पिछड़ी जातियों के हिमायती नंद कुमार बघेल को जेल

द कोरस टीम


मुख्यमंत्री भूपेश और उनके पिता नंद कुमार बघेल में शुरू से ही वैचारिक मतभेद रहे हैं। लेकिन यदाकदा उन्हें भूपेश का हाथ मजबूत करते सुना गया है। कहा जाना चाहिये कि भूपेश के जन्म से पहले से ही उनके विचार अलग थे। कभी वे दोनों एक पार्टी और एक विचारधारा के नहीं रहे। 

नंद कुमार बघेल ने अपनी राजनीति की शुरूआत सर्वोदयी आंदोलन से किया उसके बाद वे जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़ गये। 1984 में वे जनता पार्टी के बैनर तले कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़ा। वे एक लंबे समय से ओबीसी, दलित तथा आदिवासियों के इंसाफ के लिये सामामजिक बहस और लंबी लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। 

बताते चले कि 'ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो' पुस्तक में मनुस्मृति का खंडन करने के कारण उन्हें अजीत जोगी के शासन काल में भूपेश के मंत्री रहते दीवाली के दिन जेल जाना पड़ा था। 

बताया यह भी जाता है कि वे तथा उनका छोटा पुत्र बौद्ध हो चुके हैं। उन्होंने एक सार्वजनिक घोषणा भी की थी कि उनका अंतिम संस्कार उनका छोटा पुत्र ही करेगा ना कि उनका बड़ा पुत्र (भूपेश) जो हिंदू हैं। भूपेश के शासनकाल में भी वे लगातार उनके मंत्रीमंडल तथा उनके प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ खुला बयान देते रहे हैं। 

सोशल मीडिया में इस वीडियो के आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा था कि -'पिता क्यों ना 86 वर्ष के हैं यदि उनके बयान से किसी को चोट या आहत पहुंचता है तो कानून इस पर काम करने के लिये स्वतंत्र हैं।' रायपुर जिला कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। गौरतलब है कि पिछले दिनों नंदकुमार बघेल ने यूपी में एक स्टेटमेंट दिया था जिसे ब्राम्हण विरोधी कहा जा रहा है। 

क्या था स्टेटमेंट

बयान था- ‘ब्राह्मण सुधर जाएं या फिर गंगा से वोल्गा चले जाएं’

पिछले माह लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में नंद कुमार बघेल ने कहा था कि अब वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा हम यह आंदोलन करेंगे। ब्राह्मणों को गंगा से वोल्गा (रूस की सबसे बड़ी नदी) भेजेंगे, क्योंकि वे विदेशी हैं। जैसे अंग्रेज आए और चले गए। ब्राह्मण या तो सुधर जाएं, या फिर गंगा से वोल्गा जाने के लिए तैयार रहें। दक्षिण में स्टालिन ने मंदिरों से ब्राह्मण को निकाल दिया है।

वहां तो अनाथ हो गए हैं। ऐसी दुर्गति उत्तर प्रदेश में भी होगी। ब्राह्मणों से इसलिए नाराजगी है क्योंकि वे हमें अछूत मानते हैं, हमारे अधिकार वे छीन रहे हैं, इसलिए उनसे लड़ाई जरूरी है। हम प्रस्ताव पास करके हर समाज से अपील करेंगे कि ब्राह्मणों को घुसने न दिया जाए। हम सरपंचों से कहेंगे कि ब्राह्मणवाद का विरोध करें। योगीराज से कहेंगे कि वे हमारा साथ दें।

छत्तीसगढ़ नागरिक संयुक्त संघर्ष समिति के प्रवक्ता डॉ. गोल्डी एम. जार्ज  ने नंदकुमार बघेल के इस गिरफ्तारी को असंवैधानिक करार दिया है। डॉ जार्ज ने बताया कि-'बघेल ने कथित तौर पर बयान दिया था-‘ब्राम्हण विदेशी है उन्हें गंगा से वोल्गा भेजा जाना चाहिए।’ यहां पर ब्राम्हण को विदेशी कहे जाने पर आपत्ति है।

उन्होंने कहा कि  नंदकुमार बघेल के बयान से आपत्ती सही है तो सबसे पहले उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए जिन ब्राम्हणों ने अपने आपको विदेशी होने की बात कही है। जैसे वोल्गा से गंगा में महापंडित राहुल सांस्कृतियान, भारत एक खोज में पंडित जवाहर लाल नेहरू, लोकमान्य तिलक आदि आदि। 

