आदिवासियों के रूढि़ परंपराओं से खिलवाड़ करता कांवडिय़ों की यात्रा
गोटाटोला में आदिवासी समाज और हिन्दुओं के बीच विवाद
द कोरस टीममानपुर-मोहला क्षेत्र के विभिन्न गांवों से निकलकर गोटाटोला समीपस्थ ग्राम डोकला में स्थित आदिवासियों के देवधारा से जबरन जल लेकर जा रहे पाटेश्वर धाम के सैकड़ों कांवडिय़ों को आदिवासी ग्रामीणों ने रोक लिया। सूचना के बाद सर्व आदिवासी समाज के उपाध्यक्ष नेता सरजू टेकाम भी मौके पर पहुंचे और कांवडिय़ों का विरोध करने लगे।

आदिवासी समाज के लोगों और नेताओं का कहना था कि जल लेकर जाने वालों को पांचवी अनुसूची के तहत पहले पंचायत से अनुमति लेनी थी। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया है। इसे लेकर दोनों गुटों में जमकर विवाद हो गया। दो से तीन घंटे तक डोकला में अफरा-तफरी का माहौल रहा। इसे देखते हुए वहां बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई। इस दौरान दोनों तरफ से साम्प्रदायिक तनाव बढ़ गया।
तत्काल मौके पर मोहला एसडीएम व अंबागढ़ चौकी, मोहला, मानपुर, बडग़ांव की फोर्स पहुंचकर जैसे-तैसे मामले को शांत कराया। सैकड़ों की संख्या में पहुंचे कांवडिय़ों व आदिवासी समाज के बीच विवाद के दौरान धक्का-मुक्की होने की भी खबर आ रही है।
कांवड़ यात्रा में सर्वाधिक आदिवासी
बताया जा रहा है कि खडग़ांव डोकला के देवधारा से जल लेकर कांवडिय़ों का पाटेश्वर धाम बालोद के लिए रवाना हो रहा था। इसमें बड़ी संख्या में मोहला, मानपुर, खडग़ांव, गोटाटोला वनगढ़ इलाके के आदिवासी समाज के लोग ही शामिल थे, जिन्हें रोकने लोग गोटटोला पहुंचे थे।
क्या कहते हैं आदिवासी नेता
आदिवासी नेता सरजू टेकाम का कहना था कि मोहला, मानपुर विधानसभा क्षेत्र पांचवी अनुसूची क्षेत्र है। उसके अंतर्गत डोकला गांव भी पांचवी अनुसूची में आता है। यहां से मिट्टी तथा कंकड़ उठाना हो तो सरकार को भी पंचायत से अनुमति लेना होता है। ऐसा भारतीय संविधान में है। उसके बावजूद देवदाहरा जो आदिवासी कल्चर में है। जल, जंगल और जमीन को आदिवासी अपनी आस्था और ईश्वर मानते हैं। कुछ तथाकथित हिंदू लोग कावडय़ात्रा के नाम पर पानी ले जा रहे थे।
सावन के अवसर पर भगवान भोलेनाथ के भक्तों द्वारा शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए अलग- अलग जगहों से जल लेकर मंदिर पहुंचते है और भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते है। लेकिन उस समय विवाद की स्थिति निर्मित हो गई। जब पाटेश्वर धाम के लिए कावडिय़े अंबागढ़ चौकी के ग्राम गोटाटोला के डोकला के पास स्थित नहर से जल लेकर जा रहे थेे।
आदिवासियों का कहना था कि पांचवी अनुसूची के तहत जल लेकर जाने वालों को पहले पंचायत से अनुमति लेना था। लेकिन वे बगैर अनुमति के जल लेकर जा रहे थे. जिससे दोनों पक्षों में विवाद की स्थिति निर्मित हो गई और घंटों तनाव की स्थिति निर्मित रही. स्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया. बाद में पुलिस की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ. इसके बाद आदिवासी नेता ने ली डोकला गांव में बैठक।
सुरजू टेकाम ने ‘द कोरस’ को बताया कि पहले भी थाने में सूचना देने गए थे लेकिन वे बैरंग लौट आये बालक दास के नेतृत्व में कुछ कथित कावड़ा यात्रा के नाम पर पानी ले जा रहे थे। पूर्व में भी मंदिर के नाम पर जगह जगह देव स्थलों से मिट्टी ले जाने का काम किया जा रहा था. आदिवासी समाज विरोध किया था और सरकार को यह निर्णय वापस लेना पड़ा था। पहली बार है कि डोकला गांव से पानी को ले जाया जा रहा था।
वे पानी नहीं ले जा रहे थे बल्कि हमारी संस्कृति पर अतिक्रमण करने आए थे इसलिए विरोध किया जा रहा था। एसडीएम साहब ने बगैर ग्राम सभा सहमति के अनुमति दे दी। हम इसका विरोध करते है और बालक दास के ऊपर एफआईआर भी कराएंगे और अनुमति देने वाले एसडीएम साहब के ऊपर भी परिवाद पेश करने की सोंच रहे है।
आदिवासी नेता ने बताया नियम
जानकारी अनुसार मानपुर के बीहड़ इलाके से निकलकर शनिवार सुबह 10'1 बजे के बीच सैकड़ों की संख्या में कांवडिय़े डोकला के कुंड से जल लेकर पाटेश्वर धाम जाने के लिए निकले थे, तभी उन्हें गोटाटोला में रोक लिया गया। आदिवासी नेता सरजू टेकाम के नेतृत्व में 40-50 लोगों ने फरसा, कुल्हाड़ी, तलवार लेकर अचानक प्रस्तावित कावड़ यात्रा को रोकने का प्रयास किया। इसके बाद ही विवाद बड़ा। बाद में माहौल शांत कराया गया है।
थाना प्रभारी ने क्या कहा?
