गोल्डन गर्ल के कंधों पर गोल्डन स्टार्स

पीयूष कुमार

 

एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता और जूनियर विश्व चैम्पियन हिमा ने बाद में बताया "यहां लोगों को पता है। मैं कुछ अलग नहीं कहने जा रही। स्कूली दिनों से ही मैं पुलिस अधिकारी बनना चाहती थी और यह मेरी मां का भी सपना था।

वह दुर्गापूजा के दौरान मुझे खिलौने में बंदूक दिलाती थी। मां कहती थी कि मैं असम पुलिस की सेवा करूं और अच्छी इंसान बनूं।

मुझे सब कुछ खेलों की वजह से मिला है। मैं प्रदेश में खेल की बेहतरी के लिए काम करूंगी और असम को हरियाणा की तरह सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य बनाने की कोशिश करूंगी।

असम पुलिस के लिए काम करते हुए अपना करियर भी जारी रखूंगी।"

देश की इस गोल्डन बिटिया को इस मकाम के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

मैनें ट्रैक फील्ड पर हिमा की सफलता पर 24 जुलाई 2019 को एक कविता 'ढिंग एक्सप्रेस' लिखी थी, आज वह कविता हिमा दास को बधाई स्वरूप पुनः पेश करता हूँ।
 


ढिंग एक्सप्रेस

धान के खेतों से उपजी
टखने भर मिट्टी पानी की ऊर्जा
उसकी रगों से होकर
ट्रेक पर सनसनाती भाग रही है
और उसके कदमो के नीचे की जमीन
सुनहरी होती जाती है

गूगल में खोजकर उसकी जाति
कुछ लोग निराश हो रहे हैं
उधर उत्तरकाशी में अभी तीन महीनों में
एक भी लड़की ने जन्म नही लिया है
इधर एक पूंजीवादी खेल हार कर
सुस्ता रहा है अभी
इसी समय जमीन से जुड़े दस लोग
मार दिए गए हैं जमीन की खातिर

उसके अंग्रेजी नही बोल पाने को
कमजोरी बतानेवाला प्रवक्ता चुप है आज
हैरान हैं अभिजात्य मीडिया के कैमरे
एक दुबली सांवली फर्राटा भरती देह
उन्हें खींच रही बार बार
उसकी गति इतनी तेज है कि
उनके बने बनाये फ्रेम से बाहर हो जाती है

गोल्डन गर्ल दौड़ रही है पटरियों पर
चन्द्रयान भी भेद रहा अनंत को
यह दो दृश्य एक साथ हैं
राष्ट्रगान बज रहा है
मैडल लटकाए बिटिया मुस्कुरा रही है
लड़कियां तैयार हो रही हैं भागने को
ढिंग एक्सप्रेस की तरह



हिमा दास को ढिंग एक्सप्रेस कहा जाता है। 


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