मैं देशद्रोही हूं, क्योंकि मैं

सिद्धार्थ रामू

 

मैं सावरकर, हेडगेवार और गोलवरकर में नहीं, फुले,पेरियार, आंबेडकर और भगत सिंह में भारत का भविष्य देखता हूं। 

यह देश जितना हिंदुओं का है, उतना ही मुसलमानों का, इस पर पूरा का पूरा विश्वास करता हूं, इतना ही नहीं, मैं पाकिस्तान के आमजन से भी उतना ही प्रेम करता हूं, जितना अपने देश के आमजन से। 

वेद, स्मृतियों, गीता और रामचरित मानस के दर्शन को  मनुष्यता के लिए जहर मानता हूं, क्योंकि  सब के सब वर्ण-जाति और पितृसत्ता  का गुणगान करते हैं।  

मैं आर्य-ब्राह्मणवादी सनातन हिंदू धर्म दर्शन में नहीं,  बुद्ध के बहुजन-श्रमण दर्शन में विश्वास करता हूं। 

मैं देश को अंबानी-अड़ानी को सौंपना देश का विकास नहीं, विनाश मानता हूं। मैं कार्पोरेट घरानों के साथ नहीं, मैं उन आदिवासियों के साथ खड़ा हूं,   जो जल, जंगल,  जमीन के लिए युद्ध लड़ रहे हैं। 

मैं उन सभी वीर योद्धाओं के साथ हूं, जिन्हें अर्बन नक्सल के नाम पर जेल में डाल दिया गया है। 

मैं ब्राह्मणवाद-पूंजीवाद दोनों का विनाश चाहता हूं। मैं एक ऐसे भारत का स्वप्न देखता हूं  जो स्वप्न रैदास ने बेगमपुरा में देखा था, जो बलिराज के रूप में फुले ने देखा था, जिस आधुनिक भारत का स्वप्न पेरियार और आंबेडकर ने देखा। जिस समाजवाद का स्वप्न भगत सिंह ने देखा था। 

मैं संघ की विचारधारा  को एक बर्बर मध्यकालीन विचारधारा मानता हूं,  मैं उस विचारधारा को नेस्तनाबूद करना चाहता हूं। 

मैं नरेंद्र मोदी को संघ-कार्पोरेट वह मोहरा मानता हूं,  जो देश को एक मध्यकालीन बर्बर युग में ले जा रहा है और देश की अबतक की सभी उपलब्धियों को नष्ट कर रहा है। 

चूंकि मैं संघ-मोदी की विचारधारा में विश्वास नहीं करता, तय है, देश के प्रति मेरा प्रेम संदिग्ध है। क्योंकि यही लोग तो देशभक्ति का प्रमाण बांट रहे हैं, सच तो यह है कि देशद्रोही देशभक्ति का प्रमाण बांट रहे हैं और सच्चे  देश प्रेमियों को देशद्रोही ठहरा रहे हैं। 


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