गोल्डी कहते हैं कि भारत एक ऐसा देश है जब एक समुदाय विशेष जंतर मंतर दिल्ली में संविधान की प्रतियां जलाता है मनुस्मृति को लागू करने के नारे लगाता है तब गिरफ्तारियां नही होती। संविधान के हक-अधिकार, आरक्षण, जाति जनगणना के खिलाफ बोलने या लिखने से गिरफ्तारियां नही होती। लेकिन एक 84 साला बुजुर्ग की गिरफ्तारियां होती है जिन्होंने उनकी ही बात को दोहराया है।

नंदकुमार बघेल की गिरफ्तारी के विरोध में ओबीसी, एससी-एसटी व अल्पसंख्यक समुदाय में आक्रोश है। उनकी गिरफ्तारी के विरोध में 8 सितंबर 2021 को राजधानी रायपुर में प्रदेशभर से आए लोग अंबेडकर चौक में इकट्ठा हुए और नि:शर्त रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया।

नंदकुमार बघेल की गिरफ्तारी को पिछड़ा समाज को दबाने और भेद-भाव पूर्ण कार्यवाही बताते हुए छत्तीसगढिय़ा सर्व समाज समेत ओबीसी, एससी-एसटी व अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे और उनकी नि:शर्त रिहाई की मांग को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया। 

सर्व आदिवासी समाज के उपाध्यक्ष सुरजू टेकाम कहते हैं कि जिस वर्ग के लिए बाबूजी टिप्पणी कि है, वह वही वर्ग है, जो 3643 जाति ओ बी सी वर्ग के छत्तीसगढ़ में 27 प्रतिशत भागीदारी को रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर किया है! उस पर मुख्यमंत्री की हिम्मत नहीं कि कुछ बोल सके! भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में जो सरकार चल रही है, वह एसटी, एससी और ओबीसी के दम पर चल रही है, अगर ब्रह्मण ही आपके सरकार के पालनहार हैं, तो मैं लिखित में दे सकता हूँ कि आने वाले चुनाव में आप की स्थिति भाजपा से भी भंयानक होगी!

राजधानी रायपुर के अम्बेडकर चौक में नंदकुमार बघेल की नि:शर्त रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हुवे विष्णु बघेल ने संबोधन में कहा कि नंदकुमार बघेल की गिरफ्तारी पिछड़ा समाज को दबाने और भेदभाव पूर्ण कार्यवाही है।

ओबीसी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष सगुनलाल वर्मा ने बताया कि ब्राह्मणों ने खुद को विदेशी बताया है। इतिहास की कई घटनाओं में और पुस्तकों में इसका स्पष्ट उल्लेख हैं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अर्जुन हिरवानी ने कहा कि ब्राह्मण समाज के लोग वर्षों से पिछड़ों का शोषण करते आ रहे हैं और नंदकुमार बघेल ने उन्हीं बातों को कहा, जो पिछड़ा वर्ग के साथ हो रहे शोषण और अत्याचार सवर्ण करते रहे हैं।

सुनिता सिद्धार्थ लिखती हैं कि भूपेश बघेल ने अपने पिता नंदकुमार बघेल को जेल भिजवाकर बता दिया है कि उनकी नजर में एससी, एसटी और ओबीसी के हित सोचने वालों की क्या जगह है? उनके पिता नंदकुमार बघेल 86 वर्ष के हैं। सारी जिंदगी उनकी एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को जगाने में कट गई। देश में कोई इतना उम्रदराज व्यक्ति नहीं हैं जिसकी वंचित वर्ग के प्रति इतनी प्रतिबद्धता है।सीएम के बाप होने के नाते वे एक आरामदायक जिंदगी जी सकते थे।

ब्राम्हण चाटुकारों से घिरकर वे खुद की जय जय करवा सकते थे। सीएम की तरह उनके आत्ममुग्ध लेख हिंदी, अंग्रेजी अखबारों में आ सकते थे, हर दिन कहीं एक उदघाटन में फीता काट सकते थे, लेकिन उन्होंने अपनी जमीन की लड़ाई नहीं छोड़ी।छत्तीसगढ़ सहित देशभर के कई वंचितों के संगठन से वे वर्षों से जुड़े हुए हैं। भूपेश बघेल उनके सामने कहीं नहीं ठहरते। भूपेश सिर्फ अवसरवादी और सत्तालोलुप हैं। ब्राम्हण चाटुकार जो कह रहे हैं उसे ही वे कर रहे हैं। नंदकुमार बघेल ने जमानत याचिका न लगाकर बता दिया है उनकी बातों में वजन हैं।

