किसानों का "खेती बचाओ - लोकतंत्र बचाओ" देशव्यापी आंदोलन 

नाराज किसानों ने बैरिकेट में चिपकाया राष्ट्रपति के नाम सौंपा रोष पत्र 

द कोरस टीम

 

छत्तीसगढ़ के विभिन्न किसान संगठनों व उनके मोर्चों जैसे प्रगतिशील किसान संगठन, छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन, किसान मजदूर महासंघ के नेतृत्व में कॉरपोरेट परस्त किसान कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून को रद्द करने की मांग की।

छत्तीसगढ़ के किसान 26 जून को 1 बजे मोती बाग रायपुर से राजभवन तक मार्च करने निकले थे लेकिन मोती बाग से कुछ ही दूरी पर पुलिस प्रशासन द्वारा बैरिकेट लगाकर रोक दिया गया।

किसानों ने पंद्रह सदस्यीय प्रतिनिधि राज्यपाल से मुलाकात करने पूर्व से ही पत्र दिए थे लेकिन राज्यपाल अनुपस्थित रहे जिससे आक्रोशित किसानों ने  राष्ट्रपति के नाम  रोष पत्र को बैरिकेट में ही चस्पा कर दिया।

किसानों को रोक जाने पर सड़क पर ही किसान दो घंटे तक धरना प्रदर्शन करते रहे   किसानों ने कहा कि 46 साल पहले 26 जून 1975 को तत्कालीन इंदिरा सरकार द्वारा देश में आपातकाल लगाया गया था, मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसानों के दिल्ली आंदोलन को 26 जून को 7 माह पूरे हो गए हैं।

इस अवसर पर पूरे देश भर के किसान 26 जून को "खेती बचाओ - लोकतंत्र बचाओ" आंदोलन के राज्यों के राजभवनों के बाहर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को रोष पत्र सौंपा जाएगा लेकिन छत्तीसगढ़ में किसानों को राजभवन तक पहुंचने नहीं दिया और न ही प्रतिनिधि मंडल से बातचीत करने राज्यपाल मौजूद थी।

संयुक्त कार्यक्रम में जनक लाल ठाकुर, सौरा यादव, गौतम बंदोपाध्याय, आई के वर्मा, सुदेश टीकम, संजय पराते, आलोक शुक्ला, नरोत्तम शर्मा, तेजराम विद्रोही, पारसनाथ साहू, रूपन चंद्राकर, शत्रुघन साहू, मदन लाल साहू, गजेंद्र कोसले। 

इसके अलावा श्याम मूरत कौशिक, राजू शर्मा, विश्वजीत हारोड़े, आत्माराम, उत्तम चंद्राकर, केशव साहू, धनेश वर्मा, खम्मन सिंह, रामजी साहू, मिथुन यादव, हेमंत टंडन, जहुर राम, बिसौहराम, आदि के नेतृत्व में सैकड़ों किसान छत्तीसगढ़ के गरियाबंद, धमतरी, रायपुर, बिलासपुर, बालोद, दुर्ग, राजनांदगांव, बेमेतरा, बलौदाबाजार आदि जिलों से सैकड़ों किसान प्रदर्शन में भाग लिया। 


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