छत्तीसगढ़ के 15 थर्ड जेंडर बने पुलिस आरक्षक
मितवा समिति के माध्यम से विगत 12 वर्षों में छत्तीसगढ़ में थर्ड जेंडर्स के हितों को लेकर अभूतपूर्व सकारात्मक बदलाव
पीयूष कुमारछत्तीसगढ़ राज्य पुलिस भर्ती परीक्षा के अंतिम परिणाम में राज्य भर से 15 थर्ड जेंडर्स का चयन आरक्षक पद के लिए हुआ है। यह साबित हुआ है कि अवसर मिलने और प्रयास करने से हर तरह की बाधा पार की जा सकती है।

थर्ड जेंडर्स परिवार और समाज से बहिष्कृत रहे हैं। वे पूरी तरह से सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक जीवन में प्रतिभागी होने से वंचित रहे हैं। ऐसे में इनकी यह उपलब्धि मायने रखती है।
इस सफलता में इन चयनित अभ्यर्थियों का हौसला और मेहनत तो है ही, छत्तीसगढ़ शासन (गृह विभाग) का सहयोग भी महत्वपूर्ण है। यहां मैं जिक्र करना चाहूंगा विद्या राजपूत (दूसरी तस्वीर में साड़ी में जो बैठी हैं) का जिन्होंने मितवा समिति के माध्यम से विगत 12 वर्षों में छत्तीसगढ़ में थर्ड जेंडर्स के हितों को लेकर अभूतपूर्व सकारात्मक बदलाव किया है।
आरम्भ में जब वह थर्ड जेंडर्स के रिजर्वेशन, योजनाओं आदि लिए बात करने विभिन्न विभागों में जाती थी, लोगों को हैरत होती थी और उन्हें हास्यास्पद लगता था। सोशल और मेंटल कंडीशनिंग में थर्ड जेंडर्स के लिए स्पेस ही नहीं था। पर विद्या ने हार नहीं मानी और अपनी कन्विनसिंग पॉवर से छत्तीसगढ़ में थर्ड जेंडर्स के लिए माहौल ही बदलकर रख दिया।
एक उपलब्धि व्यक्तिगत होती है जो वर्टिकल होती है दूसरी उपलब्धि होती है समानांतर विकास। विद्या के प्रयासों को यही समझता हूँ। याद आता है इन 15 चयनित थर्ड जेंडर्स के लिए विद्या ने साल भर से मेहनत की है। जब भी फोन किया तो यही कहती थी, ‘पुलिस ग्राउंड में हूँ भाई, पुलिस भर्ती के लिए प्रेक्टिस करवा रही हूँ।’ आज यह तस्वीर देखते यह तमाम बातें जो पुलिस भर्ती के प्रयासों को लेकर कहती थी, मन मे गूंज रही है।
विद्या ने मितवा समिति के माध्यम से छत्तीसगढ़ में काम के लिए 20 बिंदु निर्धारित किये गए थे, 18 पूरे हुए हैं, देखिये - थर्ड जेंडर वेलफेयर बोर्ड छत्तीसगढ़ का गठन, स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल, प्रशिक्षण संस्थाओं में तृतीय लिंग विषय को शामिल, आवासीय सुविधा, अपशब्द पर प्रतिबंध, विभिन्न फर्मों में तृतीय लिंग का कॉलम, थर्ड जेंडर स्पोर्ट्स मीट, सामूहिक विवाह को सामाजिक मान्यता, जागरूकता अभियान, कम्युनिटी मोबिलाइजेशन, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व, सामुदायिक भवन, टॉस्क फोर्स, थर्ड जेंडर वेलफेयर कमेटी, तृतीय लिंग परिचय पत्र, स्पोर्ट्स पॉलिसी, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी, राजनीतिक क्षेत्रों में भागीदारी और कौशल विकास प्रशिक्षण में भागीदारी।
अभी आरक्षण और ट्रांसजेंडर कमीशन बाकी है। आरक्षण में भी थर्ड जेंडर को ओबीसी केटेगिरी मिली है। विद्या और उसके सहयोगियों के प्रयासों से उद्योग विभाग छत्तीसगढ़ शासन ने अपनी उद्योग नीति 2019 से 2024 में तृतीय लिंग व्यक्तियों को भी उद्योग का अवसर दिया है।
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