वे 21 सितंबर तक जेल में ही रहेंगे। अब जरूरत उन लोगों, संगठनों को आगे आने की है जिनकी लड़ाई नंदकुमार बघेल लड़ रहे हैं। आप यह बात भूल जाइए कि वे किसी सीएम के बाप हैं, वे सिर्फ वंचितों के प्रतिनिधि हैं। उनका आपका और हमारे सिवा कोई नहीं है। ब्राम्हण वर्ग जो सिर्फ एक आलोचना से एक उम्रदराज व्यक्ति से इतना चिढ़ सकता है, सोचिए सदियों से कैसे यह वर्ग वंचितों का शोषण करता आ रहा है? नंदकुमार बघेल इसलिए जेल में हैं क्योंकि उनकी बातों में दम है और सच्चाई है जो कि नेहरू, तिलक आदि की लिखी किताबों में मिल जायेगी। 

छत्तीसगढ़ भिक्खु संघ के मुख्य संयोजक भिक्खु धम्मतप ने कहा कि तथाकथित ब्राम्हण समाज के लोगों के प्रभाव में आकर एफआईआर दर्ज कर 86 साल के बुजुर्ग नंदकुमार बघेल को गैर-जमानती धारा 505 (1) बी, 153-ए के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। उन्होंने इस कृत्य की कड़ी निन्दा करते हुए कहा है कि भारतीय संविधान हर भारतीय को वाक्य अभिव्यक्ति की आजादी देता है, नंदकुमार बघेल की गिरफ्तारी से लोकतंत्र की हत्या हुई है। एक तरफ बघेल की गिरफ्तारी से एससी, एसटी, ओबीसी एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को एवं निष्पक्ष आवाजों को भयभीत करने के उद्देश्य से एक बहुत बड़ा षड्यंत्र ब्राम्हणों द्वारा रचा जा रहा है। 

अधिवक्ता विष्णु बघेल कहते हैं कि वामन मेश्राम शेड्यूल कास्ट है और उसके पास एक बड़ा संगठन है जो ब्राह्मणवाद का विरोध करते रहते हैं इसलिए उसके ऊपर एफआईआर नहीं होता परंतु  नंद कुमार बघेल ओबीसी है। ब्राह्मणवाद जानता है कि ओबीसी जाग गया और अपनी गुलामी मानसिकता को त्याग दिया तो ब्राह्मणवाद मर सकता है इसलिए ओबीसी के लोगों को जागरूक करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध एफआईआर हुआ है जेल गए।

आरजी कुरील कहते हैं कि एक मुख्यमंत्री अपने लगुओं भगुओं के मर्डर रेप देशद्रोह तक के मुकदमे उठाकर अपराधियों को बरी करा लेता है और एक मुख्यमंत्री बिना किसी संगीन अपराध के अपने पिता को जेल मे डाल देता है। यह है ब्राह्मणवाद की जीत। 

नंदकुमार बघेल द्वारा ब्राम्हण एवं भगवान राम के खिलाफ दिए गए बयान पर जिला साहू संघ के अध्यक्ष धनंजय साहू ने कड़ी आपत्ति करते कहा कि किसी भी धर्म एवं जातिगत उन्माद फैलाने का अधिकार किसी को नहीं है।

हजारों वर्षों से हमारा संस्कार रहा है कि ब्राम्हण को हम गुरु एवं विद्वान के रूप में सम्मान करते हैं। हमारे पूर्वजों ने पुरातनकाल से हमें पीढ़ी दर पीढ़ी ब्राम्हणों का सम्मान करना सिखाया है, जिनका अपमान देश, समाज व छत्तीसगढ़ के लिए बर्दाश्त के बाहर है।

अन्य पिछड़ा वर्ग संयोजन समिति के सह संस्थापक टिकेश्वर साहू, रामविशाल साहू ने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर सीएम के पिता नंदकुमार बघेल को तत्काल नि:शर्त रिहा करने की मांग की है। ज्ञापन में कहा गया कि नंदकुमार बघेल ओबीसी वर्ग का विज्ञानवादी एवं प्रगतीशील विचारधारा के समर्थक हैं।

जो सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में समान भागीदारी दिलाने और अंधविश्वास मिटाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने किसी जाति विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में सोशल मीडिया के माध्यम से खेद व्यक्त कर चुके हैं।

