झारखंड सरकार द्वारा टीएसी की नियमावली बनाने और अधिसूचना जारी करने से बनी असमंजस की स्थिति

ग्लैडसन डुंगडुंग

 

राज्य सरकार के इस कार्य को देखकर मेरे जैसे बहुत सारे लोग सोच रहे थे कि जेएमएम और कांग्रेस की सरकार असंवैधानिक काम करने पर तुली हुई है लेकिन रतन दा के फेसबुक पोस्ट को पढ़ने के बाद बहुत सारे आदिवासी युवा असमंजस की स्थिति में हैं कि क्या वे गलत सोच रहे थे?

रतन दा ने टीएसी की नियमावली बनाने वाली टीम की सूची जारी की है, जिसमें झारखंड के जानेमाने लोग शामिल हैं।

इसलिए मैं चाहता हूं कि टीम के माननीय सदस्य हम लोगों की उलझन दूर करें।

हम इन प्रश्नों का जवाब ढूंढ़ रहे हैं-

1. क्या झारखंड सरकार के द्वारा बनाया गया टीएसी की नियमावली संवैधानिक है?

2. क्या टीएसी गठन से संबंधित अधिसूचना राज्य सरकार जारी कर सकती है?

3. राज्य सरकार ने पांचवीं अनुसूची के किस पैरा के आधार पर यह कदम उठाया है?

4. क्या टीएसी के नये नियमावली के तहत टीएसी का गठन कर राज्य सरकार ने कोई असंवैधानिक कार्य किया है?

5. टीएसी के नये नियमावली लागू होने के बाद पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के संवैधानिक प्रमुख कौन होंगे मुख्यमंत्री या राज्यपाल?

6. टीएसी नियमावली बनाने वाली टीम में सरना धर्मावलंबी आदिवासियों एवं आदिम जनजाति समुदायों का प्रतिनिधित्व क्यों नहीं है?

ये प्रश्न सिर्फ चर्चा, स्थिति स्पष्ट करने एवं मार्गदशर्न के लिए है इसे अन्यथा न लें।

उपरोक्त प्रश्न या टीएसी गठन से संबंधित बातों पर चर्चा करने के लिए मैं टीएसी नियमावली बनाने वाली टीम के माननीय सदस्यों से आग्रह करता हूं।

रतन दा, प्रेमचंद दा, प्रभाकर दा, जोनसन दा, फादर महेन्द्र पीटर तिग्गा, रणेंद्र, सुधीर पाल, रेश्मा सिंह या नियमावली समिति के कोई भी सदस्य हमारा मार्ग दर्शन कर सकते हैं।


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