सरकार को चाहिए कोराना से रोकथाम के लिये टीका मुफ्त में लगवायें
शहीद अस्पताल, दल्लीराजहराटीका लगाना एक पुराना तरीका है। जेनर साहब और पाश्चर साहब टीका का आविष्कार प्रारम्भ किया था। टीका द्वारा हम लोग बड़ी माता (Small Pox), पोलियो जैसी खतरनाक बीमारियों को दुनिया से हटाया, टीका द्वारा ही कई लोगों को रैबिज से बचाया गया। बहुत सारी बीमारियां जो वायरस द्वारा उत्पन्न हुआ, उनका निराकरण विशेषज्ञ द्वारा बनाये गये टीका द्वारा काबू किया गया है।

आज कोरोना बीमारी आया है। दुनिया के बड़े बड़े वैज्ञानिक दवाई और टीका बनाने के दौड़ में शामिल हो गये हैं। कोरोना सारी दुनिया में फैला हुआ है।
टीका बनने से सारी दुनिया में टीका सप्लाई होगा और कंपनियों को मुनाफा होगा, हमें लगता है, कंपनी मानव समाज के लिए कितना सोचता है? लेकिन कंपनी के पास मुनाफा छोडक़र और कुछ सोच नहीं है।
सवाल है हमें टीका लगवाना है या नहीं लगवाना है? हमारा सुझाव है कि - हम सबको टीका लगवाना चाहिए। क्योंकि कोरोना की दवाई नहीं है इसलिए टीका एकमात्र तरीका है, हमें सुरक्षित रखने का।
कौन बना रहे हैं, कितना मुनाफा कमा रहें, साम्राज्यवाद, पूंजीवाद कितना हावी है ये नहीं देखना है टीका असरदार है, हमें टीका लगवाना है। सारी दुनिया में एक साथ टीका लगने से कोविड को रोकना आसान होगा। सवाल है टीका खरीदेंगे कौन? पैसा का बन्दोबस्त कहां से होगा?
अभी तक भारत में टीकाकरण की जिम्मेदारी भारत सरकार का है। कोरोना के लिए भी टीका मुफ्त में लगवाने की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार को लेना है। कोरोना के टीका के समय सरकार को जिस नीति पर काम करनी चाहिए वह यह कि केन्द्र सरकार दवाई कंपनियों पर दबाव डालकर कम मुनाफा देकर टीका का बन्दोबस्त कर सकती है। दवाई कंपनी को इस देश में रहना है, सरकार का कहना मानना पड़ेगा।
लोग टीका लगवाने से डर रहें हैं क्योंकि टीका लगने के बाद कई लोगों की मत्यु हो चुकी है, बात सही है लेकिन हमने दूसरी लहर के दौहरा टीकाकरण पर जोर दिया था। बहुत सारे लोग बिना लक्षण कोरोना बीमारी के साथ टीका लगवायें हैं।
असल में टीका लगवाने के पहले उनके शरीर में कोरोना का कीटाणु प्रवेश कर चुका था लोगों ने सोचा टीका के कारण कोरोना हुआ, इसलिए आम लोग डर गये। उस समय 60 साल के उपर के लोगों को टीका लग रहा था और कई सारे लोगों को पहले से दूसरी बीमारी रहता है।
हमें टीकाकरण का निर्णय और पहले लेना था। सही समय पर निर्णय नहीं लेने से आज दिक्कत खड़ा हुआ है। इसके बाद दोनों टीका के बीच के समय को लेकर भी समस्या है। शुरू में 28 दिन के बाद टीका लगा, बाद में दोबारा समय का अन्तर बढ़ाया गया। इसके कारण लोगों का सरकार पर से भरोसा उठ गया है।
आम लोगों की धारणा है टीका पर पर्याप्त शोध नहीं हुआ है। लेकिन हमें कोरोना को रोकना है। कोरोना के बारे में - जानकारी, जल्दी जांच, जल्दी इलाज। और टीकाकरण के बिना कोरोना का इलाज और कुछ भी नहीं है।
बार - बार लॉकडाउन से लोगों की आर्थिक स्थिति को बदतर करके हम कोरोना से लड़ नहीं पायेंगे। सरकार को चाहिए कि अच्छा नीति अपनाये और जनता को कोरोना के बारे में सही जानकारी दें और महामारी को रोकने में उनकी भूमिका का सम्मान करना चाहिए।।
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