दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का अवसान

द कोरस टीम

 

दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर, 1922 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। उनका जन्म का नाम यूसुफ़ ख़ान था। हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता थे। उन्हें अभिनय का ट्रेजडी किंग भी कहा जाता है। जो भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं।

दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है। उन्हें भारतीय फिल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1980 में उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया। इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया था।

पिछले साल, दिलीप कुमार ने अपने दो छोटे भाइयों असलम खान (88) और एहसान खान (90) को कोरोना वायरस के कारण खो दिया था। जिसके बाद उन्होंने अपना जन्मदिन और शादी की सालगिरह भी नहीं मनाई थी। हालांकि, सायरा बानो ने बताया था कि दोनों भाइयों के निधन की खबर दिलीप साहब को नहीं दी गई थी।

उनका जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान मे) में हुआ था। उनके पिता मुंबई आ बसे थे, जहां उन्होंने हिन्दी फ़िल्मों में काम करना शुरू किया। उन्होंने अपना नाम बदल कर दिलीप कुमार कर दिया ताकि उन्हे हिन्दी फिल्मों में ज्यादा पहचान और सफलता मिले।

दिलीप कुमार की शुरुआती पढ़ाई नासिक में हुई। बाद में उन्होंने फिल्मों में अभिनय का फैसला किया और 1944 में रिलीज हुई फिल्म ज्वार भाटा से डेब्यू किया। शुरुआती फिल्में नहीं चलने के बाद अभिनेत्री नूर जहां के साथ उनकी जोड़ी हिट हो गई। फिल्म जुगनू दिलीप कुमार की पहली हिट फिल्म बनी। दिलीप साहब ने लगातार कई फिल्में हिट दी हैं। उनकी फिल्म मुगल-ए-आजम उस वक्त की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी। अगस्त 1960 में रिलीज हुई यह फिल्म उस वक्त की सबसे महंगी लागत में बनने वाली फिल्म थी।

1949 में बनी फिल्म अंदाज़ की सफलता ने उन्हे प्रसिद्धी दिलाई। इस फिल्म में उन्होने राज कपूर के साथ काम किया। दिदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फ़िल्मो में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हे ट्रेजिडी किंग कहा गया। मुगले-ए-आज़म (1960) में उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई। यह फ़िल्म पहले श्वेत और श्याम थी और बाद में 2004 में रंगीन बनाई गई। उन्होने 1961 में गंगा जमुना फिल्म का निर्माण भी किया। जिसमें उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया।

दिलीप कुमार ने अभिनेत्री सायरा बानो से 1966 में विवाह किया। विवाह के समय दिलीप कुमार 44 वर्ष और सायरा बानो 22 वर्ष की थीं। 1980 में कुछ समय के लिए आसमां से दूसरी शादी भी की थी। वर्ष 2000 से वे राज्य सभा के सदस्य रह चुके थे।

बताया जाता है कि साल 1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने कम फिल्मों में काम किया। इस समय की उनकी प्रमुख फ़िल्मे थी-विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991)। 1998 में बनी फिल्म किला उनकी आखरी फिल्म थी।

उन्होंने रमेश सिप्पी की फिल्म शक्ति में अमिताभ बच्चन के साथ काम किया। इस फि़ल्म के लिए उन्हे फिल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला। आज के कई अभिनेता उनका नकल करते हैं। 

मशहूर पत्रकार और लेखक प्रियदर्शन लिखते हैं कि उसने मोहब्बत के लिए हिंदुस्तान की सल्तनत ठुकरा दी थी। उसने नए दौर की बस को अपने तांगे से पीछे छोड़ा था।
वह चंद्रमुखी और पारो के बीच झूलता हुआ देवदास था, जिसे जिंदगी और मोहब्बत की जुबान से अनजान लोगों ने ट्रैजेडी किंग बताया।

वह राम और श्याम के द्वंद्व में फंसा ऐसा आदमी था, जिसे उसकी इंसानियत बार-बार रास्ता दिखाती रही। वह एक बेचैन बाप था जिसने अपने मुजरिम बेटे को गोली मारी थी। वह एक ज़ख्मी रूह था जिसने आसमान में क्रांति लिखी और फिर फ़ैज़ के नग़मे को कुछ बदल कर गाया। कौंधती आंखों और लरजती आवाज़ वाले उस नायक से आने वाले नायकों ने अदाकारी का हुनर चुराया। आज वह चला गया।


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