12 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार समाप्त कराने में मिली सफलता
सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ मानवाधिकार के लिए सक्षम कानून बने
द कोरस टीमछत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर के ग्राम बाँसला के 12 ग्रामीण परिवार के 100 से अधिक सदस्य हैं, जो पिछले तीन माह से समाज से बहिष्कृत किये गए हैं, इन जैसे हजारों लोग हैं जो किसी न किसी वजह से समाज के ठेकेदारों ने बहिष्कार कर उनका हुक्का पानी बंद कर रखा है. ऐसे कुरीति और मनमानी बंद करने के लिए आगे आयें, सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ कानून बने.

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार कर हुक्का पानी बन्द करने का एक और बड़ा मामला सामने आया था, जिसमें भानुप्रतापपुर के बाँसला ग्राम के 12 परिवारों को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था.
इस मामले की लिखित शिकायत शासन से करते हुए पीड़ित 'परिवारों को न्याय दिलाने की मांग की गयी थी, वहीं दूसरी ओर सम्बंधित परिवारों के सदस्यों से तथा अन्य ग्रामीणों से सम्पर्क व समझाइश जारी रखी गयी तथा इन प्रयास व पहल के फलस्वरूप उक्त 12 परिवारों का बहिष्कार खत्म कराने में बड़ी सफलता मिली.
पिछले माह मिली सूचना के अनुसार भानुप्रतापपुर से 5 किलोमीटर दूर ग्राम बाँसला में 12 परिवार जिनमें 100 से अधिक सदस्यों को तीन माह पहले समाज से बहिष्कृत कर दिया गया तथा उन का हुक्का पानी बंद कर अनेक पाबंदियां लगा दी गयी थी. जिससे उनसे कोई बात भी नहीं करता व उन्हें रोजी मजदूरी से भी वंचित कर दिया गया था.
बहिष्कृत परिवार के सदस्यों ने बताया था कि बहिष्कार वापसी के लिए उनसे पचास हजार रुपये जुर्माना भी माँगा गया तथा उनसे दंड स्वरूप बलि के लिए 100 पशुओं मुर्गा, बकरा, भेड़, सुअर की मांग की गई पर उक्त परिवार की कमजोर आर्थिक परिस्थिति हैं और इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थ थे.
किसी भी व्यक्ति अथवा परिवार का सामाजिक बहिष्कार अनुचित तथा मानवाधिकार का हनन है. देश का संविधान हर व्यक्ति को समानता का अधिकार देता है.
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा ग्राम बाँसला में 12 चक्रधारी परिवार जिनके नाम सन्तू राम चक्रधारी, बाजारू राम, गिरवर राम, रमेश, रामेश्वर, हारून,घनश्याम, शारदा प्रसाद, परमेश्वर सूरज, संजय चक्रधारी का उनके परिवारों सहित जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल है 100 से अधिक ग्रामीणों का सामाजिक बहिष्कार कर उनका हुक्का पानी बन्द कर दिया गया था.
पीड़ित परिवार के सदस्यों और अन्य ग्रामीणों से सम्पर्क,समझाइश आरम्भ की व निरन्तर सम्पर्क में रहे, जिससे उक्त परिवारों का सामाजिक बहिष्कार समाप्त करने में सफल रहे.
उक्त परिवार के सदस्य अब गांव में ही काम पर जाने लगे हैं व खेतों में मजदूरी का कार्य कर रहे हैं साथ ही उनके साथ की जा रही अन्य रोकटोक भी हटा दी गयी है तथा 100 से अधिक सदस्यों में से 40 सदस्यों ने काम पर जाना आरम्भ कर दिया है वे अभी भी उन परिवारों के सम्पर्क में हैं.
डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा सामाजिक बहिष्कार करना, हुक्का पानी बन्द करना एक सामाजिक अपराध है तथा यह किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक एवं मानवाधिकारों का हनन है.
प्रदेश सरकार को सामाजिक बहिष्कार के सम्बंध में एक सक्षम कानून बनाना चाहिए ताकि किसी भी निर्दोष को ऐसी प्रताड़ना से गुजरना न पड़े.
Add Comment