पण्डित रविशंकर शुक्ल 

स्वराज करुण

 

स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, सुयोग्य शिक्षक,   प्रशासक,  पत्रकार  और मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पण्डित रविशंकर शुक्ल की आज जयंती है। 

उनका जन्म 2 अगस्त 1887 को वर्तमान मध्यप्रदेश के  सागर जिले में हुआ था, लेकिन छत्तीसगढ़ आजीवन उनकी कर्मभूमि बनी रही। उनकी स्कूली शिक्षा छत्तीसगढ़ (रायपुर) में हुई और उच्च शिक्षा जबलपुर और नागपुर में। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपने संक्षिप्त कार्यकाल में जनता की बेहतरी के लिए कई ऐसे कार्य किए, जिन्हें आज भी याद किया जाता है।

सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में  भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। भारत सरकार ने उनके सम्मान में वर्ष 1992 में डाकटिकट भी जारी किया था। उनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए जहाँ  छत्तीसगढ़ के द्वितीय विश्वविद्यालय का नामकरण उनके नाम पर किया गया है, वहीं  धमतरी जिले के गंगरेल में महानदी पर निर्मित विशाल बाँध का नाम रविशंकर सागर  रखा गया है।

कक्का जी के नाम से लोकप्रिय पण्डित रविशंकर शुक्ल  ने रायपुर को केन्द्र बनाकर सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में स्वतन्त्रता संग्राम का  विस्तार किया। उन्हें  छत्तीसगढ़ के प्रथम दैनिक ' महाकोसल ' के संस्थापक और  प्रधान सम्पादक के रूप में भी याद किया जाता है।

हरि ठाकुर ने  'छत्तीसगढ़ गौरव गाथा ' में अनेक महान विभूतियों के साथ पण्डित रविशंकर शुक्ल का भी  विस्तृत जीवन परिचय दिया है। इस ग्रंथ के आधार पर उनकी सुदीर्घ सार्वजनिक जीवन यात्रा के  महत्वपूर्ण  पड़ावों पर एक नज़र-

जन्म -2 अगस्त 1877, जन्म स्थान -सागर (मध्यप्रदेश)। प्रारंभिक शिक्षा -सागर और माध्यमिक शिक्षा - रायपुर (छत्तीसगढ़), मेट्रिक पास हुए वर्ष 1895 में। कॉलेज की पढ़ाई के लिए जबलपुर गए, वहाँ से नागपुर। हिस्लाप कॉलेज नागपुर से वर्ष 1899 में बी.ए.। इसी दरम्यान वर्ष 1897 में अमरावती (महाराष्ट्र) में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल हुए। बी.ए.पास होने के बाद  सरकारी नौकरी में आए। कुछ लोग बताते हैं कि वह  नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्त हुए थे। उस दौरान छत्तीसगढ़ में अकाल पड़ा था।

पंडितजी को वर्तमान महासमुन्द जिले के अकालग्रस्त सरायपाली इलाके में पदस्थ किया गया था। कुछ समय बाद उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और वकालत की पढ़ाई के लिए जबलपुर चले गए। 

वकालत की शिक्षा पूरी होने के बाद उन्हें खैरागढ़ के हाई स्कूल में प्रधान अध्यापक के पद का ऑफर मिला। उन्होंने यह पद स्वीकार कर लिया। खैरागढ़  में वह एक अनुशासनप्रिय शिक्षक के रूप में बहुत लोकप्रिय हुए। वर्ष 1907 में उन्होंने यह नौकरी छोड़कर राजनांदगांव में वकालत  का व्यवसाय शुरू किया। फिर वहाँ से रायपुर आ गए।

रायपुर जिले के सार्वजनिक जीवन में उन्होंने विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी के रूप में समाज को अपनी सेवाएं दी। वह वर्ष 1921 से 1936 तक रायपुर जिला परिषद के अध्यक्ष रहे। उन्होंने जिला परिषद के अध्यक्ष के रूप में शिक्षकों और कर्मचारियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के गाँव - गाँव में स्वतन्त्रता आंदोलन और राष्ट्रीय चेतना का विस्तार किया।

