मृत्युभोज नहीं किया, विद्यालय का प्रवेश द्वार बनवा दिया!
भंवर मेघवंशीबाड़मेर जिले के राणीगाँव निवासी बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के मिशन से जुड़े साथी पुखराज बोस की माँ हऊआ देवी का निधन चार माह पूर्व 8 अप्रेल 2021 को हो गया था. वे इस शोक की घड़ी में भी विचारधारा पर अड़िग रहे, उन्होंने बरसों से चली आ रही परंपराओं में परिवर्तन किया और ऐसी कईं विधि विरुद्ध रस्मों को बिल्कुल नकार भी दिया, जिनका कोई औचित्य नहीं था और जो क़ानून के भी ख़िलाफ़ थी.

उन्होंने न बारह दिनों में अतार्किक रिवाजों को माना और न ही बारह दिन बाद होने वाले मृत्युभोज के लिए सहमति दी.
बड़े बुजुर्गों ने कहा कि लड्डडु न सही, हलवा पूड़ी ही बना दो.
जब उन्होंने साफ़ इंकार कर दिया तो सामाजिक पंचों ने दाल रोटी ही कर देने की सलाह दे दी, ताकि मरण भोज की प्रथा तो जीवित रहे.
लेकिन पुखराज बोस और उनके पिताजी फगलू राम, बड़े भाई चेला राम, छोटे भाई देदा राम सब एकमत रहे और तय किया कि ग़ैर क़ानूनी मृत्यु भोज किसी भी क़ीमत पर नहीं करेंगे.
इसके बाद राणीगाँव के बोस परिवार ने अपने विद्यालय का प्रवेश द्वार अपनी माँ की स्मृति में बनवा कर शिक्षा के प्रति अपने अनुराग और सामाजिक जागरूकता का परिचय देकर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है.
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