टीआई, शिव चंद्रा ने कहा कि जो हथियार लोगों के पास थे, वह परंपरागत थे। तनावपूर्ण माहौल को शांत कराया गया है। यात्रा आगे निकल गई है। सभी चीजों में नजर बनाए हुए हैं।
देखिये डोकला ग्राम पंचायत का फैसला
21 तारीख को विशेष ग्राम पंचायत डोकला में प्राथमिक शाला के सामने पीपल पेड़ के नीचे समय लगभग 3:15 बजे माननीय धीरज राम उसारे के अध्यक्षता में ग्राम सभा बैठक प्रारंभ किया गया।
पहले प्रस्ताव में क्या लिखा है?
पारंपरिक ग्राम सभा ग्राम डोकला के रूढ़ी परेपरागत व्यवस्था का उल्लंघन किया जाने के संबंध में शिकायत बाबत्।
प्रस्तुत विषय में ग्राम सभा सदस्यों द्वारा निर्णय लिया गया कि स्थल देवदाहरा डोकला के नार व्यवस्था के अंतर्गत पारंपरिक देव स्थल है। जो ग्राम की आस्था व रूढ़ी प्रथा का भाग है। उक्त स्थल से (देवदाहरा) बालकदास और उसके टीम के द्वारा ग्राम डोकला के रूढ़ी परंपरागत व्यवस्था का उल्लंघन किया है। ग्राम के रीतिनीति का उल्लंघन किया है।
ग्राम में आदिम परंपरागत संस्कृति को दूषित किया है। ग्राम के देव नियम के उल्लंघन किये जाने से ग्राम व्यवस्था दूषित हुआ है। ग्राम कसुरवार हो गया है। ग्रामवासियों द्वारा उक्त स्थल से नियम उल्लंघन करने की विरोध करने पर प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम, तहसीलदार, एसडीओपी, थाना प्रभारी मानपुर द्वारा बलपूर्वक ग्राम सभा नियम का उल्लंघन करते हुए रूढ़ी प्रथा परंपरा को दूषित करते हुए देव स्थान से पानी चोरी किया गया है।
अत: गलती करने वाले को दंडित करने ग्राम डोकला का आवेदन एट्रोसिटी एक्ट के तहत आवश्यक कार्यवाही हेतु सम्प्रेषित है। ग्राम डोकला देव दाहरा में कांवरिया का आगमन दिनांक 21 अगस्त, दिन शनिवार को हुआ। जबकि ग्राम के पटेल, गायता, सरपंच, कोटवार तथा ग्राम के सियानों को इस संबंध में जानकारी नहीं है।
सभा ने लिखा कि नवीन जिला हुए सप्ताह भर भी नहीं हुए आदिवासी समरसता के नाम पर आदिवासियों के पेनठाना पर अतिक्रमण करने दूषित करने की कोशिश किया गया है। जबकि वह स्थान सदियों से देवदाहरा के नाम पर जाना जाता है। यहां पर नार व्यवस्था सरहद सीमा पेन पुरखा के सत्यमार्ग से प्रकृति जलधारा है।
उक्त कृत्य (1)अनुच्छेद 19(5)(6)आदिवासी क्षेत्र में आदिवासियों के संस्कृति, रीति रिवाज, बोली भाषा को प्रभावित करने वाले बाह्य संस्कृति को वर्णित करता है।
(2) अनुच्छेद 13(3) का उल्लंघन किया है।
(3) एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्यवाही किया जाने हेतु सर्व सम्मति से प्रस्ताव पास किया गया है।
दूसरे प्रस्ताव में क्या लिखा है?
समस्त पेन ठाना (देवस्थल) की सेवा अर्जी रूढ़ी परंपरागत अनुसार जारी रखा जाने बाबत्।
प्रस्तुत विषय में ग्राम सभा में उपस्थित सदस्यों द्वारा निर्णय लिया गया कि ग्राम पंचायत डोकला में ग्राम के समस्त पेन ठाना (देव स्थल) की सेवा अभी रूढ़ी परंपरागत अनुसार जारी रखे जाने हेतु एवं सम्मति से प्रस्ताव पास किया गया। एवं ग्राम सभा में उपस्थित सदस्यों द्वारा अनुमोदन किया गया।
तीसरे प्रस्ताव में क्या लिखा है?
