बस्तर गर्ल ने किया एवरेस्ट फतह!
पीयूष कुमारआज छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है कि बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर) पर फतह हासिल की है। वे यह उपलब्धि हासिल करनी वाली राज्य की द्वितीय महिला बन गयी है। नैना अब तक पर्वतारोहण के कई अभियानों को सफलतापूर्वक पार कर चुकी हैं। यह अभियान 60 दिनों का था। नैना के इस अभियान के लिए बस्तर जिला प्रशासन और एनएमडीसी ने मदद की थी। इससे पहले 1993 में भिलाई की सविता धपवाल ने बछेंद्री पाल के साथ एवरेस्ट फतह किया था।

बस्तर के जिला मुख्यालय जगदलपुर से दस किमी दूर बस्तर ब्लाक के ग्राम एक्टागुड़ा की नैना पिछले दस सालों से पवर्तारोहण कर रही हैं। नैना जब छोटी थी तब ही उनके पिता चल बसे थे। तब नैना की मां ने पेंशन की राशि से परिवार का पालन पोषण किया। कमजोर आर्थिक स्थितियों में नैना ने जगदलपुर स्थित महारानी लक्ष्मीबाई कन्या हायर सेकंडरी स्कूल से हायर सेकंडरी और बस्तर विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई करने के दौरान वह महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) इकाई से जुड़ीं।
जहां से पर्वतारोहण की प्रेरणा मिली और 2009 से इस क्षेत्र में सक्रिय हुईं। यहां निश्चित रूप से नैना कि माताजी को श्रेय जाता है जो उन्होंने नैना के पर्वतारोहण जैसे कम चुने जाने वाले फील्ड पर सपोर्ट किया। नैना को बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
राज्य (तत्कालीन मध्यप्रदेश की भी) की पहली एवरेस्ट फतह करनेवाली महिला हैं सविता धपवाल। ये भिलाई रहती हैं, जिन्होंने 1993 में बछेंद्री पाल के साथ अभियान किया था और एवरेस्ट पहुंची थीं। अभी भिलाई स्टील प्लांट के शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं और तालपुरी, भिलाई में रहती हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह फिर से उन पर्वतारोहियों के साथ अभियान पर इसी वर्ष जा रही हैं जिनके साथ 1993 मे गयी थीं। इस टीम में सभी महिलाएं 50 वर्ष से अधिक की उम्र की हैं। बहुत शुभकामनाएं सविता जी को। तस्वीर में बछेंद्री पाल (बैठी हुई) और सविता धपवाल।
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