मुठभेड़ की असलियत निर्ममता के साथ बलात्कार और हत्या?
द कोरस टीम31 मई को पाईके के माँ-पिताजी अन्य गांव वाले के साथ दंतेवाड़ा थाना गए, उन्हें विश्वास था कि पाईके को जेल में बंद कर दिया गया होगा। लेकिन वहाँ उन लोगों को पता चला कि उनकी बेटी को तो 2 लाख की इनामी माओवादी बताकर हत्या कर दी गयी है। इन्द्रावती नदी के पास पाईके के लाश को देखने के बाद उनके माँ-पिताजी और सम्बन्धियों को समझ में आया कि पाईके के साथ बलात्कार हुआ है और चाकू से उसके जांघ, हाथ, अँगुलियों, माथा और एक स्तन को काट दिया गया है।

खबरों में छपा है कि छत्तीसढ़ के दंतेवाड़ा जिले में सोमवार को नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें जवानों ने एक महिला माओवादी को ढेर कर दिया। मौके में नक्सली के साथ हथियार और आईईडी बरामद हुई। घटना की पुष्टि अभिषेक पल्लव ने की है। एन्काउंटर स्थल से एक महिला नक्सली की शव बरामद की गई है।
पुलिस के मुताबिक मुठभेड़ में मूृत नक्सली की शिनाख्त पायके बेको आत्मज गुड्डी बेको 24 निवासी पल्लेवाया भैरमगढ़ जिला बीजापुर किया गया है। वह पीएलजी प्लाटून नं. 16 की सदस्य थी। उस पर शासन द्वारा दो लाख का इनाम घोषित था। डीआरजी जवानों ने मौका से दो नग कंट्री मेड बंदूक, पिट्ठू, दो किलो वजनी आईडी बम, काली वर्दी, जूला और दवा सहित भारी मात्रा में दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद की है। मुठभेड़ के बाद इलाके में सर्चिंग तेज कर दी गई है।
जब इस खबर की फैक्ट चेक किया गया तो असलियत कुछ और ही निकल कर आ रही है। आदिवासी ग्रामीण कहते हैं कि 30 मई को सुरक्षा बलों के जवानों ने आधी रात घर में घूस कर महिला को उठाया उसके साथ बलात्कार हुआ फिर चाकू से निर्ममता के साथ उसके जांघ, हाथ, अंगुलियां, माथा और एक स्तन को काटा गया। फिर उस आदिवासी युवती को गोली मार दी गई।
मालूम नहीं बस्तर के किस्मत में कई दशकों से ऐसे घृणित कृत्य, बलात्कार और हत्या का दाग कब तक लगाया जाता रहेगा। ग्रामीणों ने हस्ताक्षर युक्त एक शिकायती पत्र थानेदार नेलसनार, भेरमगढ़ए बीजापुर जिला के नाम लिखा है। इस पत्र में प्रचार किये जा रहे माओवादी की मठभेड़ में ढेर किये गये खबर का पर्दाफाश करता है।
ग्रामीणों ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भैरमगड़ तहसील के नीरम गांव की रहनेवाली पाईके वेको युवती अपनी माँ सुक्की वेको और पड़ोस के एक बच्चे मोहन के साथ अपने घर के आँगन में 30 मई, 2021 की रात को सो रही थी, रात के 11 - 12 बजे डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के सुरक्षा बलों ने उनके घर को चारों तरफ से घेर लिया और फिर आँगन में घुसकर पाईके को पकड़ लिया। घर के जिस भी सदस्य ने पाईके को बचने की कोशिश की उसे उनलोगों ने पीटा।
अंतत: रोती-चिल्लाती पाईके को उनकी मां से अलग कर घसीटते हुए आंगन से बाहर खींच कर ले गए। पाईके के मां और पिताजी ने उन्हें बचाने की काफी कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए। दूसरे दिन यानि 31 मई को पाईके के माँ-पिताजी अन्य गांव वाले के साथ दंतेवाड़ा थाना गए, उन्हें विश्वास था कि पाईके को जेल में बंद कर दिया गया होगा। लेकिन वहाँ उन लोगों को पता चला कि उनकी बेटी को तो 2 लाख की इनामी माओवादी बताकर हत्या कर दी गयी है। इन्द्रावती नदी के पास पाईके के लाश को देखने के बाद उनके माँ-पिताजी और सम्बन्धियों को समझ में आया कि पाईके के साथ बलात्कार हुआ है और चाकू से उसके जांघ, हाथ, अँगुलियों, माथा और एक स्तन को काट दिया गया है।
आदिवासियों ने अपनी शिकायत में कहा है कि 30 मई को सुरक्षा बल के जवानों ने आधी रात घर में घुस कर महिला को उठाया. उसके साथ बलात्कार किया, उसके स्तन काट दिये, फिर हत्या कर दी.
— Alok Putul (@thealokputul) June 6, 2021
बस्तर में ऐसी शिकायतें अनसुनी रह जाती हैं.
जांच रिपोर्ट के बाद भी सरकारें फाइल दबा कर बैठी रहती हैं. pic.twitter.com/0niVSx4yqV
परिवार के लोगों ने स्पष्ट किया है कि डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) में भर्ती सारे लोग पहले किसी न किसी रूप में नक्सली संगठनों के साथ ताल्लुक रखते थे उन्हें अब ग्रामीणों के खिलाफ खड़ा कर दिया गया है?
उन्होंने डीआरजी के अधिकांश सैनिकों की शिनाख्त की है और उसकी जानकारी भी पत्र में शामिल किया गया है। लगभग सात लोगों की विस्तृत जानकारी गांववालों ने पत्र में लिखा है। महेन्द्र कर्मा के जनजागरण अभियान उसके बाद भाजपा शासनकाल के सलवा जुडूम के बाद आदिवासियों के रक्तपात का यह सिलसिला युद्ध के नये मोड़ पर ले आ खड़ा किया है।
विडंबना देखिये कि पाईके वेको के साथ बलात्कार करनेवाले और उनके साथ निर्मम अत्याचार कर उनकी हत्या करनेवाले भी आदिवासी ही हैं। मीडिया में रचे जा रहे खबरों पर हमारी पैनी दृष्टि रखने की जरूरत है। सवाल यह है कि यदि आज आप सरकार के द्वारा आदिवासियों पर ढाये जा रहे जुल्म के खिलाफ चुप हैं, तो सोचिये कि आप भी कहीं ना कहीं हत्यारों के साथ तो खड़े तो नहीं हैं?
बहरहाल बस्तर में बलात्कार, अत्याचार, मुठभेड़ और गोलीबारी की घटनाये लगातार जारी है। वहीं दूसरी ओर आदिवासी इन अत्याचारों और जुल्म के खिलाफ उठ खड़े हो रहे हैं देखा बाकी है कि बस्तर की सार्वजनिक सम्पत्ति और संसाधनों को आखिरकार आदिवासियों बचा पाते हैं या नहीं?
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