वाहन टेस्टिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त, ठेका श्रमिक बहल राम का दुर्घटना स्थल पर ही दर्दनाक मौत

द कोरस टीम


मृतक ठेका श्रमिक बहल राम व कलिराम जन मुक्ति मोर्चा के कर्मठ कार्यकता हैं व आदिवासी समाज से हैं, दोनों ठेका श्रमिक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं व अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य हैं ।

दुर्घटना का समाचार प्राप्त होते ही जन मुक्ति मोर्चा के पदाधिकारी व मजदूर सुबह से राजहरा माइंस अस्पताल में मौजूद हैं व माइंस प्रबंध को सूचित कर दिये हैं कि जब तक मृत श्रमिक बहल के परिवार के एक सदस्य को बीएसपी में स्थाई नौकरी दिये जाने का लिखित पत्र नहीं दिया जाता तब तक मृत मजदूर साथी के शव को पोस्टमार्टम के लिए नहीं भेजा जायेगा। चूंकि ऐसा नियम है व पूर्व में भी दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले श्रमिकों के परिवार को प्रबंधन द्वारा स्थाई नौकरी देने का तत्काल लिखित पत्र दिया गया है।

इस दौरान आज एक बार फिर बीएसपी राजहरा माइंस प्रबंधन का घोर असंवेदनशील चेहरा उजागर हुआ है। इतना गंभीर हादसा होने के बाद भी माइंस प्रबंधन के उच्च अधिकारी अस्पताल पहुंच कर जरुरी कार्यवाही को अपने मार्गदर्शन में अविलंब  पूरा करने की बजाय अपने अधिनस्थ अधिकारीयों को भेजकर माइंस आफिस के अपने एसी कार्यालय में बैठकर निर्देश दे रहे थे। 

इनके घोर असंवेदनशील रवैया का आलम ये था की सुबह कि दुर्घटना का थाना में रिपोर्ट दोपहर तक नहीं कराया गया था और दुर्घटना में मृत ठेका श्रमिक के परिवार के एक सदस्य को बीएसपी में स्थाई नौकरी  लेने का पत्र देने में भारी आना - कानी किया जा रहा था।

माइंस प्रबंधन के इस असंवेदनशील व्यवकार के खिलाफ जन मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जाहिर की तथा 10 मिनट के भीतर थाना में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराने पर मृत ठेका श्रमिक बहल राम के परिवार के एक सदस्य को स्थाई नौकरी देने का पत्र नहीं दिये जाने पर मृत ठेका श्रमिक के शव को माइंस आफिस गेट पर रखकर विरोध प्रदर्शन करने का चेतावनी दिये जाने के बाद प्रबंधन हरकत में आया और पुलिस थाना की कार्यवाही व मृत बहल राम के बड़े भाई को परिवार के सदस्य को स्थाई नौकरी दिये जाने पत्र सौंपा गया।

इस दौरान माइंस अस्पताल में सुबह से जन मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष जीत गुहा नियोगी, सचिव बसंत रावटे, कुलदीप नोन्हारे, ईश्वर निर्मलकर, होमन तुमरेकी, यादराम कोर्राम, भंवर सिंह मसिया, तरुण उर्वसा, कोमल, सुनिल आदि कार्यकर्ता अंत तक उपस्थित रहे।


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