मई 1922 में रायपुर में जिला राजनैतिक परिषद के आयोजन में उन्हें स्वागताध्यक्ष बनाया गया। सम्मेलन स्थल पर कलेक्टर और पुलिस कप्तान के जबरन प्रवेश का विरोध करने पर शुक्लजी को गिरफ़्तार कर कोतवाली में बन्द कर दिया गया। जनता ने विरोध प्रदर्शन किया तो प्रशासन ने शुक्लजी को रिहा कर दिया।

वर्ष 1924 में शुक्लजी ब्रिटिश हुकूमत के अंतर्गत हुए प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव में सेंट्रल प्रॉविन्स एंड बरार (सी.पी.एंड बरार) प्रान्त की विधान सभा के सदस्य चुने गए। वर्ष 1926 में दूसरी बार हुए चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिली। वर्ष 1930 में रायपुर में भी शुक्लजी और अन्य नेताओं की अगुवाई में नमक सत्याग्रह चल रहा था। 

शुक्ल जी किसी काम से बालाघाट गए थे। वहाँ से लौटते हुए उन्हें गोंदिया में गिरफ़्तार कर लिया गया। दो साल की सजा हुई। गांधीजी के आव्हान पर वर्ष 1931 में पुनः शुरू हुए सत्याग्रह के दौरान शुक्लजी को भी गिरफ़्तार किया गया और सरकार ने  उनके वकालत का लाइसेंस जब्त कर लिया।

वर्ष 1933 में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जब 13 साल के अंतराल में दूसरी बार छत्तीसगढ़ आए तब वह रायपुर के बूढ़ापारा स्थित शुक्ल जी के घर पर रुके थे। वर्ष 1935 में शुक्लजी ने नागपुर से  साप्ताहिक महाकोसल का प्रकाशन शुरू किया, वर्ष 1936 में इसका प्रकाशन रायपुर से पकरने के बाद उन्होंने आगे चलकर वर्ष 1956 में इसे  दैनिक अख़बार में तब्दील कर दिया। शुक्ल जी के नेतृत्व में  वर्ष 1936 में रायपुर जिला परिषद की पत्रिका 'उत्थान ' का प्रकाशन शुरू हुआ। 

उन्हीं  दिनों प्रांतीय विधानसभा के चुनाव में शुक्लजी सदस्य निर्वाचित हुए और  मंत्रिमंडल में उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया गया। उन्होंने महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा के विस्तार के लिए विद्या मन्दिरों की योजना शुरू करवाई। अंग्रेजी हुकूमत के ख़िलाफ़ देश भर में वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की लहर चल पड़ी । तब 11 अगस्त 1942 को शुक्लजी को भी मलकापुर स्टेशन  में गिरफ़्तार कर लिया गया।

वह 13 जून 1945 को रिहा हुए। वर्ष 1946 में प्रांतीय विधान सभा के चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी और शुक्लजी प्रदेश के प्रधानमंत्री बने। देश 15 अगस्त  वर्ष 1947 में आजाद हुआ और 26 जनवरी 1950 से भारत का अपना संविधान लागू हुआ । नये संविधान के मुताबिक वर्ष 1951 में पुनः विधान सभाओं के चुनाव हुए।

कांग्रेस को दोबारा बहुमत मिला। सरकार बनी और शुक्लजी मुख्यमंत्री। भाषायी आधार पर राज्यों के  पुनर्गठन से मध्यप्रदेश का भी निर्माण हुआ। शुक्लजी मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने।वह एक अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने 'आयरलैंड का इतिहास ' लिखा था, जो रायपुर जिला परिषद की पत्रिका 'उत्थान ' में धारावाहिक रूप से छपा। 


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