दिलीप मंडल आगे लिखते हैं कि 90 साल की उम्र में भी जातीय जनगणना के लिए देश भर में जन जागरण करने वाले उत्तर भारत के नंद कुमार बघेल को छत्तीसगढ़ पुलिस ने जेल भेज दिया है। लखनऊ में दिए गए बयान के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस जिनको गिरफ़्तार न कर पाई, वह काम ब्राह्मण तुष्टीकरण में कांग्रेस की भपेश बघेल की सरकार ने कर दिया! अब ब्राह्मणों को कांग्रेस में लौट आना चाहिए। अपने बूढ़े पिता को गिरफ़्तार कराने से ज़्यादा कोई और क्या करेगा?

इतिहास में क्या है

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पिता का पत्र, पुत्री के नाम में लिखा है कि-‘द्रविड़ों पर आर्यों ने उत्तर से आ कर हमला किया, उस जमाने में मध्य एशिया में बेशुमार आर्य रहते होंगे। मगर वहाँ सब का गुजारा न हो सकता था इसलिए वे दूसरे मुल्कों में फैल गए। बहुत-से ईरान चले गए और बहुत-से यूनान तक और उससे भी बहुत पश्चिम तक निकल गए। हिंदुस्तान में भी उनके दल के दल कश्मीर के पहाड़ों को पार करके आए। आर्य एक मजबूत लडऩेवाली जाति थी और उसने द्रविड़ों को भगा दिया।’

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल  इतिहास का हवाला देते हुवे कहते हैं कि -‘नंदकुमार बघेल पर कार्रवाई को लेकर सोशल मीडिया पर ट्वीट किया है-बाल गंगाधर तिलक ने कहा आर्य विदेशी हैं तो वे कांग्रेस के लिए लोकमान्य बन गए और यही बात कोई ओबीसी का आदमी बोल दे तो जेल भेज दो! इनको बात से नहीं, दिक्कत इस चीज़ से है कि ओबीसी का आदमी क्यों बोल रहा है।’

छत्तीसगढ़ में हो रहे प्रदर्शन में सर्व समाज के कोषाध्यक्ष सूरज निर्मलकर, नरेन्द्र वर्मा, रितेश मेश्राम, घनश्याम, अतीश वर्मा, ओपी मेश्राम, दिनेश आगरकर, समीर, सुंदरलाल साहू, भूषण चंद्रवंशी, एमएस मेश्राम, मित्रभान साहू, विद्या सेन, ओमप्रकाश वर्मा, रविंद्र, हेमंत, कांति साहू, अनिल, सुरेश श्याम कुंवर, स्वानन्द मेश्राम, कल्याण साहू, ज्योति खड़े, मनोज, हेमंत, दिनेश कुमार आगरेकर, साकेत, मानव वर्मा, ऐके पमटेवे सहित प्रदेश के कोने-कोने से आद लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे हैं।

रायपुर के राजधानी में प्रदर्शन में दलित मुक्ति मोर्चा, दलित स्टडी सर्कल, दलित मूवमेंट असोसीएशन, जाति उन्मूलन आंदोलन, कसम, भारतीय संवैधानिक समाज, छत्तीसगढ़ पिछड़ा समाज, सामाजिक न्याय मंच, छत्तीसगढ़ महिला अधिकार मंच, महिला मुक्ति मोर्चा, छत्तीसगढ़ महिला जागृति संगठन, सबला दल, छत्तीसगढ़ बाल श्रमिक संगठन, राष्ट्रीय आदिवासी संगठन, बिरसा अम्बेडकर छात्र संगठन, संयुक्त ट्रेड यूनियन काऊन्सिल, अलाइयन्स डिफ़ेंडिंग फ्रीडम,  छत्तीसगड़ क्रिश्चयन फोरम, खीस्तीय जन जागरण मंच, यंग मेन्स क्रिश्चयन ऐसोसिऐशन, छत्तीसगढ़ क्रिश्चयन फैलोशिप, मुस्लिम खिदमत संघ, यंग मुस्लिम सोशल वेलफेयर सोसायटी, छत्तीसगढ़ बैतुलमाल फाऊन्डेशन, पीयूसीएल, इंसाफ, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, छत्तीसगढ़ नागरिक विकास मंच, सिरसा, अखिल भारतीय समता सैनिक दल रायपुर ने हिस्सा लिया।


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