नक्सल उन्मूलन के नाम पर आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मार रही है
आदिवासी सत्ता के लिए संघर्ष ही हमारा पहला लक्ष्य
द कोरस टीमछत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल सरकार आदिवासियों के बल पर चल रही है, लेकिन भूपेश, अम्बानी और अदानी का दूध पीकर पला बड़ा सरकार है। बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने के लिए आदिवसियों के संवैधानिक अधिकार पेसा कानून तथा पांचवी अनुसूची को लागू कर परिपालन करने की बात कहीं थी वही खुद सवैधानिक अधिकारों को दरकिनार कर खुलेआम आदिवासियों का हत्या करना उनके नपाक इरादों का पर्दाफास करता है। आने वाले समय में आदिवासी सत्ता के लिए संघर्ष करना ही हमारा पहला लक्ष्य होना चाहिए।

आदिवासी बहुल क्षेत्र ब्लॉक मानपुर के ग्राम सहपाल में सर्व आदिवासी एवं सर्व समाज ब्लॉक मानपुर के अध्यक्ष सुरजू टेकाम के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीण आदिवासी उपस्थित होकर क्रांतिवीर बिरसा मुंडा शहादत दिवस पर पूजा अर्चना व दीपक जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित किया।
उन्होंने कहा कि बिरसामुण्डा का जन्म 15 नवम्बर 1875 के आज के झारखण्ड राज्य में हुआ था। जिन्होंने अंग्रेज दिकुओं से अपनी मातृभूमि की स्वाधिनता के लिए तथा जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेज के खिलाफ सन् 1895 से उलगुलान की शुरुवात की थी।
कई बार बिरसामुण्डा के संघर्ष के आगे अंग्रेजों की पेंट गीली हो गई थी। 9 जून सन् 1900 को बिरसामुण्डा को अंग्रेजों ने केन्द्रीय जेल रांची में धीमा जहर देकर मार डाला।
आज भी आजादी के नाम पर आदिवासियों का कत्लेआम किया जा रहा है। भले देश आजाद हुई हो लेकिन आदिवासी अपनी असली आजादी (सवैधानिक आजादी) की लड़ाई निरंतर लड़ रहे हैं।
लेकिन दुखद बात यह है कि डॉ. रमन सिंह हो या भूपेश बघेल चाहे केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार हो सभी कारर्पोटपरस्त पूंजीपतिपरस्त यह सरकार उनकी गुलाम है। जिसके कारण हर पल हर समय सुरक्षा के नाम पर आदिवासियों का नरसंहार किया जा रहा है।
आदिवासी सत्ता के लिए संघर्ष ही हमारा पहला लक्ष्य
टेकाम कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल सरकार आदिवासियों के बल पर चल रही है, लेकिन भूपेश, अम्बानी और अदानी का दूध पीकर पला बड़ा सरकार है।
बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने के लिए आदिवसियों के संवैधानिक अधिकार पेसा कानून तथा पांचवी अनुसूची को लागू कर परिपालन करने की बात कहीं थी वही खुद सवैधानिक अधिकारों को दरकिनार कर खुलेआम आदिवासियों का हत्या करना उनके नपाक इरादों का पर्दाफास करता है। आने वाले समय में आदिवासी सत्ता के लिए संघर्ष करना ही हमारा पहला लक्ष्य होना चाहिए।
सभा को संबोधित करते हुए टेकाम ने कहा कि दक्षिण बस्तर के सुकमा व बीजापुर जिले के सरहद सिलगेर में सीआरपीएफ कैंप खोले जाने का ग्रामीण आदिवासी विरोध कर रहे हैं। क्योंकि पुलिस उन पर अत्याचार कर फर्जी मुठभेड़ में मार रही है।
ऐसे में इस नए कैंप के खोलने से हजारों आदिवासियों द्वारा विरोध किया जा रहा था। जिन पर अचानक गोलियां चलाई गई व मारपीट किया गया। इसमें स्थानीय तीन आदिवासी ग्रामीणों की मौत हो गई। अब पुलिस मृतकों को व घायलों को माओवादी बता रही है। नक्सल उन्मूलन के नाम पर इस क्षेत्र में पिछले र्क वर्षो से बेकसूर आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़, हत्या आम बात हो गई है।
आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही, यह बंद हो
पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में प्रशासनिक व्यवस्था में राष्ट्रपति, राज्यपाल की भूमिका को नजरंदाज कर ग्रामसभाओं की भूमिकाओं को अनदेखा कर राज्य सरकार मनमाने फैसले ले रही है। जिसके चलते अधिसूचित क्षेत्रों में प्रशासनिक और कॉरपोरेट की दखलअंदाजी बढऩे से आदिवासियों के अस्तित्व उनकी अस्मिता, सांस्कृतिक विरासत खत्म होने के कगार पर है। खनन, वन के नाम पर जमीन छीनी जा रही है।
नौ सदस्यों की जांच टीम संतोषजनक नहीं
सुरजू टेकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा गठित नौ सदस्यों की जांच टीम संतोषजनक नहीं है क्योंकि उसमें सरकार के बाहर का कोई भी सदस्य नहीं है और ना ही कोई सामाजिक कार्यकर्ता ही है।
दक्षिण बस्तर के सिलगेर घटना में दोषियों पर एफआईआर दर्ज किया जाए। सुकमा और बीजापुर जिले के सरहद सिलगेर घटना के विरोध में आदिवासियों का समूह मानपुर से पदयात्रा कर बस्तर में विरोध प्रदर्शन करने जल्द जाएगा।
Add Comment