संविधान को जलाने वाले सवर्णों के नकाब में देशद्रोही

उत्तम कुमार

 

जब मूलनिवासी अपने देवी-देवताओं जैसे महिषासुर, रावण पर हमले और उसे जलाए जाने को लेकर विरोध करता है तो उसे दस्यु कह कर जेलों में बंद कर दिया जाता है उसकी हत्या कर दी जाती है। हम हांसिए के सभ्य लोग न्याय और कानून पर विश्वास करते हैं। 

आरक्षण विरोधी सवर्णों ने संविधान, आरक्षण तथा एससी/ एसटी एक्ट का विरोध करते हुए दुनिया का सबसे बड़ा भारतीय संविधान जिस पर आगे चलकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने मूलनिवासियों के लिए घोषणा पत्र की रचना की ऐसे राष्ट्रीय ग्रंथ की प्रतियां देशद्रोहियों ने जला डालीं।

उनकी इस करतूत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के पैरोकार संविधान के जलाए जाने पर नपुंसक की तरह हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए देखते रहे।

हैरानी की बात यह है कि इन देशद्रोहियों ने यह जघन्य अपराध दिल्ली पुलिस की नाक के नीचे उनके मौजूदगी में की। जो लोग इस मुगालते में बैठे हुए कि संविधान बदल दिया जाएगा चंद मनुवादियो ने भारत के संविधान को दिल्ली पुलिस के सामने जला दिया और पुलिस तमाशा देखती रही, लोकतंत्र के लिये यह खतरे की घंटी और काला दिन है।

पहले संविधान जलाने वालों ने संविधान के शिल्पकार भीम राव अंबेडकर के खिलाफ नारेबाजी की और फिर संविधान की प्रतियों को जला डाला।यह स्पष्ट है कि संघ ने देश के सभी संस्थानों को तबाह किया, आरक्षण खत्म करने के लिए अग्रसर है और अब इसे जला दिया गया।

देश के राजा में जरा भी राजधर्म की लोकलज्जा बची हो तो संविधान के जलाने वालो को देशद्रोह, ‘दी प्रीव्हेन्शन ऑफ इन्सल्ट टु नैशनल ऑनर एक्ट (संशोधन) 2005’ के साथ आपराधिक धाराओं के तहत दिल्ली पुलिस कानूनी कार्रवाई करते हुए दिल्ली के जंतर मंतर स्थित जिम्मेदार पुलिस अफसरों व आरक्षकों के खिलाफ इसी धारा में कार्यवाही करे।

गौरतलब है कि भारतीय संविधान की प्रतियां जलाने में शामिल एक श्रीनिवास पांडेय गुरूजी ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, जिसमें उसने बीआर अंबेडकर के लिये आपत्तिजनक शब्दों का भी प्रयोग किया है। 

पांडेय ने कहा है कि, 'आरक्षण विरोधियों के द्वारा आज जन्तर मंतर पर अम्बेडकर के संविधान को जलाया गया। अधिक से अधिक शेयर करें। और बता दे उन भीमटो के समर्थकों को कि सवर्ण कमजोर नहीं अब यह भी उतर गया है सड़कों पर अपने अधिकारों के लिए।' सभी देशद्रोहियों का चेहरा इस वीडियों में स्पष्ट नजर आ रहा है। ये सभी देश में स्थापित लोकतंत्र के हत्यारे भी हैं।

आरक्षण नहीं बल्कि सवर्णों के समतुल्य प्रतिनिधित्व का महत्वपूर्ण का कार्य पेरियार, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, साहू जी महाराज तथा बाबा साहेब आंबेडकर ने संविधान के माध्यम से किया। डा. आम्बेडकर ने समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय पर आधारित इस महान संविधान की रचना की। आरएसएस देश को 1947 के पीछे ले जाना चाहता है।

वह मनुस्मृति और भगवत गीता को अपना संविधान मानते हैं और देश पर इसे ही थोपना चाहते हैं। यह देश मनुस्मृति के आधार पर नहीं बल्कि बाबा साहेब के द्वारा लिखे गये संविधान के आधार पर ही आगे बढ़ सकता है।

जिस समय मंडल कमीशन लागू हुआ था उस समय यह देश खुशहाल नहीं थी और ना ही आज है। लोगों के संविधानिक अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। धर्म, भाषा, नस्ल या भूगोल के आधार पर भी राष्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता है। साझे दु:खों, सुखों व हितों को राष्ट्र होने का आधार बताया।

भारत एक राष्ट्र नहीं है। आरक्षण गरीबी हटाने का कार्यक्रम नहीं है और जो लोग आरक्षण का विरोध करते हैं वह मानवतावादी राष्ट्र का विरोध करते हैं। सवर्णों का एक हिस्सा ऐसा है जो मूलनिवासियों को उनका वाजिब हक दिलाना चाहता है और पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने इसे अमल में लाकर संविधान के कहे बातों को चरितार्थ करना चाहते थे।

राजसत्ता का जो फासीवादी चरित्र है सुन लीजिए स्वर्ग हमारा भी है और हमें भी स्वर्ग के लिए देशद्रोही, राष्ट्रविरोधी और लोकतंत्र विरोधियों पर धावा बोलना चाहिए। इस घटना को हम यूं देख सकते हैं जब संविधान धू-धू कर जल रहा था तब हमारा संसद और विधान सभा देशद्रोहियो के कुकृत्य से चूर-चूर हो रहा था। 


Add Comment

Enter your full name
We'll never share your number with anyone else.
We'll never share your email with anyone else.
Write your comment

Your Comment

  • 11/08/2021 Sandeep

    Sab ki man...margi....h...

    Reply on 11/08/2021
    Sandeep