथ ईश्वर तथा धार्मिक कर्मकाण्डों को मानव के दिन-प्रतिदिन के व्यवहार से अलग कर एक गणतांत्रिक समाज का ताना-बाना खड़ा किया था।

कालान्तर में वेदानुयाइयों के उग्र रूप धारण कर लेने से पारीकुपार लिंगो, शम्भू शेख, ईसा, हजरत से लेकर चार्वाक लोकायत से लेकर बुद्ध द्वारा स्थापित जातिविहीन सामाजिक ढांचा चूर-चूर हो गया।

विशेष रूप से 9वीं सदी में आदि शंकराचार्य के उत्थान के बाद जाति व्यवस्था अत्यंत उन्मादी हो गई जिसके कारण दलित समाज कू्ररतम अत्याचारों का शिकार होता रहा। यही कारण है कि आज भी बुद्ध और अम्बेडकर की मूर्तियों को तोड़ा जाता है।

साल 2015 में अंबागढ़ चौकी थाना के अंतर्गत ग्राम सोमाटोला में गौतम बुद्ध की मूर्ति को तोडऩे वालों को एक वर्ष बाद भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। बुद्ध की मूर्ति तोडऩे वाले सरेआम घूमते रहे हैं तथा स्थानीय पुलिस उनको संरक्षण देते रही।

जबकि अपराधियों के विरूद्ध अनूसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा सहित जान से मारने की धमकी स्वेच्छया उपहति आपराधिक अभित्रास रिश्टी व बल्वा सहित धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का मामला पंजीबद्ध किया जाना चाहिए था।

किन्तु इस प्रकरण में ऐसा न कर स्थानीय पुलिस ने एक मात्र धारा का मामला पंजीबद्ध किया है तथा पुलिस भी प्रार्थी पर सरकारी भूमि में मूर्ति स्थापित करने का झूठा आरोप लगाकर अपनी वास्तविक जिम्मेदारी से मुकर रही है। पुलिस पर इस तरह के पक्षपात पूर्ण रवैए तथा अपराधियों के विरूद्ध समुचित धाराओं में मामला पंजीबद्ध न कर अपराधियों को संरक्षण देकर उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का आरोप है। 

विदित हो कि सोमाटोला निवासी यशवंत टेम्भुरकर ने अपनी स्वामित्व एवं आधिपत्य की लगानी भूमि में बुद्ध की प्रतिमा का समारोहपूर्वक स्थापना किया था। आक्रमणकारियों ने ममता टेम्भुरकर के पति के अनुपस्थिति में अतिक्रमण के बहाने घर के घेरे को जबरन मना करने पर उपस्थित लोगों ने उसे अभद्र गालियां देते हुए हाथ बांह पकड़ कर धक्का मुक्की की तथा उसके बांस के घेरे को टंगिया से काटने लगे।

तब यशवंत टेम्भुरकर के नन्हें पुत्र ने गांव वालों के आक्रमक कृत्य को अपने मोबाइल में कैद करने का प्रयास किया तो उक्त लडक़े को उपस्थिति लोगों ने पकड़ कर अपहरण कर ले जाने का प्रयास भी किया।

उसके बाद उससे मोबाइल छिन लिया। तब डरी सहमी ममता टेम्भुरकर अपनी तथा अपने बच्चों को जान बचाने के लिए अपने घर के अंदर चली गई उसके बाद गांव के लागों ने ममता टेम्भुरकर के निर्मित मकान के बाजू में खुले में स्थापित बुद्ध की प्रतिमा के दाहिने हाथ, नाक व ठुड्डी में टंगिया से वार कर खंडित कर अनादर किया।

इसकी सूचना पीडि़तत ने थाने पहुंचकर लिखित रूप से दी थी। उसके बाद भी घटना को लेकर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं किया गया था। घटना के नरेन्द्र बन्सोड़ के जांच दल जांच-पड़ताल कर थाना प्रभारी व जांच अधिकारी (एसडीओपी, पुलिस) को सूचना दी गई थी। उनसे आश्वासन व कार्यवाही में विलंब को देखते हुए इसके बाद कार्यवाही करने के लिए राजनांदगांव के एसपी को ज्ञापन सौंपा गया था।

बुद्ध की मूर्ति के विखंडन में शामिल आरोपी यशवंत टेम्भुरकर व ममता टेम्भुरकर व उसके बच्चों के साथ किए गए आपराधिक कृत्य के संबंध में केवल खानापूर्ति करता रहा। समूचित धाराओं में मामाला पंजीबद्ध कर आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की गई थी।

मांग पूरी नहीं होने पर भविष्य में आंदोलन करने की भी चेतावनी दी गई थी। इसी को कहते हैं जातिवादी व्यवस्था और दलितों का दलन। न्याय तो नहीं मिला। इस आंदोलन ने बहुत कुछ खोया। न नई मूर्ति लगी और न आरोपी गिरफ्तार हुए।

इसके छह साल बाद दुबारा 20 अगस्त 2021 को राजनांदगांव जिले के अंतर्गत अंबागढ़ चौकी के सांगली -  मेरेगांव पहाड़ी में स्थित मानवता को केन्द्र में रखकर दर्शन बताने वाले महामानव तथागत बुद्ध की मूर्ति के साथ असामाजिक तत्वों द्वारा छेड़छाड़ कर तोडफोड़ किया गया है।

इससे बौद्ध समाज में रोष व्याप्त है। चौकी थाना ने तुरंत हरकत में आकर मामले में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर आरोपी को पकडऩे का दावा किया गया है। 


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