ग्राम डोकला की समस्त पेन ठाना का सामुदायिक पट्टा प्रदान किया जाने बाबत्।
प्रस्तुत विषय में ग्राम सभा में उपस्थिति ग्राम सभा सदस्यों द्वारा निर्णय लिया गया कि ग्राम पंचायत डोकला में समस्त पेन ठाना का सामुदायिक पट्टा बनाया जाने हेतु प्रस्तमाव पास किया गया एवं उपस्थिति सदस्यों द्वारा अनुमोदन किया गया।
चौथे प्रस्ताव में क्या लिखा है?
ग्राम पंचायत डोकला के समस्त पेनठाना को सुरक्षित एवं संरक्षित किया जाने बाबत।
प्रस्तुत विषय में ग्राम सभा में उपस्थित सदस्यों द्वारा निर्णय लिया गया कि ग्राम पंचायत डोकला के समस्त पेनठाना को सुरक्षित एवं संरक्षित किया जाने हेतु प्रस्ताव पास किया गया एवं ग्राम सभा में उपस्थिति सदस्यों द्वारा अनुमोदन किया गया।
पांचवे प्रस्ताव में क्या लिखा है?
पेनठाना के खिलाफ दुष्प्रचार का रूढ़ी परंपरागत संस्कृति को दूषित करने वालो पर कार्यवाही किया जाने बाबत?
प्रस्तुत विषय में ग्राम सभा में उपस्थिति ग्राम सभा सदस्यों द्वारा निणर्पय लिया गया कि ग्राम पंचायत डोकला के पेनठाना के खिलाफ दुस्प्रचार पर रूढ़ी परंपरागत संस्कृति को दूषित करने का प्रयास करने वालों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्यवाही किया जाने हेतु प्रस्ताव पास किया गया एवं उपस्थित सदस्यों द्वारा अनुमोदन किया गया।
छठवें प्रस्ताव में क्या लिखा है?
सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र (सीएफआरआर) प्रदान किया जाने बाबत।
प्रस्तुत विषय में ग्राम सभा में उपस्थित ग्राम सभा सदस्यों द्वारा निर्णय लिया गया कि ग्राम पंचायत डोकला में सामुदायिक वन संसाधन अधिकर पत्र प्रदाय किया जाने हेतु प्रस्ताव पास किया गया एवं उपस्थिति सदस्यों द्वारा अनुमोदन किया गया।
इस विशेष ग्राम सभा के प्रस्ताव में सचिव का हस्ताक्षर तथा सील लगा हुवा है।
आईएनए न्यूज 24 ने लिखा है कि आपको बता दें कि 21 अगस्त को छत्तीसगढ़ प्रदेश के लगभग 12 जिलों से इस कांवड़ यात्रा में शामिल होने शिव भक्त एक दिन पहले ही जत्थे के रूप में पाटेश्वर धाम पहुंच गए थे जो 21 अगस्त को सुबह ही जल लेने डोकला पहुंच गए व वहां से जल भरकर वो पाटेश्वर धाम के लिए निकल पड़े ग्राम गोटाटोला में कुछ लोगों ने इस कांवड़ यात्रा को प्रभावित करने इसे रोकने का कुत्सित प्रयास किया था लेकिन हजारों के जनसमूह व धर्म के प्रति अटूट आस्था लिए इन धर्मप्रेमी कांवडय़िों ने इसे विफल कर दिया व आगे बढ़ते गए ।
बालकदास ने क्या कहा?
बालकदास ने गोटाटोला में कांवडिय़ों को सम्बोधित करते हुए ऐसे गलत कार्यो को अंजाम देने वालो को कहा कि ‘काल से वो डरे जो काम करे चांडाल का, और उसका कोई क्या बिगाड़े जो भक्त हो महाकाल का’ संत ने कहा कि जज्बा बनाये रखो किसी से डरने की जरूरत नहीं व असत्य से डरने की जरूरत नहीं है। और जरूरत किसी से लडऩे की भी नहीं है।
बालकदास का अपील
पाटेश्वर धाम के संचालक बालक दास ने उक्त मामले को लेकर भक्तो से आह्वान किया और कहा कि शासन ने 8 दिन के अंदर हमारे ऊपर कारवाई करने का इन्हें आश्वासन दिया है। अब आप लोग निर्णय करें क्या करना है हमारा अपराध इतना ही है कि हमने डोकला गंगा धाम से भगवान शंकर में चढ़ाने के लिए जल लिया और हमारे साथ 700 शिव भक्त कावड़ीया थे, जिसमें 500 कांवरिया भी आदिवासी समाज के ही थे अत: इस कार्यक्रम से किसी आदिवासी समाज की आस्था को ठेस नहीं पहुंचाया गया है फिर भी इसे केवल बहाना बनाकर हमारे द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्य का विरोध करना, हम पर कार्रवाई करवाना इनका उद्देश्य है, शासन प्रशासन यदि पाटेश्वर धाम पर कोई कार्यवाही करेगी, तो क्या आप सभी चुपचाप देखते रहें... हमें आपसे जवाब चाहिए।
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