बिजली कर्मचारियों के बचत निधि पर कंपनी का डाका
द कोरस टीमछत्तीसगढ़ के रायपुर में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कर्मचारी अधिकारी अभियंता समन्वय समिति ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि वर्ष 2001 से Group Saving Linked Insurance Scheme (GSLIS) के अंतर्गत विद्युत कम्पनियों में कार्यरत सभी अभियंताओं, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन से हर माह एक निश्चित राशि काटकर भारतीय जीवन बीमा निगम में जमा की जाती रही है। इस जमा राशि में कुछ हिस्सा बीमा का रहता था तथा कुछ बचत (Saving) में जाता रहा है। यह बचत (Saving) का पैसा सेवानिवृत्ति के बाद कर्मियों को वापस हो जाता था। ठीक इसी तरह की योजना विद्युत नियामक आयोग ने भी अपने यहाँ लागू कर रखी है। लेकिन अब हो यह रहा है कि एकाएक कुछ अधिकारियों ने बिना किसी चर्चा के योजना के स्वरूप को बदल दिया। इसमें से बचत (Saving) वाले हिस्से को हटा दिया। स्मरण रहे कि नियामक आयोग में यह योजना अभी भी पुराने स्वरूप में चल रही हैं। पूरा पैसा कर्मियों के वेतन से काटा गया और विद्युत कम्पनी इस पैसे का मालिक बन बैठी है।

छत्तीसगढ़ विद्युत होल्डिंग कम्पनी की भूमिका केवल संयोजक की रही है। इस योजना में विद्युत कम्पनी अपना एक पैसा भी नहीं लगाती है। यह योजना को सभी अभियंता, अधिकारी, कर्मचारी यूनियन से चर्चा कर लागू की गई थी।
समय-समय पर विद्युत कर्मियों के वेतन से काटी गई राशि अवश्य बढ़ाई गई, ताकि कर्मियों को अधिक राशि का समूह बीमा का लाभ मिले, परन्तु सभी कुछ अब तक विद्युत कर्मचारी यूनियनों से चर्चा के उपरान्त आपसी सहमति से होता आ रहा था।
अब एकाएक कुछ अधिकारियों ने बिना किसी चर्चा के योजना के स्वरूप को बदल दिया। इसमें से बचत (Saving) वाले हिस्से को हटा दिया।
स्मरण रहे कि नियामक आयोग में यह योजना अभी भी पुराने स्वरूप में चल रही हैं। पूरा पैसा कर्मियों के वेतन से काटा गया और विद्युत कम्पनी इस पैसे का मालिक बन बैठी।
अभी तक यह सब होल्डिंग कम्पनी कर रही थी परन्तु अब वितरण, उत्पादन एवं पारेषण कम्पनी अलग - अलग इस काम को करेगी, यह गलत है। होल्डिंग कम्पनी इस काम से क्यों पीछे हट रही हैं?
इसकी कहानी दूसरी है। कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में विद्युत कम्पनियों के एकीकरण की बात थी, परन्तु विद्युत कम्पनी में कार्यरत कुछ स्वार्थी तत्व तीन कम्पनी बनाना चाहते हैं।
यह इसी षडयंत्र का हिस्सा है। पहले यह डाका अलग - अलग करके यह दिखाना चाहते हैं कि सब कुछ तो अलग हो गया है।
एक साथ रहने से सभी कर्मियों को इस योजना का लाभ कम प्रिमियम में ज्यादा मिलेगा।
छत्तीसगढ़ वि.मं. अभियन्ता संघ, छत्तीसगढ़ वि. आफिसर्स एसोसिएशन, छत्तीसगढ़ वि. चिकित्सक एसोसिएशन, छत्तीसगढ़ वि. आफिसर्स पेन्शनर्स एसोसिएशन, छत्तीसगढ़ वि.म. पत्रोपाधि अभियन्ता संघ, छत्तीसगढ़ बिजली कर्मचारी संघ (महासंघ), छत्तीसगढ़ विद्युत अनु. जाति जन एसोसिएशन (अजाक्स) शशांक ढावरे, छत्तीसगढ़ विद्युत कर्मचारी संघ (फेडरेशन)(1) सुरेन्द्र शुक्ला, विद्युत कर्मचारी संघ (फेडरेशन) सुधीर नायक, छत्तीसगढ़ पादर कर्मचारी जनता यूनियन, छत्तीसगढ़ वि कर्मचारी कांग्रेका कहना है कि तीन कम्पनी का बनाये जाना सरकार के निर्देशों एवं कांग्रेस पार्टी की घोषणा पत्र के विपरीत है।
उनका कहना है कि अलग करने से प्रिमियम की राशि बढ़ सकती है।
कर्मचारी संगठनों ने निवेदन किया है कि पहला - विद्युत कम्पनी को निर्देश देवें कि पूर्व की भाँति होल्डिंग कम्पनी ही यह कार्य करें तथा योजना के स्वरूप में कोई बदलाव अभियन्ता अधिकारी, कर्मचारी यूनियन की सहमति से किया जायें।
दूसरा - केरल एवं हिमाचल प्रदेश की तरह एक विद्युत कम्पनी बनाने की कार्यवाही आरम्भ की जाये। छ.ग.वि. तकनीकी संघ वि. तकनीकी संघ ने शिकायत की प्रति अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कम्पनीज लिमिटेड मुख्यालय, डंगनिया रायपुर तथा विशेष सचिव (ऊर्जा), छ.ग. शासन, नवा रायपुर (छग) को भी प्रेषित किया है।
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