सरकारी आतंक और भूमिहीन किसानों के समक्ष आजीविका की समस्या

 शासन प्रशासन और पंचायत की मिलीभगत से छीनी गई 51सालों से कास्तकारी की जाने वाली भूमि

द कोरस टीम

 

यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि भूमिपूजन से पूर्व अर्थात 6 अगस्त की  रात को ग्राम सोनेसिली में भारी पुलिस बल की व्यवस्था कर गांव को छावनी में तब्दील कर दी गई और पीड़ित परिवार के घरों के सामने पुलिस की पहरेदारी भी लगा दी गई  ताकि 23 परिवारों के कोई भी सदस्य किसी प्रकार से कहीं अपनी फरियाद पहुंचाने न चला जाए।

क्योंकि ये पीड़ित परिवार  स्थानीय स्तर पर तहसीलदार, एसडीएम तथा विधायक से मिलकर शासन प्रशासन को अपनी जीवन आजीविका  की समस्याओं से अवगत करा चुके थे।

लेकिन पीड़ितों के पक्ष में कोई सुनवाई नहीं होने से नाराज परिवार महिलाओं, बच्चों सहित 24 जुलाई  2021 शनिवार सुबह 5 बजे से पैदल मार्च कर राजधानी रायपुर में कलेक्टर और मंत्रियों के पास गुहार लगाने निकल पड़े थे। 

अभनपुर एसडीएम निर्भय साहू को जैसे ही जानकारी हुआ वे पदयात्रियों से मुलाकात करने के लिए पहुंच गए जो माना बस्ती वनोपज जांच नाका के पास पहुंच थे।

पद यात्रियों के साथ चर्चा कर एस डी एम ने उक्त भूमि पर सरपंच के किसी भी प्रकार की हस्तक्षेप करने से स्थगन आदेश लिखित रूप से जारी किया। इससे पदयात्री मानकर वापस हुए थे।

लेकिन 4 अगस्त को एस डी एम ने  अपने द्वारा दिए गए स्थगन आदेश को स्वतः निरस्त कर दिया जिससे पंचायत प्रतिनिधियों को जमीन बेदखल करने बल मिल गया।

पीड़ित परिवार अपने को ठगा महसूस कर 5 अगस्त 2021 की रात एक बार पुनः महिलाओं, बच्चों सहित रात को राजधानी रायपुर के लिए निकलकर सुबह कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे के बंगले पर आ पहुंचे जिनके साथ पुलिस ने लाठीचार्ज किया। 

जबरदस्ती गाड़ी में ठूंसकर अधिकृत धरना स्थल बूढ़ा तालाब रायपुर के पास  बरसात के दिनों में खुले आसमान के नीचे भूखे प्यासे छोड़ गए लेकिन कृषि मंत्री या किसी और मंत्रियों ने राजधानी पहुंचे पीड़ितों के पक्ष को  सुनने की जरूरत न समझी। 

हालांकि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के हस्तक्षेप से कलेक्टर ने आश्वासन दिया था कि पीड़ित परिवार वापस घर लौट जाए और फसल कटाई तक उस भूमि पर पंचायत द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया जाएगा ऐसा वे एस डी एम को निर्देशित कर देंगे।

इस आश्वासन से पीड़ित किसान परिवार को विश्वास तो नहीं था लेकिन बड़े अधिकारी और नेता प्रतिपक्ष के बातों पर विश्वास करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था। 

जैसे आशंका थी 6 अगस्त की सुबह  गांव में पुलिस की सक्रियता बढ़ा दी गई और तहसील प्रशासन की मौजूदगी में पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा मवेशी से बोई गई धान फसल चरा दिया गया।

और 51साल से संजो कर कास्तकारी कर जीवन यापन करने वाले 23 परिवार के समक्ष खून के आंसू रोने के आलावा कुछ बचा ही न रहा। आज भी वे अपनी फरियाद लेकर कहीं पर जाना चाहते हैं लेकिन पुलिस के द्वारा उन्हें कहीं निकलने नहीं दिया जा रहा है। 

गौर करने एक बात और है 1970 में जब कृषक सहकारी समिति बनाकर  23 भूमिहीन परिवारों को कास्तकारी करने हेतु जमीन दिया गया उस समय ग्राम में चारागाह, गौठान और आम निस्तारी के लिए करीब 70 एकड़ भूमि आरक्षित रखी गई थी जिस पर आज पंचायत के पदाधिकारी और दूसरे अन्य लोगों द्वारा अतिक्रमण किया है जिसे अतिक्रमण मुक्त कराने के बजाय भूमिहीन परिवारों को उनके आजीविका से वंचित कर दिया गया है। 

पीड़ित किसान बिसहत राम साहू, विजय यादव, पंचूराम साहू, त्रिलोचन यादव, नंदलाल तारक, रामकुमार, साहू, उमा बाई साहू, दूमेश्वरी साहू, लिखेश्वर साहू, लीलाबाई यादव, युवराज तारक आदि का कहना है कि जब इस भूमि का प्रकरण अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अभनपुर के न्यायालय में  विचाराधीन है ऐसे परिस्थिति में इस भूमि पर वृक्षारोपण, गौठान निर्माण हेतु कार्य करने पंचायत को अनुमति देना कहीं न कहीं भू माफियाओं के साथ शासन प्रशासन का मिलीभगत है जिसके कारण इतनी तानाशाही के साथ पुलिस और बंदूक के नोक पर हम गरीबों को हमारी आजीविका से वंचित किया गया है।

छत्तीसगढ़ सरकार का दोहरा चरित्र उजागर 

अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू और सचिव तेजराम विद्रोही ने 51सालों से कास्तकारी कर रहे गरीब परिवारों को सरकार द्वारा उनके जमीन से संगीन के साए में बेदखल करने की कार्यवाही का घोर निन्दा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की दोहरा चरित्र उजागर हो चुका है।

एक यह मुख्यमंत्री अपने आप को किसान का बेटा कहता है और हाल ही में गरीब भूमिहीन खेत मजदूरों को सालाना 6000 रुपए देने का विधान सभा में प्रस्ताव पारित किया है।

और दूसरी ओर 1970 से बंजर भूमि को उपजाऊ बनाकर अनाज पैदा कर अपने परिवार सहित राज्य तथा देश की जनता का पेट भरने वाले  23 परिवार के   करीब 350 सदस्यों के आजीविका को छीनकर उनके पेट पर लात मारा है।

गरीब भूमिहीन, खेत मजदूरों को सालाना 6000 रुपए देने के बजाय  उन्हें जमीन का मालिकाना हक देना चाहिए ताकि वे अपने आप आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ साथ राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर सके।

ग्राम सोनेसिली के 23 परिवारों के  संदर्भ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को स्वयं संज्ञान लेकर भूमि से बेदखल करने की कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाना चाहिए।


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